These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 तलाश Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts. Bharat Ki Khoj
Class 8 Chapter 2 Question and Answers पाठाधारित प्रश्न बहुविकल्पी प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न
6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. पाठ-विवरण इस पाठ के माध्यम से नेहरू जी कहने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत के अतीत में ऐसी दृढ़ शक्ति रही है। कि उसे कोई डिगा नहीं सकता है। यदि हम पाँच हज़ार सालों के पीछे मुड़कर देखें तो पाते हैं कि भारत का मुकाबला पूरा संसार नहीं कर सकता। जनसंख्या का विशाल समूह होने के बावजूद भारत में मज़बूती के साथ एकजुटता दिखाई देता है। Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Summary भारत की अतीत की झाँकी नेहरू जी इस पाठ के माध्यम से कहते हैं कि बीते सालों में उनका यह प्रयास रहा है कि वे भारत को समझें और उसके प्रति उनके प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करें। कभी-कभी उनके मन में यह भी विचार आता था कि आखिर भारत क्या है? यह भूतकाल की किन विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? भारत उनके खून में रचा-वसा था। उन्होंने भारत को शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखा था। क्या अब वह अपनी शक्ति को खो दिया है? इतना विशाल जन समूह होने के बावजूद भारत के पास कुछ ऐसा है जिसे जानदार कहा जा सके। इस आधुनिक युग में तालमेल किस रूप में बैठता था। उस समय नेहरू जी भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो के एक टीले पर खड़े थे। इस नगर को 5000 वर्ष पहले का बताया गया है। यह एक पूर्ण विकसित सभ्यता थी। इसका ठेठ भारतीयपन हमारी आधुनिक सभ्यता का आधार है। भारत ने फारस, मिश्र, ग्रीस, चीन, अरब, मध्य एशिया तथा भूमध्यसागर के लोगों को प्रभावित किया तथा स्वयं भी उनसे प्रभावित हुआ। नेहरू जी ने आने वाले विदेशी विद्वान यात्री जो चीन, पश्चिमी व मध्य एशिया से आए थे, उनके द्वारा लिखित साहित्य का अध्ययन किया। उन्होंने पूर्वी एशिया, अंगकोर, बोरोबुदुर और बहुत सी जगहों से भारत की उपलब्धियों के बारे में जाना। हिमालय पर्वत व उनसे जुड़ी प्राचीन कथाओं को भी उन्होंने जाना। वे हिमालय में भी घूमते रहे जिसका पुराने मिथकों और दंत कथाओं के साथ निकट का संबंध है। पहाड़ों के प्रति विशेषकर कश्मीर के प्रति उनका विशेष लगाव रहा। भारत की विशाल नदियों ने भी उन्हें आकर्षित किया। इंडस या सिंधु के नाम पर हमारे देश का नाम इंडिया और हिंदुस्तान पड़ा। यमुना के चारों ओर नृत्य और नृत्य उत्सव और नाटक से संबद्ध न जाने कितनी पौराणिक कथाएँ एकत्र हैं। भारत की नदी गंगा ने भारत के हृदय पर राज किया है। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक गंगा की गाथा भारत की सभ्यता और संस्कृति की कहानी है। भारत के अतीत की कहानी को स्वरूप देनेवाली अजंता, एलोरा, ऐलिफेंटा की गुफाएँ व दिल्ली तथा आगरा की विशेष इमारतों ने भी नेहरू जी को भारत के अस्तित्व के बारे में अवगत करवाया। जब भी वे अपने शहर इलाहाबाद या फिर हरिद्वार में महान-स्नान पर्व कुंभ के मेले को देखते तो उन्हें एहसास होता था कि हज़ारों वर्ष पूर्व से उनके पूर्वज भी इस स्नान के लिए आते रहे हैं। विदेशियों ने भी इन पर्यों के लिए बहुत कुछ लिखा। उन्हें इस बात की हैरानी थी कि वह कौन-सी प्रबल आस्था है जो भारतीयों को कई पीढ़ियों से भारत की इस प्रसिद्ध नदी की ओर खींचती रही है। उनकी यात्राओं ने अतीत में देखने की दृष्टि प्रदान की। उन्हें सच्चाई का बोध होने लगा। उनके मन में अतीत के सैकड़ों चित्र भरे पड़े थे। ढाई हजार वर्ष पहले दिया महात्मा बुद्ध का उपदेश उन्हें ऐसा लगता जैसे बुद्ध अपना पहला उपदेश अभी दे रहे हों, अशोक के पाषण स्तंभ अपने शिलालेखों के माध्यम से अशोक की महानता प्रकट करते, फतेहपुर सीकरी में अकबर सभी धर्मों में समानता को मानते हुए मनुष्य की शाश्वत समस्याओं का हल खोजता फिरता है। इस प्रकार नेहरू जी को प्राचीन पाँच हज़ार वर्ष पूर्व से चली आ रही सांस्कृतिक परंपरा की निरंतरता में विलक्षणता साफ़ और स्पष्ट तथा वर्तमान के धरातल पर सजीव प्रतीत होती है। भारत की शक्ति और सीमा सरल, सजीव और समृद्ध भाषा की जगह अलंकृत और जटिल साहित्य-शैली विकसित हुई। विवेकपूर्ण चेतना लुप्त होती चली गई और अतीत की अंधी मूर्ति पूजा ने उसकी जगह ले ली। इस हालत में भारत का पतन होने लगा जबकि इस समय में विश्व के दूसरे हिस्से लगातार प्रगति करते रहे। इन उपरोक्त बातों के साथ-साथ यह भी नहीं कहा जा सकता है कि इतना कुछ होने पर भी भारत की मज़बूती, दृढ़ता और अटलता को हिला नहीं सका। प्राचीन भारत का स्वरूप तो पुराने रूप में रहा लेकिन अंदर की गतिविधियाँ बदलती रहीं, भले ही नए लक्ष्य खींचे गए लेकिन पुरानी व नई सामंजस्य स्थापित करने की इच्छा बराबर बनी रही। इसी लालसा ने भारत को गति दी और पुराने के जगह नए विचारों को आत्मसात करने का सामर्थ्य दिया। भारत की तलाश नेहरू जी इस बात से भी अपरिचित न थे कि भारत की तस्वीर कुछ-कुछ बदल रही है क्योंकि हमारा देश 200 वर्षों से अंग्रेजों के अत्याचार झेल रहे थे। काफ़ी कुछ तो उसी कारण समाप्त हो गया लेकिन जो मूल्य या धरोहर बच गई है वह सार्थक है। लेकिन बहुत कुछ ऐसा भी है जो निरर्थक व अनिष्टकारी है। भारत-माता भारत की विविधता और एकता नेहरू जी का कहना है कि वे जब भी भारत के बारे में सोचते हैं तो उनके सामने दूर-दूर तक फैले मैदान, उन पर बसे अनगिनत गाँव, व शहर व कस्बे जिनमें वे घूमे, वर्षा ऋतु की जादुई बरसात जिससे झुलसी हुई धरती का सौंदर्य और हरियाली खिल जाए, विशाल नदियाँ व उनमें बहता जल, ठंडा प्रदेश खैबर, भारत का दक्षिण रूप, बर्फीला प्रदेश हिमालय या वसंत ऋतु में कश्मीर की कोई घाटी फूलों से लदी हुई व उसके बीच से कल-कल छल-छल करते बहते झरने की तस्वीर बन जाती है, जिसे वे सहेजकर रखना चाहते हैं। जन संस्कृति भारत में नम्रता, यह सब कुछ होने के बाद भी स्थिति को स्वीकारने की प्रबल प्रवृत्ति थी जो हज़ारों सालों की संस्कृति विरासत की देन थी और इसे दुर्भाग्य भी न मिटा पाया था। यानी भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्वों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या 4. पृष्ठ संख्या 5. पृष्ठ संख्या 6. पृष्ठ संख्या 7. पृष्ठ संख्या 8. पृष्ठ संख्या 9. पृष्ठ संख्या 10. पृष्ठ संख्या 11. पृष्ठ संख्या 11. पृष्ठ संख्या 12. पृष्ठ संख्या 12. पृष्ठ संख्या 13. पृष्ठ संख्या 14. पृष्ठ संख्या 15. पृष्ठ संख्या 15. पृष्ठ संख्या 16. भारत के संबंध में लेखक ने कैसे जाना था?Answer: लेखक तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वहाँ वह धूप में भूख-प्यास से बेहाल होकर होटल की तलाश कर रहा था कि उसे हामिद खाँ की दुकान पर जाना पड़ा। यहाँ हामिद खाँ ने जाना कि लेखक भारत से आया है।
लेखक के अनुसार भारत क्या है?लेखक के अनुसार भारत माता का स्वरूप सर्व व्यापक है। भारत माता गाँव, जिले, नगर, राज्य, नदियां, जंगल, खेत, पहाड़, तालाब, झील, पेड़ पौधे भूमि सभी के रूप में है। भारत देश में रहने वाले सभी लोग भी भारत माता का ही स्वरूप है। भारत माता का स्वरूप सर्वव्यापक है।
लेखक ने आधुनिक भारतीय सभ्यता का आधार किसे और क्यों कहा है?Answer: भारतीय संस्कृति, ये स्वयं में अद्भूत गुणों को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति का स्थायी रूप से टिके रहने का कारण इसका ठेठ भारतीयपन है और यही आधुनिक सभ्यता का आधार है।
लेखक को अपने साथ किसे और क्यों ले जाना पड़ा?Answer: लेखक को अपने साथ तन्मय को ले जाना पड़ा क्योंकि वह बाजार जाने के लिए जिद कर रहा था ।
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