इनमें से कौन से आसन से रीढ़ की हड्डी में अच्छा स्ट्रेच आता है? - inamen se kaun se aasan se reedh kee haddee mein achchha strech aata hai?

पीठ के लिए योगासन (Yoga Poses For Back)

1. हस्त पादासन (Hasta Padasana / Hand To Foot Pose)

इनमें से कौन से आसन से रीढ़ की हड्डी में अच्छा स्ट्रेच आता है? - inamen se kaun se aasan se reedh kee haddee mein achchha strech aata hai?
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हस्त पादासन मध्यम कठिनाई वाला विन्यास योग की शैली का आसन है। इसे करने की अवधि 15 से 30 सेकेंड के बीच होनी चाहिए। इसमें किसी दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है। 

हस्त पादासन के अभ्यास से हिप्स, हैमस्ट्रिंग, और काव्स पर खिंचाव आता है जबकि घुटने, पीठ और जांघें मजबूत हो जाते हैं। ये आसन पीठ, हिप्स, पिंडली और टखनों को अच्छा स्ट्रेच भी देता है। 

हस्त पादासन करने की विधि :

  1. योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें।
  2. सांस को भीतर खींचते हुए घुटनों को मुलायम बनाएं। 
  3. कमर को मोड़ते हुए आगे की तरफ झुकें।
  4. शरीर को संतुलित करने की कोशिश करें। 
  5. हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं। 
  6. धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा। 
  7. अपने हाथों को पैर के पंजे के बगल में जमीन पर रखें। 
  8. आपके पैर एक-दूसरे के समानांतर रहेंगे। 
  9. आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा। 
  10. सीने की हड्डियों और प्यूबिस के बीच चौड़ा स्पेस रहेगा। 
  11. जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें। 
  12. सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें। 
  13. इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।
  14. जब आप इस स्थिति को छोड़ना चाहें तो पेट और नीचे के अंगों को सिकोड़ें। 
  15. सांस को भीतर की ओर खींचें और हाथों को हिप्स पर रखें। 
  16. धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठें और सामान्य होकर खड़े हो जाएं।

2. सेतु बंधासन (Setu Bandhasana / Bridge Pose)

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सेतु बंधासन में हमारा हृदय सिर से ऊपर होता है। इससे रक्त का प्रवाह हमारे सिर की तरफ बढ़ जाता है। इससे हमें एंग्जाइटी, थकान, तनाव / टेंशन / स्ट्रेस , अनिद्रा / इंसोम्निया, सिरदर्द और हल्के डिप्रेशन से ​निपटने में मदद मिलती है। 

सेतु बंधासन के नियमित अभ्यास से दिमाग को शांति मिलती है और बल्ड प्रेशर सामान्य रहता है। ये फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने के अलावा सीने में होने वाले नसों के ब्लॉकेज को रोकने में भी मदद करता है। अस्थमा के मरीजों को भी इस आसन को रोज करने की सलाह दी जाती है। 

ये आसन थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को नियमित करता है। सेतु बंधासन उन लोगों के लिए भी बेस्ट है जो दिन भर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर काम करते हैं।

सेतु बंधासन करने की विधि :

  1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। सांसो की गति सामान्य रखें।  
  2. इसके बाद हाथों को बगल में रख लें। 
  3. अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं। 
  4. हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहेंगे। 
  5. कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें। 
  6. इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। 
  7. पैरों को सीधा करें और विश्राम करें। 
  8. 10-15 सेकेंड तक ​आराम करने के बाद फिर से शुरू करें। 

3. मार्जयासन (Marjaryasana / Cat Pose)

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 मार्जरी आसन आगे की ओर झुकने और पीछे मुड़ने वाला योग आसन है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव पड़ता है। यह खिंचाव आपकी रीढ़ की हड्डी को अधिक लचीला बनने में मदद करता है। इसके अलावा यह आसन रीढ़ की हड्डी को फैलाने और मजबूत करने में भी मदद करता है।

मार्जरी आसन करने के लिए आपको अपनी नाभि को अंदर की ओर खींचना पड़ता है, जो कि लंबे समय में आपके पेट से अनावश्यक वसा को कम करने में मदद करता है। इससे आपके पेट की चर्बी कम हो जाएगी। यह आसन धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से पेट को टोन करने में मदद करता है।

मार्जयासन करने की विधि :

  1. फर्श पर एक योगा मैट को बिछा कर अपने दोनों घुटनों को टेक कर बैठ जाएं।
  2. इस आसन को करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
  3. अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें।
  4. दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने हिप्स (कूल्हों) को ऊपर उठायें।
  5. जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
  6. आपकी छाती फर्श के समान्तर होगी और आप एक बिल्ली के समान दिखाई देगें।
  7. अब आप एक लंबी सांस लें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
  8. अपनी नाभि को नीचे से ऊपर की तरफ धकेलें।
  9. इसी के साथ टेलबोन (रीढ़ की हड्डी का निचला भाग) को ऊपर उठाएं। 
  10. अब अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे की ओर झुकाएं।
  11. मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें।
  12. इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें।
  13. ध्यान रखें की इस मुद्रा में आपके हाथ झुकने नहीं चाहिए।
  14. अपनी सांस को लम्बी और गहरी रखें। 
  15. अपने सिर को पीछे की ओर करें और इस प्रक्रिया को दोहराहएं।
  16. इस क्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं।

4. उत्कटासन (Utkatasana / Chair Pose)

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उत्कटासन, साधारण स्तर की कठिनाई वाला ​विन्यास शैली का आसन है। इसे करने की अवधि 30-60 सेकेंड की बताई गई है। इस आसन को करने से कंधे और पसलियों (Thorax) में स्ट्रेच आता है। जबकि ये जांघों, पसलियों के कॉलम (Vertebral Column), एडियों और पिंडलियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।

उत्कटासन करने की विधि :

  1. योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों को फैलाकर खड़े हो जाएं।
  2. दोनों हाथों को आगे की तरफ फैलाएं। हथेली नीचे की तरफ रहेगी। 
  3. हाथ सीधे रहें और कुहनियां मुड़ी हुई न हों। 
  4. घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ें और पेल्विस को नीचे की तरफ ले जाएं।
  5. इतना झुकें, जैसे आप किसी काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हुए हों। 
  6. इतना आराम से बैठें जैसे आप कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे हों। 
  7. इस दौरान हाथ एकदम सीधे रहेंगे। 
  8. रीढ़ की हड्डी पूरी लंबाई में सीधी होनी चाहिए। 
  9. दिमाग को शांत रखें, लंबी सांसें लें। मुस्कुराहट बनाए रखें। 
  10. इस स्थिति में एक मिनट तक बने रहें। 
  11. धीरे-धीरे नीचे बैठें और सुखासन में बैठ जाएं।

5. भुजंगासन (Bhujangasana / Cobra Pose)

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भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है।

भुजंगासन, योग विज्ञान के ​सबसे विविधतापूर्ण आसनों में से एक है। ये योग मुद्रा इतनी महत्वपूर्ण इसीलिए बताई गई है क्योंकि इसके ढेर सारे फायदे हैं। ये हमारी पीठ को मजबूत और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। ये हमारे पाचन और प्रजनन तंत्र को मजबूत बनाता है।

भुजंगासन करने की विधि :

  1. पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। 
  2. दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें। 
  3. ध्यान रखें कि टखने एक-दूसरे को छूते रहें। 
  4. हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और हथेलियों को फर्श की तरफ करें। 
  5. शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें।
  6. सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। 
  7. इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई रहेगी। 
  8. सिर को पीछे खींचते हुए छाती को भी आगे की तरफ निकालें। 
  9. सिर को सांप के फन की तरह खींचकर रखें। 
  10. ध्यान दें कि, कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें।  
  11. हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं। 
  12. शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें।
  13. इस दौरान, सांस की गति सामान्य बनाए रखें। 
  14. ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है।
  15. अभ्यास के बाद इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं। 
  16. मुद्रा को छोड़ने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस साइड पर लेकर आएं। 
  17. सिर को फर्श पर विश्राम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें।
  18. धीरे से सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से दो मिनट तक सांस लें। 

6. बिटिलासन (Bitilasana / Cow Pose)

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नियमित अभ्यास करने पर बिटिलासन रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को सुधारता है। ये शरीर में प्राण को सुधारता है और रीढ़ की हड्डी को मोड़ता है। इस आसन में लोअर बैक, मिडिल बैक, गर्दन और कंधों में टेंशन को दूर करने के गुण पाए जाते हैं।

बिटिलासन कोर मसल्स को मैक्सिमम टेंशन देकर मजबूत बनाता है। ये हाथों, कंधों और कलाई को मजबूत बनाने में मदद करता है। इस आसन से हिप ज्वाइंट, घुटने के ज्वाइंट, कंधों के जोड़ को मजबूत बनते हैं। ये पेट के भीतरी अंगों को मसाज देकर पाचन को भी सुधारता है।

बिटिलासन करने की विधि :

  1. फर्श पर योग मैट को बिछा कर अपने दोनों घुटनों को टेक कर बैठ जाएं।
  2. इस आसन को करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
  3. अब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें।
  4. दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने हिप्स (कूल्हों) को ऊपर उठायें।
  5. जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
  6. आपकी छाती फर्श के समान्तर होगी और आप एक गाय की तरह दिखाई देगें।
  7. अब आप एक लंबी सांस लें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं।
  8. अपनी नाभि को नीचे से ऊपर की तरफ धकेलें।
  9. इसी के साथ टेलबोन (रीढ़ की हड्डी का निचला भाग) को ऊपर उठाएं। 
  10. अब अपनी सांस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे की ओर झुकाएं।
  11. मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें।
  12. इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें।
  13. ध्यान रखें की इस मुद्रा में आपके हाथ झुकने नहीं चाहिए।
  14. अपनी सांस को लम्बी और गहरी रखें। 
  15. अपने सिर को पीछे की ओर करें और इस प्रक्रिया को दोहराहएं।
  16. इस क्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं। 

7. मालासन (Malasana / Garland Pose)

इनमें से कौन से आसन से रीढ़ की हड्डी में अच्छा स्ट्रेच आता है? - inamen se kaun se aasan se reedh kee haddee mein achchha strech aata hai?
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मालासन करते समय दोनों हाथ नमस्कार या प्रणाम की मुद्रा में होते हैं। इससे ये गले में पड़ी हुई माला का भ्रम देते हैं। इसीलिए इस आसन को मालासन कहा जाता है। मालासन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। किसी जमाने में खेत काटने वाले किसान इसी मुद्रा में बैठकर काम किया करते थे।

मालासन लोअर बैक के लिए अच्छा काम करता है। ये पीठ की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इसके नियमित अभ्यास से कमर और स्पाइन का मूवमेंट बेहतर बनता है। ये घुटने की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। 

मालासन न सिर्फ इनर थाइज बल्कि क्वाड्रिसेप्स, हैमस्टिंग, काव्स को टोन करता है। ये टांगों में रक्त संचार को बेहतर बनाता है और साइटिका, वेरिकोज वेन की समस्या को दूर करता है। ये सीने और कंधे के मूवमेंट को बेहतर बनाता है।

नियमित रूप से करने पर ये आसन कंधों को मजबूत और लचीला बनाता है। पेट की भीतरी मसल्स को अच्छी मसाज देता है। ये हिप्स को लचीला और मजबूत भी बनाता है। 

मालासन करने की विधि :

  1. योग मैट पर ताड़ासन में खड़े हो जाएं। 
  2. रीढ़ को खींचते हुए पेट को भीतर की ओर खींचें। 
  3. कंधों को ऊपर की तरफ खींचते हुए कुछ गहरी सांसें लें और छोड़ें।
  4. दोनों हाथों को नमस्ते या प्रणामासन की मुद्रा में लेकर आएं। 
  5. सीने को फुलाएं और सख्त बनाए रखें। 
  6. गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। 
  7. सांस छोड़ते हुए घुटनों के बल नीचे बैठ जाएं। 
  8. टांगें साथ रहेंगी लेकिन घुटनों के बीच अंतर रहना चाहिए। 
  9. जांघों को धीरे-धीरे फैलाएं।
  10. जांघों को शरीर की चौड़ाई से थोड़ा बाहर ले जाने का प्रयास करें। 
  11. सांस छोड़ते हुए आगे झुकें जिससे धड़ जांघों के बीच में फिट हो जाए।
  12. दोनों कु​हनियां इनर थाइज पर टिका दें।
  13. अब धड़ आराम से बाहर निकाल सकेगा। 
  14. भीतरी जांघों को धड़ के बगल से दबाएं। 
  15. बाहों को फैलाकर घुमाएं कि पिंडली बगल में फिट हो जाए।
  16. अब अपनी एड़ियों को पकड़ें।
  17. इस पोज को कुछ सेकेंड तक रोककर रखें।
  18. सांस ​भीतर खींचते हुए आसन को विराम दें।

कौन सा आसन रीढ़ के लिए फायदेमंद है?

रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ और इसमें होने वाली समस्याओं के खतरे को कम करने के लिए मत्सयासन का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है। यह रीढ़ की हड़्डी के आसपास की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाए रखने में सहायक है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को शरीर के बगल की ओर रखें।

रीढ़ की हड्डी को सीधा कैसे करें?

ताड़ासन – ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाएं। अब अपने कमर एवं गर्दन को सीधा रखें। अपने हाथ को सिर के ऊपर करें और सांस लेते हुए धीरे-धीरे पूरे शरीर को खींचें। खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें

रीढ़ की हड्डी को मजबूत कैसे करें?

कैल्शियम की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए डाइट में दूध, दही, पनीर, बटर, छाछ आदि चीजों को जरूर शामिल करें। इन चीजों के सेवन से रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। इसके अलावा, नारंगी, हरी सब्जियां, खट्टे फल, बीन्स और सूखे मेवे यानी ड्राई फ्रूट्स का जरूर सेवन करें

यह कौन सा आसन है जो रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है?

मार्जरीसन बहुत ही अच्छा आसन हैं जिससे आपके रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव पड़ता हैं यह खिंचाव आपके रीढ़ की हड्डी को लचीला बनने में मदद करता हैं इसके अलावा यह आसन रीढ़ की हड्डी को फ़ैलाने और मजबूत करने में भी मदद करता है।