इससे पहले 1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण (पोखरण-1) कर दुनिया को भारत की ताकत का लोहा मनवाया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का स्थान और उसकी साख एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर उभरी। पोखरण-1 Show (टीम दृष्टि इनपुट) पोखरण-2
जवाब में बना पाकिस्तान का परमाणु बम उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी परमाणु बम के सूत्रधार पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने जब 70 के दशक में इन पर काम शुरू किया था तो इसे इस्लामी बम का नाम दिया था। 1971 में भारत के हाथों युद्ध में पराजय और बांग्लादेश की स्थापना के बाद ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी। बाद में 5 जुलाई, 1977 को उनके सेनाध्यक्ष जनरल ज़िया उल हक ने उन्हें प्रधानमंत्री के पद से हटाकर रावलपिंडी जेल में बंद कर दिया था तथा 4 अप्रैल, 1979 को फाँसी दे दी थी। जेल में बंद भुट्टो ने एक किताब लिखी थी, जिसका नाम था 'इफ आई एम असेसिनेटेड'। इसमें उन्होंने विस्तार से बताया था कि किस तरह पाकिस्तानी बम की शुरुआत हुई। इसी किताब में एक स्थान पर उन्होंने लिखा है...'हम घास खाएंगे, लेकिन बम ज़रूर बनाएंगे।' (टीम दृष्टि इनपुट) पूर्ण गोपनीयता और सावधानी बरती गई थी
परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह क्या है?
(टीम दृष्टि इनपुट) क्यों ज़रूरी थे 1998 में परमाणु परीक्षण? लगाए गए थे प्रतिबंध भारत के प्रधानमंत्री का पत्र अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम (टीम दृष्टि इनपुट) लेकिन अमेरिका वही सोच रहा था, जिसका अंदेशा पहले से ही था...प्रतिबंध।
परीक्षण क्यों? और उनके बाद प्रतिबद्धता
परमाणु अप्रसार संधि क्या है?
बिग 5 क्लब भारत क्यों नहीं करता इस पर हस्ताक्षर?: भारत लंबे समय से पाँच देशों के इस परमाणु एकाधिकार की आलोचना करता रहा है और इसी के विरोध में इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता रहा है। निष्कर्ष: हाल ही में 1998 के परमाणु परीक्षण पर एक फिल्म भी बनी है...'परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण'। इससे पता चलता है कि पोखरण-2 का स्वतंत्र भारत के इतिहास में क्या महत्त्व है। इस परमाणु विस्फोट ने भारत को विश्व में बतौर परमाणु संपन्न राष्ट्र स्थापित कर दिया था। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का कहना था कि ‘सपने वे नहीं जो सोते हुए देखे जाएं, बल्कि सपने वे हैं जो इंसान को सोने न दें।’ डॉ. कलाम के नेतृत्व में ही भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। अपने वैज्ञानिकों की दक्षता और कड़ी मेहनत की वज़ह से आज भारत की गिनती परमाणु शक्ति संपन्न देशों में होती है। भारत की परमाणु शक्ति संपन्नता किसी देश को धमकाने के लिये नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिये है, जिसे शायद ही कभी इस्तेमाल किया जाए। लेकिन परमाणु बम बनाकर भारत ने यह ज़रूर साबित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं है। भारत के पहले परमाणु परीक्षण कोड का नाम क्या है?'स्माइलिंग बुद्धा' (MEA पदनाम: पोखरण- I) भारत के पहले सफल परमाणु बम परीक्षण का निर्दिष्ट कोड नाम था। स्माइलिंग बुद्धा के साथ, भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के बाद विश्व की छठी परमाणु शक्ति बन गया, जिसने सफलतापूर्वक परमाणु बम का परीक्षण किया।
1998 में परमाणु परीक्षण का कोड क्या था?11 मई 1998 को शुरू किए गए पोखरण - II परीक्षणों में पाँच विस्फोट शामिल थे। पहला विस्फोट एक संलयन बम था और शेष चार विखंडन बम के विस्फोट थे। परीक्षणों को कोड दिया गया था - ऑपरेशन शक्ति।
सर्वप्रथम परमाणु परीक्षण कब हुआ?विश्व भर में परीक्षण
पहला परमाणु परीक्षण अमेरिका ने १६ जुलाई, १९४५ में किया था जिसमें २० किलोटन का परीक्षण किया गया था। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण सोवियत रूस में ३० अक्तूबर १९६१ को किया गया था जिसमें ५० मेगाटन के हथियार का परीक्षण किया गया था।
भारत में प्रथम भूमिगत परमाणु परीक्षण कब किया?वर्ष 1974 में 18 मई का दिन एक ऐसी अहम घटना के साथ इतिहास में दर्ज है, जिसने भारत को दुनिया के परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा कर दिया। भारत ने आज ही के दिन राजस्थान के पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण (Nuclear Test India 1974) किया था। इस परीक्षण को स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha) का नाम दिया गया था।
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