जान से मारने की धमकी देने पर कौन सी सजा मिलती है? - jaan se maarane kee dhamakee dene par kaun see saja milatee hai?

अगर आप किसी को देख लेने की धमकी देते हैं, तो सावधान हो जाइए. ऐसी धमकी देने पर आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है. साथ ही जुर्माना भरना पड़ सकता है. भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 503 के तहत किसी को देख लेने की धमकी देना क्राइम है. ऐसा करने पर आईपीसी की धारा 506 के तहत दो साल से लेकर सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.

अगर आप किसी के शरीर, प्रतिष्ठा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देते हैं, तो आपको दो साल की सजा हो सकती है. इसके साथ ही आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा अगर आप किसी को जान से मारने या आग लगाकर किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या फिर किसी महिला के चरित्र पर लांछन लगाने की धमकी देते हैं, तो आपको सात साल तक की सजा हो सकती है.

आईपीसी की धारा 506 के मुताबिक अगर कोई ऐसा अपराध करने की धमकी देता है, जो मृत्यु या आजीवन कारावास या फिर सात साल तक के कारावास से दंडनीय है, तो भी धमकी देने वाले को सात साल की जेल की सजा हो सकती है. साथ ही ऐसी धमकी देने वाले पर जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि किसी के लिए गंदी भाषा का इस्तेमाल करने या फिर गाली देने को धमकी नहीं माना जाता है.

उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश राज्य में तो देख लेने की धमकी देने को गैर जमानती अपराध बनाया है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में किसी को देख लेने की धमकी दी जाती है, तो यह गैर जमानती अपराध होगा. ऐसी धमकी देने वाले को न्यायालय से ही जमानत मिलेगी.

26 अप्रैल 2019 को विक्रम जोहर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ गंदी गाली देने को धमकी नहीं माना जा सकता है. अगर कोई किसी को गाली देता है या फिर उसके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता है, तो आईपीसी की धारा 506 के तहत उसको दंडित नहीं किया जा सकता है. हालांकि गाली देने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल करने वाले के खिलाफ आईपीसी की दूसरी धाराओं के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

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जान से मारने की धमकी (धारा 506) और आर्म्स एक्ट (धारा 25) के जिला कोर्ट में लंबित प्रकरण इस बार वापस नहीं होंगे। इस संदर्भ में इंदौर जिला अभियोजन कार्यालय ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। शासन के इस निर्णय जिला कोर्ट में केसों की पेंडेंसी बढ़ेगी। अभी यहां सभी तरह के 40 हजार 446 प्रकरण लंबित हैं।

दरअसल अदालतों में लंबित प्रकरणों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य शासन ने छोटी धाराओं के प्रकरण वापस लेने का निर्णय लिया था, ताकि पेंडेंसी कम हो सके। इसके लिए नियमावली बनाई थी, जिसमें जो छोटे केस सालों से चल रहे। गवाह नहीं आने से तारीख बढ़ती जा रही। आरोपियों या गवाहों के पता बदल जाने से समन या वारंट वापस आ रहे, ऐसे प्रकरण वापस लिए जाएं।

इन धाराओं के केस वापस लेने का था प्रावधान- 323 (मामूली मारपीट), 294 (गाली गलौज), 506 (जान से मारने की धौंस), 283 (लापरवाही से वाहन खड़े करना), 279 लापरवाही से वाहन चलाना, 25 आर्म्स एक्ट (चाकू या पिस्टल आदि हथियार जब्त करना), 13 जुआ एक्ट (जुआ -सट्टा), 25 पुलिस एक्ट (लावारिस हालत में मिली छुटपुट वस्तुएं) आदि धाराएं तय की थीं। 10-12 साल से इन धाराओं के केस वापस लिए जाते रहे हैं।

हाल ही में हमने नोएडा की दो सोसायटी में गाली गलौच के मामले देखे हैं. इसके बाद दोनों ही मामलों में आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा. इन मामलों ने काफी तूल भी पकड़ा. हमारे रोजाना के जीवन में गाली-गलौच, अभद्रता, बदसलूकी के बहुत से मामले आसपास देखने को मिलते हैं. कई बार ये इतने बढ़ जाते हैं कि इसमें अप्रिय स्थितियां और बड़ा विवाद पैदा हो जाता है. इन मामलों में धमकियां देना भी आम बात होती है.

अक्सर देखने में आता है कि एक ही कॉलोनी या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग विवाद होने पर ना केवल एक दूसरे को गालियां देने लगते हैं बल्कि अपने परिचितों को बुलाकर मारने और मरवाने की धमकियां भी देने लगते हैं.

इस तरह की घटनाओं को या तो नजरंदाज कर दिया जाता है या फिर सुलह समझौते के बाद बात को खत्म करने की कोशिश की जाती है. अगर कानून की नजर से देखें तो अश्लील गालियां देना, बदसलूकी करना और जान से मारने की धमकी देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वालों पर संगीन मुकदमा दर्ज हो सकता है.

अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गालियां देता है या भारत के अंदर फोन करके जान से मारने या किसी भी प्रकार की धमकियां देता है तो भारतीय दंड संहिता (ipc) के तहत किसी को धमकी देना या उकसाना एक अपराध की श्रेणी में आता है जिसमे आप उसे जेल करवा सकते है।

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भारतीय दंड संहिता की धारा, 1860 के अनुसार

भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 503,504 और 506 के तहत सज़ा का प्रावधान किया गया है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 503 के तहत

1.) अगर कोई व्यक्ति किसी महिला या पुरुष को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकियां देता है।

2.) अगर कोई व्यक्ति किसी महिला या पुरूष की समाज में इज्जत प्रतिष्ठा मान-सम्मान को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है।

3.) अगर किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है।

4.) अगर कोई व्यक्ति किसी को ऐसी धमकी देता है जो कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है।

धारा 503 अंतर्गत मिलने वाली सजा

इसके तहत धमकी देने वाले व्यक्ति को सामान्य अपराध के लिए धमकी देने पर 2 वर्ष की कारावास या अर्थदंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

अगर धमकी किसी ऐसे अपराध के लिए है जो जान से मारने अथवा किसी जघन्य अपराध के लिए दिया जा रहा है तो उसके फलस्वरूप उसे 7 वर्ष की सजा या अर्थदंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के अनुसार

अगर कोई भी व्यक्ति अन्य किसी व्यक्ति का अपमान करता है या गालियां देता है ऐसी कोई भी चीज कहता है जिससे कि वह व्यक्ति जानता है कि ऐसा बोलने से सामने वाला व्यक्ति गुस्से में आकर कोई भी ऐसा अपराध कर सकता है तो…

ऐसे में जो भी व्यक्ति उसे अपमानित करता है उसके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के तहत कार्रवाई की जाती है।

धारा 504 के तहत मिलने वाली सजा

इसके तहत उकसाने या अपमानित करने वाले व्यक्ति को 2 साल के लिए कारावास हो सकती है या आर्थिक दंड दिया जा सकता है अथवा दोनों से साथ में दंडित किया जा सकता है।

” यह एक गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है जिसमें जमानत की व्यवस्था मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है।”

इस अपराध में व्यक्ति चाहे तो मजिस्ट्रेट के सामने पीड़ित व्यक्ति से समझौता कर सकता है।

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भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत

अगर कोई भी व्यक्ति आपको सामने से या फोन करके धमकी देता है या आपको जान से मारने की धमकी देता है या फिर किसी भी तरह की धमकी देता है जो अपराध की श्रेणी में आता है तो ऐसे में आप उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।

धारा 506 के तहत सज़ा

“इसके तहत धमकी देने वालों को 2 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है ।”

लेकिन अगर धमकी की प्रवृत्ति जघन्य अपराधों के लिए है जिसकी भारतीय दंड संहिता में 7 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है तो धमकी देने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है या अर्थदंड अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

इस धारा में गवाहों की आवश्यकता नहीं होती है अगर पीड़ित कोर्ट में यह साबित कर देता है कि जघन्य अपराधों के लिए उसे धमकी दी गई है तो अपराधी पर धारा 302 और 307 के तहत हत्या का मुकदमा चलता है।

जिसमें अपराधी को उम्र कैद या मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।

” इस तरह का अपराध गैर-संज्ञेय होता है जिसमें जमानत की व्यवस्था का प्रावधान है।”

इस अपराध में व्यक्ति चाहे तो मजिस्ट्रेट के सामने पीड़ित व्यक्ति से समझौता कर सकता है।

इसलिए आगे से अगर आप किसी को अगर धमकी देते है तो ध्यान रहे आप कानून का उल्लंघन कर रहे है जिसके लिए आपको सजा भी हो सकती है।

किसी को जान से मार देने पर कौन सी धारा लगती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 यह स्पष्ट रूप से कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा.

किसी को जान से मारने पर कितने साल की सजा होती है?

कोई भी व्यक्ति अगर हत्या का दोषी साबित होता है तो उसपर आईपीसी की धारा 302 लगाई जाती है. इस धारा के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है.

मारने की कोशिश में कौन सी धारा लगती है?

उनमें से ही एक है, भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 307 इसमें एक आरोपी को किसी व्यक्ति की हत्या करने की कोशिश के लिए सजा का प्रावधान दिया गया है। यह भारतीय दंड संहिता यानि आई. पी. सी.

धारा 506 में जमानत कैसे मिलती है?

क्या आपको आपराधिक धमकी मामले में जमानत मिल सकती है? चूंकि धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी का अपराध एक जमानती अपराध है, अगर आपको इस अपराध के लिए आरोपित किया जाता है तो जमानत मिलना सही का मामला है। पुलिस आपको जमानत भी दे सकती है और यदि नहीं, तो मजिस्ट्रेट से संपर्क किया जा सकता है।