झारखंड के राजकीय फूल कौन है? - jhaarakhand ke raajakeey phool kaun hai?

अशोक तुलस्यान, चतरा
इन दिनों झारखंड पलाश के फूलों से सुगंधित हो रहा है। यहां के जंगलों में होली से पहले पलाश के पेड़ों में लाल-लाल फूल खिले हैं। ग्रामीण पलाश के फूलों का इस्तेमाल जड़ी-बूटी से लेकर कई की बीमारियों की इलाज में करते हैं। मगर फिलहाल इसकी डिमांड होली की वजह से है। पलाश झारखंड का राजकीय फूल भी है।

सिमरिया में पलाश के फूलों की रंगीनियत
रंगों का उत्सव होली के आगमन को लेकर पूरे देश में तैयारियां हैं। प्रकृति ने भी इसकी तैयारी बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही कर ली है। दरअसल चतरा से 25 किलोमीटर दूर सिमरिया के जंगलों ने दिल जीत लिया। यहां खिलखिला रहे पलाश के मादक फूल अपनी ओर आकर्षित करने लगे हैं। जंगलों का वातावरण आजकल ऐसा है, मानो पेड़ में किसी ने दहकते अंगारे लगा रखा हो। बसंत ऋतु के समय ये सुर्ख केसरिया रंग के फूल खिलने लगते हैं। होली के आसपास इन फूलों की रंगिनियत चरम पर पहुंच जाती है। पलाश के फूल जंगल की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।

पलाश के फूल से रंग बनाने की परंपरा
सामाजिक कार्यकर्ता सुशांत पाठक बताते हैं कि विगत कई वर्षों से इन फूलों से प्राकृतिक रंग बनाने की परंपरा रही है। इसके प्रति एक बार फिर से लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है। इसके औषधीय गुणों को लोग समझने लगे हैं। होली पर लोग केमिकल वाले रंग-गुलाल खेलने से परहेज करने लगे हैं। ऐसे में पलाश के फूलों की डिमांड बढ़ रही है। सिमरिया के स्थानीय निवासी शशिभूषण सिंह और सबानो पंचायत के मुखिया इमदाद हुसैन बताते हैं कि पलाश के फूल से बने रंग प्राकृतिक होते हैं और इससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। लिहाजा पलाश की मांग बढ़ गई है।

होली में रोजगार का साधन पलाश
होली के वक्त तो ग्रामीण पलाश के फूल एकत्रित कर बाजार में बेचते हैं। जिससे उनकी ठीकठाक कमाई हो जाती है। पलाश औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है और व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी इसका काफी उपयोग है। पलाश के फूलों के अलावा इसके पत्ते से बने दोने और पत्तल कभी वर्ग विशेष की आजीविका के प्रमुख साधन भी रहे हैं। पलाश के फूल को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पलश, गुजराती में केसुडा कहते हैं। पलाश को ब्रह्मवृक्ष भी कहा जाता है। पलाश के फूल को सुखाकर कोल्हान क्षेत्र में गुलाल-रंग बनाने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है।

झारखंड के राजकीय फूल कौन है? - jhaarakhand ke raajakeey phool kaun hai?

झारखंड की राजकीय पशु, पक्षी, पेड़ इत्यादि

September 14, 2022December 20, 2021 by bnnbharat.com

राजकीय पशु – भारतीय हाथी,  वैज्ञानिक नाम ‘एलिप्से मैक्सिमस इंडिकस’ है।

राजकीय पक्षी – कोयल, वैज्ञानिक नाम ग्राकुला रेलीगियुसा पेनिबसुलैरिस है।

राजकीय फूल – पलाश,  वैज्ञानिक नाम बयुटिया मोनोस्परमा।

राजकीय वृक्ष – साल, वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबुस्टा है।

राजकीय चिन्ह् –

झारखंड के राजकीय फूल कौन है? - jhaarakhand ke raajakeey phool kaun hai?
झारखंड के राजकीय फूल कौन है? - jhaarakhand ke raajakeey phool kaun hai?
झारखंड के राजकीय चिन्ह, 15 अगस्त 2020 को यहां के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा इस राज्य का नया राजकीय चिन्ह् लागू किया गया।

राजकीय मिठाई: दुधौरी

राजकीय भाषा: प्रथम हिंदी, द्वितीय उर्दू

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झारखंड में सर्वप्रथम

पनामा पेपर्स में नामित भारतीय लोगों की सूची

केन्द्रीय एवं राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं में राज्य आधारित इसी तरह के अनेक प्रश्न पूछे जाते रहे है। जिसमें राज्य की सम-सामयिक घटनाऐं, राज्य की अर्थव्यवस्था, राज्य का भूगोल, कला एवं संस्कृति, जनजातियां, सामाजिक विकास, पुरस्कार एवं सम्मान आदि प्रमुख है। विभिन्न परीक्षाओं में दुहराव की प्रवृत्ति के दृष्टिगत यह प्रश्न आगामी परीक्षाओं हेतु निश्चित ही लाभकारी सिद्ध होगा।....अगला सवाल पढ़े

Tags : झारखंड

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Web Title : Jharkhand Ka Rajkiya Phool Kaun Sa Hai

Bundi News: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी राजीव दत्ता बुधवार को बूंदी जिले के दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने डोरा गांव में डोरा ग्राम सेवा सहकारी समिति के नवनिर्मित भवन, इंटरलॉकिंग सड़क तथा राजकीय विद्यालय में विकास कार्यों का लोकार्पण करते हुए जीएसएस अध्यक्ष रंगलाल भाट को शपथ दिलवाई.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दत्ता ने कहा कि लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सदैव क्षेत्र के लोगों की चिंता करते हैं. वे सदैव क्षेत्र की तरक्की के साथ क्षेत्रवासियों की बेहतरी के लिए अपने प्रयासों में निरंतरता बनाए रखता है. कोविड के दौरान यदि उन्होंने दिन-रात मेहनत नहीं की होती तो आज हमारे बहुत से अपने हमारे बीच नहीं होते. 

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जनप्रतिनिधियों को उनसे प्रेरणा लेकर कार्य करना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान ओएसडी दत्ता को क्षेत्रवासियों और कार्यकर्ताओं ने अपनी समस्याओं से भी अवगत करवाया. लोगों की समस्याएं सुन दत्ता ने कहा कि क्षेत्र की बरुन्धन से डाबी सड़क की मुख्य मांग को जल्द से पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. अन्य समस्याओं का भी शीघ्र समाधान करेंगे. इससे पूर्व डोरा पहुंचने पर ओएसडी दत्ता का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया.

ओएसडी राजीव दत्ता ने बूंदी में  पर्यटक स्थलों का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि यहां पर पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि यहां के पर्यटक स्थलों को और विकसित किया जाएगा. 

बता दें कि चित्रशाला, जिसे उम्मेद महल के नाम से भी जाना जाता है, बूंदी में घूमने के लिए सबसे शानदार जगहों में से एक है. जैसे कि इसके नाम में ही छुपा है, यहां के सुंदर लघु चित्र रास लीला और रागमाला को प्रदर्शित करते हैं. बूंदी मुगल, दक्कन और मेवाड़ शैली की कला के तत्वों के साथ चित्रकला की एक विशिष्ट शैली का एक अच्छा मेल है. बूंदी पैलेस के अंदर स्थित चित्र आपको राजपूताना के जीवन के बारे में बताएंगे. 

बूंदी पैलेस यहां का एक बेहद ही खूबसूरत और प्रमुख पर्यटक स्थल है. बूंदी पैलेस ऐतिहासिक जगह होने के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व भी रखता है. राव राजा रतन सिंह द्वारा निर्मित महल के अंदर, आप रतन दौलत या दीवान-ए-आम देख सकते हैं. अस्तबल में सफेद संगमरमर का राज्याभिषेक सिंहासन और सुंदर नक्काशीदार डिब्बे महत्वपूर्ण आकर्षण हैं. महल में बूंदी, राजस्थान में कुछ उल्लेखनीय पर्यटन स्थल हैं जिनमें फूल महल, बादल महल, हाथी पोल, और बहुत कुछ शामिल हैं.

झारखंड का राजकीय फूल का नाम क्या है?

झारखंड का राज्य फूल है। Solution : झारखंड का राजकीय फूल (पुष्पं) पलाश है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश का राजकीय फूल पलाश ही है जिसे ढाक ओर टेसू के नाम से भी जाना जाता है।

झारखंड का राजकीय नदी कौन सा है?

झारखंड.

झारखंड के राजकीय पेड़ क्या है?

झारखण्ड का राजकीय वृक्ष साल है. बिहार का राजकीय पशु कौन सा है?