गुरु शिष्य की कौन सी जोड़ी गलत है? - guru shishy kee kaun see jodee galat hai?

विषयसूची

  • 1 गुरमुख कैसे किया जाता है?
  • 2 गुरु मंत्र कौन से हैं?
  • 3 गुरु शिष्य की कौन सी जोड़ी गलत है?
  • 4 गुरु मंत्र कैसे बोला जाता है?

गुरमुख कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंउसी प्रकार पैसे देकर जो गुरुमंत्र लिया जाता है, वह भी नाम मात्र का ही गुरुमंत्र होता है । यदि किसी व्यक्ति (अथवा साधक) को गुरु गुरुमंत्र देते हैं, तब भी उस व्यक्ति को गुरुमंत्र जप के साथ आध्यात्मिक प्रगति के लिए सत्सेवा, त्याग तथा सभी से निरपेक्ष प्रेम (प्रीति) करना चाहिए ।

गुरु मंत्र कब सिद्ध होता है?

इसे सुनेंरोकेंमंत्र अगर गुरु ने दीक्षा देकर दिया हो तो और प्रभावी होता है। जिन्होंने मंत्र सिद्ध किया हुआ हो, ऐसे महापुरुषों द्वारा मिला हुआ मंत्र साधक को भी सिद्धावस्था में पहुंचाने में सक्षम होता है। सद्गुरु से मिला हुआ मंत्र ‘सबीज मंत्र’ कहलाता है, क्योंकि उसमें परमेश्वर का अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है।

गुरु मंत्र कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंगुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।। 2. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

एक व्यक्ति कितने गुरु बना सकता है?

इसे सुनेंरोकेंइससे सिद्ध होता है कि मानव के निर्माण में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है तथा शिक्षा के महत्वपूर्ण आधार स्तंभ प्रथम तीन गुरु हैं।

गुरु शिष्य की कौन सी जोड़ी गलत है?

इसे सुनेंरोकें’गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। वैसे तो हमारे जीवन में कई जाने-अनजाने गुरु होते हैं जिनमें हमारे माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है फिर शिक्षक और अन्य। लेकिन असल में गुरु का संबंध शिष्य से होता है न कि विद्यार्थी से।

गुरु मंत्र को कैसे सिद्ध करें?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर अथवा पूरब दिषा की ओर मुॅह करके बैठ जाएं और अपने सामने एक पंक्ति में सब दीपक रख कर प्रज्जवलित कर लें। अब उस मंत्र अथवा नाम आदि की एक माल जप करें जिसे आप चैतन्य अथवा सिद्ध करने जा रहे हैं। जब एक माला पूरी हो जाए तो सुगन्धित सामग्री की धूनी करें। अब दूसरे क्रम में अपने मंत्र की दूसरी माला पूरी करें।

गुरु मंत्र कैसे बोला जाता है?

इसे सुनेंरोकेंअगर वह दीक्षा बोल कर दी जाए तो उसे हमलोग गुरु मंत्र कहते हैं. वास्तविक गुरुओं ने अनेक तरीकों से दीक्षा दी है. कभी कान में बोल कर, आंख से देख कर, गले लगा कर, यहां तक फूंक मार कर भी दी है. दीक्षा देना है, किसी बहाने दे दें, चाहे एक घुंसा मार कर दे दें.

गुरु का बीज मंत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगुरु बीज मंत्र- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

विषयसूची

  • 1 एक गुरु के लिए उत्तम शिष्य का क्या महत्व है?
  • 2 वैदिक काल में गुरु शिष्य संबंध कैसे थे?
  • 3 एक गुरु भक्त शिष्य का प्रमुख गुण क्या है?
  • 4 गुरु शिष्य की कौन सी जोड़ी गलत है?
  • 5 शिक्षा गुरु कौन है?

एक गुरु के लिए उत्तम शिष्य का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इस वाक्य से गुरु दीक्षा का महत्त्व स्थापित होता है। दीक्षा के उपरान्त गुरु और शिष्य एक दुसरे के पाप और पुण्य कर्मों के भागी बन जाते है। शास्त्रो के अनुसार गुरु और शिष्य एक दूसरे के सभी कर्मों के दसवे हिस्से के फल के भागीदार बन जाते है , यही कारण है कि दीक्षा सोच समझकर ही दी जाती है।

गुरुकुल से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंगुरुगृह । विशेष- प्राचीन काल में भारतवर्ष में यह प्रथा थी कि गुरु और आचार्य लोग साधारण मुनष्यों के निवासस्थान से बहुत दूर एकांत में रहते थे और लोग अपने बालकों को शिक्षा के लिये वहीं भेज देते थे । वे बालक, जबतक उनकी शिक्षा समाप्त न होती, बहीं रहते थे । ऐसे ही स्थानों को गुरुकुल कहते थे ।

वैदिक काल में गुरु शिष्य संबंध कैसे थे?

इसे सुनेंरोकेंवैदिक काल में गुरु-शिष्य का सम्बन्ध पिता-पुत्र के समान था। गुरु बालक का मानसिक व आध्यात्मिक पिता समझा जाता था। शिष्य भी गुरु को पिता की भाँति सम्मान प्रदान करते थे। वे गुरु के गहन पांडित्य व निष्कलंक चरित्र में अटूट विश्वास तथा श्रद्धा रखते थे।

आचार्य ने सच्चा शिष्य किसे कहा और उसमें क्या क्या विशेषताएँ थी?

इसे सुनेंरोकेंकोई दूसरा देखे ना देखे मैं स्वयं तो अपने को कुकर्मों को देखता हूं।” आचार्य ने गले लगाते हुए कहा, “तू मेरा सच्चा शिष्य है। क्योंकि तूने गुरु के कहने पर भी चोरी नहीं की। यह तेरे सच्चे चरित्र का सबूत है।” तू ही मेरी कन्या का सच्चा और योग्य वर है।

एक गुरु भक्त शिष्य का प्रमुख गुण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षक में होती थी, गुरु के प्रति पूर्ण श्रद्धा, गुरु की क्षमता में पूर्ण विश्वास तथा गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण एवं आज्ञाकारिता. अनुशासन शिष्य का सबसे महत्वपूर्ण गुण माना गया है.

सच्चे गुरु की पहचान क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजो मुक्त कर दे, सो गुरु होता है। मुक्ति केंद्रीय बात है। गुरु की सेवा इत्यादि करके मुक्ति नहीं मिलती; जो मुक्ति दिला दे वो गुरु होता है। इरादा आपका नेक है कि – “गुरु जी की सेवा करेंगे, और मुक्ति अपने आप मिल जाएगी।” सुनने में बात अच्छी लगती है, लेकिन बात में पेंच है।

गुरु शिष्य की कौन सी जोड़ी गलत है?

इसे सुनेंरोकें’गु’ शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और ‘रु’ शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है। वैसे तो हमारे जीवन में कई जाने-अनजाने गुरु होते हैं जिनमें हमारे माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है फिर शिक्षक और अन्य। लेकिन असल में गुरु का संबंध शिष्य से होता है न कि विद्यार्थी से।

आचार्य ने विद्यार्थियों को बुलाकर क्या कहा?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: ऐसे विद्यालय जहाँ विद्यार्थी अपने परिवार से दूर गुरू के परिवार का हिस्सा बनकर शिक्षा प्राप्त करता है। [1] भारत के प्राचीन इतिहास में ऐसे विद्यालयों का बहुत महत्व था। प्रसिद्ध आचार्यों के गुरुकुल में पढ़े हुए छात्रों का सब जगह बहुत सम्मान होता था।

शिक्षा गुरु कौन है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षक शिक्षा देता है जबकि गुरु दीक्षित करता है। दो और दो चार होते हैं इसका ज्ञान शिक्षा के अंतर्गत आता है ,परन्तु इसका समुचित उपयोग दीक्षा की परिधि में आता है। शिक्षित व्यक्ति साक्षर हो सकता है परन्तु दीक्षित व्यक्ति साक्षर होने के साथ-साथ सम्बंधित शिक्षा के समुचित उपयोग को समझता है।

हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंगुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं। जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।

गुरु शिष्य को नई पहचान कैसे देते हैं?

गुरु-शिष्य परम्परा आध्यात्मिक प्रज्ञा का नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सोपान। भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत गुरु (शिक्षक) अपने शिष्य को शिक्षा देता है या कोई विद्या सिखाता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रूप में दूसरों को शिक्षा देता है। यही क्रम चलता जाता है।

शिष्य गुरु से क्या नहीं करता है *?

हिंदू धर्म में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही अपने शिष्यों को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। 1. शिष्य को गुरु के समान आसन पर नहीं बैठना चाहिए। यदि गुरु जमीन पर बैठे हों तो शिष्य भी जमीन पर बैठ सकते हैं।

गुरु और शिष्य में क्या फर्क है?

यूं तो गुरु से ज्यादा महत्वपूर्ण शिष्य है। शिष्य से ही गुरु की महत्ता है। यदि कोई शिष्य उस गुरु से सीखने को तैयार नहीं है तो वह गुरु नहीं हो सकता। गुरुत्व शिष्यत्व पर निर्भर है।

गुरु शब्द का अर्थ क्या है?

गुरु वह है जो ज्ञान दे। संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है। दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है।