भारत में द्वैध शासन का जनक कौन है? - bhaarat mein dvaidh shaasan ka janak kaun hai?

जब दो शासक एक साथ सत्ता का संचालन करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है।

'द्वैध शासन' का सिद्धांत सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने अपनी पुस्तक "डायर्की" में प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक 'राउंड टेबिल' का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धांत 1919 ई. के 'भारतीय शासन अधिनियम, 1919' में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रांतों में द्वैध शासन स्थापित हुआ।

उदाहरण के लिए, 1765 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केंद्र थे। बंगाल में द्वेध शासन का जनक रोबर्ट क्लाइव को कहा जाता है।

1919 का द्वैध शासन[संपादित करें]

1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम (गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट) द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन की स्थापना की गई। इसके पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था। लेकिन अब इस स्थिति में परिवर्तन लाकर प्रान्तीय सरकारों को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया। कथित तौर पर इस द्वैध शासन का एकमात्र उद्देश्य था – भारतीयों को पूर्ण उत्तरदायी शासन के लिए प्रशासनिक शिक्षा देना। द्वैध शासन के प्रयोग ने भारत में एक नया ऐतिहासिक अध्याय प्रारंभ किया। असम, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बंबई, मध्य प्रांत, पंजाब, मद्रास, संयुक्त प्रांत और बर्मा में यह नयी व्यवस्था लागू की गयी।

इस अधिनियम द्वारा केंद्र एवं प्रांतों के बीच विषयों का बँटवारा किया गया और जो विषय भारत के हित में थे, उन्हें केंद्रीय सरकार के अधीन रखा गया। प्रतिरक्षा, यातायात, विदेश नीति, सीमा शुल्क, मुद्रा, सार्वजनिक ऋण इत्यादि को केंद्रीय विषय में सम्मिलित किया गया। स्थानीय स्वशासन सार्वजनिक, स्वास्थ्य, सफाई और शिक्षा, पुलिस, जेल तथा सहकारिता आदि को प्रांतीय विषय के अधीन रखा गया।

द्वैध शासन असफल रहा जिसके कई कारण थे। यह गलत सिद्धांत पर आधारित था और प्रांतीय विषयों का विभाजन दोषपूर्ण था। गवर्नर को कोई वास्तविक अधिकार नहीं दिया गया था। प्रांतीय सरकार को हमेशा वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था और सुधारों के प्रति हमेशा ब्रिटिश सरकार की उदासीन नीति के कारण द्वैध शासन सफल नहीं हो सका। इस व्यवस्था में सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना का पूर्णतया अभाव था और मंत्री तथा लोकसेवकों के बीच बराबर तनावपूर्ण सम्बन्ध बना रहता था। इस प्रकार आंशिक उत्तरदायी शासन यानी द्वैध शासन हर दृष्टिकोण से असफल रहा। यह एक अधूरी योजना थी जो भारत के लिए एक मजाक का विषय ही बनी रही। इसने खुद सरकार के अंदर ही कई मतभेद पैदा कर दिए।

===द्वैध शासन के अंतर्गत नियम=== शासन का सिद्धांत प्रांतीय सरकार की कार्यकारी शाखा को अधिकारिक और लोकप्रिय रूप से जिम्मेदार वर्गों में विभाजन को मान्यता देता है। ब्रिटिश भारत के प्रांतों के लिए द्वैध शासन भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा प्रारंभ किया गया था।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • बंगाल में द्वैध शासन
  • अराजकता (anarchy)
  • राजतंत्र (monarchy)
  • अल्पतंत्र (oligarchy)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • बंगाल मे द्वैध शासन और रॉबर्ट क्लाइव

Dvaidh Shashan Ka Janak Kaun Tha

GkExams on 12-05-2019

जब दो शासक एक साथ सत्ता का उपभोग करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है। प्रायः देखा गया है की शासक अपने पद को आजीवन ग्रहण किया रहता है तथा वो इसे अपने पुत्र या सगे-संबंधियो को सुपुर्द करता है।

द्वैध शासन का सिद्धान्त सबसे पहले लियोनेल कर्टिसनामक अंग्रेज ने प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक राउण्ड टेबिल का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धान्त 1919 ई. के भारतीय शासन विधान में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रान्तों में द्वैध शासन स्थापित हुआ।

उदाहरण के लिए, १७६५ में बंगाल, बिहार और ऊड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कम्पनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केन्द्र थे।



Comments Sapana Tomar on 06-07-2019

Sarvadhik danatmak tatva


आप यहाँ पर द्वैध gk, question answers, general knowledge, द्वैध सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।

द्वैत शासन का जनक किसे कहा जाता है?

  1. लॉर्ड क्लाइव
  2. हेक्टर मुनारो
  3. लॉर्ड मैकाले
  4. सर लियोनेल कर्टिस
  5. उपरोक्त में से कोई नहीं/उपरोक्त में से एक से अधिक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सर लियोनेल कर्टिस

Free

BSSC CGL (Check your Preparation) - Mini Live Test

50 Questions 200 Marks 45 Mins

सही उत्‍तर सर लियोनेल कर्टिस है।

  • सर लियोनिल कर्टिस एक ब्रिटिश अधिकारी और लेखक थे
  • सर लियोनेल कर्टिस को द्वैत शासन का जनक कहा जाता है।
  • द्वैत शासन ब्रिटिश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संवैधानिक सुधार था।

भारत में द्वैध शासन का जनक कौन है? - bhaarat mein dvaidh shaasan ka janak kaun hai?
Key Points

  • उनके अनुभव ने उन्हें संघीय विश्व सरकार के अपने संस्करण की अवधारणा के लिए प्रेरित किया, जो उनके जीवन का काम बन गया।
  • उन्हें द्वैत शासन का जनक कहा जाता है।
  • द्वैत शासन सरकार का वह रूप है जिसमें दो लोग एक साथ या तो कानूनी रूप से या बलपूर्वक शासन करते हैं।
  • व्यवस्था में दो नेताओं को सह-शासक कहा जाता है।
  • कर्टिस ब्रिटिश साम्राज्य संघवाद के एक महान समर्थक थे और द्वैध शासन के उनके विचारों ने भारत सरकार अधिनियम, 1919 के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनाया।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1919 यूनाइटेड किंगडम की संसद में पारित किया गया था।
  • इसने भारत सरकार में भारतीयों की भागीदारी को बढ़ाना शुरू कर दिया।

भारत में द्वैध शासन का जनक कौन है? - bhaarat mein dvaidh shaasan ka janak kaun hai?
Additional Information

  • द्वैत शासन भारत में भारत सरकार अधिनियम 1919 के साथ भारत में भागीदारी बढ़ाने के विचार के साथ शुरू की गई दोहरी सरकार की एक प्रणाली थी।
  • द्वैत शासन ने प्रत्येक प्रांतीय सरकार की कार्यकारी शाखा में सत्तावादी और लोकप्रिय रूप से जिम्मेदार वर्गों में एक विभाजन की शुरुआत की।
  • लॉर्ड क्लाइव- वह बंगाल प्रेसीडेंसी के पहले ब्रिटिश गवर्नर थे।
    • उन्हें वारेन हेस्टिंग्स के साथ भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने के लिए जाना जाता है।
  • हेक्टर मुनरो- वह एक अंग्रेज सैनिक था, जिसे नौवें सेनापति के रूप में भारत भेजा गया था।
    • भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध युद्धों में से एक, 'बक्सर की लड़ाई' जनरल हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना द्वारा लड़ी गई थी।
  • लॉर्ड मैकाले- वह एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ, कवि, इतिहासकार हैं। उन्होंने ब्रिटिश इतिहास पर जमकर लिखा।

Last updated on Nov 18, 2022

BPSC 68th Exam Notification has been released for 281 posts. Candidates can apply for the BPSC 68h Prelims from 25th November 2022 to 20th December 2022. Also, the BPSC 67th Mains Notification has also been released. Candidates can apply for the BPSC 67th Mains from 21st November 2022 to 6th December 2022. The BPSC Prelims Result for the 67th Schedule released on 17th November 2022 along with this BPSC 67th Prelims Final Answer Key has also been released. The BPSC Mains Exam will be taking place on 29th December 2022.  The candidates will be selected on the basis of their performance in prelims, mains, and personality tests. A total of 802 candidates will be recruited through the BPSC Exam 67th schedule.

द्वैध शासन के जन्मदाता कौन हैं?

अतः सत्ता के दो केंद्र थे। बंगाल में द्वेध शासन का जनक रोबर्ट क्लाइव को कहा जाता है।

भारत में द्वैध शासन की शुरुआत कब हुई?

भारत सरकार अधिनियम 1919 ने ब्रिटिश भारत के प्रांतों पर शासन करने के लिए द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत की थी।

भारत में द्वैध शासन का अंत कब हुआ?

वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था।

इतिहास में द्वैध कौन था?

जोसेफ-फ्रांकोइस डुप्लेक्स, (जन्म 1697, लैंड्रेसिस, फ्रांस-निधन 10 नवंबर, 1763, पेरिस), औपनिवेशिक प्रशासक और भारत में फ्रांसीसी क्षेत्रों के गवर्नर-जनरल, जिन्होंने भारत में फ्रांसीसी साम्राज्य स्थापित करने के अपने सपने को लगभग साकार कर लिया।