भारत का नाम हिंदुस्तान कब और कैसे पड़ा? - bhaarat ka naam hindustaan kab aur kaise pada?

  • भारत के नामकरण का इतिहास
  • कैसे सिंधु से हिंदू में बदला भारत
  • अंग्रेजों ने भारत को कहा इंडिया

हमारे देश के बदलते नाम का एक इतिहास है. कहते हैं कि महाराज भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया था और उनके नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा. मध्य काल में जब तुर्क और ईरानी यहां आए तो उन्होंने सिंधु घाटी से प्रवेश किया. वो स का उच्चारण ह करते थे और इस तरह से सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हो गया. उन्होंने यहां के निवासियों को हिंदू कहा और हिंदुओं के देश को हिंदुस्तान का नाम मिला.

सिंधु नदी का दूसरा नाम इंडस भी था. इस नदी के किनारे विकसित सभ्यता इंडस वैली सिविलाइजेशन कहलाई. सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए विदेशियों ने रखा. सिंधु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु भी था, जिसे यूनानी में इंडो या इंडस भी कहा जाता था. जब ये शब्द लैटिन भाषा में पहुंचा तो बदलकर इंडिया हो गया.

जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था. हालांकि ये शब्द बोलने में उन्हें परेशानी होती थी. जब अंग्रेजों को पता चला कि भारत की सभ्यता सिंधु घाटी है जिसे इंडस वैली भी कहा जाता है, इस शब्द को लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है तो उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया. अंग्रेजों के शासनकाल में इंडिया नाम काफी प्रसिद्ध हुआ और हमारा देश दुनिया में इस नाम से जाना जाने लगा.

जब मिली आजादी...

14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को जब भारत अपने भाग्य से मुलाकात कर रहा था, तो वो घड़ी हिंदुस्तान के लिए सदियों के संघर्ष और तपस्या का पुण्य फल भी थी. सदियों के बाद मिली आजादी के बाद नया भारत कैसे चलेगा, इसके क्या कायदे-कानून होंगे इसे लेकर एक संविधान भी बनाया जा रहा था.

संविधान सभा में देश के नाम पर सवाल उठा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बनने की दिशा में बढ़ा ये देश अपना नाम क्या रखेगा. इस दौरान भारत, हिंदुस्तान, हिंद और इंडिया जैसे विकल्पों पर खूब माथापच्ची हुई.

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17 सितंबर 1949 को संघ के नाम और राज्यों पर चर्चा शुरु हुई. संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चाहते थे कि इसको आधे घंटे में स्वीकार कर लिया जाए. लेकिन दूसरे सदस्यों में नाम को लेकर असहमति थी जो चाहते थे कि इंडिया और भारत जैसे शब्दों के रिश्तों को समझ लिया जाए.

संविधान सभा में नाम पर बहस

इस बहस में सेठ गोविंद दास, कमलापति त्रिपाठी, श्रीराम सहाय, हरगोविंद पंत और हरि विष्णु कामथ जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया. हरि विष्णु कामथ ने सुझाव दिया कि इंडिया अर्थात् भारत को भारत या फिर इंडिया में बदल दिया जाए.

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लेकिन उनके बाद सेठ गोविंद दास ने भारत के ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला देकर देश का नाम सिर्फ भारत रखने पर बल दिया. इस पर बीच का रास्ता कमलापति त्रिपाठी ने निकाला, उन्होंने कहा कि इसका नाम इंडिया अर्थात् भारत की जगह भारत अर्थात् इंडिया रख दिया जाए. हरगोविंद पंत ने अपनी राय रखते हुए कहा कि इसका नाम भारतवर्ष होना चाहिए, कुछ और नहीं.

इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा

लेकिन भारत या भारतवर्ष नाम का समर्थन करने वाले ये सारे नेता उत्तर भारत या कहें कि हिंदी पट्टी के थे. जबकि भारत का विस्तार उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक है. संविधान सभा में हर क्षेत्र, हर भाषा के लोग बैठे थे. हिंदी को राजभाषा मानने पर पहले ही बहुत घमासान हो चुका था. ऐसे में विदेशों से संबंधों का हवाला और देश में सबको एक सूत्र में जोड़ने की कोशिश करते हुए संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा गया कि इंडिया अर्थात् भारत राज्यों का संघ होगा.

बता दें कि आजादी के बाद देश का नाम बाद में तय हुआ. संविधान में राष्ट्रगान और तिरंगा पहले ही तय हो गया था, और तय हो गया था कि अब इस देश में भारत माता की जय का नारा लगाया जाएगा. आजादी के आंदोलन में देश को एक जुट करने के लिए महात्मा गांधी की अगुवाई में देश भारत माता की जय ही बोलता था.

हिंदुस्तान शब्द के पीछे सिंधु नदी के नाम का हवाला दिया जाता है. मध्य युग में तुर्क और ईरानियों ने भारत में प्रवेश किया. वे सिंधु घाटी के रास्ते भारत आए.

बिहार विधानसभा में सोमवार को निवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई. शपथ के दौरान असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के एक विधायक ने उर्दू में शपथ लेते हुए ‘हिंदुस्तान’ शब्द की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया. विधायक ने उर्दू में शपथ ग्रहण किया और इस दौरान ‘हिंन्दुस्तान’ के स्थान पर ‘भारत’ शब्द के उपयोग को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया.

बिहार के एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने उर्दू में शपथ लेने के दौरान शपथ पत्र में लिखे गए ‘हिंदुस्तान’ के बजाय संविधान में लिखे ‘भारत’ का उपयोग करने का अनुरोध किया. इस पर सदन के प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने कहा कि भारत का संविधान तो हमेशा से चला आ रहा है, आज कोई नई बात नहीं है, सभी उसी नाम पर शपथ लेते हैं. शपथ ग्रहण के बाद अख्तरुल इमान ने कहा कि उन्हें ‘हिंदुस्तान’ शब्द को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी, यह मात्र एक संशोधन था. बता दें, भारत और हिंदुस्तान शब्द के उपयोग को लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं. इसलिए आज हम जानने की कोशिश करेंगे कि दोनों शब्दों की उत्पत्ति कैसे हुई.

कैसे मिला भारत शब्द भारत नाम के पीछे महाभारत की एक कथा प्रचलित और लोकप्रिय है. शकुंतला और पुरुवंशी राजा दुष्यंत के पुत्र का नाम भरत था. ऋषि कण्व ने आशीर्वाद दिया कि भरत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखंड का नाम भारत प्रसिद्ध होगा. लोगों के बीच आम धारणा यही प्रसिद्ध है कि भारत नाम की उत्पत्ति राजा भरत के नाम से ही हुई. बाद में राजा भरत ने भारत का संपूर्ण विस्तार किया और दुनिया में इसकी ख्याति फैली.

कैसे पड़ा हिंदुस्तान नाम हिंदुस्तान शब्द के पीछे सिंधु नदी के नाम का हवाला दिया जाता है. दरअसल, मध्य युग में तुर्क और ईरानियों ने भारत में प्रवेश किया. वे सिंधु घाटी के रास्ते भारत में घुसे. तुर्क और ईरानी स का उच्चारण ह करते थे, इसलिए सिंधु का अपभ्रंश हिंदू हो गया. इस तरह हिंदुओं के इस देश को हिंदुस्तान का नाम मिला. ये भी कहा जाता है कि जब दरिउस (Darius I) प्रथम ने सिंधु घाटी पर अधिकार किया तो उसने सिंधु नदी के पीछे वाली भूमि को हिंदुस्तान कहकर पुकारा. शायद मध्य पर्शियाई काल में प्रत्यय ‘स्तान’ भी हिंदू के साथ जोड़ दिया गया होगा और फिर दोनों शब्दों के योग से बना शब्द – हिंदुस्तान.

अंग्रेजों ने कहा इंडिया तुर्क और ईरानियों के बाद अंग्रेज भारत आए. उन्होंने भी भारत के नाम का आधार सिंधु नदी यानी कि इंडस रिवर को माना. माना जाता है कि अंग्रेजों के लिए हिंदुस्तान शब्द का उच्चारण करना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने इंडस के नाम पर इस देश का नाम इंडिया कर दिया. तभी से भारत का नाम इंडिया उच्चारित होने लगा. संविधान में भी इसका जिक्र है जिसमें कहा गया है ‘इंडिया दैट इज भारत’.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका देश के संविधान में ‘इंडिया दैट इज भारत’ का जिक्र है. कई बार इसकी मांग उठी है कि इंडिया की जगह देश का नाम भारत कर दिया जाए. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर हो चुकी है जिस पर देश की शीर्ष अदालत ने सुनवाई भी की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई कि संविधान के अनुच्छेद-1 में बदलाव कर देश का नाम भारत कर दिया जाए. मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के पास गई और इस बेंच ने याचिका ठुकरा दी. बेंच ने कहा कि संविधान में पहले से लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत’, इसलिए इसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं है.

हमारे देश का नाम हिंदुस्तान कैसे पड़ा?

सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए विदेशियों ने रखा. सिंधु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु भी था, जिसे यूनानी में इंडो या इंडस भी कहा जाता था. जब ये शब्द लैटिन भाषा में पहुंचा तो बदलकर इंडिया हो गया. जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था.

आजादी से पहले भारत का नाम क्या था?

भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।

भारत का पहला नाम क्या है?

प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया.

हिंदुस्तान शब्द कैसे बना?

हिंदुस्तान शब्द का एक और स्रोत माना जाता है। इसके अनुसार ईरानी (पर्शिया) का शब्द 'हिन्दू' एवं संस्कृत के शब्द सिन्धु से भी हिन्दुस्तान शब्द की उत्पत्ति हुई हो सकती है। ये भी कहा जाता है कि जब दरिउस (Darius I) प्रथम ने जब सिन्धु घाटी पर अधिकार किया तो उसने सिन्धु नदी के पीछे वाली भूमि को हिन्दुस्तान कहकर पुकारा।