Students who are searching for NCERT MCQ Questions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत with Answers Pdf free download can refer to this page thoroughly. Because here we have compiled a list of MCQ Questions for Class 10 Hindi with Answers. So, Plan your Exam Preparation accordingly with the बालगोबिन भगत Class 10 MCQs Questions with Answers PDF. Also, you can practice and test your subject knowledge by solving these बालगोबिन भगत objective questions. Show बालगोबिन भगत Class 10 MCQs Questions with AnswersPracticing the Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 MCQ with Answers aids students to learn all the fundamental concepts and prepare effectively for the exams. MCQ of बालगोबिन भगत Class 10 with Answers are prepared based on the latest exam pattern & CBSE guidelines. Here are the links available online for Free Download of Class 10 Hindi बालगोबिन भगत MCQ Multiple Choice Questions with Answers PDF. Question 1. Answer: (b) जब भगत के पुत्र की मृत्यु हुई Question 2. Answer: (d) वह मानसिक रूप से कमजोर था, उसे देखभाल की ज्यादा जरूरत थी Question 3. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं। Question 4. Answer: (c) ‘a’ और ‘b’ दोनों कथन सत्य हैं। Question 5. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथनं सत्य हैं। Question 6. Answer: (a) संत समागम के लिए Question 7. Answer: (a) जैसे वीणा का तार टूट गया हो। Question 8. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कारण सत्य हैं। Question 9. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कारण सत्य हैं। Question 10. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कारण सत्य हैं। Question 11. Answer: (a) उनके विचारों से। Question 12. Answer: (b) सन् 1902 में Question 13. Answer: (c) सरस्वती Question 14. Answer: (a) गोदान एवं रंगभूमि Question 15. Answer: (a) वे ब्राह्मण जाति के थे Question 16. Answer: (d) कबीरदास को Question 17. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं। Question 18. Answer: (a) साहब की Question 19. Answer: (c) कृषि Question 20. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं। Question 21. Answer: (c) गोदी में पियवा, चमक रहे सखिया। गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (1) बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे-चिट्टे आदमी थे। साठ से ऊपर के ही होंगे। बाल पक गए थे। लंबी दाढ़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे, किंतु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता। कपड़े बिलकुल कम पहनते। कमर में एक लंगोटी-मात्र और सिर में कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी। जब जाड़ा आता, एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से | ही, औरतों के टीके की तरह, शुरू होता। गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते। Question 1. Answer: (c) मँझोला कद Question 2. Answer: (b) लंगोटी एवं कबीरपंथी टोपी। Question 3. Answer: (d) रामनामी चंदन का टीका। Question 4. Answer: (c) तुलसी की जड़ों से बनी हुई। Question 5. Answer: (c) वे खेती-बाड़ी करके अपना निर्वाह करते थे। (2) बालगोबिन भगत साधु थे-साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले। कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते। किसी की चीज़ नहीं छूते, न बिना पूछे व्यवहार में लाते। इस नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता!-कभी वह दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते! वह गृहस्थ थे, लेकिन उनकी सब चीज़ ‘साहब’ की थी। जो कुछ खेत में पैदा होता, सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते-जो उनके घर से चार कोस दूर पर था-एक कबीरपंथी मठ से मतलब! वह दरबार में ‘भेंट’ रूप रख लिया जाकर ‘प्रसाद’ रूप में जो उन्हें मिलता, उसे घर लाते और उसी से गुज़र चलाते! Question 1. Answer: (c) एक साधु की। Question 2. Answer: (d) कबीर पर Question 3. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं Question 4. Answer: (b) कबीरपंथी मठ में Question 5. Answer: (a) असाधु। (3) बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया जिस दिन उनका बेटा मरा। इकलौता बेटा था वह! कुछ सुस्त और बोदा-सा था, किन्तु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नज़र रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए, क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी कराई थी, पतोहू बड़ी ही सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधिका बनकर भगत को बहुत कुछ दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है, इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत! किंतु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है। हमने सुना, बालगोबिन भगत का बेटा मर गया। कुतूहलवश उनके घर गया। देखकर दंग रह गया। बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढाँक कर रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा की रोपते रहते, उन फूलों में कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है। और, उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं! वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। घर में पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं! हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है। Question 1. Answer: (d) जब उनके पुत्र की मृत्यु हुई। Question 2. Answer: (d) ‘a’ और ‘b’ कथन सत्य हैं। Question 3. Answer: (a) उसकी बहू ने। Question 4. Answer: (d) ‘a’ और ‘b’ कथन सत्य हैं। Question 5. Answer: (b) तत् + लीन + ता। (4) आसाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ है। कहीं हल चल रहे हैं, कहीं रोपनी हो रही है। धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी है। आसमान बादल से घिरा, धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत का समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अंगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध; खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं; वे गुनगनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू! Question 1. Answer:
Question 2. Answer:
Question 3. Answer:
Question 4. Answer:
Question 5. Answer:
(5) बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया; पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती-मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा ? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा, नहीं तो मैं इस घर को छोड़कर चल दूंगा-यह थी उनकी आखिरी दलील और दलील के आगे बेचारी की क्या चलती ? Question 1. Answer:
Question 2. Answer:
Question 3. Answer:
Question 4. Answer:
Question 5. Answer:
(6) बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई। वह हर वर्ष गंगा-स्नान करने जाते। स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते, जितना संत-समागम और लोक-दर्शन पर। पैदल ही जाते। करीब तीस कोस पर गंगा थी। साधु को संबल लेने का क्या हक? और, गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे? अतः घर से खाकर चलते, तो फिर घर पर ही लौटकर खाते। रास्ते भर बँजड़ी बजाते, गाते जहाँ प्यास लगती, पानी पी लेते। चार-पाँच दिन आने-जाने में लगते; किंतु इस लंबे उपवास में भी वही मस्ती! अब बुढ़ापा आ गया था, किंतु टेक वही जवानीवाली। इस बार लौटे तो तबीयत कुछ सुस्त थी। खाने-पीने के बाद भी तबीयत नहीं सुधरी, थोड़ा बुखार आने लगा। किंतु नेम-व्रत तो छोड़नेवाले नहीं थे। वही दोनों जून गीत, स्नान-ध्यान, खेतीबारी देखना। दिन-दिन छीजने लगे। लोगों ने नहाने-धोने से मना किया, आराम करने को कहा। किंतु, हँसकर टाल देते रहे। उस दिन भी संध्या में गीत गाए, किंतु मालूम होता जैसे तागा टूट गया हो, माला का एक-एक दाना बिखरा हुआ। भोर में लोगों ने गीत नहीं सुना, जाकर देखा तो बालगोबिन भगत नहीं रहे सिर्फ उनका पंजर पड़ा है! Question 1. Answer:
Question 2. Answer:
Question 3. Answer:
Question 4. Answer:
Question 5. Answer:
बोधात्मक प्रश्न Question 1. Answer:
Question 2. Answer:
Question 3. Answer:
Question 4. Answer:
Question 5. Answer:
We think the shed NCERT MCQ Questions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत with Answers Pdf free download will benefit you to the fullest. For any queries regarding CBSE Class 10 Hindi Kshitij बालगोबिन भगत MCQs Multiple Choice Questions with Answers, share with us via the below comment box and we’ll reply back to you at the earliest possible. बालगोबिन भगत के अनुसार मृत्यु पर उत्सव क्यों मनाना चाहिए?वह अपनी बहू से भी बेटे की मौत का उत्सव मनाने को कहते थे। उनका मानना था कि मृत्यु से तो आत्मा का परमात्मा में मिलन हो जाता है इसलिए इस अवसर पर खुशी मनानी चाहिए।
बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर उत्सव मनाने को क्यों कहा?Solution : (क) भगत अपनी रोटी हुई पतोहू को उत्सव मनाने के लिए आज इसलिए कह रहे थे क्योकि उनका मानना था कि आज आत्मा परमात्मा से जा मिली है।
अपने बेटे की मृत्यु पर बालगोबिन भगत क्या कर रहे थे?Answer: बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफे़द चादर से ढक दिया तथा गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त की। उनके अनुसार आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहनि अपने प्रेमी से जा मिली।
|