बड़े न हूजै गुननु बिनु Show बड़े न हूजै गुननु बिनु, बिरद-बड़ाई पाइ। कहत धतूरे सौं कनक, गहनौ गढ्यौ न जाइ॥ बिना गुणों के नाममात्र की प्रशंसा प्राप्त करके कोई व्यक्ति बड़ा नहीं बन सकता है। धतूरे को कनक कहते हैं, किंतु उससे गहना नहीं बन सकता है। गहने स्वर्ण से बनते हैं, धतूरे से नहीं। अत: एक ही नाम हो जाने से कोई प्रशंसा का पात्र नहीं हो सकता है। यानी मनुष्य को प्रतिष्ठा गुणों के आधार पर मिलती है, वह अर्जित नहीं की जाती, स्वतः प्राप्त हो जाती है। स्रोत :
Additional information availableClick on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher. Don’t remind me again OKAY rare Unpublished contentThis ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left. Don’t remind me again OKAY बड़े न हुजे गुनन बिनु विरद बड़ाई पाय कहत धतूरे सों कनक गहनो गढो न जाय प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है *?बड़े न हूजे गुनन बिनु विरद बड़ाई पाए। कहत धतूरे सों कनक गहनो गढ़ो न जाए।। जहां पर किसी सामान्य कथा का विशेष कथन द्वारा या विशेष कथन का सामान्य कथन द्वारा समर्थन किया जाता है वहां अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है। उपर्युक्त पंक्तियों में सामान्य कथन का विशेष कथन द्वारा समर्थन किया गया है।
बड़े न हूजे * बिन बिरद बड़ाई पाय में कौन सा अलंकार है?रीतिसिद्ध कवि। 'सतसई' से चर्चित। कल्पना की मधुरता, अलंकार योजना और सुंदर भाव-व्यंजना के लिए स्मरणीय।
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