Solutions For All Chapters Antara Class 12 प्रेमघन की छाया स्मृतिQuestion 1: ANSWER: लेखक ने
अपने पिता जी की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है- • वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशंसक थे। • वे फ़ारसी भाषा में लिखी उक्तियों के साथ हिन्दी भाषा में लिखी गई उक्तियों को मिलाने के शौकीन थे। • वे प्रायः रात में सारे परिवार को रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का बड़ा चित्रात्मक ढ़ंग से वर्णन करके सुनाते थे। • भारतेंदु के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे। Question 2: ANSWER: Question 3: ANSWER: Question 4: ANSWER: Question 5: ANSWER: Question 6: ANSWER: तीन रोचक घटनाएँ चौधरी साहब से जुड़ी हुई हैं। वे इस प्रकार हैं- (क) एक बार एक प्रसिद्ध कवि वामनाचार्यगिरि चौधरी साहब से मिलने आए। वे मार्ग पर चलते हुए चौधरी साहब पर आधारित कविता का निर्माण कर रहे थे। कविता के आखिर अंक पर वह अटके हुए थे तभी उन्हें ऊपरी बालकनी में चौधरी साहब खड़े दिखाई दिए। उन्हें देखते ही वह तपाक से ज़ोर से बोल पड़े “खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की।” (ख) ऐसे ही एक दिन चौधरी साहब बहुत से लोगों के साथ बैठे हुए थे। वहाँ से एक पंडित जी गुजर रहे थे, सो वह भी इस मंडली में आ गए। चौधरी साहब ने उनका हालचाल पूछा “और क्या हाल है?” पंडित जी बोल पड़े- “कुछ नहीं, आज मेरा एकदशी का वर्त है। अतः कुछ जल खाया है और बस यूहीं चले आ रहे हैं।” उनका इतना कहना था कि सब पूछ पड़े “जल ही खाया है या कुछ फलाहार भी पिया है।” (ग) चौधरी साहब के पास एक दिन उनके मित्र मिलने के लिए पहुँचे। चौधरी साहब से वह अचानक प्रश्न पूछ बैठे- ” साहब में अकसर ‘घनचक्कर’ शब्द सुना करता हूँ आपको मालूम है इसका क्या अर्थ है?” बस क्या था चौधरी साहब बोल पड़े “इसमें कौन सी कठिन बात है? रात के समय एक कागज़ कलम लो। उसमें सुबह से लेकर रात तक का जो-जो काम किया है, उसे लिखिए और पढ़ लीजिए।” Question 7: ANSWER: Question 8: ANSWER: Question 9: ANSWER: Question 10: ANSWER: भाषा शिल्पQuestion
1: ANSWER: Question 2: ANSWER: (ख) उनकी हर एक अदा से रियासत और तबीयतदारी टपकती थी– प्रस्तुत कथन के अनुसार चौधरी साहब रईस परिवार से संबंधित थे। उनके स्वभाव में रईसी रच-बच गई थी। उनकी रईसी उनके हर हाव-भाव से दिखाई देती थी। उन्हें अनज़ान व्यक्ति भी बता सकता था कि ये धनी परिवार के हैं। (ग) जो बातें उनके मुँह से निकलती थीं, उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी।– अर्थात चौधरी साहब कुछ भी बोलते थे, उसमें कुटिलता का समावेश विद्यमान रहता था। वह सीधी बात बोलना नहीं जानते थे। (घ) खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की। प्रस्तुत पंक्तियाँ चौधरी स्वभाव के बाहरी वेश को इंगित करके बोली गई है। चौधरी साहब के बाल कंधे तक लटके रहते थे। उस समय इस प्रकार की केशसज्जा पुरुषों की नहीं हुआ करती थी। वामनाचार्यगिरी ने उन पर व्यंग्य करते हुए कहा था कि खंभे पर टेक लगाकर चौधरी ऐसे खड़े हैं मानो कोई मुस्लिम स्त्री खड़ी हो। Question 3: ANSWER: योग्यता विस्तारQuestion 2: ANSWER: Question 3: ANSWER: Question 4: ANSWER: |