Show कथाकार मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और 'कथा सम्राट' कहलाए. प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बड़े ही उत्साह से मनाई जा रही है. इस खास मौके पर उनकी कहानी 'दो बैलों की कथा' पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लीजिए... कहानी: दो बैलों की कथा हीरा और मोती कैसे थे?हीरा और मोती एक-दूसरे को चाट-चूटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। वे अपनी दोस्ती प्रकट करने के लिए कभी-कभी सींग भी मिला लेते थे। उनके ऐसा करने में विग्रह का भाव नहीं बल्कि मनोविनोद और आत्मीयता का भाव रहता था।
हीरा और मोती कौन थे?झूरी क पास दो बैल थे- हीरा और मोती. देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊंचे. बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक भाषा में विचार-विनिमय किया करते थे.
दो बैलों की कथा कहानी का मूल भाव क्या है?दो बैलों की कथा में बैलों के माध्यम से लेखक अपने विचार समाज के समक्ष रखता है। इस कहानी में दो मित्र बैल अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। यह कहानी दो बैलों के बीच में घनिष्ठ भावात्मक संबंध को दर्शाती है। यह कहानी मनुष्य और जानवर के बीच में उत्पन्न परस्पर संबंध का सुंदर चित्र भी प्रस्तुत करती है।
हीरा और मोती के स्वभाव में क्या अंतर है?मोती के स्वभाव में उग्रता अधिक थी। वह तो घर की मालकिन को भी सींग मारने की बात करता है जबकि हीरा में अधिक सहनशीलता थी। कई ऐसे अवसर आए जब उसने धैर्य का परिचय दिया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हीरा में अधिक धैर्य था।
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