गणित शिक्षण और अधिगम में शिक्षण सहायक सामग्री सहायता करती है - ganit shikshan aur adhigam mein shikshan sahaayak saamagree sahaayata karatee hai

 इस पोस्‍ट में गणित शिक्षण की सहायक सामग्री को जानने वाले है तथा गणित शिक्षण की सहायक सामग्री उपयोग , महत्‍व एवं वह कितने प्रकार की है इन सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर देने वाले है इस पोस्‍ट में तो इस पोस्‍ट को अंत तक जरूर पढ़े । 

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गणित शिक्षण और अधिगम में शिक्षण सहायक सामग्री सहायता करती है - ganit shikshan aur adhigam mein shikshan sahaayak saamagree sahaayata karatee hai

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शैक्षणिक सहायक सामग्री 

अध्‍यापक के  दौरान पाठ्य सामग्री को समझाते समय शिक्षक जिस सामग्री का प्रयोग करता है वह सामग्री शै‍क्षणिक सहायक सामग्री कहलाती है । जिसको उपयोग बच्‍चो की क्षमता ओर योग्‍यता के अनुसार किया जाता है 

जैसे – चॉक , डस्‍टर , ब्‍लैकबोर्ड , चित्र , चार्ट आदि । 

शैक्षणिक सहायक सामग्री की परिभाषा  

बर्टन – श्रव्‍य द्श्‍य सामग्री का वह संवेदीय पदार्थ या काल्‍पनिक वस्‍तुएं है जो अधिगम को प्रारंभ एवं प्रेरित करती है तथा उसे पुनर्बलन प्रदान करती है

शैक्षणिक सहायक सामग्री के प्रकार 

इसे निम्‍न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है । 

    1. श्रव्‍य सहायक सामग्री 
    2. दृश्‍य सहायक सामग्री 
    3. दृश्‍य-श्रव्‍य सहायक सामग्री 
    4. क्रियात्‍मक सहायक सामग्री 

श्रव्‍य सहायक सामग्री  

रेडियों , टेपरिकॉर्डर , ग्रामोफोन , लाउडस्‍पीकर , लिम्‍बाफोन 

दृश्‍य सहायक सामग्री 

चित्र, चार्ट , ग्राफ , मानचित्र , ग्‍लोब, पोस्‍टर , बोर्ड , पाठ्यपुस्‍तक आदि 

दृश्‍य-श्रव्‍य सहायक सामग्री 

टेलीविजन , कम्‍प्यूटर आदि । 

क्रियात्‍मक सहायक सामग्री 

रोल , प्‍ले, मेले, प्रदर्शिनियॉ , भ्रमण , प्रयोगशाला , आदि । 

शिक्षण सहायक सामग्री का महत्‍व 

    1. विषय वस्‍तु को सरल, रूचिकर , स्‍पष्‍ट , प्रभावशाली , तथा  स्‍थाईत्‍व बनाती है । 
    2. पठन-पाठन में नवीनता लाती है 
    3. ये रटने की प्रवृत्ति को कम करती है 
    4. ये विघार्थियो में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है । 
    5. कक्षा में अनुशासन बना रहती है क्‍योकि बच्‍चो में रूचि पैदा करती है 
    6. कक्षा में नियमित उपस्थिति वढती है 
    7. नये छात्र कक्षा में जल्‍द ही घुल मिल जाते है । 
    8. आपस में विचार विमर्श करने का अवसर मिलता है 
    9. सृजनात्‍मकता का विकास होता है 
    10. आत्‍मविश्‍वास का विकास होता है 

प्रभावी शिक्षण हेतु परिवेश आधारित सहायक शिक्षण सामग्री का निर्माण 

झाडू की सीक , माचिस की तीली एवं डिब्‍बी, लिफाफे , कपडे , बोतलो के ढक्‍कन , ड्रांइगपिन , छोटे पत्‍थर , फीते  , बटन, सिक्‍के , बीज , अखबार, पुराने कागज, छोटी डगाले , लकडी के टुकडे ,कंकड , मिट्टी, इनके अलावा कई और चीजे है जो आपको असानी से आपके परिवेश में मिल जायेगी 

शैक्षणिक सहायक सामग्री का उपयोग 

    1. छात्र और शिक्षक अपनी कापियॉ पुराने कागजो से स्‍वयं बनाये ।
    2. गणित के क्‍लबू मे छात्रो के साथ मिलकर सीखने के साधन बनाये । 
    3. स्‍थानीय कारीगरो आदि को शैक्षिक सहायक सामग्री बनाने के लिए विघालय में बुलाये ।
    4. टाइम टेबिल बनाये और समय से बच्‍चो को क्रिया कलाप करवाये ।
    5. छात्रो द्वारा बनाई गई सामग्री का कक्षा में प्रयोग करे । 

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गणित शिक्षण और अधिगम में शिक्षण सहायक सामग्री सहायता करती है - ganit shikshan aur adhigam mein shikshan sahaayak saamagree sahaayata karatee hai

 गणित के मुख्य शिक्षण सहायक सामग्री 

         (Teaching Aids of Mathematics)

मुख्य के रूप से जिन सहायक सामग्री का गणित में उपयोग किया जाता है ! उनका वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है  -

1. श्यामपट्ट व चाक (Blackboard and calk)

2.  वास्तविक वस्तुएं (Real objects)

3.  प्रतिमूर्ति (Models)

4.  चित्र, चार्ट व रेखाचित्र (picture,charts,sketches,and diagram) -  

5. ग्राफ ( Graph) -

णित के मुख्य शिक्षण सहायक सामग्री

1. श्यामपट्ट व चाक (Blackboard and calk) -

                                                                     गणित विषय में श्यामपट्ट का अत्यधिक महत्व है ! इसकी अनुपस्थिति में गणित का शिक्षण कार्य अत्यधिक कठिन है ! सभी  समस्याओं के हल अंकगणित, बीजगणित व रेखा गणित के श्यामपट्ट पर किए जाते हैं ! श्यामपट्ट पर चित्र और चित्रों की सहायता से प्रश्नों के हल बहुत ही सुविधाजनक तरीके से हो जाते हैं ! गणित की किसी समस्या का हल बिना श्यामपट्ट के हल नहीं हो सकता है ! 

   गणित में कभी-कभी लम्बे हल  देने पड़ते हैं ! इसलिए श्यामपट्ट का प्रयोग बडै  विवेक से करना चाहिए ! उसे भिन्न-भिन्न भागों में बांटकर कहीं चित्र बनाना है कहा लिखना है ! श्यामपट्ट को व्यवस्थित कर सभी बातों का समावेश उचित होना चाहिए !


2.  वास्तविक वस्तुएं (Real objects) -  

                                                      सहायक  सामग्री में सबसे अधिक महत्व प्रत्यक्ष या वास्तविक वस्तुओं का है क्योंकि इनसे छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है ! यह मनोवैज्ञानिक सत्य है, कि जो ज्ञान वस्तु को प्रत्यक्ष देखकर व स्वयं करके होता है ! वह कक्षा में मौखिक शिक्षण से नहीं होता ! गणित का शिक्षण कार्य करते समय कभी-कभी ऐसे पाठ्य-वस्तु आती है कि उसे स्पष्ट करने के लिए छात्रों के समक्ष वह वस्तु मूल रूप से प्रस्तुत करने का पर उनके मस्तिष्क में ठीक प्रकार बैठ सकती हैं ! जैसे यदि हमें नाप,तौल, आयतन के पैमाने का स्पष्ट ज्ञान देना है तो छात्रों के समक्ष किलोग्राम, 500 ग्राम, 200 ग्राम, 100 ग्राम, 50 ग्राम 20 ग्राम, 10 ग्राम तथा 5 ग्राम के  बाट  प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! इसी प्रकार मीटर व उसके  आंशिक भाग प्रस्तुत किए जाने चाहिए ! क्षेत्रफल हेतु छात्रों को खेतों पर ले जाकर वास्तविक मापन से परिचित कराया जा सकता है ! शिक्षक का कर्तव्य है कि छात्रों को क्षेत्रफल, कमरों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि का ज्ञान कराने के लिए उन्हें वास्तविक अवस्था में रखकर नापवाकर स्पष्ट ज्ञान कराया जाए जिससे वास्तविकता से परिचित हो सके !

3.  प्रतिमूर्ति (Models) -

                                   कक्षा  शिक्षण कार्य करते समय वास्तविक वस्तुओं को कक्षा में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना संभव नहीं हो पाता है ! क्योंकि या तो वे बहुत आकार में  बड़ी होती है अथवा बहुत छोटी ! ऐसी परिस्थितियों में उन वस्तुओं की प्रतिमूर्ति (Models) का प्रयोग किया जाना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है ! जैसे ठोस ज्यामिति के शिक्षण में गोला,शंकु , बेलन, आयतफलकी आदी को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है ! क्योंकि ये  तीन क्षेत्रीय होते हैं, इन्हें केवल मौखिक या कल्पना के माध्यम से नहीं समझाया जा सकता है ! जो नमूने प्रयोग किये जाये वे वास्तविक पाठ से संबंधित होने चाहिए ! अध्यापक छात्रों को उचित दिशा निर्देशन देकर अच्छे मॉडलों का निर्माण विद्यालय प्रांगण में मिट्टी, लकड़ी,गत्ता आदि का प्रयोग करके करवा सकते हैं ! 


4.  चित्र, चार्ट व रेखाचित्र (picture,charts,sketches,and diagram) -  

                                              मॉडल और वास्तविक पदार्थों के अभाव में चित्रो, चार्टो  का प्रयोग किया जाता  है ! चित्रों को देखकर छोटे-छोटे बच्चे विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं ! अतः प्राथमिक स्तर पर इनका उपयोग अधिक -से -अधिक किया जाना चाहिए ! छोटी कक्षा के  छात्रों को गिनती का बोध कराने हेतु, जोड़ सिखाने हेतु, घटाने हेतु, गिनतारा या चित्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए !  रेखागणित के अध्ययन में चित्रों का अत्यधिक प्रयोग होता है ! चित्र स्पष्ट, प्रभावशाली और गणित के तथ्यों से संबंधित होना चाहिए ! चित्रों का उपयोग अत्यंत सावधानी और परिस्थितियों के अनुसार करना चाहिए ! 


5. ग्राफ ( Graph) -
                                गणित  विषय में ग्राफ का अत्यंत महत्व है ! दो चर राशियों में क्या संबंध होता है उसी के दिग्दर्शन हेतु ग्राफ  का प्रयोग किया जाता है ! वर्गात्मक समीकरण हल करने में तथा युगपत समीकरण हल करने में ग्राफ को बहुत उपयोगी माना गया है ! सांख्यिकी में ग्राफ की उपयोगिता सबसे अधिक होती है ! ग्राफ  के प्रयोग से सबसे अधिक लाभ यह है कि किसी वस्तु के विशेष तथ्यों को एक दृष्टि में देखा जा सकता है ! जब  दो वस्तुओं की तुलना समान गुणों  पर होती है तो ग्राफ द्वारा प्रदर्शन सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है ! दो देशों के रनरेट व ओवरों का ग्राफ टीवी पर स्पष्ट एवं झलक में सामने से गुजरता हुआ तुलना देता है !

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गणित शिक्षण में शिक्षण अधिगम सामग्री का क्या महत्व है?

शिक्षण सामग्री के प्रकार.

गणित शिक्षण में अधिगम की क्या उपयोगिता है?

वह सामग्री या वस्तुएँ जो अधिगम को प्रारम्भ एवं प्रेरित करती है तथा उसे पुनर्बलन प्रदान करती है । 2.6.1 शिक्षण अधिगम सामग्री का महत्व एवं आवश्यकता (1).

गणित शिक्षण में सहायक सामग्री का उपयोग क्यों किया जाता है?

Answer: गणित को भली–भाँति पढ़ाने हेतु सहायक सामग्री का प्रयोग जरूरी है, क्योंकि समस्त विचार सिर्फ मौखिक वर्णन द्वारा स्पष्ट नहीं हो पाते। सहायक सामग्री के प्रयोग से विद्यार्थियों का ज्ञान निश्चित हो जाता है, क्योंकि मॉडल आदि देख लेने से बालकों को पाठ्य–वस्तु समझने में कोई कठिनाई नही होती।

गणित शिक्षण में अधिगम स्रोत की क्या?

हम इसे इस तरह से भी देखते हैं कि यह स्कूली गणित का एक ही सही उत्तर जो कि एक ही तरह के पढ़ाए हुए तरीके से प्राप्त होता है, की तानाशाही से बाहर निकाल सकेगा । इस तरह का अधिगम वातावरण, भागीदारी को बढ़ावा देगा, बच्चों को कक्षा से जोड़े रखेगा और सबको सफलता का अहसास देगा।