पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों को की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है? - paalamapur mein khetihar shramikon ko kee majadooree nyoonatam majadooree se kam kyon hai?

Solution : पालमपुर में श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम होने के निम्नलिखित कारण है:-<br> (1)श्रमिकों की मजदूरी, लाचारी और बेरोजगारी उन्हें न्यूनतम से कम मजदूरी स्वीकार करने के लिए विवश करती है।<br> (2 ) जमींदारों और बड़े किसानों द्वारा श्रमिकों का शोषण होता है।<br> (3 ) आवश्यक मात्रा में रोजगार का उपलब्ध न होना। <br>(4 ) न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का ग्रामीण क्षेत्रों में लागू न किया जाना।<br>यही कारण है कि गरीब मजदूर को जो कुछ भी मजदूरी दी जाती है। उसे वह अपने भाग्य विधाता का वरदान समझकर स्वीकार कर लेता है। फलस्वरूप खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी दर कम है।<br>

कृषि श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम से कम क्यों होती है?

वे दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं उन्हें नियमित रुप से काम ढूंढना पड़ता है। पालमपुर में खतिहर श्रमिक बहुत ज्यादा है और उनकी मांग काम है इस कारण उनके बीच पर्तिस्पर्धा ज्यादा है। जिससे पालमपुर में खेतिहर श्रमिक न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी पर भी काम करने को तैयार हो जाते है।

पालमपुर में खेती हर शाम को की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से काम क्यों है?

रेनबो ट्राउट मछली की एक प्रजाति है। ... .

सरकार द्वारा एक खेतिहर मजदूर के लिए निर्धारित मजदूरी कितनी है?

सरकार ने खेतिहर मजदूरों के लिए प्रतिमाह 4550 रुपये या 175 रुपये प्रतिदन की मजदूरी निर्धारित की है। श्रम विभाग के प्रमुख सचिव आर. के. तिवारी इस सिलसिले में शासनादेश जारी करते हुए बताया कि ये न्यूनतम मजदूरी खोत जोतने, कृषि सामग्री को ढोने तथा दुग्ध उत्पादन व कुक्कुट पालन में लगे मजदूरों पर लागू होगी।

खेतिहर श्रमिक गरीब क्यों है?

खेतिहर श्रमिक गरीब हैं क्योंकि| ⦁ ये श्रमिक भूमिहीन हैं या इनके पास भूमि का बहुत छोटा भाग है। ⦁ वर्ष के दौरान उनके पास कोई कार्य नहीं है। ⦁ इन मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी प्राप्त नहीं होती है। ⦁ इनके परिवार बड़े होते हैं।