In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Solutions Chapter 1 वर दे Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. Show MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Chapter 1 पाठ का अभ्यासबोध प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) इस कविता में कवि किससे वरदान मांग रहा है ? (ग) कवि भारत में कौन-सा मन्त्र भरने की बात कह प्रश्न 3. (क) कवि माँ सरस्वती से क्या वरदान चाह रहा है? प्रत्येक कंठ में मधुर स्वर नए बादल की गम्भीर और कल्याणकारी गर्जना के समान उठने लगे। कविता और गीत के आकाश के स्वतन्त्र वातावरण में नये जन्मे पक्षियों के समान नए कवि और गीतकार अपनी कल्पना के नये पंखों (गीतों) के सहारे उड़ान भरने में समर्थ हो जायें। इस तरह, हे सरस्वती देवी । ऐसे उन नए कवियों को स्वतन्त्रता का नया स्वर प्रदान कर दे। (ख) कवि प्रकृति की हर वस्तु में नया रूप क्यों देखना चाह रहा है? प्रकृति अपने प्रत्येक बदले हुए स्वरूप में प्रेम और सौन्दर्य का उपदेश देती है। प्रकृति के स्वतन्त्र विकास से उसकी निर्भीकता तथा सभी के कल्याण की भावना मनुष्य में विकास पाती है। प्रकृति के मुक्त चित्रण में कवि ने रूढ़ियों की अन्धेरी काया को तोड़ कर मानव मुक्ति का सन्देश दिया है। नये बादल की मधुर गम्भीर गर्जना लोगों के मन के विकारों को दूर करके अपनी सुखद वर्षा से पृथ्वी को शस्य श्यामला बना देती है। कवि ने अपनी कविता में सर्वत्र ही अज्ञान के अन्धकार को मिटाने तथा ज्ञान के प्रकाश से सम्पूर्ण जगत् को लाभ देने के लिए ‘शारदा’ से नम्र निवेदन किया है कि सम्पूर्ण समाज सत्य, शिव और सुन्दर बन जाये। प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) नव नभ के नव विहग वृन्द को, प्रश्न 6. (ख) ‘वर दे’ कविता के रचयिता हैं (ग) विहग वृन्द का आशय है भाषा-अध्ययन प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. वर दे सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या 1. वर दे, वीणावादिनी वर दे। शब्दार्थ-वीणावादिनी = वीणा बजाने वाली सरस्वती देवी; वा दे = वरदान दे; प्रिय = सुनने में मधुर लगने वाला, स्वतन्त्र रव = आजादी की ध्वनि; अमृत = अमर या सदा रहने वाला; नव = नया। सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के ‘ वर दें’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके रचयिता सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला” हैं। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने सरस्वती देवी से सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्वतन्त्रता की आवाज भर देने की कामना की है। व्याख्या-वीणा बजाने वाली हे माँ सरस्वती ! तू मुझे वरदान दे। मेरे इस भारत देश को तू प्रिय और स्वतन्त्र वाणी प्रदान कर तथा इसमें अमरता का नवीन मन्त्र भर दे अर्थात् भारत को स्वतन्त्रता और अमरता की भावना प्रदान कर दे। (2) काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर शब्दार्थ-अन्ध-उर = अज्ञान के अन्धकार से भरे हुए हृदय के ज्योतिर्मय = ज्योति या प्रकाश से युक्त निर्झर-झरना; कलुष मन के विकार, मलिन भाव; भेद = काटकर या समाप्त करके तमहर अज्ञान के अन्धकार को दूर करके प्रकाश भरज्ञान के प्रकाश से भर दे: जग-संसार: जगमग चमका दे। सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ज्ञान की ज्योति से पूरे संसार को चमकाने की कामना की है। व्याख्या-हे माँ ! मनुष्यमात्र के हृदय में जो अज्ञान के भिन्न-भिन्न स्तरों के बन्धन हैं, उन्हें काट दे और उन्हें हर प्रकार के अज्ञान से मुक्त कर दे। उनके हृदयों में ज्ञान का ज्योति रूपी झरना बहा दे। मन के विकारों (बुरे भाव) को दूर कर दे। अज्ञान के अन्धकार को मिटा दे। ज्ञान का प्रकाश भर दे। सम्पर्ण संसार को जगमगा दे। 3. नव गति, नव लय, ताल-छन्द नव, शब्दार्थ-नव = नई गति = चाल; नवल = कोमल और नवीन; कंठ- गला या स्वर; जलद = बादल; मन्द = धीमी और गम्भीर; रव = ध्वनि या गर्जना; नभ- आकाश; विहग = पक्षी; वृन्द = समूह; पर = पंख। सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-कवि ने समाज, साहित्य और सम्पूर्ण परिवेश में नयापन लाने की कामना की है। व्याख्या-हे माँ सरस्वती ! आकाश के समान यह नया समाज सर्वत्र फैला हुआ है। इसमें नए-नए कवि नवीन पक्षियों (अभी जन्म लेने वाले पक्षियों) के समान चहकते हुए कल्पना की उड़ान भरने के लिए आकुल हैं। तू, इन नए कवि रूपी पक्षियों को नई गति प्रदान कर। नवीन लय और ताल से युक्त छन्द प्रदान विशेष-कवि ने माँ शारदा (सरस्वती) से भारत के लिए स्वतन्त्रता का मन्त्र, संसार के लिए ज्ञान और कवियों के लिए नई कल्पना तथा काव्यकला की माँग की है। ‘निराला’ जी की महानता है कि उन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं माँगा है। क नव नभ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?`?(क) 'नव नभ' के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? उत्तर- 'नव नभ' के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि सभी प्राणी इस नये भारतवर्ष की रचना करें और उन्हें इस निर्माण में सभी नये साधन प्राप्त हों। (ख) इस कविता में कवि किससे वरदान माँग रहा है? उत्तर- इस कविता में कवि ज्ञान की देवी माँ सरस्वती से वरदान माँग रहा है।
नव नभ से कवि का क्या आशा है?नभ के नव रंग, बुनते दुकूल, छाया में मलय-बयार पली ! सुधि मेरे आगम की जग में, सुख की सिहरन हो अंत खिली !
कविता में कवि मां वीणा वादिनी से वरदान में क्या चाहता है?Answer: वर दे वीणा देवा धनी वर दे वीणा वादिनी वर दे, कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला माँ सरस्वती से सभी भारत के नागरिकों के लिए स्वतंत्र की भावना का अमृत मांगते हैं। वह सभी भारत वासियों के अंधकार हृदय में व्याप्त अंधकार रूपी बंधन को काटने और उसे ज्ञान से भर देने का वरदान मांगते हैं।
कविता में भारत के लिए कौन सा वरदान मांगा गया है?कविता में भारत के लिए क्या वरदान माँगा गया है? उत्तर- कविता में भारत के लिए स्वतन्त्रता, अमरत्व, ज्ञान और नव-जागरण का वरदान माँगा गया है।
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