फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा कार्य करता है? - phoolon ko anant tak vikasit karane ke lie kavi kaun kaun sa kaary karata hai?

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ध्वनि

Exercise : Solution of Questions on page Number : 02


प्रश्न 1: कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर : उसको विश्वास है कि अभी वो कमज़ोर नहीं है। अपितु उसके अंदर जीवन को जीने के लिए उत्साह, प्रेरणा व ऊर्जा कूट-कूट कर भरी है। एक मनुष्य तभी स्वयं का अंत मान लेता है जब वह अपने अंदर की ऊर्जा को क्षीण व उत्साह को कम कर देता है। प्रेरणा जीवन को ईंधन देने का कार्य करती है, जब ये ही न रहे तो मनुष्य का जीवन कैसा? परन्तु ये तीनों प्रचुर मात्रा में उसके पास हैं। तो कैसे वह स्वयं का अंत मान ले। इसलिए उसका विश्वास है कि वो अभी अंत की ओर जाने वाला नहीं है।


प्रश्न 2: फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उत्तर : फूलों को विकसित करने के लिए कवि उन कोमल कलियों को जो इस संसार से अनभिज्ञ हैं और सुप्त अवस्था में पड़ी हुई हैं, अपने कोमल स्पर्श से जागृत करने का प्रयास करता है ताकि वो निंद्रावस्था से जागकर एक मनोहारी सुबह के दर्शन कर सके। अर्थात्‌ उस युवा-पीढ़ी को निंद्रा से जगाने का प्रयास करता है जो अपने जीवन के प्रति सचेत न रहकर अपना मूल्यवान समय व्यर्थ कर रही है और वो ये सब अपनी कविता के माध्यम से करना चाहता है।


प्रश्न 3: कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर : पुष्पों की तंद्रा व आलस को हटाने के लिए कवि अपने स्पर्श से उन्हें जगाने का प्रयास करता है। जिस तरह वसंत आने पर उसके मधुर स्पर्श से फूल और कलियाँ खिल जाती हैं उसी तरह कवि भी प्रयत्नशील है।


प्रश्न 1: कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है।
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूट जाते हैं।
उत्तर : इस कविता में वसंत ऋतु का ही वर्णन है। यहाँ आम के बौर और होली के त्योहार का वर्णन है।


प्रश्न 2: स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर : हम फूलों-पौधों को अधिक संख्या में उगाएँगे, उनकी देखभाल करेंगे और समय- समय पर खाद, पानी की सिंचाई आदि की व्यवस्था करेंगे, फूल-पौधों को जंगली जानवर और बेकार तोड़ने वालों से बचाएँगे।


प्रश्न 1: बसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर : हमारे देश में छ: ऋतुएँ होती हैं – ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद् ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु व वसंत ऋतु । इसमें वसंत को ऋतुराज कहते हैं क्योंकि इस ऋतु में न अधिक सर्दी पड़ती है और न अधिक गर्मी। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार ये मार्च-अप्रैल में होती है। इसमें वसंत पंचमी, नानक त्योहार आता है, पीली-सरसों खिलती है, पेड़ों पर नए पत्ते नई कोपल आती है, आम के बौर भी लगते हैं। ये सभी के लिए स्वास्थयवर्धक भी होती है इसलिए इसे ऋतुराज कहते हैं।


प्रश्न 2: वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
उत्तर : वसंत ऋतु कुल दो महीने से कुछ अधिक रहती है यह आधे फाल्गुन से शुरू होकर चैत बैसाख के कुछ दिनों तक रहती है। अत: इस ऋतु में मस्तीभरी होली रंगो का त्योहार, वसंत पंचमी, देवी सरस्वती की पूजा, खेती में पकी फसल और पीली सरसों का रंग, बैसाखी आदि त्योहार मनाए जाते हैं।
                                                                          वसंत ऋतु
भारत को प्राकृतिक सौदर्य से पूर्ण करने में ऋतुओं का विशेष योगदान है। यहाँ की ऋतुओं में वसंत ऋतु सबसे प्रमुख है। यह फाल्गुन व चैत में शुरू होती है, चारों और उल्लास और आनंद का वातावरण होता है। उत्तर भारत व बंगाल में देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, पीले वस्त्र पहनते है, पीला पकवान फी बनाया जाता है। क्योंकि सरसों की पीली फसल लहलहा उठते हैं। मानो धरती ने पीली चादर ओढ़ ली है। यह एक सामाजिक त्योहार भी है क्योंकि इस पर लगे मेलों में मित्रों सगे सम्बन्धियों में मेलजोल बढ़ता है। कुछ लोग आज से ही अपने बच्चों की पढ़ाई शुरू करते हैं। रंग बिरंगे फूल खिलते हैं फूलों पर भँवरे, तितलियाँ मँडराती प्रकृति के सौदंर्य में चार चाँद लगाती है। प्रात: कालीन भ्रमण तो अनूठा आनंद देता है। वसंत ऋतु को मधु ऋतु भी कहते हैं। लोक गीतों की मधुरता और प्राकृतिक सौदंर्य भाव शून्य कर देता है।
आया ऋतुराज वसंत, शीत का हुआ अंत,
बागों में हरियाली छाई, प्रकृति मन मोहने आई,
झूम रहे हैं दिग् दिगंत, छा रहा है आनंद अनंत।


प्रश्न 3: “ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”- इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर : ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है – उसके खानपान, उसके पहनावे, उस समय के त्योहार, उनका स्वास्थय पर प्रभाव। अत: जैसी ऋतु होगी उपरोक्त बातें भी उसी के अनुसार होंगी।


Exercise : Solution of Questions on page Number : 03


प्रश्न 1: ‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे- वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-”तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों मे प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे- मन का मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।
उत्तर :
(1) बातों-बातों बातों-बातों मे हम दोनों ने रास्ता पार कर लिया।
(2) रह-रहकर – मुझे रह-रहकर अपनी स्वर्गवासी दादी की याद आती है।
(3) लाल-लाल – सोनू के पास गुलाब के लाल-लाल फुल हैं।
(4) सुबह-सुबह – मेरी दादी सुबह-सुबह हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे का जाप करती हैं।
(5) रातों-रात – चोर रातों-रात घर का सामान लेकर चंपत हो गए।
(6) घड़ी-घड़ी – तुम घड़ी-घड़ी दरवाज़े पर क्या देखते हो।


प्रश्न 2: ‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’
विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमश: कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्द बता रहे है।
हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए है-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
उत्तर : (i) गुणवाचक विशेषण :- अच्छा बंदर, सुन्दर कार
(ii) परिमाणवाचक विशेषण :- दो गज ज़मीन, चार किलो गेहूँ
(iii) संख्यावाचक विशेषण :- चार संतरे, प्रथम स्थान
(iv) सार्वनामिक विशेषण :- यह लाल फूल है, वह तेरी फ्राक है


फूलों को अंदर तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा प्रयास करता है?

फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है? उत्तर:- फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की स्थिति से निकालकर खिले फूल बनाना चाहता है। कवि का मानना है कि उसके जीवन में वसंत आया हुआ है। इसलिए वह कलियों को हाथों के वासंती स्पर्श से खिला देगा।

फूल को कवि से क्या शिकायत है?

फूल को कवि से क्या शिकायत है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: इस कविता में कवि कहता है कि हमे कड़ी मेहनत और तपस्या का फल अवश्य मिलता है। हमें परिश्रम करते रहना चाहिए। पौधों पर खिले हुए फूल उनकी कष्ट सहकार की हुई तपस्या के फल को दर्शाता है जिन्होंने क्यारी की शोभा बढ़ायी और अपनी सुगंध से सबको आकर्षित किया।

कवि ने वसंत ऋतु को धन्य क्यों माना है?

प्रश्न- कवि ने वसंत ऋतु को धन्य क्यों माना? उत्तर- कवि ने वसंत ऋतु को धन्य माना क्योंकि उनके अनुसार फूलों को खिलाने और महकाने का सारा श्रेय वसंत ऋतु को ही जाता है।

कवि पुष्पों से तंद्रा आलस्य को हटाने के लिए क्या करना चाहते हैं?

प्रश्न 3 : कवि पुष्पों तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है? उत्तर : कवि अपने हाथों के सुधा स्पर्श से पुष्पों की नींद व आलस्य मिटाकर उन्हैं चुस्त, प्राणवान, आभामय व पुष्पित करना चाहता है। ऐसा करने का उसका उद्देश्य है कि धरा पर जरा भी आलस्य, प्रमाद, निराशा व मायूसी का निशान तक न रहे।