एकादशी व्रत करने की क्या विधि है? - ekaadashee vrat karane kee kya vidhi hai?

हिंदू धर्म में हर महीने दो एकादशी का व्रत किया जाता है. इस महीने की पहली एकादशी 6 अक्टूबर को है जिसे पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का हिंदू शास्त्रों में अत्यंत महत्व बताया गया है. 

पापांकुशा एकादशी की कथा 
मान्यता है कि प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया रहता था. वह बहुत ही पापी था और उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में बीता. जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए. यमदूतों ने उससे कहा कि तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन निकट है हम जल्द तुझे लेने आएंगे. 

बहेलिया इससे भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा. उसने महर्षि अंगिरा से प्रार्थना की और अपने पापों स मुक्ति का मार्ग पूछा. उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करने को कहा. बहेलिए ने यह व्रत किया और उसे पापों से मुक्ति मिल गई. और इस व्रत पूजन के बल से वह भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया. 

क्या है पूजा विधि
एकादशी का व्रत करने से अनेक प्रकार का फल मिलता है. पापांकुशा एकादशी करने के एक दिन पूर्व से ही आहार छोड़ देना चाहिए. पुरी तरह से शरीर को शुद्ध कर के श्रीलक्ष्मी  नारायण भगवान का पूजन करें. भगवान विष्णु ही एकादशी के प्रधान देवता होते है इसलिए अच्छे से पूजन करक इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं. 

गाय को खाना दें. महत्वपूर्ण बात यह है की शालिग्राम भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और फिर आप प्रसाद को ग्रहण करें. एकादशी के दिन विष्णु सस्त्रनाम का पाठ या गीता का पाठ करना चाहिए.

क्या है मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, पापांकुशा एकादशी 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से शुरू हो जाएगी, और 06 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, एकादशी का व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा. 

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Aja Ekadashi 2022: अजा एकादशी व्रत 23 अगस्त, मंगलवार को है. अजा एकादशी (Aja Ekadashi) भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं. जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत सच्ची श्रद्धा और विधि विधान के साथ करता है उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. हालांकि एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक हो जाता है. इस व्रत में विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि अजा एकादशी की कथा व्रत सुनने-पढ़ने से अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है. जानें इस व्रत का महत्व, अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha) और एकादशी व्रत नियम.

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)

एक राज्य में हरिश्चन्द्र नाम के राजा थे. अपने राज्य को राजा बहुत प्रसन्न रखते थे. राज्य में खुशहाली थी. कुछ समय बाद राजा की शादी हुई. राजा का एक पुत्र हुआ, लेकिन दिन बदलने लगे. राजा के पिछले जन्मों के कर्म उनके आगे आने लगे, जिसके फल के रूप में राजा को दुख भोगना पड़ रहा था. राजा के राज्य पर दूसरे राज्य के राजा ने कब्जा कर लिया. राजा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए. अपनी दो वक्त की रोटी के लिए राजा ने एक चांडाल के पास काम करना शुरू किया. वह मृतकों के शवों को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करता था. अपने जीवन से बहुत दुखी राजा को समझ आया कि वो जरूर अपने कर्मों के फल की वजह से ही इस दशा में हैं कि रोटी को भी मोहताज हो गए.

अजा एकादशी व्रत नियम (Aja Ekadashi Vrat Niyam)

  • अजा एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए

  • अजा एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए

  • व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए.

  • एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए.

  • इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए.

  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए.

अजा एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi Shubh Muhurat)

अजा एकादशी मंगलवार, अगस्त 23, 2022 को

एकादशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 22, 2022 को 03:35 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त - अगस्त 23, 2022 को 06:06 ए एम बजे

पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 24 अगस्त को 05:55 ए एम से 08:30 ए एम

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:30 ए एम

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)

एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए थे. वहां लकड़ियां लेकर घूम रहे थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं. राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं. आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं. मुझ पर दया कर बताइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं. ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो. यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है. कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा. उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा.

राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया. व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिल गया, इसके बाद उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को पधार गये.

एकादशी व्रत करने की क्या विधि है? - ekaadashee vrat karane kee kya vidhi hai?

अजा एकादशी पूजा विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi)

  • इस दिन व्रती को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए.

  • भगवान विष्णु की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करना चाहिए.

  • भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.

  • पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए.

  • प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए.

  • पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए.

  • अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद जया एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए.

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Published Date Mon, Aug 22, 2022, 7:00 PM IST

एकादशी का व्रत कैसे शुरू करते हैं?

ये हैं एकादशी व्रत के नियम सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें और विधिवत नारायण का पूजन करें, व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद अपनी क्षमतानुसार फलाहार लेकर या बिना लिए जैसे भी संभव हो, वैसे व्रत रखें. रात में जागकर नारायण का ध्यान करें, भजन कीर्तन करें. अगले दिन स्नान आदि के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं.

एकादशी के व्रत में क्या क्या नियम होते हैं?

एकादशी के व्रत में दशमी की रात से लेकर द्वादशी के सुबह एकादशी व्रत के पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. भक्त अपनी श्रद्धा और शक्ति से निर्जला, सिर्फ पानी लेकर, फल लेकर या एक समय फलाहार लेकर योगिनी एकादशी व्रत को करना चाहिए. एकादशी व्रत में दशमी को सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेना चाहिए.

एकादशी व्रत में किसकी पूजा करनी चाहिए?

एकादशी व्रत पूजा- विधि भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें।

एकादशी व्रत कब और कैसे शुरू करें?

वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें। * एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।