स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती कौन सी थी? - svatantrata ke baad bhaarat kee sabase badee chunautee kaun see thee?

स्वतंत्रता व चुनौतियां : ‘नए भारत’ में हिस्सेदारी का संकल्प ले हर भारतीय

स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती कौन सी थी? - svatantrata ke baad bhaarat kee sabase badee chunautee kaun see thee?

14 अगस्त, 1947 की संध्या को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माऊंटबैटन  तथा उनकी पत्नी एडविना बॉबहोप की फिल्म ‘माई फेवरिट ब्रुनेट’ देखने बैठे। संसद के सैंट्रल हाल में कुछ गज दूर पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत की स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए अपना प्रसिद्ध...

14 अगस्त, 1947 की संध्या को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माऊंटबैटन  तथा उनकी पत्नी एडविना बॉबहोप की फिल्म ‘माई फेवरिट ब्रुनेट’ देखने बैठे। संसद के सैंट्रल हाल में कुछ गज दूर पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत की स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए अपना प्रसिद्ध ‘भाग्य के साथ भेंट’ भाषण देने के लिए उठे। उन्होंने घोषणा की कि ‘मध्य रात्रि को जब दुनिया सो रही है भारत जीवन तथा स्वतंत्रता के लिए जागेगा।’

अत: 15 अगस्त को 2 स्वतंत्र देशों : हिन्दू बहुल भारत तथा मुस्लिम बहुल पाकिस्तान का जन्म हुआ। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर पीछे और आगे देखना उपयुक्त होगा। यह एक लम्बा तथा ऊबड़-खाबड़ सफर रहा है। स्वतंत्रता सेनानियों को एहसास हो गया कि कड़े संघर्ष से प्राप्त स्वतंत्रता खुशी के साथ अत्यंत चुनौतियां तथा जिम्मेदारियां भी लाई है। 1947 में भारत की जनसंख्या 30 करोड़ थी जो इन 75 वर्षों में बढ़ कर 1.35 अरब हो गई है।

1947 में मुख्य चुनौती एकजुट, सम्प्रभु, लोकतांत्रिक एवं स्वतंत्र, सामंजस्यपूर्ण तथा विधिवतापूर्ण बने रहना है। विभाजन अपने पीछे सब कुछ अस्त-व्यस्त छोड़ गया है। हालांकि बहुत से लोगों द्वारा भारत के पतन की भविष्यवाणी के बावजूद देश ने कई क्षेत्रों में तरक्की की। महात्मा गांधी, नेहरू तथा सरदार पटेल जैसे बड़े नेता थे जिन्होंने देश के निर्माण की नींव रखी। निश्चित रूप से यह सफलता की कहानी है, यद्यपि अपूर्ण क्षमता की भी।  शुरूआती चरणों में चुनौतियां बहुत अधिक थीं। राजनीति से लेकर सामाजिक जीवन तक भारतीयों ने अपने जीवन में

उल्लेखनीय बदलाव देखे। भारत को अपने पड़ोसी देशों, आतंकवादियों, अलगाववादियों, नक्सलियों, क्षेत्रवाद तथा इंदिरा गांधी के प्रसिद्ध ‘विदेशी हाथ’ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारत ने सूचना तकनीक, फार्मास्यूटिकल उद्योग तथा अंतरिक्ष व आनविक जैसे क्षेत्रों में कई कदम उठाए। हालांकि देश के कई ग्रामीण हिस्सों को अभी भी जल तथा बिजली जैसी आधारभूत सुविधाएं मिलना बाकी है।

दूसरी चुनौती लोकतंत्र की स्थापना करना थी। आपातकाल के दौरान एक छोटे समय के अतिरिक्त देश में लोकतंत्र अस्तित्व में रहा जो अनपढ़ता, अत्यंत गरीबी तथा अन्य बुराइयों के चंगुल में फंस गया। इनके अतिरिक्त शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में भी चुनौतियां थीं तथा वे अब भी मौजूद हैं जैसे कि हालिया महामारी में उनकी अपर्याप्तता साबित हो गई। गत 75 वर्षों में बिना किसी अड़चन के 16 बार सत्ता का हस्तांतरण किया गया। यहां तक कि तानाशाहीपूर्ण शासकों ने भी लोकतांत्रिक मार्ग चुना। इससे भी बढ़कर, अधिकतर राजनीतिक दलों को देश पर शासन करने का मौका दिया गया है, एकल पार्टी बहुमत के तौर पर अथवा गठबंधन में यह इसलिए संभव था क्योंकि देश ने लोकतांत्रिक नियमों को अपनाया। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने पर गर्व कर सकता है।

अगर लोकतंत्र के कुछ अन्य तत्व भी प्रभावित हुए हैं। स्वतंत्रता संग्राम के मूल्य जिनके आधार पर 1947 में आजादी प्राप्त की गई थी, खतरे में हैं। जातिवादी तथा विघटनकारी रुझान फैल रहे हैं। राजनीति में धन-बल का प्रभाव बढ़ रहा है। संस्थान कमजोर हो रहे हैं। दुर्भाग्य से राजनीतिक दल अपनी सत्ता पाने की ललक में मतदाताओं को लुभाने के लिए अशिष्ट, ङ्क्षहसक तथा धु्रवीकरण की तकनीकों का सहारा लेते हैं। उन लापता मूल्यों को बहाल करने के लिए एक राजनीतिक सर्वसम्मति की जरूरत है। तीसरे, भारत एक उत्पादक जनसंख्या के साथ युवा देश है। यहां एक आकांक्षावान उभरता हुआ मध्यम वर्ग है। उन्हें सही दिशा मिलनी चाहिए। जरूरत है जनसंख्या नियंत्रण की लेकिन यह स्वैच्छिक होनी चाहिए न कि बलात  जैसा कि आपातकाल के दौरान हुआ था।

आर्थिक पक्ष से निश्चित तौर पर देश ने गत 75 वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1991, जब देश ने उदारीकरण अपनाया, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। चीन के बाद इंटरनैट तक पहुंच के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। नवीनतम तकनीक के मामले में स्टार्टअप्स में हम क्रांति ला रहे हैं। भारत ने भौतिकी, गणित, रासायनिक विज्ञान, साहित्य, संगीत, फिल्म, खेलों अथवा अंतरिक्ष के मामले में नई ऊंचाइयां प्राप्त की हैं। गत 75 वर्षों में 4 भारतीयों ने नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया है मगर इसके साथ ही कौशल विकास के मामले में बहुत असमानता है।  विदेश नीति में, भारत उपमहाद्वीप का नेता बन गया है। यद्यपि इसने तटस्थ विश्व के चैम्पियन के तौर पर अपनी प्रमुख स्थिति गंवा दी है, एक ध्रुवीय विश्व में यह अमरीका के नजदीक पहुंच गया है। यह एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश तथा जी-20 और अन्य संगठनों का सदस्य भी है।

अब भारत एक वैश्विक शक्ति बनने की अपनी आकांक्षा की ओर अग्रसर है, भविष्य में जिसके लिए इसे एक रोडमैप की जरूरत है। आगे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य के लिए 5 एजैंडों की पहचान की है। ‘स्वतंत्रता संघर्ष, 75 पर विचार, 75 पर उपलब्धियां, 75 पर कार्रवाई तथा 75 पर संकल्प... हमें इन पांच पहलुओं के साथ आगे बढऩा है।’ इन सभी में प्रत्येक भारतीय को एक भूमिका निभानी है तथा एक भारतीय होने पर गर्व महसूस होना और ‘नया भारत’ बनाने में हिस्सेदारी का संकल्प लेना चाहिए। यह देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा तथा भारत के 75वें जन्म दिन पर एक उचित श्रद्धांजलि होगी।-कल्याणी शंकर 

स्वतंत्रता के बाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?

सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय एकता और अखंडता की थी । आज़ाद हिंदुस्तान राजनीति के इतिहास की इस चर्चा की शुरुआत हम इन्हीं चुनौतियों के जिक्र से करेंगे। इस अध्याय में हम देखेंगे कि कैसे 1947 के बाद के पहले दशक में राष्ट्र-निर्माण की चुनौती से सफलतापूर्वक निपटा गया: आज़ादी मिली लेकिन देश का बँटवारा भी हुआ ।

स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने प्रमुख चुनौती कौन सी?

लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी ही चुनौतियाँ हैं । इसका यह भी मतलब है कि कम से कम ही चीजें लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रहनी चाहिए। भारत और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में एक अमरीका जैसे देशों के सामने भी यह चुनौती है।