कैकई ने राजा दशरथ से कौन से दो वरदान मांगे - kaikee ne raaja dasharath se kaun se do varadaan maange

कैकई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। इनमें भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। उन्होंने रानी कैकई को कोई अन्य वर मांगने को कहा लेकिन वह दो वरों में अड़ी रही। रघुकुल की मर्यादा पर राजा दशरथ को दोनों वर देने पड़े। श्री राम, भाई लक्ष्मण व सीता के वन को जाते ही राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिये। वन में केवट संवाद बेहद रोचक रहा। यहां हुकुम चन्द्र मित्तल, धरमदास, राकेश त्यागी, मथुराप्रसाद तिवारी, सुरेश अग्रवाल, भगवान सिंह भण्डारी, सुरेश जैन, पवन अग्रवाल, रमेश गुप्ता, भीमसेन गर्ग, अनिल गुप्ता, संतोष गुप्ता, सम्पत राम गोयल, मनोज कुमार, अंशुल तिवारी, लक्ष्मी अग्रवाल, गीता सक्सेना, मंजू जोशी, धर्मा देवी, राधेश्याम मौजूद रहे।

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कैकई ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगी थी पहला राम को 14 वर्ष का वनवास दूसरा लक्ष्मण का राज्य अभिषेक

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कैकई ने राजा दशरथ से कौन से दो वरदान मांगे - kaikee ne raaja dasharath se kaun se do varadaan maange

रामायण का मंथरा कैकेयी का वह दृश्य

भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन कर्तव्यों पर आधारित है। कर्तव्य, एक पुत्र का पिता के प्रति, राजा का प्रजा के प्रति, एक भाई का भाई के प्रति, एक मित्र का मित्र के प्रति, पति का पत्नी के प्रति आदि। मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन को देखें तो वहां अधिकार शब्द की जगह नहीं है। लेकिन जहां रामायण में अधिकार की बात आती है तो हमें एक नाम जेहन में आता है और वो है रानी कैकई का अधिकार। अधिकार अपने पुत्र को अयोध्या की राजगद्दी में बिठाने का, अधिकार प्रभु राम को 14 वर्षों के लिए अयोध्या से दूर वनवास भेजने का।  हम सब जानते हैं कि भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास रानी कैकई के कारण हुआ था।  

जब रानी कैकई अपनी दासी मंथरा के बहकावे में आ गईं तो उन्हें दो वचन के रूप में अपने अधिकार याद आ गए। वे दो वचन उन्हें स्वयं अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने दिए थे। कहते हैं कि जब देवराज इंद्र और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था तो उस समय राजा दशरथ ने उनका साथ दिया था। इस युद्ध में राजा दशरथ घायल हो गए थे। इस दौरान रानी कैकई ने उनके प्राण बचाए थे। तब राजा दशरथ ने रानी कैकई की वीरता से प्रसन्न होकर उनसे दो वर मांगने के लिए कहा था, लेकिन तब रानी कैकई ने उस समय कहा था कि वे समय आने पर वे दो वर मांग लेंगी।

अयोध्या में प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी जोरों से चल रही थीं। परंतु राज्याभिषेक के एक दिन पहले ही रानी कैकई मंथरा के बहकावे में आ गई और उन्होंने कैकई से राजा दशरथ से वे दो वचन मांगने के लिए कहा। मंथरा के द्वारा उकसावे में आकर रानी कैकई ने तुरंत राजा दशरथ को बुलवाया और उन्हें उन दो वचनों की याद दिलाई और मांगने के लिए कहा। राजा दशरथ से उन्होंने पहले वचन के रूप में अपने पुत्र भरत के लिए राज सिंहासन मांगा और दूसरे वचन में उन्होंने भगवान राम के लिए 14 वर्षों का वनवास। पिता के वचन का पालन करने के लिए प्रभु श्री राम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण सहित 14 वर्षों के वनवास के लिए चले गए।

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कैकई ने मांगे वरदान, राम गए वन को

श्रीरामलीला मंडल मुरार के तत्वावधान में चल रही रामलीला में शुक्रवार को रानी कैकई ने महाराज दशरथ से दो वरदान मांगे। पहला राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरा भरत को राजगद्दी। इसके बाद श्रीराम के वनवास जाने की लीला का मंचन किया गया।

मंथरा के भड़काने पर रानी कैकई नाराज होकर कोप भवन में चली जाती हैं। उन्हें मनाने के लिए महाराज दशरथ कोप भवन पहुंचते हैं। कैकई राजा दशरथ से कहती हैं कि महाराज अब तो आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो गई हैं। श्रीराम, सीता को लेकर अयोध्या भी आ गए हैं। ऐसे में क्या मुझे दिया हुआ अपना वचन भूल गए। दशरथ रानी कैकई को दोनों वचन मांगने के लिए कहते हैं। कैकई श्रीराम की सौगंध दिलाकर महाराज दशरथ से राम को वनवास भेजने और भरत का राज तिलक करने का वचन मांगती हैं। यह सुनकर राजा दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। इस बारे में जब श्रीराम को पता चलता है तो वे सीता और लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते हैं।

रामलीला मंडल के मीडिया प्रभारी निरंजन सिंह घुरैया ने बताया कि शनिवार को दशरथ मरण, केवट संवाद और भरत मिलाप की लीला का मंचन किया जाएगा। शुक्रवार को भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष खुशबू गुप्ता, कांग्रेस नेता मितेंद्र दर्शन सिंह, भाजपा नेता अंशुल श्रीवास्तव, आशुतोष पचौरी, अध्यक्ष बैजनाथ सिंह घुरैया ने श्रीराम की आरती उतारी। इस मौके पर पंकज पाठक, अखिलेश उपाध्याय, विकास उपाध्याय, विवेक कटारे मौजूद थे।

मुरार में चल रही रामलीला में प्रस्तुति देते कलाकार।

कैकेयी ने दशरथ से कौन से वरदान मांगे?

कैकई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। इनमें भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। उन्होंने रानी कैकई को कोई अन्य वर मांगने को कहा लेकिन वह दो वरों में अड़ी रही। रघुकुल की मर्यादा पर राजा दशरथ को दोनों वर देने पड़े।

रानी कैकई ने राजा दशरथ से क्या वर मांगे?

कैकई ने राजा दशरथ से पूर्व में दिये वरदान मांगे। इनमें भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। उन्होंने रानी कैकई को कोई अन्य वर मांगने को कहा लेकिन वह दो वरों में अड़ी रही।