क्या छिपकली इंसानों के लिए जहरीली है? - kya chhipakalee insaanon ke lie jahareelee hai?

सदियों से गलत धारणा का शिकार एक निर्दोष प्राणी, क्या आप इस प्राणी को पहचानते हैं? इसे गोहरा कहते हैं। कहते हैं गोहरे का विष तुरंत मारता है और गोहरे का काटा पानी भी नहीं मांगता, मतलब कभी बचता नहीं। आप सभी ने गोहरे की एक प्रचलित कहानी जरूर सुनी होगी कि एक गांव में ट्रैक्टर में बैठी महिला के ऊपर एक गोहरा चढ़ गया। गोहरा उस महिला को काट पाता, उससे पहले ही महिला ने गोहरे को झटक कर फेंक दिया। गोहरा एक मोटरसाइकिल सवार पर गिरा और उसे काट लिया। उसके बाद गोहरे ने खुद पर मूत्र कर लिया और मोटरसाइिकल सवार की मौके पर ही मौत हो गई। आज हम आपको सच बताते हैं। सरीसर्प विज्ञान के अनुसार छिपकली की प्रजाति का गोहरा विषैले प्राणियों की श्रेणी में नहीं आता है। यह मासूम प्राणी कदापि विषैला न होते हुए भी किवदंतियों में इसे अत्यधिक विषैले व भयावह प्राणी का रूप दे दिया गया है।

इसी भ्रांति को दूर करने और मामले की हकीकत जानने के लिए दैनिक भास्कर संवाददाता ने खुद सहित वन्यजीव प्रेमी व वनकर्मी को गोहरे से कटवाया। इनमें से किसी को भी कुछ नहीं हुआ। सभी सकुशल अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष यह है कि गाेहरा मिले ताे डरे नहीं, यह जहरीला दुश्मन नहीं बल्कि शर्मीला दोस्त है। इस जीव में इंसानों को मारने की ताकत तो नहीं पर लोग अज्ञानता के चलते इसके भय से मर जाते हैं। गोहरे के विषैला न होने के पीछे विज्ञान सम्मत तर्क यह है कि इसमें न तो मधुमक्खियों की तरह दंश (डंक) होता है, न सांप की तरह विष विसर्जित करने वाले विशेष छिद्र वाले फेंग दांत और न ही कोई विष ग्रंथि।

अलवर. गोहरे से हाथ पर कटवाते वन्यजीव प्रेमी विवेक जैसवाल।

अलवर. गाेहरे से कटवाते भास्कर प्रतिनिधि संजय शर्मा।

ये एक छिपकली प्रजाति है जो आकार में बड़े हो जाते हैं
वन्यजीव प्रेमी विवेक जैसवाल ने बताया कि गांव और शहरों में अमूमन गोहरा देखने को मिल जाता है। ये जीव बेहद शांत होते हैं। ये एक छिपकली प्रजाति है जो आकार में बड़े हो जाते हैं। सांप जैसी जीभ होने के कारण इसे लोग जहरीला मान लेते हैं। कुछ लोग इसकी जीभ में जहर होने की बात कहते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि सांपों की ही तरह ये भी जीभ से सूंघने का काम करता है। ये इंसानों पर कभी भी हमला नहीं करते। आत्मरक्षा में भी ये भागने का प्रयास करते हैं। चारों तरफ से घिर जाने पर ये अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश करता है और पूंछ से मारकर खुद का बचाव करता है। गोहरे ठंडे खून वाले जीव हैं जो सुबह उठकर धूप सकते हैं और शिकार करते हैं। ये हमारे पास पाए जाने वाले लगभग सभी छोटे जीवों को खा सकते हैं। सांपों और पक्षियों के अंडे खाना इन्हें बेहद पसंद है। इनके होने से सांपों की जनसंख्या नियंत्रित रहती है। सांपों के अंडों की खोज में ये हमेशा रहते हैं। एक बार सांप का बिल मिल जाए तो ये सारे अंडों को खा जाते हैं। सरकारी आंकड़े के हिसाब से हर वर्ष करीब 50 हजार लोगों की मौत सर्पदंश से हो जाती है, जबकि हकीकत में ये आंकड़ा कहीं ज्यादा है। अगर हम बिना जहर वाले गोहरे के महत्व को समझें तो ये जीव खाद्य श्रं़ृखला में अन्य जीवों को नियंत्रित कर हमारी मदद करता है। अंग्रेजी भाषा में गोहरा को कॉमन इंडियन लिजार्ड, मोनिटर लिजार्ड, बंगाल लिजार्ड, बंगाल मॉनिटर आदि कहा जाता है।

भारत में छिपकलियों की कोई भी प्रजाति जहरीली नहीं है, लेकिन उनकी त्वचा में जहर जरूर होता है। यही कारण है कि छिपकलियों के काटने से जहर नहीं फैलता। जब यह किसी खाने-पीने की चीज (दूध, सब्जी आदि) में गिर जाती है तो वह जहरीला हो जाता है। दुनिया में छिपकलियों की 3200 प्रजातियां हैं। इनमें से सिर्फ 2 ही प्रजाति हीलोडरमा सस्पेक्टम व हीलोडरमा हरीडियम जहरीली हैं। यह दोनों ही प्रजाति उत्तरी अमेरिका व मैक्सिको में पाई जाती हैं। भारत में पाई जाने वाली छिपकलियों की 165 प्रजातियों में से एक भी जहरीली नहीं है, लेकिन इनकी त्वचा में जहर जरूर है। जब यह किसी वस्तु में गिरती है तो इनकी त्वचा में मौजूद जहर की पोटली फट जाती हैं और वह वस्तु भी जहरीली हो जाती है। छिपकलियों की वजह से हम कई प्रकार की बीमारियों से बचते हैं। घरों में पाई जाने वाली छिपकलियां कीड़े, मक्खी और खासकर दीमक को खा जाती हैं। यदि घर में छिपकली न हो तो उस घर में कीड़ों व मक्खियों से फैलने वाली बीमारियां ज्यादा होंगी और उस घर के दरवाजे व लकड़ी से बने अन्य फर्नीचर दीमक लगने से जल्दी नष्ट हो जाएंगे।

आज हम भारतीय छिपकली के बारे में बात करते है । छिपकली के बारे में जितनी अफवाह है शायद ही वह किसी दूसरे प्राणी के बारे में देखने को मिले जैसे  छिपकली के गिरने पर क्या क्या उपाय करना चाहिए । छिपकली के शुभ तथा अशुभ लक्षण क्या है । घर में छिपकली पाए जाने के रहस्यमय फायदे आदि ऐसे अफवाह आपको हजारों में देखने को मिल जाएंगे। 




छिपकली रेप्टाइल्स परिवार से आती हैं रेप्टाइल परिवार में सांप मेंढक, गिरगिट, छिपकली, कछुआ, मगरमच्छ, घड़ियाल, आदि आते हैं । इन्हीं में से एक मुख्य प्रजाति है छिपकलियों की छिपकलियां अटलांटिक महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व के कोने-कोने में पाई जाती है । 




आप इसे अपने बचपन से देखते चले आ रहे होंगे । छिपकलियां देखने में बहुत ही खराब लगती हैं और बहुत से लोग इनसे नफरत भी करते हैं इसकी मुख्य वजह इसकी खास चमड़ी इसका रंग और इसकी बनावट है । छिपकली बहुत ही शर्मीली होती हैं और किसी भी इंसान को देख कर भाग जाती हैं और किसी दीवार पर टंगे फोटो या फिर कैलेंडर के पीछे जाकर छिप जाती हैं। 



छिपकलियों के बारे में तरह-तरह के अफवाह है बहुत सारे लोग कहते हैं कि इसके काटने से किसी का बचना नामुमकिन है। इसमें बहुत सारा जहर होता है। लेकिन सच्चाई जानने से पहले आइए हम एक घटना के बारे में बात करते हैं। 




कुछ दिन पहले ही किसी गांव में छिपकली के काटने की खबर आई थी। वह लड़की 15 वर्ष की थी और एक गांव में रहती थी गांव वालों का मानना था कि छिपकली के काटने पर किसी का बचना बहुत ही मुश्किल है।  जब उस लड़की को छिपकली ने काटा तो बहुत सारे लोग इसी बात पर चर्चा कर रहे थे और कुछ ही देर बाद उस लड़की की मृत्यु हो गई। 





यह बहुत दुखद घटना थी लेकिन छिपकलियों के मुंह मैं  वेनम यानी जहर  नहीं पाया जाता है। जैसे सांप आदि में पाया जाता है । लेकिन उस लड़की की मृत्यु  छिपकली के काटने से कैसे हो गई जबकि छिपकली के काटने से तो किसी की मृत्यु नहीं होती। जब उस लड़की को छिपकली ने काटा तो बहुत सारे लोग वहां पर इकट्ठा हो गए और चर्चा करने लगे कि इसे तो छिपकली ने काटा है। छिपकली में तो बहुत सारा जहर पाया जाता है और इसका बचना मुश्किल है। 




यह खबर जब उस लड़की को सुनने को मिली तो वह हाइपरटेंशन मैं आ गई और उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा जिसके कारण हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई। यह बहुत ही दुखद घटना थी इसी प्रकार जब किसी को  कोई जहरीला कीड़ा काट लेता है तो लोग तरह तरह की बातें करने लग जाते हैं। इसी बातों  से व्यक्ति में घबराहट होने लग जाती है। 




इसलिए ऐसे समय में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए बल्कि पीड़ित का हौसला बढ़ाना चाहिए और उससे ऐसी बातें करना चाहिए कि तुम्हें कुछ नहीं होगा और तुम्हारा इलाज हो जाएगा और तुम बच जाओगे इस से पीड़ित व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और उसमें जीवित रहने की इच्छा शक्ति बढ़ जाती है। छिपकली बहुत ही शर्मीली होती है  थोड़ा खतरा महसूस होने पर ही छिपने की या दूर भागने की कोशिश करती है 




छिपकली का दिल 1 मिनट में 1000 बार धड़कता है। यह छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को संतुलित रखने का काम करती है। छिपकली में एक अद्भुत क्षमता पाई जाती है। जब छिपकली को कोई खतरा महसूस होता है या कोई बड़ा शिकारी  उस पर हमला करता है तो अपने बचाव में वह अपने पूंछ को अपने शरीर से अलग कर देती है। 



पूंछ के अलग होने के बाद भी उसकी पूंछ में हलचल होने लगती है जिससे शिकारी का ध्यान भ्रमित हो जाता है। इस दौरान छिपकली को भागने का मौका मिल जाता है । इस प्रकार छिपकली अपनी जान बचा  लेती है लेकिन छिपकली को अगर ज्यादा परेशान किया जाए तो वह अपने बचाव में हमला भी कर देती है और हमलावर को अपने जबड़ो से जोर से पकड़ लेती है और आसानी से नहीं छोड़ती इसका जबड़ा बहुत मोटा और मजबूत होता है जिसके कारण इसकी पकड़ बहुत मजबूत हो जाती हैं।




छिपकली के मल और मूत्र में पोइजन पाया जाता है अगर यह भोजन में पड़ जाए या बनते हुए भोजन में छिपकली  गिर जाए और उसमें  मेल्ट हो जाए तो वह भोजन दूषित हो जाता है। और और उसका सेवन करने पर फूड पॉइजनिंग हो सकती है और सही से इलाज ना हो तो इंसान की मृत्यु भी हो सकती है। या एक गंभीर बात है।




छिपकली की सबसे बड़ी प्रजाति कोमोडो ड्रैगन है यह इंडोनेशिया में मुख्य रूप से पाई जाती है इसका वजन 300 पाउंड से ऊपर हो सकता है और इसकी लंबाई 10 फीट तक होती है यह पृथ्वी की सबसे बड़ी छिपकली मानी जाती है यह बहुत ही खतरनाक छिपकली होती है अगर यह किसी जानवर जैसे गाय, हिरण, भैंस, या इंसान को काट ले तो उसकी  मृत्यु हो जाती  है। इनके मुंह  के लार में एक विशेष प्रकार का विष पाया जाता है जोकि इनकी लार ग्रंथि से निकलता  है। 



कोमोडो ड्रैगन जब किसी को एक बार काट लेता है उसके बाद वह उस जानवर पर अपनी नजर बनाए रखता है। लार के माध्यम से विष उस जानवर के शरीर तक पहुंच जाता है और धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर को संक्रमित करने लगता है। काटा हुआ स्थान धीरे-धीरे सडने लग जाता है यह बड़ी तेजी से फैलता है। जानवर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है और वह चलने फिरने लायक नहीं रहता 




इसके बाद कोमोडो ड्रैगन उसको काट काट कर मार देता है और उसे अपना भोजन बना लेता है कोमोडो ड्रैगन सड़ा गला मांस खाने में संकोच नहीं करता है।



क्या आप जानते हैं कि छिपकलियों को घर से कैसे भगाएं ?


क्या छिपकली इंसानों के लिए जहरीली है? - kya chhipakalee insaanon ke lie jahareelee hai?

छिपकली को घर से भगाने के तरह तरह के नुक्से आपको मिल जाएंगे कई लोग अंडे के छिलके रखने की बात तो कई लोग मिर्ची पाउडर का इस्तेमाल करने की बात और कई लोग तो मोर पंख लगाने की बात करते हैं। लेकिन यह सारे नुक्से इस्तेमाल करने के बाद भी कुछ नहीं होता और छिपकली दोबारा वापस आ जाती है।




हम आपको एक जबरदस्त तरीका बताएंगे जिससे छिपकली कभी भी आपके घर नहीं आएगी अगर आएगी भी तो दूर भाग जाएगी। इसके लिए आपको क्या करना पड़ेगा ? आइए जानते हैं 



सबसे पहले  आपको एक वाइट पेपर लेना है जो की साइज में थोड़ा बड़ा होना चाहिए उस कागज पर आपको एक बड़ी सी छिपकली का चित्र बनाना है । इस चित्र का साइज बड़ा होना चाहिए छिपकली के सामान्य साइज से लगभग 5 से 6 गुना । इसके बाद आपको रेडियम पेंट की जरूरत पड़ेगी जो कि अंधेरे में चमकती है आपको इस पेंट के माध्यम से उस छिपकली के चित्र को पेंट करना है जिससे आपकी पेंटिंग अंधेरे में भी चमके।

 


एक दूसरा उपाय हैं आप  बाजार से एक बड़ी प्लास्टिक की छिपकली खरीद के लाए जो  कि साइज में बड़ी हो  अगर यह ना मिले तो आप  प्लास्टिक के बने  सांप या मगरमच्छ  भी ला सकते हैं और इन्हें अपने दीवारों पर लगा दे जहां छिपकली आती हो उसके बाद जब छिपकली आपके घर आएगी तो अपने से बड़े सांप, बड़ी छिपकली या फिर ड्राइंग पर बनी छिपकली को देखकर उसे खतरा महसूस होगा और वह वहां से भाग जाएगी। इसके बाद वह दुबारा आपके घर आने की कोशिश नहीं करेगी। दोस्तों यह आजमाया हुआ तरीका है आप इसका उपयोग जरूर करें।



छिपकली देखने पर उसे मारे नहीं उसका बचाव करें क्योंकि यह छोटे-मोटे कीड़े मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को संतुलित रखने का काम करती है और  किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती है ।

छिपकली के जहर से इंसान मर सकता है क्या?

क्या छिपकली में इतना जहर होता है कि इंसान को काटने से इंसान मर जाएगा? नहीं, क्योकि छिपकली में जहर नहीं होता है. यह सिर्फ कुछ लोगों के मन उत्पादन एक बहम है कि छिपकलीयॉ जहरीली होती है, इसे काटने से या यह किसी खाद्य सामाग्री में गीर गई है तो उसे खाने से मर सकता है, इसके त्वचा के उपर कोई जहर होता है.

क्या घरेलू छिपकली जहरीली होती है?

क्या घरेलू छिपकली जहरीली और घातक होती हैं? नहीं, घरेलू छिपकली हानिरहित हैं। यदि वे किसी खतरे का अनुभव करते हैं तो वे मनुष्यों को काट लेंगे, हालांकि वे आम तौर पर मानव संपर्क से बचते हैं।

क्या छिपकली में कोई जहर होता है?

भारत में छिपकलियों की कोई भी प्रजाति जहरीली नहीं है, लेकिन उनकी त्वचा में जहर जरूर होता है। यही कारण है कि छिपकलियों के काटने से जहर नहीं फैलता। जब यह किसी खाने-पीने की चीज (दूध, सब्जी आदि) में गिर जाती है तो वह जहरीला हो जाता है। दुनिया में छिपकलियों की 3200 प्रजातियां हैं।