जीजी ने रूठे लेखक को कैसे मनाया? - jeejee ne roothe lekhak ko kaise manaaya?

जीजी ने रूठे लेखक को किस प्रकार मनाने का प्रयास किया? उसने क्या बात समझाई?


जीजी लेखक के मुँह में मठरी डालती हुई बोलीं, “देख बिना त्याग के दान नहीं होता। अगर तेरे पास लाखों-करोड़ों रुपए हैं और उसमें से तू दो-चार रुपए किसी को दे दे तो यह क्या त्याग हुआ। त्याग तो वह होता है कि जो चीज तेरे पास भी कम है जिसकी तुझको भी जरूरत है तो अपनी जरूरत पीछे रख कर दूसरे के कल्याण के लिए उसे दे तो त्याग तो वह होता है दान तो कह होता है उसी का फल मिलता है।”

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‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?


वास्तव में तो पानी की ही माँग की जाती है। ‘गुड़धानी’ शब्द तो इसके साथ जोड़ दिया गया है। पानी बरसेगा तभी खेतों में ईख और धान उत्पन्न होगा। ईख से गुड बनेगा और गड़धानी तैयार हो पाएगी।

‘गुड़धानी’ का अर्थ पाठ के संदर्भ में अनाज से है। बच्चे मेघों से पानी की माँग भी करते हैं। इसका कारण यह है कि बारिश से प्यास तो बुझती है पर पेट भरने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है। अत: वे वर्षा के साथ गुड़धानी (अनाज) की भी माँग करते हैं।

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‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?


इंदर सेना गाती है?

काले मेधा पानी दे

गगरी फूटी बैल पियासा

पानी दे, गुड़धानी दे

काले मेघा पानी दे।

इंदर सेना के इस खेल गीत में इंद्र को यह बताया जाता है कि पानी के अभाव में घरों की गगरियाँ फूटने की स्थिति मैं आ गई हैं और बैल (पशु) प्यासे मर रहे हैं अर्थात् मनुष्यों तथा पशुओं सभी को पानी की आवश्यकता है। वे इंद्र से पानी माँगने का कारण स्पष्ट करते हैं। ग्रामीण जीवन में बैलों का अहम् रोल है। बैल ही कृषि का आधार हैं यदि वे प्यासे हैं तो कृषि-कार्य ठीक ढंग से नहीं हो सकता। यदि कृषि ठीक ढंग से नहीं हुई तो जीवन सुखी कैसे रह मकता है? कृषि प्रधान समाज में बैलों का महत्त्व सर्वोपरि है।

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लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?


गाँव के जो लोग उन लडुकों के नंगे शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उसके कारण गली में होने वाली कीचड़ से चिढ़ते थे, वे इन लड़की की टोली को ‘मेढक मंडली’ कहकर पुकारते थे।

लड़कों की यह टोली अपने आपको ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। इनका कहना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं और उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरस कर हम सब को पानी दे सकें। ये लड़के नंगे बदन (सिर्फ जाँघिया या लंगोटी पहनकर) लोगों से यह कहकर पानी. माँगते-”पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।”

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इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?


वर्षा के न होने पर गाँव के लड़के इंदर सेना के रूप मे एकत्रित होते हैं और उनका पहला जयकारा लगता है-’बोल गंगा मैया की जय’। यह इदर सेना गंगा मैया की जय दो कारणों ‘से बोलती है-

1. गंगा मैया को हमारे भारतीय जन-जीवन में विशेष आदर-सम्मान प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले उसका स्मरण किया जाता है।

2. गंगा पवित्र जल को भंडार है। इंद्र से भी जल बरसाने की प्रार्थना की जाती है-’काले मेघा पानी दे’। अत: दोनों का संबंध जल से है।

- भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में नदियों को विशेष स्थान दिया गया है। हमारी संस्कृति में नदियों को पूज्य माना है तथा माँ की मान्यता दी गई है। नदियों के तट पर हमारे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हुए। प्रमुख औद्योगिक बस्तियाँ, धार्मिक नगर इन नदियों के तट पर ही बसे हैं। नदियों को भारतीय संस्कृति में मोक्षदायिनी माना गया है। नदियों में गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है।

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जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?


लेखक की दृष्टि के विपरीत जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को बिल्कुल सही ठहराया। उसका तर्क था:

- किसी से कुछ पाने के लिए पहले उसे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। हम यह पानी का अअर्घ्यचढ़ाते हैं। जो चीज हम पाना चाहते हैं, उसे पहले देंगे नहीं तो पाएँगे कैसे?

- पहले त्याग करो फिर फल पाने की आशा करो। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है जिसकी तुम्हें भी बहुत अवश्यकता है। पानी की भी यही स्थिति है।

- जीजी ने खेत में गेहूँ की अच्छी फसल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर भी अपनी बात-इंदर सेना पर पानी फेंके जाने-को सही ठहराया।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
लेकिन इस बार मैंने साफ इनकार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भर कर पानी इस गंदी मेढक-मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भर कर पानी ले गईं उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लहू-मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले वे भी तमतमाई, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया। पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, “देख भइया रूठ मत। मेरी बात सुन। यह सब अंधविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमे पानी कैसे देंगे? “मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं। “तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्घ्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।”
1.  लेखक ने किस बात से इनकार कर दिया?
2.  जीजी ने रूठे लेखक को किस प्रकार मनाया?
3.  जीजी ने अपनी बात के पक्ष में क्या तर्क दिए?
4.  वह पानी देने को क्या बताती रही?


1. लेखक न जीजी की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस बार वह इस इंदर सेना। (मेंढक मंडली) के ललड़कोंपर बाल्टी भरकर पानी नहीं फेंकेगा।
2. लेखक मुँह फुलाकर रूठ गया। जीजी ने उसे मनाने के लिए शाम को लट्टू-मठरी खाने को दिए पर लेखक ने उन्हे खाया नहीं। फिर वह लेखक के सिर पर हाथ फेरकर समझाने का प्रयास करती रही।
3. जीजी ने अपनी बात के पक्ष में यह तर्क दिया, यदि हम इन लडुकों को पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैच देंगे। पहले कुछ दिया जाता है तभी तो पाने की आशा की जाती है।
4. जीजी पानी देने को भगवान को अअर्घ्यचढ़ाना बताती रही। यह अअर्घ्यचढ़ाना पानी की बर्बादी न होकर हमारी पूजा है। मनुष्य जो चीज पाना चाहता है, उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? ऋषि-मुनियों ने भी दान की महिमा का बखान किया है।

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इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?


वर्षा के न होने पर गाँव के लड़के इंदर सेना के रूप मे एकत्रित होते हैं और उनका पहला जयकारा लगता है-’बोल गंगा मैया की जय’। यह इदर सेना गंगा मैया की जय दो कारणों ‘से बोलती है-

1. गंगा मैया को हमारे भारतीय जन-जीवन में विशेष आदर-सम्मान प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले उसका स्मरण किया जाता है।

2. गंगा पवित्र जल को भंडार है। इंद्र से भी जल बरसाने की प्रार्थना की जाती है-’काले मेघा पानी दे’। अत: दोनों का संबंध जल से है।

- भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में नदियों को विशेष स्थान दिया गया है। हमारी संस्कृति में नदियों को पूज्य माना है तथा माँ की मान्यता दी गई है। नदियों के तट पर हमारे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हुए। प्रमुख औद्योगिक बस्तियाँ, धार्मिक नगर इन नदियों के तट पर ही बसे हैं। नदियों को भारतीय संस्कृति में मोक्षदायिनी माना गया है। नदियों में गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है।

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‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?


वास्तव में तो पानी की ही माँग की जाती है। ‘गुड़धानी’ शब्द तो इसके साथ जोड़ दिया गया है। पानी बरसेगा तभी खेतों में ईख और धान उत्पन्न होगा। ईख से गुड बनेगा और गड़धानी तैयार हो पाएगी।

‘गुड़धानी’ का अर्थ पाठ के संदर्भ में अनाज से है। बच्चे मेघों से पानी की माँग भी करते हैं। इसका कारण यह है कि बारिश से प्यास तो बुझती है पर पेट भरने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है। अत: वे वर्षा के साथ गुड़धानी (अनाज) की भी माँग करते हैं।

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जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?


लेखक की दृष्टि के विपरीत जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को बिल्कुल सही ठहराया। उसका तर्क था:

- किसी से कुछ पाने के लिए पहले उसे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। हम यह पानी का अअर्घ्यचढ़ाते हैं। जो चीज हम पाना चाहते हैं, उसे पहले देंगे नहीं तो पाएँगे कैसे?

- पहले त्याग करो फिर फल पाने की आशा करो। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है जिसकी तुम्हें भी बहुत अवश्यकता है। पानी की भी यही स्थिति है।

- जीजी ने खेत में गेहूँ की अच्छी फसल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर भी अपनी बात-इंदर सेना पर पानी फेंके जाने-को सही ठहराया।

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‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?


इंदर सेना गाती है?

काले मेधा पानी दे

गगरी फूटी बैल पियासा

पानी दे, गुड़धानी दे

काले मेघा पानी दे।

इंदर सेना के इस खेल गीत में इंद्र को यह बताया जाता है कि पानी के अभाव में घरों की गगरियाँ फूटने की स्थिति मैं आ गई हैं और बैल (पशु) प्यासे मर रहे हैं अर्थात् मनुष्यों तथा पशुओं सभी को पानी की आवश्यकता है। वे इंद्र से पानी माँगने का कारण स्पष्ट करते हैं। ग्रामीण जीवन में बैलों का अहम् रोल है। बैल ही कृषि का आधार हैं यदि वे प्यासे हैं तो कृषि-कार्य ठीक ढंग से नहीं हो सकता। यदि कृषि ठीक ढंग से नहीं हुई तो जीवन सुखी कैसे रह मकता है? कृषि प्रधान समाज में बैलों का महत्त्व सर्वोपरि है।

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लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?


गाँव के जो लोग उन लडुकों के नंगे शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उसके कारण गली में होने वाली कीचड़ से चिढ़ते थे, वे इन लड़की की टोली को ‘मेढक मंडली’ कहकर पुकारते थे।

लड़कों की यह टोली अपने आपको ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। इनका कहना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं और उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरस कर हम सब को पानी दे सकें। ये लड़के नंगे बदन (सिर्फ जाँघिया या लंगोटी पहनकर) लोगों से यह कहकर पानी. माँगते-”पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।”

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जीजी के लिए लेखक को क्या काम करने पड़ते थे?

लेखक जिन कामों को अंधविश्वास कहता फिरता था, जीजी की खुशी के लिए उसे वे ही काम करने पड़ते थे। उसे सारे पूजा-पाठ, अनुष्ठान पूरे करने पड़ते थे। वह दीवाली पर कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाता था, जन्माष्टमी पर झाँकी सजाता था और पंजीरी बाँटता था। हर-छठ पर कुलियों में भूजा भरता था।

जीजी ने शाम को लेखक को क्या खाने को दिया?

फिर जीजी बोलीं, “देख तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा। पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर ज़मीन में क्यारियाँ बना कर फेंक देता है ।

जीजी ने दान के संबंध में लेखक को क्या समझाया?

उत्तर: इंद्र सेना में दस से बारह वर्ष एवं सोलह से अठारह वर्ष के लड़के शामिल थे। 1. लोग लड़कों की टोली को क्या कहते थे? तथा लड़के अपनी टोली को किस नाम से बुलाते थे? उत्तर: लोग लड़कों की टोली को मेंढक मंडली के नाम से बुलाते थे तथा लड़के अपनी टोली को इंद्र सेना कहकर बुलाते थे।

जब लेखक जीजी से नाराज हो गया तब जीजी ने उन्हें मनाने के लिए क्या दिया?

लेखक को पानी की यह बर्बादी पसंद नहीं थी। वह अपनी जीजी को ऐसा करने से मना करता था। तब जीजी ने समझाया कि मनुष्य जब स्वयं त्याग करता है, तो वह ईश्वर को विवश कर देता। ईश्वर उसके त्याग से प्रसन्न होकर उसे इनाम देते हैं।