बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्या क्या है? - baalika shiksha kee pramukh samasya kya hai?

Balika Shiksha Ki Kya Kya Samasya Hai

GkExams on 12-05-2019

सामाजिक असमानता: समाज में स्त्री पुरुष को एक नजर से नहीं देखा जाता है प्रकृति में भी स्त्री और पुरुष की क्षमता में अंतर है स्त्री को घर के कामों के लिए तैयार किया जाता है इसी प्रकार किशोरियों को उनकी तरुणाई की अवस्था से ही घर के कामों में ज्यादा रुचि लेने को प्रोत्साहित किया जाता है जाता है।

प्रोफेशन के मामले में जो स्थितियां भारत में है वह महिलाओं के लिए उतनी अनुकूल नहीं है जितनी कि पुरुषों के लिए पुरुष कहीं भी बाहर एक कठोर परिश्रम का कार्य भी आसानी से कर पाते हैं जबकि महिलाओं के लिए एक निश्चित सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता होती है और वह उसी के वातावरण में किए जाने वाले प्रोफेशनल रोजगार कर सकती है कार्य कर सकती है किसी सीधे तौर पर समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति से जोड़कर देखा जा सकता है क्योंकि परिवार के सभी सदस्यों को रोजगार लगाना और उनका लक्ष्य अपने परिवार की आर्थिक उन्नति करना होता है इसलिए जो परिवार का सदस्य परिवार को आर्थिक सहयोग करने में सक्षम अधिक होगा उसकी पर परिवार अधिक खर्चा करना चाहेगा क्योंकि पितृसत्तात्मक समाज में लड़की का विवाह कर उसे दूसरे घर जाना पड़ता है इसलिए और परिवार की लड़के की अपेक्षा परिवार को कम सहयोग कर पाती है इसलिए हमेशा लड़कों को पढ़ाई एवं अन्य मामलों प्राथमिकता दी जाती है हालांकि संपन्न परिवारों में यह भेद-भाव अफगानी रह गया है क्योंकि वह लड़के और लड़की दोनों को शिक्षा देकर भी अपना काम आसानी से चला सकते हैं और उनसे उससे उसकी आर्थिक स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता है और समाज की स्थिति बेहतर ही होती है।

सुरक्षा की स्थिति: भारत में महिलाएं नहीं वरन पुरुषों की सुरक्षा की स्थिति भी इतनी सुंदर नहीं है कि कोई भी कहीं भी किसी समय भी आ जा सके एवं मनचाहा कार्य कर सके इसलिए ग्रामीण इलाकों में दूरदराज के स्कूलों में बालिकाओं को भेजने से उनके माता-पिता कतराते हैं एवं युवा स्थान तक उनको स्कूल दूर होने की स्थिति में स्कूल छोड़ने को मजबूर कर दिया जाता है।

सामाजिक स्थिति भारतीय समाज में भी सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए परंपरागत सोच रही है कि स्त्रियों को भड़काकर का कार्य करना चाहिए पुरुष का बाहर बाहर का कार्य करें ताकि एक सामाजिक संतुलन बनाए बना रहे एवं परिवार के संबंधी सामान्य बने रहें जहां जहां पर यह सामाजिक संतुलन लिखा है वहां परिवार बिखर चुके हैं इसलिए कई हद तक यह भी सही है कि हर स्तर पर शुरू से महिलाओं को एक जैसा कार्य और एक दृश्य मानता नहीं जा सकती क्योंकि यह प्रकृति में भी ऐसा ही पुरुष एवं स्त्री का निर्माण किया है।

लड़कियों की मानसिक स्थिति: नैंसर्गिक रूप से लड़कियां और स्त्रियां की मानसिक स्थिति पुरुषों की अपेक्षा अलग है उन्हें घर कार्य की कार्य में ज्यादा रुचि रहती है एवं के उसके चित्र अलग होते हैं जबकि पुरुषों के रुचि के क्षेत्र बाहरी कार्य में ज्यादा होते हैं इस कारण भी बालिकाओं को शिक्षा में ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता क्योंकि भारतीय परंपराएं हमेशा वैज्ञानिक आधारों पर रही है लेकिन लंबे समय के दौरान यह परंपराएं रूढ़िवाद बन जाती है और कुछ अज्ञान होने के कारण भी स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है।

नवीन रूढ़िवादी सोच भारत में वर्तमान में एक प्रकार की नई और दकियानूसी सोच पनप रही है जो कि शिक्षा से संबंधित है और यह स्त्री और पुरुष दोनों की शिक्षा से संबंधित सोच आज के समाज में भयंकर रुप ले चुकी है इस सोच के अनुसार लोगों का यह मानना है पढ़ा लिखा व्यक्ति लड़का हो या लड़की हो घर के कार्य, परंपरागत कार्य या कृषि कार्य नहीं करेगा और उसे इस कार्य के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा और घर के बाकी लोग जो कि कम पढ़े लिखे अनपढ़ हैं वह लोग ही घर का कार्य करेंगे। पढ लिख कर लड़का या लड़की परंपरागत कार्य करने में शर्म महसूस करता है। जबकि वास्तव में सभी प्रकार की परंपरागत कार्य भी एक रोजगार ही हैं। इन कार्यों को छोड़ने की वजह से भी भारत में संरचनात्मक बेरोजगारी की दर बढ़ रही है और

परंपरागत कलाएं लुप्त हो रही है जबकि पश्चिमी समाज में ऐसा नहीं है वहां पर जितना खुलापन उनके पहनावे और उनकी सोच में है और इसकी जितनी आजादी दी जाती है उसका कारण यह भी है कि वहां स्त्रियों को भी हर कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और हर कार्य कार्य करने में तत्पर रहती है जबकि भारत में स्थिति बिल्कुल इसके उलट है। यहाँ पढने के बाद स्त्रियों द्वारा परंपरागत कार्य करने छोड़ दिए जाते हैं परंतु नए कार्य करने में रुचि नाम मात्र की जाती है इस कारण भी समाज की सोच स्त्रियों को बालिकाओं को शिक्षा देने के खिलाफ है।

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Comments Anjana on 27-09-2022

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aman on 08-03-2022

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Balika sikcha samasya

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Puja Natasha sharma on 09-12-2020

Bharat mein Balika Shiksha ki kya samasyaen hain is sambandh mein Jharkhand ke barat mein Kya sthiti hai Hindi mein answer

Sarita Maurya on 29-10-2020

लड़कीयों को स्कूल जाने की आवश्यकता नहीं है। सहमत अथवा असहमत।

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Balika Ko shisha kyo jruri h

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Balika siksha ak samasiya khu hai

akanksha on 12-05-2019

balika shiksha sambandhi chunautiya

AMARJEET KUMAR on 12-05-2019

प्रश्न ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में बालिका शिक्षा की समस्या का एक अध्ययन।

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Balika shikcha ke samajik rukawat

Radha kumari on 04-01-2019

Balika shikcha ke samajik rukawat 10th points

Komal on 19-08-2018

Ldakiyo ko kiu nhi pda sakate

Kiran singh on 10-08-2018

Balika shiksha ki dasha nimna hone ke karan. kam se kam 15 points



भारत में बालिका शिक्षा की मुख्य समस्या क्या है?

3. पृथक बालिका विद्यालयों का अभाव देश में पृथक बालिका विद्यालयों की बहुत कमी है। देश के दो तिहाई से अधिक गांव ऐसे है जहां प्राथमिक शिक्षा के लिये भी कोई बालिका विद्यालय नहीं है । रूढ़िवादी परिवार की बालिकायें कन्या शालाओं के अभाव में शिक्षा लेने से वंचित रह जाती है।

भारत में महिलाओं की शिक्षा की मुख्य समस्या क्या है?

छुआछुत, बाल-विवाह, पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियों के कारण अनेक बालिकाओं को शिक्षा से वंचित रह जाना पड़ता है। रूढिवादी व्यक्ति के विचार में लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करके समानता व स्वतंत्रता की मांग करती है जो स्त्री चरित्र हीनता का सूचक होती है, ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की समस्या और भी अधिक उग्र प्रतीत होती है ।

भारत में बालिका शिक्षा की स्थिति क्या है?

भारत सरकार ने सभी को शिक्षा प्रदान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। बावजूद इसके एशिया महाद्वीप में भारत में महिला साक्षरता दर सबसे कम है। 2001 की जनगणना (स्रोत- भारत 2006, प्रकाशन विभाग, भारत सरकार) के अनुसार देश की 49.46 करोड़ की महिला आबादी में मात्र 53.67 प्रतिशत महिलाएँ हीं साक्षर थी।

बालिका शिक्षा की प्रमुख समस्या क्या है रूढ़िवादिता या समानता?

बालिकाओं पर गरीबी की दोहरी मार शैक्षिक अवसरों का अभाव और गरीबी की समस्या परस्पर संबद्ध हैं. गरीबी में बसर करने वाले बच्चों के लिए शिक्षा में लैंगिक असमानता काफी अधिक है. इस परिस्थिति में लड़कियों को दोहरे संकट का सामना करना पड़ता संकट है, क्योंकि उन्हें लैंगिक विभेद और गरीबी दोनों की मार झेलनी पड़ती हैं.