ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से के लेखक - eershya too na gaee mere man se ke lekhak

 Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 10 ईर्ष्या : तू न गई मेरे मन से 

1. ” ईर्ष्या : तू गई मेरे मन सेशीर्षक पाठ किसकी रचना है

( ) पंत 

( ) रामधारी सिंहदिनकर‘  

( ) प्रेमचंद 

( ) अरूणकमल।                                  

उत्तर ( ) 

2. ईर्ष्या का संबंध होता है  

( ) समानतासे 

( ) अधीनतासे 

( ) विफलतासे 

( ) अपनेप्रतिद्वदियों से।                          

उत्तर– ( ) 

3. ‘ ईयाः तू गई मेरे मन सेशीर्षक पाठ गद्य की कौनसी विधा है

( ) सारांश 

( ) कहानी 

( ) हास्यव्यंग्य 

( ) रोचकनिबंध।                                  

 उत्तर– ( ) 

4. ईर्ष्या को क्या कहा गया है

( ) प्रतिष्ठा 

( ) अभिशाप 

( ) प्रशंसा 

( ) अनोखावरदान।                              

उत्तर– (

5. ईर्ष्या से बचने का उपाय क्या है ?  

( ) घृणा 

( ) क्रोध 

( ) मानसिकअनुशासन 

( ) शारीरिक अनुशासन।                       

उत्तर– ( )

 6.ईर्ष्या कौन करता है

( ) जोदूसरोंकासुखनहींदेखसकता 

( ) दूसरोंकोहानिपहुंचाता है 

( ) सुखसंतोषकोअधूरामानताहै 

( ) उपर्युक्त तीनों।                                 

उत्तर– ( ) 

7. कौन ईर्ष्या की बड़ी बेटी है ? | 

( ) दुख 

( ) सुख

( ) निंदा 

( ) पड़ोसी।                                          

उत्तर– ( ) 

8. हमें नहीं होना चाहिए 

( ) दयालु 

( ) कमाऊ 

( ) ईर्ष्यालु 

( ) परोपकारी।                                      

उत्तर-( ) 

9. ‘ दिनकरकिस रचनाकार के नाम से जुड़ा है ?  

( ) गोपालसिंहनेपाली 

( ) रामधारी सिंह 

( ) फणीश्वरनाथ रेणु 

( ) प्रेमचन्द।                                       

उत्तर– ( ) 

10. रामधारी सिंहदिनकरका जन्म हुआ 

( ) बंगालमें 

( ) उत्तरप्रदेश में 

( ) बिहारमें 

( ) दिल्लीमें।                                     

उत्तर-( )     

11. ‘ रामधारी सिंह दिनकरद्वारा रचित पाठ है 

( ) ईर्ष्याः तू गई मेरे मनसे 

( ) ईदगाह 

( ) ठेस 

( ) सुदामाचरित।                                

उत्तर– ( )

12. किसके वैभव की वृद्धि से वकील साहब का कलेजा जलता था

( ) डॉक्टरके 

( ) सिपाहीके  

( ) ठेकेदार के 

( ) बीमाएजेन्टके।                              

उत्तर– (

13. वकील साहब 

( ) ईर्ष्यालु हैं 

( ) परोपकारी हैं 

( ) उदासीनहैं 

( ) राजनीतिज्ञ हैं।                                

उत्तर– ( ) 

14. वकील साहब क्यों सुखी नहीं हैं ?

( ) बीमारीवश 

( ) ईर्ष्या वश 

( ) गरीबीसे 

( ) पैसेकीतंगीसे।                             

उत्तर– ( )

 15. चिंता को लोग क्या कहते हैं

( ) प्रेम

( मृत्यु

( ) निंदा 

( ) चिता।                                          

उत्तर– ( )

 16. मूलरूप से रामधारी सिंहदिनकरहैं 

( ) उपन्यासकार  

( ) कहानीकार 

( ) निबंधकार 

( ) कवि।                                          

उत्तर– ( ) 

17. ‘ यार , ये तो बाजार की मक्खियाँ हैं जो अकारण हमारे चारों ओर भिनभिनाया करती हैं यह पंक्ति है 

( ) माओत्से तुंगकी 

( ) लेनिनकी 

( ) नीत्सेकी 

( ) कार्लमार्क्स की।                               

उत्तर– ( ) 

18. लेखक के अनुसारनिंदाकी माँ है 

( ) ईर्ष्या 

( ) प्रशंसा 

( ) खुशी 

 ( )हंसी।                                           

उत्तर– ( ) 

 19. ‘ तुम्हारी निंदा वही करेगा , जिसकी तुमने भलाई की हैकिसने कहा

( ) महात्मा गाँधीने

( ) सुभाषचन्द्रबोस ने 

( ) लेखकने  

( ) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने                      

उत्तर-( )

20. किसे लेखक ने अनोखा वरदान कहा है

( ) ईर्ष्या को 

( ) सुखको 

( ) लोभको 

( ) मोहको।                                      

उत्तर– ( ) 

21. कौन चिता के समान है

( ) निंदा 

( ) ईर्ष्या 

( ) चिंता

( ) गरीबी।                                        

उत्तर-( ) 

22. नेपोलियन भी स्पर्धा करता था 

( ) रसेलसे 

( ) सीजरसे 

( ) मोदीसे 

( ) इमरानसे।                                    

उत्तर-( )


   v.v.i  Subjective Question ( 2marks )

1. ईर्ष्याकीबेटीकिसेऔरक्योंकहागयाहै

उत्तर ईर्ष्या कीबेटीनिंदाकोकहागयाहै जो व्यक्ति ईर्ष्यालु होताहै, वहनिंदकभीहोताहै वह दूसरों कीनिंदाकरकेयहबतानाचाहताहैकिअमुकव्यक्ति ठीकनहींहै, ताकिवहलोगोंकीआँखोंसेगिरजाएऔरउसकेद्वाराकियागयारिक्तस्थानउसेप्राप्त होजाए लेकिन वह भूलजाताहैकिदूसरोंकोगिरानेकीकोशिशमेंउसकाअपनाहीपतनहोताहै उसके भीतर केसद्गुणों काह्रासहोनेलगताहै फलत : निंदा करनेवालेलोगोंकीनजरोंसेगिरजातेहैं 

2. वकीलसाहबसुखीक्योंनहींहैं

 उत्तर वकीलसाहबसुखीनहींहैंक्योंकि उन्हेंसुखसुविधासेसंतुष्टि नहींहैं वे अपने पड़ोसीकेवैभवकीवृद्धिसेपरेशानहैं वे इस चिंतामेंभुनेजारहेहैंकिबीमाएजेंटकीमोटर, उसकीमासिकआयऔरउसकीतड़कभड़कभीउनकीहुईहोतीतोवेअपनेकोसुखीमहसूसकरते इसी अभाव पूर्तिकीचिन्ताकेकारणवकीलसाहबसुखीनहींहैं 

3. ईर्ष्याकोअनोखावरदानक्योंकहागयाहै? 

 उत्तर ईर्ष्या को अनोखा वरदानइसलिएकहागयाहैक्योंकि जिसमनुष्यकेहृदयमेंईर्ष्या काविकासहोजाताहै, वहउनचीजोंसेआनंदनहींउठाता, जोउसकेपासमौजूदहैबल्किउनवस्तुओं सेदु: उठाता है जोदूसरोंकेपासहै यही अभाव उसकेदिलपरदंशमारनेलगतेहैं फलतः अपनी उन्नतिकेलिएउद्यमछोड़करदूसरोंकोहानिपहुँचाना वहअपनाकर्तव्य मानलेताहै वह भगवान द्वाराप्राप्त सुखकोभूलकरदिनरातचिंताकीआगमेंजलतारहताहैऔरविनाशकेपथपरअग्रसरहोताजाताहै इसीलिए ईर्ष्या कोअनोखावरदानकहागयाहै

4. ईर्ष्यालुसेबचनेकाक्याउपायहै?

उत्तर ईर्ष्यालु से बचने केसंबंधमेंनीत्सेनेकहाहैकिऐसेईर्ष्यालु लोगबाजारकीमक्खियों केसमानहोतेहैंजोअकारणहमारेचारोंओरभिनभिनाया करतेहैंऔरहमेंकष्टपहुँचाते हैं उन्हें हमारे गुणोंकापतानहींहोताहै इसलिए उन्हें छोड़करएकांतकीओरभागजानाचाहिए अच्छे या महानलोगएकांतमेंरहकरहीमहानकार्यकरनेमेंसफलहुएहैं ऐसे लोग वहाँरहतेहैंजहाँबाजारकीमक्खियाँ नहींभिनकती 

5. अपनेमनसेईर्ष्याकाभावनिकालनेकेलिएक्याकरनाचाहिए ?

 उत्तर अपनेमनसेईर्ष्या काभावनिकालने केलिएसर्वप्रथम हमेंमानसिकअनुशासन रखनाचाहिए हमें फालतू बातोंकेबारेमेंसोचनेकीआदतछोड़देनीचाहिए जिस अभाव केकारणहमेंईर्ष्या होतीहै, वैसेअभावकीपूर्तिकारचनात्मक तरीकाअपनानेकाप्रयासकरनाचाहिए जब हमारे भीतरकीजिज्ञासा प्रबलहोगीतबस्वत: ईर्ष्या करनेकीप्रवृत्ति घटनेलगेगी हमारे अन्दर सद्गुणों काविकासहोगा इन्हीं उपायों सेहमेंईर्ष्या काभावनिकालने काप्रयासकरनाचाहिए

 6. ईर्ष्याकालाभदायकपक्षक्याहोसकताहै

 उत्तर ईर्ष्या का लाभदायक पक्षयहहैकिहमेंअपनेजैसेलोगोंकोप्रतिद्वंद्वी मानकरउनसेआगेबढ़नेकाप्रयासकरें जब कोई व्यक्ति अपनीआयएवंसाधनकेमुताबिक किसीसेआगेबढ़नेकाप्रयासकरताहैतोयहईर्ष्या कालाभदायक पक्षहोताहै इसमें जलन याईर्ष्या केबदलेस्पर्धा कीभावनाहोतीहै

ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से के लेखक कौन हैं?

ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से : रामधारी सिंह 'दिनकर'

ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से शीर्षक पाठ में वकील साहब के बगल में कौन रहते हैं?

” दिनकर ” जी के घर के बगल में एक वकील साहब हैं । वे बाल – बच्चे नौकर – चाकर , धन – वैभव मृदुभाषिणी पत्नी सब प्रकार से सुखी है । लेकिन वे सुखी नहीं हैं । उनको बगल के बीमा एजेंट से ईर्ष्या है कि एजेंट की मोटर उसका मासिक आय सब कुछ उनको होता ।

ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से क्या है?

ईर्ष्या मनुष्य को यही विचित्र वरदान देती है जिसमें मनुष्य बिना दु:ख के दु:ख भोगता है। जिस व्यक्ति के मन में ईर्ष्या वास करने लगती है, वह उन चीजों का आनंद नहीं ले पाता जो उसके पास होती है वरन् उन वस्तुओं के लिए दु:ख उठाता है जो दूसरे व्यक्तियों के पास होती हैं। वह अपनी तुलना निरंतर दूसरों के साथ करता रहता है।

ईर्ष्या को अनोखा वरदान क्यों कहा गया है?

लेखक ने ईष्र्या को अनोखा वरदान इसलिए कहा है क्योंकि ईष्र्यालु मनुष्य उन वस्तुओं से आनन्द नहीं प्राप्त करता जो उसके पास हैं, वरन् उन वस्तुओं से दु:ख उठाता है, जो दूसरों के पास हैं।