जिला परिषद के मुखिया को क्या कहते हैं - jila parishad ke mukhiya ko kya kahate hain

ऊ0     मुखिया/ उप-मुखिया जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर, अपने पद से त्याग-पत्र दे सकेगा। प्रत्येक त्याग-पत्र, जिला पंचायत राज पदाधिकारी को उसकी प्राप्ति की तिथि से सात दिनों की समाप्ति पर प्रभावी हो जाएगा यदि सात दिनों की इस अवधि में वह जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं लिखकर अपना त्याग-पत्र वापस न ले लें।

पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है।[1] इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद्, गुजरात में तालुका पंचायत और कर्नाटक में मंडल पंचायत के नाम से जाना जाता है।

जिला परिषद के मुखिया को क्या कहते हैं - jila parishad ke mukhiya ko kya kahate hain

भारत की प्रशासनिक प्रणाली

आम तौर पर, क्षेत्रवार चुने गए सदस्यों और खंड विकास अधिकारी, अन्यथा अपूर्वदृष्ट सदस्यों (अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला प्रतिनिधि), सह-सदस्य (उदाहरण के लिए उस क्षेत्र का बड़ा किसान, सहकारी समितियों के प्रतिनिधि और कृषि विपणन सेवा क्षेत्र से) तथा जिला परिषद के लिए तहसील स्तर पर चुने गये सदस्य मिलकर पंचायत समिति का निर्माण होता हैं।[2]

इस समिति का चुनाव पाँच वर्षों से होता है और इसके अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव, चुने हुये सदस्य मिलकर करते हैं।[2] इसके अलावा अन्य सभी पंचायत समितियों पर्यवेक्षण के लिए एक सरपंच समिति भी होती है।

मंडल परिषदों की संरचना

मंडल परिषद् का निर्माण राजस्व मंडल से इस प्रकार होता है कि मंडल परिषद् और राजस्व मंडल का दायरा लगभग समान होता है। मंडल परिषद् निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनी होती है::

  • मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र सदस्य।
  • विधायक मंडल में क्षेत्राधिकार रखते हैं।
  • लोकसभा सदस्य मंडल में क्षेत्राधिकार रखते हैं।
  • मंडल के वो मतदाता जो राज्य परिषद् के सदस्य हैं।
  • अल्पसंख्यक वर्ग से सहयोजित एक सदस्य।
  • मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र सदस्य, जिनका चुनाव सीधा मतदाता करते हैं और इन सदस्यों द्वारा चुना गया मंडल अध्यक्ष। पाँच वर्ष के लिए चुने गये सदस्य, इनका चुनाव राजनीतिक दल के आधार पर किया जाता है। इन चुनावों का संचालन राज्य चुनाव आयोग करता है।

सम्बंधित मंडल के गाँवों के सभी सरपंच, मंडल परिषद् बैठकों के स्थायी आमंत्रित सदस्य होते हैं।

पंचायत समिति में सामान्यतः निम्न विभाग सर्वत्र पाये जाते हैं:[1]

  1. प्रशासन
  2. वित्त
  3. लोक निर्माण कार्य (विशेष रूप से पानी और सड़कें)
  4. कृषि
  5. स्वास्थ्य
  6. शिक्षा
  7. समाज कल्याण
  8. सूचना प्रौद्योगिकी
  9. महिला एवं बाल विकास

पंचायत समिति में प्रत्येक विभाग का अपना एक अधिकारी होता है, अधिकतर ये राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सरकारी कर्मचारी होते हैं जो अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह कार्य करते हैं लेकिन कभी-कभी अधिक राजस्व वाली पंचायत समिति में ये स्थानीय कर्मचारी भी हो सकते हैं। सरकार नियुक्त प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) इन अतिरिक्त कार्यभार अधिकारियों और पंचायत समिति का पर्यवेक्षक होता है और वास्तव में सभी कार्यों का प्रशासनिक मुखिया होता है।[3]

पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर द्वारा तैयार किये गयी सभी भावी योजनाओं को संग्रहीत करती है और उनका वित्तीय प्रतिबद्धता, समाज कल्याण और क्षेत्र विकास को ध्यान में रखते हुये लागू करवाती है तथा वित्त पोषण के लिए उनका क्रियान्वयन करती है।

पंचायत समिति की आय निम्न तीन स्रोतों से होती है:[4][5][6]

  1. जल उपयोग एवं भूमि कर, पेशेवर कर, शराब कर और अन्य
  2. आय सृजन कार्यक्रम
  3. राज्य सरकार और स्थानीय जिला परिषद से सहायता अनुदान और ऋण
  4. स्वैच्छिक योगदान

अधिकतर पंचायत समितियों की आय का स्रोत राज्य सरकार द्वारा दिया गया अनुदान होता है। अन्य स्रोतों से पारम्परिक कार्यक्रम बहुत बड़ा राजस्व प्राप्त करने का स्रोत होता है। राजस्व कर सामान्यतः ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति में साझा किया जाता है।[4][6]

जिला पंचायत या जिला विकास परिषद या मंडल परिषद या जिला पंचायत पंचायती राज व्यवस्था का तीसरा स्तर है और सभी राज्यों में जिला स्तर पर कार्य करता है। जिला परिषद एक निर्वाचित निकाय है। जिला परिषद में प्रखंड पंचायत के प्रखंड प्रमुख का भी प्रतिनिधित्व है. राज्य विधानमंडल के सदस्य और भारत की संसद के सदस्य जिला परिषद के सदस्य हैं। जिला पेरिस और राज्य सरकार और ग्राम स्तर की ग्राम पंचायत के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।

जिला परिषद पंचायत राज संस्थाओं में शीर्ष या जिला स्तर पर पंचायतें हैं, और ग्राम पंचायत पंचायती राज संस्थाओं में ग्राम स्तर पर आधार इकाई है।

राजस्थान में पंचायती राज लोक-प्रशासन व्यवस्था की सर्वोच्च सभा, जिसमें ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों से सदस्यों का चुनाव किया जाता है।

ग्राम पंचायत को अंग्रेजी में Village Panchayat ( विलेज पंचायत) कहते हैं. पंचायत संज्ञा है. ग्राम पंचायत को कुछ लोग Rural Government ( रूलर गवर्नमेंट) कहते हैं. ग्राम पंचायत को पंचायती राज भी कहते हैं. 

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1 जिला परिषद को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

2 मुखिया अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

3 सरपंच को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

4 पंचायत समिति सदस्य को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

5 पंच और वार्ड सदस्य को अंग्रेजी भाषा में क्या कहते हैं?

6 Conclusion Point

जिला परिषद को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

जिला परिषद को अंग्रेजी में District Council (डिस्टिक काउंसिल) कहते हैं. जिला परिषद के सदस्य को District Council Member (डिस्टिक काउंसिल मेंबर) कहा जाता है. 

मुखिया अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

मुखिया को अंग्रेजी भाषा में Chief (चीफ) कहा जाता है. कुछ लोग मुखिया को ग्राम पंचायत का चीफ मिनिस्टर कहते हैं. 

मुखिया को अंग्रेजी में Panchayat Principal (पंचायत प्रिंसिपल) भी कहा जाता है. 

सरपंच को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

ग्राम पंचायत के प्रधान को सरपंच कहा जाता है. जो भारत का पहला एवं निम्न स्तर का न्यायालय होता है. 

ग्राम पंचायत के सरपंच को अंग्रेजी भाषा में Umpire (अंपायर) या Head Man of the Jury (हैडमैन ऑफ जूरी) कहां जाता है. 

पंचायत समिति सदस्य को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

पंचायत समिति को अंग्रेजी में Panchayat Committee (पंचायत कमेटी) कहा जाता है. 

पंचायत समिति के सदस्य को अंग्रेजी भाषा में Panchayat Committee Member (पंचायत कमेटी मेंबर) कहते हैं. 

पंच और वार्ड सदस्य को अंग्रेजी भाषा में क्या कहते हैं? 

पंच को अंग्रेजी भाषा में Arbitrator (आरबीट्रेडर) / Jury Member (जूरी मेंबर) कहते हैं. वार्ड सदस्य को अंग्रेजी भाषा में Ward Member (वार्ड मेंबर) कहा जाता है. 

Conclusion Point 

ग्राम पंचायत में मुख्य तौर से यह 6 पद होते हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं और उनके आगे उनका अंग्रेजी नाम है.