इस दिन के बाद पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्या परिवर्तन आया? - is din ke baad pudukottee kee mahilaon ke jeevan mein kya parivartan aaya?

NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

जहाँ पहिया है Here is the CBSE Hindi Chapter 13 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi जहाँ पहिया है Chapter 13 NCERT Solutions for Class 8 Hindi जहाँ पहिया है Chapter 13 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

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'... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं ...”क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Solution

‘उन जंजीरों को तोड़ने का, जिनमें वे जकड़े हुए है, कोई न कोई तरीका लोग निकाल लेते हैं’ - इस वक्तव्य से हम पूर्णतया सहमत हैं क्योकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक समय तक बंधनों मे नहीं रह सकते। किसी-न-किसी चीज का सहारा पाकर उन बंधनों की जंजीरें अवश्य टूटती हैं और वे स्वच्छंदता को प्राप्त करते हैं। ठीक वैसे ही पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं के साथ भी हुआ। वे भी रूढ़िवादिता व पुरुष प्रधान समाज की जंजीरों में जकड़ी थीं-लेकिन साइकिल चलाने से उनके जीवन में इतना परिवर्तन आया कि उनका जीवन ही बदल गया। उनमें आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई इससे वे आत्मनिर्भर भी हो गईं। अब वे सभी कार्य आसानी से कर सकती हैं। पुरुष वर्ग भले ही कुछ भी कहे वे इसकी परवाह नहीं करतीं। साइकिल चलाना उनकी ‘आजादी का प्रतीक बन गया।

‘साइकिल आंदोलन’ से पुड़ुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

Solution

साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में निम्न बदलाव आए-
1. स्त्रियों में आत्मसम्मान की भावना जागृत हुई।
2. वे रूढ़िवादिता व पुरुषों द्वारा थोपे गए रोजमर्रा के घिसे-पिटे दायरे से बाहर निकल सकीं।
3. इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला अब उन्हें कहीं भी जाने हेतु किसी का मुँह नहीं ताकना पड़ता।
4. इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई वे अगल-बगल के गाँवों में भी उत्पाद बेचने जा सकती हैं।
5. अब महिलाओं के समय की भी बचत हो जाती थी जिससे वे सामान बेचने पर ध्यान केंद्रित कर पाती हैं।
6. उन्हें आराम करने का भी समय मिल जाता है।
7. साइकिल से घरेलू कार्यो को भी सुचारू रूप से करने में महिलाएँ सक्षम हो गई हैं जैसे घरेलू सामान लाना। बच्चों की देखभाल व पानी भरना आदि।
8. सबसे बड़ी बात वे साइकिल को अपनी ‘आजादी का प्रतीक’ मानती हैं।

शुरूआत में पुरुषों ने इस आदोलन का विरोध किया परंतु आर साइकिल के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

Solution

जब स्त्रियों ने बड़ी संख्या में साइकिल चलाना सीखना शुरू किया तो पुरुषों ने इसका विरोध किया क्यौंकि उन्हें डर था कि इससे नारी समाज में जागृति आ जाएगी। उन पर कई प्रकार के व्यंग्य भी किए जाते। लेकिन महिलाओं ने इनकी परवाह न करके साइकिल चलाना जारी रखा। धीरे-धीरे महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो ही गई।

एक साइकिल विक्रेता ‘आर साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन किया क्योंकि उसकी दुकान पर लेडिज साइकिल की बिक्री में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यहाँ तक कि जिन महिलाओं को लेडिज साइकिल नहीं मिल पाई थीं उन्होंने जेंटस साइकिलें ही खरीद लीं। दुकानदार द्वारा यह वक्तव्य बताना इस बात को प्रदर्शित करता है कि महिला साइकिल चालकों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है।

आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?

Solution

लेखक द्वारा पाठ का शीर्षक ‘जहाँ पहिया है’ रखना पूर्णतया उचित है क्योंकि पहिए को गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है और जब पुडुकोट्टई में महिलाओं द्वारा साइकिल आंदोलन चला तो उनका जीवन भी गतिशील हो गया। वे भी रूढ़िवादी विचारधाराओं के बंधनों को तोड़कर आधुनिकता व आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुई। इससे ही उनमें आत्मसम्मान की भावना भी जागृत हुई।

इस पाठ के अंत में दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।

Solution

पाठ के आधार पर फातिमा के यही विचार हैं कि साइकिल चलाना महिलाओं के आत्मसम्मान व आर्थिक संपन्नता को तो बढ़ावा देता ही है साथ ही साथ आजादी और खुशहाली का अनुभव भी करवाता है। जबकि इस कविता में इस बात को दर्शाया गया है कि दुख हो या सुख लड़कियाँ हर हाल में खुश रहती हैं। पिता के कंधों का भार अपने कंधों पर उठाने की हिम्मत रखती हैं। पिता की मृत्यु के पश्चात् माँ को संभालने की शक्ति भी उनमें होती है। वे अपने पूर्वजों का नाम ऊँचा उठाती हैं। उदास राहों पर भी खुशियाँ ढ़ुँढने की क्षमता रखती हैं। धूप, बारिश व हर मौसम अर्थात् हर परिस्थिति में खुश रहती हैं।

‘साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन’ इससे आप क्या समझते हैं?

Solution

आंदोलन का अर्थ है क्रांति अर्थात् एक चाह या लगन जिसे पूरा करके ही दम लिया जाए और जिसमें समाज का अधिकाधिक भाग हिस्सा ले। ऐसा हुआ तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले में जिसमें महिलाओं ने ऐसा आदोलन चलाया कि साइकिल चलाने की होड़ ही हो गई। लगभग सभी महिलाएँ रूढ़िवादी विचारधाराएँ व पिछड़ेपन को छोड़कर साइकिल चलाना सीखकर स्वच्छंदता व गतिशीलता की ओर बढ़ना चाहती थी इसीलिए इसे सामाजिक आंदोलन का नाम दिया गया।

साइकिल चलाने से संबंधित कैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया?

Solution

साइकिल चलाने से संबंधित ‘प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता’ आदि सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया प्रदर्शन में महिलाएँ साइकिल चलाने के विभिन्न प्रकार के कौशल दिखाती हैं व प्रतियोगिता में हर महिला साइकिल चालक सबसे आगे निकल जाना चाहती है। इससे महिलाओं में साइकिल चलाने के प्रति रुचि व उत्साह बढ़ा और यहां का एक चौथाई महिला वर्ग साइकिल चलाने में सक्षम हो गया।

‘साइकिल ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया’-कैसे?

Solution

महिलाओं का मानना है कि साइकिल चलाने से उनमें आत्मनिर्भरता का विकास हुआ है। अब उन्हें अपने कार्यों हेतु पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना, पानी भरना, सामान ढोना ये सारे कार्य वे आसानी से साइकिल द्वारा कर लेती हैं। कई बार तो बच्चे भी उनके साथ होते हैं।

महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति कैसे मिली?

Solution

शुरू-शुरू में जब महिलाओं ने साइकिल चलानी शुरू की तो लोगों ने गंदी-गंदी टिप्पणियाँ कसीं क्योंकि पुडुकोट्टई की पृष्ठभूमि रूढ़िवादी विचारधाराओं व पिछड़ेपन की शिकार थीं, यहाँ महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता न थी। साइकिल चलाने हेतु महिलाएँ दृढ़ रहीं उन्होंने किसी के कुछ भी कहने की परवाह न की इसीलिए धीरे-धीरे साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति मिली।

साइकिल चलाने का आंदोलन कैसा था?

Solution

तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले के किलाकुरुचि गाँव में साइकिल प्रशिक्षण शिविर देखने का अनुभव असाधारण था। एक बड़ी संख्या में औरतें साइकिल सीखने हेतु एकत्र हुईं। जो महिलाएँ साइकिल चलाना सीख चुकी थीं वे दूसरों को भी सीखने में पूरा पूरा सहयोग दे रही थीं। सीखने-सिखाने की प्रबल इच्छा जागृत थी। वे नव साइकिल चालक संबंधी गीत भी गा रही थीं जिससे दूसरों को प्रोत्साहन मिले। इस प्रकार यह कार्य एक आदोलन का रूप ग्रहण कर चुका था।

आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। महिलाएँ अब पहले से अधिक स्वतंत्र हो गई हैं। कहीं आने जाने के लिए अब वे घर के पुरुषों की मोहताज नहीं हैं। अब उनके पास खाली समय भी बच पाता है क्योंकि साइकिल के इस्तेमाल से कहीं आने जाने में समय की बचत होती है।

साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के जीवन में क्या बदलाव आया?

साइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है, यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। फातिमा का कहना है-“बेशक, यह मामला केवल आर्थिक नहीं है।” फातिमा ने यह बात इस तरह कही जिससे मुझे लगा कि मैं कितनी मूर्खतापूर्ण ढंग से सोच रहा था। उसने आगे कहा-“साइकिल चलाने से मेरी कौन सी कमाई होती है। मैं तो पैसे ही गँवाती हूँ।

पुडुकोट्टई की महिलाओं ने पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कौन सा आंदोलन चलाया *?

नागरिकों का संबंध हो, किन्तु इससे यही प्रकट होता है कि जाति और निर्धनता दोनों ही नगारिकों के पिछड़ेपन का अवधारण करने में सुसंगत हैं । "

पुडुकोट्टई में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर क्या तूफान आया?

उत्तर – 1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हैंडल पड़ झाड़ियाँ लगाए, घंटियाँ बजाते हुए साइकिल पर सवार 1500 महिलाओं ने पुडुकोट्टई में तूफ़ान ला दिया। महिलाओं की साइकिल चलाने की इस तैयारी ने यहाँ रहनेवालों को हक्का – बक्का कर दिया।