कर्मपाल गिल, जींद Show
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आने वाला जींद करीब 180 साल तक रजवाड़ाशाही के अधीन रहा। 1767 ईस्वी में पंजाब के बहुत बड़े भाग पर सिखों द्वारा स्थापित 12 मिसलों में एक फुलकियां मिसल भी थी। इस मिसल का नाम इसके संस्थापक चौधरी फूल के नाम से पड़ा था। फुलकियां मिसल में पटियाला, नाभा व जींद रियासत शामिल थी। इतिहासकार रामशरण युयुत्सु बताते हैं कि जब सिखों के एक भाग पर जिया खान ने हमला किया तो सरहिद प्रांत के अफगान राज्यपाल को सन 1763 में गजपत सिंह ने मार दिया। इसलिए गजपत सिंह को जींद, सफीदों, रोहतक, बाजीदपुर, पानीपत तथा करनाल का इलाका मिला। लेकिन कुछ समय बाद दिल्ली के बादशाह को जींद के शासक द्वारा खैरात देने में असमर्थ रहने के कारण राजा गजपत सिंह को करनाल और पानीपत से हाथ धोना पड़ा। युयुत्सु बताते हैं कि 1775 ईस्वी में दिल्ली के हाकिम अब्दुल हद खान ने फ्रांसीसी फौजी अफसर की अगुवाई में जींद पर हमला करवा दिया। इस लड़ाई में फुलकियां रियासत के राजाओं ने पटियाला रियासत के दीवान नानूमल की अगुवाई में अपनी सेना भेजकर फ्रांसीसी अफसर को करारी शिकस्त दी। इस अपमान का बदला लेने के लिए दिल्ली के हाकिम खांदले मुगलिया ने दोबारा 1775 ईस्वी में रहीम दाद खां को भेजा। उसने जींद पर हमला बोल दिया और घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में भारी तबाही मची, लेकिन आखिर में हाकिम हांसी रहीम दाद खां मारा गया। उसकी बाकी बची फौजी दिल्ली की ओर भाग गई। जिससे राजा गजपत सिंह का हौसला बढ़ गया। उसने पटियाला की फौज के साथ मिलकर हांसी, हिसार, महम पर कब्जा कर लिया और जीता हुआ इलाका आपस में बांट लिया। जींद को गोहाना, पटियाला को हिसार तथा रोहतक का कुछ हिस्सा मिला। राजा गजपत सिंह ने सन 1775 में 17 वर्ष की उम्र में दिल्ली की सल्तनत के परगने जींद व सफीदों को जीतकर जींद को अपनी राजधानी बनाया और यहां पक्की ईंटों का किला बनवाया था। --किला मुबारक से चलता था राजा का शासन-प्रशासन महाराजा गजपत सिंह ने जींद में किला मुबारक बनवाया था, जो 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला था। शासन और प्रशासन का मुख्यालय इसी किले में था। बाद में महाराजा सरूप सिंह ने किले के साथ ही दीवानखाना तथा शाही दरवाजा किला मुबारक का निर्माण करवाया। इसमें स्थित दीवाने-आम में राजा अपनी प्रजा से रूबरू होते थे तथा शिकायतें सुनते थे। इन किलों को बनाने के लिए अति उच्च गुणवत्ता वाली मुगल शैली को अपनाया गया और लाखोरी ईंटों का प्रयोग किया गया था। इन ईंटों पर मौसम का असर नहीं होता था। यही कारण रहा कि 200 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद अंतिम समय तक यह ईंटें बढि़या अवस्था में थी। महाराजा गजपत सिंह ने 1775 ईस्वी में किला फतहगढ़ का निर्माण जींद को सामरिक ²ष्टि से मजबूत बनाने के लिए करवाया था। इस किले का नाम राजा गजपत सिंह ने अपने पुत्र फतह सिंह के नाम से फतेहगढ़ रखा, जिसमें 16 बुर्ज थे। यह किला कभी जींद की जेल के रूप में भी प्रयोग किया जाता रहा। जींद से बाहर अमरहेड़ी में इसलिए बनी राजा की कोठी पुरानी यादों को ताजा करते हुए इतिहासकार रामशरण युयुत्सु कहते हैं कि जींद के सभी राजा महाराजा अपने परिवार के साथ किला मुबारक में स्थाई निवास करते थे और दीवान खाने में दरबार लगाया करते थे। जब नया राजा तख्त पर बैठता था तो उसका राजतिलक जींद के दीवान खाने में ही हुआ करता था। जींद नगर का एक परिवार जो कुआं डूबो का परिवार कहलाता है, उस परिवार के बुजुर्ग ने महाराजा सरूप सिंह से कुछ मांग की थी। महाराजा ने उसकी मांग को ठुकरा दिया था। इस बात से दुखी होकर उस ब्राह्मण ने तंग आ चौक के कुएं में डूब कर आत्महत्या कर ली तथा मरने से पहले राजा को श्राप दिया कि यदि जींद का राजा रात के समय जींद नगर की सीमा में रहेंगे तो मर जाएंगे। उस दिन के बाद महाराजा जींद नगर की सीमा में रात को कभी नहीं सोए, बल्कि नगर के बाहर गांव अमरहेड़ी के पास रणबीर लांज का निर्माण करवाया, जहां आज भी राज परिवार निवास करता है। जींद पर इन्होंने किया राज --गजपत सिंह के पुत्र सुखचैन, राज्यकाल 1767 से 1789 तक --भाग सिंह पुत्र गजपत सिंह 1789 से 1819 तक --फतेह सिंह पुत्र भाग सिंह 1819 से 1822 तक --राजा संगत सिंह पुत्र फतेह सिंह 30 जुलाई 1822 से 2 नवंबर 1834 तक --संगत सिंह को संतान न होने पर रियासत का राज कार्य माता राज कौर ने संभाला 1835 से 1836 तक --सरूप सिंह बाजीदपुर परपौत्र गजपत सिंह 18 मार्च 1837 से जनवरी 1864 --रघवीर सिंह पुत्र सरूप सिंह 31 मार्च 1864 से 7 मार्च 1887 --रणवीर सिंह पौत्र रघवीर सिंह (नाबालिग), 11 अक्टूबर 1887 से 30 मार्च 1948 --राजवीर सिंह पुत्र रणवीर सिंह, जो आजादी के बाद गद्दी पर बैठे। 1 अप्रैल से 6 मई 1948 तक। Edited By: Jagran
Jind District GK : जींद जिला हरियाणा राज्य के मध्य स्थित जिला है जिस वजह से इसे हरियाणा का हृदय भी कहा जाता है। जींद जिले की स्थापना हरियाणा के गठन के समय 1 नवंबर, 1966 को हुई थी। पुराने समय में वर्तमान जींद जिला कुरुक्षेत्र का अभिन्न अंग हुआ करता था। इस पोस्ट में हम जींद जिले के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ( jind District GK) लेकर आए है। हमने अपनी तरफ से जींद जिले के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है, फिर भी कुछ छूट गया हो तो हमें कॉमेंट करके बताएँ। जब हरियाणा राज्य बना था उसी के साथ जींद जिला अस्तित्व में आया था। जींद जिला हिसार मंडल के अधीन आता है और इस जिले का क्षेत्रफल 2705 वर्ग किमी है। जींद जिले के उपनाम
जींद जिले का इतिहास
जींद जिले में स्थित प्राचीन वस्तु अवशेष स्थल, संग्रहालय, किलाजयंती पुरातत्व संग्रहालय : जयंती पुरातत्व संग्रहालय जींद जिले में जयंती देवी मंदिर के पास स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना 28 जुलाई 2007 को की गई थी। जयंती पुरातत्व संग्रहालय की दीवारों पर जींद जिले का इतिहास लिखा हुआ है। यहाँ पर हड़प्पा संस्कृति से सम्बंधित अवशेष रखे गए हैं। जींद का किला : जींद के किले का निर्माण राजा गजपत सिंह ने 1775 ई. में पक्की ईंटों से करवाया था। वस्तु अवशेष स्थल : नरवाना, बरसाना, खोखरी आदि जींद जिले में सीसवाल संस्कृति से संबंधित स्थल है। Jind District GKजींद जिले के धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थलजयंती देवी मंदिर : जयंती देवी मंदिर जींद बस स्टैंड से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।महाभारत काल में पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कोरवों पर विजय प्राप्त करने हेतु जयंती देवी(विजय की देवी) के सम्मान में इस मंदिर को बनवाया था, जिसे जयंती देवी मंदिर के रूप में जाना गया। गुरुद्वारा धमतान साहिब : गुरुद्वारा धमतान साहिब जींद जिले के नरवाना बस स्टैंड से 17 किमी की दूरी पर स्थित है। नरवाना के पास धमतान गांव में स्थित यह गुरुद्वारा सिक्खों के 9 वें गुरु, गुरु तेग बहादुर से संबंधित है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर अंग्रेजों के पास अपनी शहीदी के लिए जाते समय यहां पर रुके थे। भूतेश्वर मंदिर : भूतेश्वर मंदिर जींद बस स्टैंड से 11 किमी की दूरी पर गोहाना मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण जींद के शासक राजा रघुबीर सिंह ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। भगवान शिव को भूतनाथ भी कहा जाता है और उन्हीं के नाम पर ही इस मंदिर का नाम भूतेश्वर मंदिर पड़ा है। पांडू-पिंडारा : पांडू-पिंडारा जींद से लगभग 6.5 किमी की दूरी पर जींद-गोहाना रोड़ पर स्थित है। प्राचीन गाथा के अनुसार पांडवों ने यहां पर अपने पितरों का पिंडदान किया था, जिसकी वजह से इस गांव का लोकप्रिय नाम पांडू-पिंडारा है। सोमवती अमावस्या को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। अश्वनी कुमार तीर्थ : अश्वनी कुमार तीर्थ जींद जिले से 14 किमी की दूरी पर, जिले के आसन गांव में स्थित है। यहां पर एक तालाब भी है, जिसका वर्णन महाभारत, पदम पुराण, नारद पुराण और वामन पुराण में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है मंगलवार के दिन इसमें स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है। राजपुरा (भैण) : यह जींद से 11 किमी दूरी पर जींद-हांसी मार्ग पर स्थित है। यहां पर एक गोविंद कुंड है जो महाभारत काल से अब तक है। हटकेश्वर मंदिर : यह मंदिर जींद जिले के सफीदों गांव में स्थित है। इसमें पृथ्वी के 68 तीर्थों की शक्ति समाई हुई है। रामराय तीर्थ : रामराय जींद से 8 किमी दूर जींद-हांसी रोड पर स्थित है। यह स्थल भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहां पर एक भगवान परशुराम का पुराना मंदिर है, जहां उनकी पूजा की जाती है। हंसहैडर तीर्थ : हंसहैडर तीर्थ जींद जिले में है। ऋषि कदम ने यहाँ कई वर्षों तक तपस्या की थी। ऋषि क़दम के पुत्र कपिलमुनि ने यहाँ जन्म लिया था और सांख्य शास्त्र की रचना की। यहाँ पर एक शिव मंदिर और बिंदुसार तीर्थ भी स्थित है। वराह : यह स्थान जींद से 10 किलोमीटर दूरी पर बराह गांव में स्थित है पदम पुराण, वामन पुराण और महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ पर वराह अवतार लिया था। इकाहमसा : यह स्थल जींद जिले से 5 किलोमीटर दूरी पर है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण गोपियों से बचने के लिए एक हंस का रूप धारण करके यहां पर छुपे थे। मुंजावता : जींद जिले का यह स्थल भगवान महादेव की कथा से जुड़ा माना जाता है। यक्षिणी तीर्थ : यह जींद जिले से 8 किलोमीटर दूर दिखनी खेड़ा में स्थित तीर्थ है। ऐसा माना जाता है कि जो इंसान यहां स्नान कर लेता है और यक्षिणी को खुश कर देता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं। पुष्कर तीर्थ : पुष्कर तीर्थ जींद से 11 किलोमीटर की दूरी पर पोंकर खेड़ी गांव में स्थित है। पुराणों के अनुसार इस तीर्थ की खोज जमादग्नि के पुत्र परशुराम ने की थी। जामदग्नि तीर्थ (जमनी) : यह तीर्थ जींद से 18 किमी दूरी पर, सफीदों-जींद मार्ग पर जामनी गांव में स्थित है। लोकमान्यता के अनुसार महर्षि जामदग्नि ने यहां कठोर तपस्या की थी और उन्हीं से संबंधित इस तीर्थ को माना जाता है। खांडा : खांडा गांव जींद से 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पर अत्यधिक प्राचीन भगवान परशुराम मंदिर एवं तीर्थ स्थल है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि भगवान परशुराम की माता रेणुका जी प्रत्येक दिन इस तीर्थ से जल लेने आती थी। एक दिन चोरों ने माता रेणुका के जल कलश को चुरा लिया था, जिसके कारण वह कलश मिट्टी का हो गया था। आज भी यह कलश इस मंदिर में विराजमान है। रानी का तालाब : रानी के तालाब का निर्माण अमृतसर के गोल्डन टेंपल के तर्ज पर करवाया गया। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर उस समय के राजा ने एक सुरंग का निर्माण भी करवाया था, जो इस तालाब को रानी के महल से जोड़ती थी। रानी इस तालाब में स्नान करने के बाद सुरंग के रास्ते सीधा महल में पहुंचती थी, रानी की वजह से ही इसे “रानी का तालाब” कहा जाने लगा। बाबा गैनी साहिब तीर्थ : यह तीर्थ जींद जिले के नरवाना में स्थित है। प्राचीन कथा के अनुसार यहाँ एक तपस्यारत एक बाबा हवा में विलीन हो जाते थे, इसी कारण से श्रधालु उन्हें गैनी बाबा के नाम से पुकारते थे। ढूढ़वा तीर्थ : महाभारत के युद्ध में दुर्योधन हारने के बाद इस स्थल पर आकर छिप गया था और भीम ने उसे यहाँ ढ़ूढ़ कर मारा था। इसी वजह से इस स्थान का नाम ढूढ़वा तीर्थ पड़ा था। जींद जिले के प्रसिद्ध मेलेजींद जिले में कई मेले लगते हैं उनमें से कुछ प्रसिद्ध मेलों के नाम नीचे दिए गए हैं –
जींद जिले में उद्योग धंधेजींद सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड – जींद सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड की स्थापना 16 फरवरी, 1985 को जींद जिले में की गई। मिल्क प्लांट जींद – मिल्क प्लांट जींद की स्थापना 1997 को हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा जींद जिले में की गई। जींद जिले के अन्य उद्योग धंधे – चमड़ा उद्योग, साइकल उद्योग जींद जिले के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
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Jind District GK से सम्बंधित परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालQue. जींद जिले का गठन कब हुआ? Ans. जींद जिले का गठन हरियाणा के गठन के समय 1 नवम्बर, 1966 को हुआ था। Que. जींद जिले के उपनाम क्या है? Ans. जयंती देवी नगरी, जयंतपुरी, heart of haryana Que. जींद का विद्रोह कब हुआ? Ans. जींद का विद्रोह 1814 ई. में हुआ था। Que. जींद से 1857 की क्रांति का नेतृत्व किसके द्वारा किया गया? Ans. प्रताप सिंह Que. जींद जिले में कौनसी यूनिवर्सिटी है? Ans. चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी Que. हरियाणा का प्रथम सचिवालय कहाँ पर है? Ans. हैबतपुर (जींद) Que. जींद के किले का निर्माण किसने करवाया? Ans. राजा गजपत सिंह ने Que. दुष्यंत चौटाला का विधानसभा चुनाव 2019 का चुनाव क्षेत्र कौनसा था? Ans. उचाना (जींद) यह भी पढ़े – Faridabad District GK Jind District official website Jind District GK FAQQ1. जींद का प्राचीन नाम क्या था? Ans. जयंतपुरी Q2. जींद कब बना? Ans. 1 नवंबर, 1966 Conclusion : इस ब्लॉग पोस्ट में Jind District GK अथवा जींद जिले के बारे में सम्पूर्ण जानकारी को कवर किया गया है। आशा करते है पोस्ट आपको पसंद आयी होगी। जींद का प्राचीन नाम क्या था?उन्होंने महाभारत युद्ध से पहले यहां जयंती मंदिर की स्थापना की और जीत के लिए देवी की उपासना की। इस मंदिर के इर्द-गिर्द जैंतपुरी नगर बसा था। इसी मशहूर जयंती देवी मंदिर के नाम पर जैंतपुरी नगर का नाम बाद में जींद पड़ा।
जींद की राजधानी क्या है?1966 में पंजाब के पुनर्गठन के दौरान, संगरूर जिला का विभाजन हुआ और जींद और नरवाना तहसीलों को हरियाणा में आवंटित किया गया और इन्हें जींद जिले में बना दिया गया।
जींद में सबसे बड़ा गांव कौन सा है?खेड़ा खाप के तहत उछाना कस्बे के 24 गांव आते हैं। इनमें नागुरा, बडोडा, भड़ाना, करसिंधु, बरसोला और मोहन गढ़ छपरा गांव प्रमुख हैं। इन सभी गांवों के लोग अब अपने नाम में जाति नहीं लगाएंगे। बरसोला के मुताबिक, गांव का नाम सबसे बड़ा होता है।
हरियाणा में सबसे पुराना जिला कौन सा है?जींद जिला, हरियाणा राज्य, भारत में एक एतिहासिक शहर है। जींद उत्तर भारत में हरियाणा राज्य के 22 जिलों में से एक है। जींद शहर जिला मुख्यालय है। यह हरियाणा के सबसे पुराने जिलों में से एक है।
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