बाथरूम में नल किधर होना चाहिए? - baatharoom mein nal kidhar hona chaahie?

अगर आपके घर में खराब पानी, यानी कि नहाने का पानी, सीवर का पानी, रसोई घर के बर्तन धोने का पानी या फिर घर के अन्‍य किसी स्‍थान का गंदा पानी पश्चिम दिशा की ओर बहता है तो यह अच्‍छा नहीं माना जाता है। वास्‍तु के अनुसार ऐसा होने से घर में धन का नुकसान होता है। बेहतर होगा कि खराब पानी आपके घर में दक्षिण दिशा की ओर बहे।

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घर के आस-पास न हो नदी, नाला

बाथरूम में नल किधर होना चाहिए? - baatharoom mein nal kidhar hona chaahie?

घर बनवाने के लिए जमीन खरीदते वक्‍त इस बात का ध्‍यान रखें कि घर से सटा हुआ कोई भी नदी, नाला न हो। ऐसा होने से आपके घर में वास्‍तु दोष लगता है और इस वजह से घर के सदस्‍य बीमार होने लगते हैं। तरक्‍की रुक जाती है और अन्‍य तरह की परेशानियां आने लगती हैं।

घर के फर्श का ढाल

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आम तौर पर घर के फर्श का ढाल जिस दिशा में होता है उसी दिशा में पानी का बहाव भी होता है। वास्‍तु विशेषज्ञों का मानना है कि पानी के निकलने की सबसे सही दिशा उत्‍तर मानी जाती है। जिन घरों में ढाल दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण की ओर है वहां रहने वाले कभी भी सुखी नहीं रहते वहां रहने वाले परिवार के सदस्यों को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक, विवाद इत्यादि समस्याओं के अलावा कभी-कभी अनहोनी का भी सामना करना पड़ जाता है।

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बरसात का पानी निकलना चाहिए इस दिशा में

बाथरूम में नल किधर होना चाहिए? - baatharoom mein nal kidhar hona chaahie?

बरसात के पानी को निकालने की सही दिशा उत्तर दिशा हैं इस दिशा से वर्ष के पानी को बाहर निकालने से आपके घर में धन की वृद्धि होगी। लेकिन एक बात का ध्‍यान रखें कि इस कोण से पानी निकलने पर यह आपके पड़ोसी की तरफ नहीं जाना चाहिए। ऐसा होने पर पड़ोसियों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।

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घर में नल का टपकना

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घर में बाथरूम, रसोई या फिर किसी अन्‍य स्‍थान का नल टपकना बहुत ही अशुभ माना जाता है। वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है। ऐसा होने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रभावशाली हो जाती है। ऐसा होने पर धन का अपव्यय होता रहता है और पैसों की तंगी बनी रहती है। अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए।

Bathrooms (स्नानघर) also have their own importance in the way other rooms are valued in any house. In Vastu Shastra, bathrooms have been associated with water. In the scriptures, water is considered a symbol of wealth. Architects believe that if the tap is left open and water continues to flow from it, it causes loss of money.

किसी भी मकान में जिस प्रकार अन्य कमरों का महत्व होता है उस प्रकार बाथरूम का भी अपना महत्व होता है। वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) में स्नानघर (BathRoom) का संबंध जलतत्व से माना गया है। शास्त्रों में जल को धन का प्रतीक माना गया है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय कहाँ होने चाहिए?

वास्तुशास्त्रियों का मानना है कि यदि नल खुला रह जाए और उससे पानी निकलता रहे तो इससे धन की हानि होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां पानी का बहाव हमेशा होता रहे।

Page of Contents:

  • स्नानघर के लिए वास्तुनियम
  • स्नानघर का दरवाजा
  • स्नानघर के फव्वारे
  • कैबिन का महत्व
  • साज-सजावट
  • प्रकाश व दर्पण
  • स्नान करते समय संगीत
  • स्नानघर में पौधे
  • स्नानघर में रंगों का प्रयोग
  • मकान और भवनों के लिए वास्तु शास्त्र

बाथरूम में नल किधर होना चाहिए? - baatharoom mein nal kidhar hona chaahie?

विद्वानों का मानना है कि यदि स्नानघर वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाया जाए तो घर-परिवार में आर्थिक संपन्नता लाई जा सकती है। बाथरूम उत्तर दिशा में बनवाना शुभ होता है। यदि इसका निर्माण आग्नेय कोण में किया जाए तो परिवार में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। Bathroom का दरवाजा अन्य कमरों के दरवाजे से छोटा होना चाहिए क्योंकि इस कमरे का बड़ा दरवाजा होना परिवार में खर्च को बढ़ाने वाला होता है।

स्नानघर के लिए वास्तुनियम-

Vaastu principles for a bathroom-

  • वास्तुशास्त्र के अनुसार स्नानघर नैऋत्य कोण से दक्षिण दिशा की ओर या नैऋत्य कोण से पश्चिम दिशा की ओर बनवाना चाहिए या फिर पूर्व दिशा में बनवाना चाहिए।
  • बाथरूम से सटा एवं रसोईघर के पास एक कपड़े एवं बर्तन धोने का स्थान बनवाना शुभ माना जाता है।
  • स्नानघर में नहाने की व्यवस्था ईशान कोण, उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • बाथरूम और शौचालय हमेशा अलग-अलग होने चाहिए लेकिन स्थान के अभाव में या अन्य कारण से शौचालय उसमें बनवाना ही पड़े तो उसे पश्चिम दिशा में या उत्तर-पश्चिम के बीच वायव्य कोण में बनवाना चाहिए।
  • Bathroom का फर्श बनवाते समय उसका ढलान पूरव या उत्तर दिशा में होनी चाहिए।
  • स्नानघर में गीजर, हीटर एवं अन्य बिजली के उपकरण दक्षिण-पूर्व के बीच आग्नेय कोण में रखना शुभ होता है।
  • बाथरूम में बाथटब पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में रखना Vastu Shastra के अनुकूल शुभ माना जाता है।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानघर का दरवाजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
  • स्नानघर की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए जैसे- सफेद, हल्का नीला, आसमानी आदि।

 

स्नानघर का दरवाजा-

वास्तु के अनुसार स्नानघर में लगा दरवाजा पूरी तरह से खुलना चाहिए यदि स्नानघर में लगे नल, फव्वारे, वाशबेसिन आदि के कारण दरवाजा पूरी तरह नहीं खुलता हो तो ’ची’ ऊर्जा के प्रवाह के लिए स्नानघर के अंदर व बाहर दर्पण लगवा देने चाहिए। स्नानघर का दरवाजा बनाते समय ध्यान रखें कि उसका दरवाजा छोटा होना अच्छा होता है लेकिन इतना छोटा न हो कि वास्तु दोष उत्पन्न हो।



स्नानघर के फव्वारे-

वास्तु शास्त्र में स्नानघर में फव्वारे का बड़ा महत्व बताया गया है। इसे लगवाते समय ध्यान रखना चाहिए कि इस फव्वारे में नहाते समय खिड़की से बाहर का नजारा दिखाई दे। इस लिए फव्वारा लगवाते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि फव्वारे खिड़की के नीचे न हो।

किसी भी Bathroom में Tub का खिड़की के नीचे होना समस्या उत्पन्न करने वाला एवं वास्तुदोष पैदा करने वाला होता है। यदि खिड़की के नीचे टब लगा हो तो इस वास्तुदोष को दूर करने के लिए खिड़की के सामने एक दर्पण लगवाना चाहिए। इससे खिड़की से आने वाला प्रकाश दर्पण से टकराकर स्नानघर में पूरी तरह फैल जाएगा और वास्तुदोष दूर हो जाएगा।

बाथरूम में नल किधर होना चाहिए? - baatharoom mein nal kidhar hona chaahie?

स्नानघर का दरवाजा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि स्नान करते समय यदि कोई अचानक आ जाए तो शारीरिक ’ची’ ऊर्जा प्रभावित होती है और मन अशांत हो जाता है। Tub लगवाते समय ध्यान रखें कि वह गोल या अंडाकार हो। कुछ विद्वानों का मानना है कि गोल या अंडाकर टब सिक्कों का सूचक होता है जिसमें भरा पानी धन संचय को सूचित करता है। ऐसा टब संपन्नता का भी सूचक माना गया है।

कैबिन का महत्व-

स्नानघर में कैबिन का अलग ही महत्व होता है। इसमें अलमारी सामान्य होनी चाहिए। कैबिन का रंग प्राकृतिक हो तो अच्छा माना जाता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नान के लिए इस्तेमाल होने वाले शैंपू, साबुन, तेल आदि को व्यवस्थित तरीके से रखना चाहिए क्योंकि इन चीजों के अस्त-व्यस्त होने से हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ऐसी चीजों जिसके इस्तेमाल करते समय ध्वनि निकलती हो वे चीजें अधिक वास्तुदोष उत्पन्न करती है अतः इस समस्या को दूर करने के लिए स्नान के समय उपयोग होने वाली वस्तुओं को सीमित मात्रा में तथा अलमारी में व्यवस्थित तरीके से रखकर ही उपयोग करना चाहिए।

 

साज-सजावट-

वास्तु शास्त्र के अनुसार Bathroom में हमेशा हल्के या सफेद रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। स्नानघर में फर्श पर tiles लगवानी चाहिए लेकिन टाइल्स लगवाते समय यह ध्यान रखें कि वह ठंडी न हों क्योंकि इससे बाथरूम में मौजूद ऊर्जा प्रभावित होती है। इसके कारण व्यक्ति के सामने आर्थिक समस्या पैदा हो जाती है। इस तरह की समस्या को दूर करने के लिए स्नानघर के दरवाजे पर वाटरप्रूफ चिक लगवाना चाहिए।

 

प्रकाश व दर्पण-

वास्तुशास्त्रियों के अनुसार बाथरूम में लैंप या अन्य विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे shot circuit होने की संभावना रहती है। स्नानघर में छत या दीवार पर लगी लाइट ही पर्याप्त होती है। स्नानघर में प्लेन शीशों का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह उस कमरे में आने वाली ऊर्जा शक्ति को बिखरने नहीं देता है। Bathroom का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए कि उसमें भरपूर्ण प्रकाश आनी चाहिए इससे स्नान के बाद शरीर में ऊर्जा एवं स्फूर्ति आती है।

 

स्नान करते समय संगीत-

आमतौर पर नल से निकलने वाले पानी की आवाज ही इतनी प्रभावशाली होती है कि स्नान घर में अन्य कोई ध्वनि सिस्टम की व्यवस्था करने की आवश्यकता ही नहीं होती लेकिन फिर भी इसमें घंटी लगाना वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार उचित रहता है। स्नानघर में घंटी की आवाज आत्मिक अनुभूति देने के साथ-साथ भविष्य संबंधी दोषों को भी दूर करने में सक्षम होती है।

यदि स्नानघर में पूर्व दिशा की ओर Bell लगाई जाए तो इससे मन में संतुष्टि एवं आशा की भावना पैदा होती है। दक्षिण दिशा में घंटी लगाना उचित नहीं माना जाता है क्योंकि यह दिशा आग्नेय प्रधान है जो जल की विरोधी होती है।

गर्मी के मौसम में शाम के समय स्नान करते समय हल्की आवाज में संगीत सुनना लाभप्रद होता है। इससे मन को शांति एवं सुकून मिलता है। सुबह के समय स्नान करते समय संगीत सुनने से व्यक्ति पूरे दिन तरोताजा महसूस करता है।

 

स्नानघर में पौधे-

बाथरूम में पौधे लगाने के मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए। स्नान घर में नम वातावरण वाले पौधों का उपयोग करना चाहिए। यदि व्यक्ति उत्साह व ज्ञान वृद्धि चाहता हो तो स्नान घर में पौधे उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखने चाहिए। जीवन में आशावान बनने के लिए पौधे पूर्व दिशा में रखने चाहिए।

 

स्नानघर में रंगों का प्रयोग-

स्नानघर की दक्षिण से पूर्व दिशा में जामुनी रंग का रैक लगवाना चाहिए और उसमें ब्रश, तौलिया आदि रखने चाहिए, इससे धन एवं कलात्मक गुणों में वृद्धि होती है। टूथ ब्रश को रखने वाला होल्डर अगर गुलाबी हो तो इससे रिश्तों में मजबूती पैदा होती है। यह जीवन में शांतिदायक भी होता है।

विशेष- यदि कोई व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त हो या धन का उचित उपयोग न हो पा रहा हो तो बाथरूम इस दोष को दूर करने में उपयोगी सिद्ध होता है। यदि ऐसा व्यक्ति अपना Bathroom अधिक बड़ा बनवाए तो इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। स्नानघर यदि छोटा या संकरा हो तो दीवार पर दर्पण लगाकर खुलेपन का अहसास किया जा सकता है साथ ही इससे शुभ प्रभाव भी उत्पन्न किया जा सकता है।

 

मकान और भवनों के लिए वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra for Home)

  1. भवनों के लिए वास्तुकला
  2. वास्तु सिद्धांत – भवन निर्माण में वास्तुशास्त्र का प्रयोग
  3. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर कैसा बनना चाहिए
  4. जमीन की गुणवत्ता और उसकी जानकारी
  5. विभिन्न प्रकार की भूमि पर मकानों का निर्माण करवाना – Vastu Tips
  6. घर की सजावट – सरल वास्तु शास्त्र
  7. मकान के वास्तु टिप्स – मकान के अंदर वनस्पति वास्तुशास्त्र
  8. मकान बनाने के लिए रंगों का क्या महत्व है?
  9. रसोईघर वास्तुशास्त्र – भोजन का कमरा
  10. वास्तु शास्त्र – बरामदा, बॉलकनी, टेरेस, दरवाजा तथा मण्डप
  11. वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चों का कमरा
  12. औद्योगिक इकाई – इंडस्ट्रियल एरिया

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नल का मुंह किधर होना चाहिए?

वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी किचन में सिंक, पानी का नल पानी रखने का स्थान ये सब उत्तर दिशा से उत्तर-पूर्व दिशा के बीच हो। बता दें ये बात स्वतंत्र मकान में भी लागू होती और बंद मकान यानि कि फ़्लैट में भी।

घर में शौचालय कहाँ नहीं होना चाहिए?

उत्तर-पश्चिम लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि ईशान, आग्नेय, पूर्व और भवन के बीच कभी भी शौचालय नहीं बनाया जाना चाहिए

घर में पानी का टैंक कौन सी दिशा में होना चाहिए?

वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा भी पानी का टैंक रखने के लिए शुभ है। इस दिशा में पानी होने से धन लाभ होता है। ऐसा घर उन्नति और समृद्धि देने वाला माना गया है। उत्तर दिशा में पानी का टेंक या पीने का पानी रखा जाए तो ऐसे घर में शांति और सुख बढ़ता है।

बाथरूम का गेट कौन सी दिशा में होना चाहिए?

बाथरूम के दरवाजों के लिए वास्तु बाथरूम के दरवाजे उत्तर या पूर्व दिशा में होने चाहिए.