National Teacher's Award: 5 सितंबर यानी शिक्षक दिवस...हर साल टीचर्स डे के मौके पर अधिकतर लोगों के लिए स्कूल की यादें ताजा हो जाती हैं. टीचर्स डे को खास बनाने के लिए कोई बच्चा कार्ड बनाता तो कोई गिफ्ट देकर शिक्षक को सम्मानित करता है. देश में साल 1958 से 5 सितंबर को टीचर्स डे मनाने की शुरुआत हुई. दरअसल, भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 से अधिक वर्ष एक शिक्षक के रूप में बिताए हैं. जब कुछ छात्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने की इच्छा प्रकट की तो राधाकृष्णन ने कहा कि यदि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस (Teachers Day) के रूप में मनाया जाए तो उन्हें खुशी होगी. टीचर्स डे के मौके पर शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिक्षकों को नेशनल टीचर्स अवॉर्ड दिया जाता है. Show
किसी के सफल होने के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके शिक्षक का होता है. शिक्षक आपको सही और गलत की पहचान करना सिखाते हैं. आपके आसपास कई ऐसे शिक्षक होंगे, जिनके बेहतरीन योगदान ने किसी
ना किसी का जीवन बदल दिया होगा. ऐसे ही शिक्षकों को नेशनल टीचर्स डे का अवॉर्ड दिए जाते हैं. इस पुरस्कार का उद्देश्य उन उन शिक्षकों को सम्मानित करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और उद्यमशीलता के माध्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. सम्बंधित ख़बरेंकब हुआ शुरू नेशनल टीचर्स अवॉर्ड?
* हम बात कर रहे हैं महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की। 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुपति गांव में जन्में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को एक महान राजनीतिज्ञ और दार्शनिक भी कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे। शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने वाले डॉ. राधाकृष्णन को उनकी महानत के लिए ही 1954 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। * इस दिन स्टूडेंट्स मनाना चाहते थे डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन आपको बता दें कि एक समय में 5 सितंबर भारत के लिए कोई विशेष दिन नहीं था। बल्कि ये दिन सिर्फ उनके लिए स्पेशल होता था जो डॉ. राधाकृष्णन के स्टूडेंट थे। एक बार इन्हीं स्टूडेंट्स ने उनसे उनका जन्म दिन मनाने का आग्रह किया। ये सुनकर डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जन्म दिन को स्वयं का दिन बनाने के बजाय संपूर्ण शिक्षकों के महान कार्यों और उनके योगदान के लिए सम्मानित करने का दिन बनाने का सुझाव दे दिया। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि शिक्षक ही देश के भविष्य का आधार होते हैं, इसलिए सिर्फ उन्हें नहीं बल्कि हर शिक्षक को सम्मान दो। यही वो दिन था जबसे ५ सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। जानें एक महान शिक्षक के बारे में ये रोचक फैक्ट्स पहली बार 1962 में मनाया गया था शिक्षक दिवस * 1962 में पहली बार ५ सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया। तब से आज तक हर साल इसी दिन शिक्षक दिवस मनाया
जाता है। इनके लिए भारत बना प्रेरणा गुरु शिष्य परम्परा को देखते हुए ही दुनिया के दूसरे देशों ने शिक्षकों के सम्मान के लिए विशेष दिवस मनाने शुरू किए। भारत में जहां ५ सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहीं अलग-अलग देशों में इस दिन की तारीख अलग-अलग है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है। जानें किस देश में कब और कैसे मनाया जाता है शिक्षक दिवस... * भारत में हर साल
5 सितंबर को शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। * यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था। ५ अक्टूबर 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है। * चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरुआत की गई। भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरूआत कब से हुई?देश में साल 1962 से शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई. इसी साल मई में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला था. इससे पहले 1952 से 1962 तक वो देश के पहले उप-राष्ट्रपति रहे थे. एक बार डॉक्टर राधाकृष्णन के मित्रों ने उनसे गुज़ारिश की कि वो उन्हें उनका जन्मदिवस मनाने की इजाज़त दें.
शिक्षक दिवस कब घोषित किया गया?5 अक्टूबर 1994 को UNESCO ने UNESCO/ILO की रिकमेंडेशंस को मान्यता दी थीं जिसके बाद इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में घोषित किया गया.
सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत कब की गई थी?इस तरह देशभर में पहली बार 5 सितंबर 1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई.
शिक्षक दिवस कैसे बना?भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
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