आप अपने देश के लिए क्या करना चाहिए और क्यों एक बात लिखिए? - aap apane desh ke lie kya karana chaahie aur kyon ek baat likhie?

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पिछले दिनों एनबीटी के गेस्ट एडिटर थे। उस समय हमें उनका एक व्याख्यान मिला, जो आज की परिस्थितियों पर सटीक टिप्पणी है। जब हममें से हर नागरिक भ्रष्टाचार, काला धन और सरकारी नाइंसाफी से बेहद नाराज हो उठा है, यह वक्त इस बात पर विचार करने का भी है कि हम खुद इन सब को खत्म करने के लिए क्या कर रहे हैं? डॉ. कलाम ने यह स्पीच हैदराबाद में 2008 में दी थी।डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम।।
यहां मीडिया इतना नेगेटिव क्यों है? हम अपनी ताकत और उपलब्धियों को स्वीकार करने में इतना संकोच क्यों करते हैं। हमारे पास सफलता के अनेक अनुपम उदाहरण हैं, कामयाबी के अनेक किस्से हैं, लेकिन हम इन्हें मानने से इनकार करते हैं, आखिर क्यों? रिमोट सेंसिंग सैटलाइट्स में हमारा पहला स्थान है। दूध उत्पादन में हमारा नंबर पहला है। हम गेहूं और चावल के दूसरे बड़े उत्पादक है। डॉ. सुदर्शन को देखिए। उन्होंने एक आदिवासी गांव को आत्मनिर्भर इकाई में बदल दिया है। उपलब्धियों के ऐसे लाखों उदाहरण हैं, लेकिन हमारे मीडिया को बुरी खबरों, असफलताओं, विपदाओं, आतंकवाद और अपराध के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देता।

दूसरा सवाल यह है कि हम विदेशी चीजों के इतने दीवाने क्यों हैं? हमें विदेशी टीवी, विदेशी कमीजें और विदेशी टेक्नॉलजी चाहिए। आयातित वस्तुओं के प्रति इतना मोह क्यों? क्या हम इस बात को महसूस नहीं करते कि आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता के साथ आता है। हैदराबाद में मेरा ऑटोग्राफ लेने आई एक 14 साल की लड़की से मैंने पूछा कि तुम्हारा लक्ष्य क्या है? उसका जवाब था, 'मैं विकसित भारत में रहना चाहती हूं।' उसकी खातिर, आपको और मुझे इस विकसित भारत का निर्माण करना है। आपको दृढ़तापूर्वक कहना होगा कि भारत कम विकसित देश नहीं है। वह अत्यंत विकसित देश है। यदि आपके पास 10 मिनट हैं तो इन पंक्तियों को पढि़ए: आप कहते हैं कि आपकी सरकार नाकारा है। कानून पुराने हो चुके हैं, नगरपालिका कूड़ा नहीं उठाती, फोन काम नहीं करते, रेलवे मजाक बन चुकी है, हमारी विमान सेवाएं दुनिया में सबसे खराब हैं और डाक समय पर नहीं मिलती आदि-आदि।

आप कहते हैं, कहते हैं और कहते हैं, लेकिन इसके लिए आप क्या करते हैं? किसी ऐसे व्यक्ति को चुनिए जो सिंगापुर जा रहा हो। उसे अपना नाम दीजिए, उसे अपना चेहरा दीजिए। आप एयरपोर्ट से बाहर निकलते हैं, आपके सामने उत्कृष्ट अंतरराष्ट्रीय शहर है। सिंगापुर में आप सिगरेट के जले हुए टुकड़े सड़कों पर नहीं फेंकते या स्टोरों में कुछ नहीं खाते। उसके अंडरग्राउंड लिंक्स पर आपको गर्व है। यदि आप किसी रेस्त्रां या शॉपिंग मॉल में निर्धारित समय से ज्यादा रुकते हैं तो पार्किंग में वापस आकर अपना पार्किंग टिकट पंच करते हैं, भले ही आपका स्टेटस कुछ भी हो। आप दुबई में रमजान के दौरान सार्वजनिक रूप से खाने की हिम्मत नहीं कर सकते। आप जेद्दाह में सिर ढके बगैर बाहर निकलने का साहस नहीं कर सकते। आप नारियल का खोल ऑस्ट्रेलिया या न्यू जीलैंड के समुद्री तटों पर कूड़ेदानों के अलावा कहीं और नहीं फेंक सकते। आप टोक्यो की सड़कों पर पान की पीक क्यों नहीं थूकते या बोस्टन में नकली सर्टिफिकेट्स प्राप्त करने के लिए परीक्षा के दलालों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?

आप दूसरे देशों में उनकी भिन्न शासन व्यवस्था का सम्मान कर सकते है और उनके नियमों का पालन कर सकते हैं, लेकिन अपने देश में आप ऐसा नहीं कर सकते। भारतीय जमीन को छूने के तुरंत बाद आप ही सबसे पहले सड़क पर कागज और सिगरेट के टुकड़े फेंकेंगे। यदि आप किसी पराये देश में एक अच्छे नागरिक की तरह पेश आते हैं तो वैसा व्यवहार भारत में क्यों नहीं कर सकते?

एक बार बंबई (मुंबई) के पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर श्री तिनैकर ने कहा था कि अमीर लोगों के कुत्ते सड़कों पर चहलकदमी करते हैं और सब जगह गंदगी छोड़ जाते हैं और फिर यही लोग गंदी सड़कों पर गंदगी और निकम्मेपन के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराने लगते हैं। अमेरिका में प्रत्येक कुत्ता मालिक को अपने पालतू जानवर द्वारा छोड़ी जाने वाली गंदगी खुद साफ करनी पड़ती है। जापान में भी ऐसा ही करना पड़ता है। क्या भारतीय नागरिक भारत में ऐसा करेंगे। हम सरकार चुनने के लिए चुनाव में हिस्सा लेते हैं और उसके बाद सारी जिम्मेदारियां भूल जाते हैं। हम आराम से हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते हैं और पुचकारे जाने का इंतजार करते हैं। हम सरकार से अपेक्षा रखते हैं कि वह हमारे लिए सब कुछ करे, जबकि हमारा योगदान पूरी तरह नेगेटिव होता है। हम सरकार से सफाई की उम्मीद रखते हैं, लेकिन हम चारों तरफ कूड़ा फेंकते रहेंगे। हम चाहते हैं कि रेलवे साफ-सुथरे बाथरूम उपलब्ध कराए, लेकिन हम यह नहीं सीखना चाहते कि बाथरूम का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए। हम चाहते हैं कि एयर इंडिया सवोर्त्तम खाना और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए, लेकिन मौका मिलते ही हम चीजें चुराने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

जब दहेज और कन्या भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत सामाजिक मसलों की बात आती है तो हम गला फाड़ कर बड़े-बड़े प्रवचन देते हैं लेकिन अपने घरों में ठीक उनके विपरीत आचरण करते हैं। हम क्या दलील देते हैं? 'हमें पूरे सिस्टम को बदलना होगा। यदि मैं अपने बेटों के लिए दहेज मांगने का हक छोड़ भी दूं तो इससे क्या फर्क पड़ेगा।' सिस्टम को कौन बदलेगा? यह सिस्टम किसका बना है? यहां पर हम बहुत ही सुविधाजनक ढंग से कहने लगते हैं कि सिस्टम में हमारे पड़ोसी हैं, दूसरे घर-परिवार हैं, दूसरे शहर हैं, दूसरे समुदाय हैं और सरकार है, लेकिन मैं और आप निश्चित रूप से इसमें शामिल नहीं हैं। जब सिस्टम में सकारात्मक योगदान करने की बात आती है तो हम अपने परिवारों के साथ किसी सुरक्षित आवरण में छुप जाते हैं और दूरदराज के देशों की तरफ ताकने लगते हैं और एक ऐसे मिस्टर क्लीन के आने का इंतजार करते हैं जो एक झटके में हमारे लिए चमत्कार कर दे। हर कोई सरकार को गालियां देने और उसे खरी-खोटी सुनाने में जुट जाता है। कोई भी सिस्टम को मजबूत करने के बारे में नहीं सोचता। हमारी अंतरात्मा पैसे की गिरवी हो गई है।

प्यारे भारतीयों, यह लेख अत्यंत विचारोत्तेजक है, यह हमें आत्मनिरीक्षण के लिए कहता है। मैं यहां जॉन एफ. केनेडी द्वारा अमेरिकियों को कहे गए शब्दों को भारतीयों के साथ जोड़ कर पेश करना चाहता हूं: 'यह पूछो कि हम भारत के लिए क्या कर सकते हैं और वह सब करिए ताकि भारत भी अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों जैसा बन सके।' आइए हम वह सब करें, जो भारत हमसे चाहता है।

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आप अपने देश के लिए क्या करना चाहिए और क्यों कोई एक बात लिखिए?

खुद अच्छे बन कर। “टैक्स” की चोरी नहीं करनी चाहिए।.
आप छोटा परिवार रखकर देश की तरक्की मे योगदान दे सकते है।.
आप अपने आसपास सफाई रखकर देश को साफ रखने मे योगदान दे सकते है।.
खुले मे शौच न करके देश को बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।.
खाना बर्बाद न करके आप देश सेवा कर सकते हैं।.
पानी जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करे।.

हमारे अपने देश के लिए क्या करना चाहिए?

हमारे संविधान में सबसे पहला मौलिक कर्तव्‍य है कि हमें अपने देश के संविधान का पालन करना चाहिए। उसमें हर विषय पर जो नियम बनें हैं उनको ध्‍यान में ही रखकर ही अपना हर काम करना चाहिए। साथ ही दूसरे लोगों को भी संविधान का पालन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि देश का हर नागरिक संविधान रूपी इस किताब के महत्‍व को समझ सके।

आप अपने देश के लिए क्या योगदान देना चाहेंगे?

Answer. Answer: हमें हमेशा अपने राष्ट्र के धवज को ,राष्ट्र गान को और सबसे महत्वपूर्ण अपने संविधान को सम्मान देना चाहिए । हमें हमेशा अपने देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए ।

अपने देश के लिए मैं क्या कर सकता हूं?

आप अपने देश और देशवासियों के लिए एक ऐसा माहोल तेयार कर सकते है , जिससे दोनों कि तरक्की सम्भव हो . जिससे भारत ही विश्व के लोगो की समस्याओ का समाधान हो . आप इसके उदाहरण के लिए नेल्सन मंडेला के जीवन को पढ़ सकते है .