मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से Show नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ भौतिकी (Physics), विज्ञान की मूलभूत शाखा है जिसका विकास प्रकृति एवं दर्शन के अध्ययन से हुआ था। १९वीं शताब्दी के अन्त तक इसे 'प्राकृतिक दर्शन' ( "natural philosophy") कहा जाता था। वर्तमान समय में पदार्थ, उर्जा तथा इसके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन भौतिकी कहलाता है।
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=भौतिक_विज्ञान_का_इतिहास&oldid=4558833" से प्राप्त श्रेणी:
छुपी हुई श्रेणियाँ:
भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्त्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु 1870 ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। आधुनिक भौतिकी[संपादित करें]१९०० ईस्वी के पश्चात अनेक क्रांतिकारी तथ्य ज्ञात हुए, जिनको चिरसम्मति भौतिकी के ढाँचे में बैठाना कठिन है। इन नये तथ्यों के अध्ययन करने और उनकी गुत्थियों को सुलझाने में भौतिकी की जिस शाखा की उत्पत्ति हुई, उसको आधुनिक भौतिकी कहते हैं। आधुनिक भौतिकी का द्रव्यसंरचना से सीधा संबंध है। अणुपरमाणु, केंद्रक (न्युक्लियस) तथा मूल कण इनके मुख्य विषय हैं। भौतिकी की इस नवीन शाखा ने वैज्ञानिक विचारधारा को नवीन और क्रांतिकारी मोड़ दिया है तथा इससे सामाजिक विज्ञान और दर्शनशास्त्र भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुए हैं। वर्तमान में इलेक्तट्रोनिक्स बिषय एक केन्द्र बिन्दु माना जा रहा है जिसके सहारे समूचा विश्व चलायमान है| भौतिक शास्त्र के प्रमुख क्षेत्र[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भौतिकी की उत्पत्ति कैसे हुई?भौतिकी (Physics) शब्द ग्रीक भाषा फ्यूसिका (Phusika) से लिया गया है जिसका अर्थ है प्रक्रति. इसमें प्रक्रति और दर्शनों का अध्ययन किया जाता है. परन्तु भौतिकी की आधुनिक परिभाषा में उर्जा और पदार्थ ओर उनके बीच के संबंधों का अध्यन किया जाता है. आपको बता दें कि न्यूटन और आइंस्टाइन को भौतिकी का जनक माना जाता है.
भौतिक विज्ञान पिता कौन है?गैलीलियो गैलिलीआधुनिक भौतिकी / पिताnull
भौतिक विज्ञान की खोज कब और किसने की?भौतिक विज्ञान के जनक Galileo Galilei ने 1610 में अपने आविष्कार से भौतिक विज्ञान का संक्षिप्त वर्णन किया था। उसके बाद सबसे बड़ी खोज हमारे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का Isaac Newton ने 1687 में किया था, उसके साथ गति के तीन नियम को भी बताए थे जो आज भी भौतिक विज्ञान में सर्वश्रेष्ठ विषय है।
भौतिक विज्ञान का अर्थ क्या है?भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
|