हनुमान जयंती क्यों कहा जाता है? - hanumaan jayantee kyon kaha jaata hai?

ये भी हैं हनुमानजी से जुड़ी हुई बात
द्वापर युग में एक बार हनुमान जी जब रामेश्वरम तीर्थ के पास श्री राम के ध्यान में लीन थे तब अर्जुन वहां से गुजर रहे थे। उनकी मुलाकात अर्जुन से हुई। मुलाकात के दौरान अर्जुन ने उनसे पूछा कि राम और रावण के युद्ध के समय उन्होंने पत्थरों के सेतू की बजाय बाणों का सेतु क्यों नहीं बनाया। बाणों का सेतु आसानी से और जल्दी बन जाता। इस पर हनुमान जी ने अर्जुन से कहा कि बाणों का सेतु कमजोर होता और वह वानरों का भार सहन नहीं कर पाता। हनुमान जी के इस उत्तर पर अर्जुन हंसने लग गए। अर्जुन को अपने धनुर्धर होने का बड़ा अभिमान था। उसने उन्होंने कहा कि वह स्वयं अभी बाणों का सेतु बना कर दिखाता है।
अर्जुन ने Hanuman Ji से कहा कि अगर वह उनके बनाए बाणों के सेतू पर चल कर दिखा देते हैं और सेतू टूट जाता है तो वह अग्नि समाधि ले लेगा। हनुमान जी ने हामी भर दी। अर्जुन ने कुछ ही देर में पास िस्थत सरोवर पर बाणों का सेतु बना दिया। हनुमान जी तब तक भगवान राम के ध्यान में लीन थे। जैसे ही बाणों का सेतु तैयार हुआ, हनुमान जी ने विराट रूप धारण किया और सेतु पर चलने लगे। पहला पांव रखने से ही सेतू डगमगाने लग गया। दूसरा पांव रखते ही पूरा सेतु टूटकर सरोवर में गिर गया। यह देख अर्जुन दुखी हो गए और उन्होंने समाधि के लिए अग्नि जला ली। जैसे ही अर्जुन अग्नि की ओर बढ़ने लगा, तब श्रीकृष्ण प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि यह उनकी ही लीला थी। अर्जुन ने तब Hanuman Ji से क्षमा मांगी। हनुमान जी ने कहा की वह बहुत बड़े धनुर्धर है लेकिन कई बार अहंकार के कारण व्यक्ति अपना सब कुछ खो बैठता है। इसके बाद हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के समय उनके रथ के शिखर के ऊपर बैठने की बात कही।

हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है

हनुमान जयंती- तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरितमानस में हनुमान जी के कारनामों का उल्लेख मिलता है और तुलसीदास जी के द्वारा रचित एक और पाठ जिसे हम हनुमान चालीसा के नाम से जानते हैं। हनुमान चालीसा में अभी हनुमान जी के गुणों का बखान किया गया है। रामचरितमानस में हनुमान जी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और भगवान राम का सीता को वापस लाने में और रावण का वध करने में साथ देते हैं। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि के खत्म होने और रामनवमी खत्म होने के बाद हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है।

हनुमान जयंती क्यों कहा जाता है? - hanumaan jayantee kyon kaha jaata hai?

हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हनुमान की माता अंजना एक अप्सरा थी लेकिन उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी लोक पर जन्म लिया था और यह श्राप उन पर से तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देती बाल्मीकि और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिता थे। केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक भगवान शिव की आराधना की थी और इसी के परिणामस्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमान जी को प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार हैं। हनुमान जी के जन्म दिवस को ही हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।

हनुमान जयंती के दिन क्या करना चाहिए

अब हम जानेंगे कि कैसे हमें हनुमान जयंती को मनाना चाहिए नीचे हनुमान जयंती के व्रत एवं पूजा की विधि बताई गई है।

1. हनुमान जयंती के एक दिन पहले सोने से पहले किसी भी तरह से मांस मछली और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

2. हनुमान जयंती के एक दिन पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।

3. हनुमान जयंती के दिन जल्दी उठकर फिर से राम सीता एवं हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए।

4. हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।

5. स्नान करने के बाद हाथों में गंगाजल नर्मदा जल या फिर सामान्य जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।

6. इसके बाद हनुमान जी का आसन लगाना चाहिए आसन लगाने के लिए साफ-सुथरे कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए।

7. इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा या हनुमान जी के चित्र को स्थापित करना चाहिए।

8. प्रतिमा स्थापित कर लेने की बाद शांत मन से प्रतिमा के सामने बैठकर बजरंगबली से प्रार्थना करनी चाहिए।

9. इसके बाद हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।

10. सबसे आखरी में हनुमान जी से पूजा में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और हनुमान जी को प्रणाम करना चाहिए।

11. हनुमान जयंती के दिन सारा दिन शांत मन से हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए और किसी भी तरह से मांस मदिरा का सेवन और गाली गलौज नहीं करना चाहिए।

हनुमान जी का व्रत रखने से हनुमान जी अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं और हनुमान जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

हम हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं?

जिस दिन हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था उस तिथि पर पहली हनुमान जयंती मनाई जाती है. इसे दिन को लोग हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कि इसी दिन माता अंजनी के कोख से जन्म लेने के बाद उन्हें बहुत तेज भूख लगती है, और वो सूर्य देव को आम्र फल समझकर निगल लेते हैं.

हनुमान जयंती का मतलब क्या है?

हनुमान जयन्ती एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है।

हनुमान जयंती और हनुमान जन्मोत्सव में क्या फर्क है?

हनुमान जयंती या जन्मोत्सव- जानकारों का कहना है कि इस दिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहना उचित है। ज्योतिषाचार्यों का मत है कि जयंती और जन्मोत्सव में अंतर होता है। जयंती का शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में नहीं है। लेकिन ये बात पवनपुत्र हनुमान जी पर लागू नहीं होती है।

हनुमान का पुराना नाम क्या था?

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान "मारुति" अर्थात "मारुत-नन्दन" (हवा का बेटा) हैं। मान्यता है कि श्री बाला जी महाराज का जन्म हरियाणा के कैथल जिले में हुआ था जिसका प्राचीन नाम कपिस्थल था