Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 कर्मवीर Textbook Exercise Questions and Answers. Show Hindi Guide for Class 9 PSEB कर्मवीर Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. (ख) भाषा-बोध ‘क’ (संस्कृत भाषा के शब्द) – ‘ख’ (हिंदी भाषा के शब्द) उपर्युक्त ‘क’ भाग में ‘कर्म’ और ‘मुख’ शब्द संस्कृत भाषा के शब्द हैं। इनका हिंदी भाषा में भी ज्यों का त्यों प्रयोग होता है। इन शब्दों को ‘तत्सम’ शब्द कहते हैं। तत् + सम अर्थात् इसके समान। ‘इसके समान’ से अभिप्राय है-‘स्रोत भाषा के समान’। हिंदी की ‘स्रोत भाषा’ संस्कृत है, अत: जो शब्द संस्कृत भाषा से हिंदी में ज्यों के त्यों अर्थात् बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं उन्हें तत्सम’ शब्द कहते हैं। जैसे : कर्म, मुख। उपर्युक्त ‘ख’ भाग में ‘कर्म’ के लिए ‘काम’ और ‘मुख’ के लिए ‘मुँह’ शब्दों का प्रयोग किया गया है। ये शब्द (काम, मुँह) संस्कृत से हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आए हैं। इन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। तद् + भव अर्थात् ‘उससे होने वाले’ से अभिप्राय है-संस्कृत भाषा से विकसित होने वाले। अतः ‘वे’ संस्कृत शब्द जो हिंदी में कुछ परिवर्तन के साथ आते हैं-उन्हें ‘तद्भव’ शब्द कहते हैं। जैसे-काम, मुँह। 1. पाठ में आए निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए तद्भव – तत्सम 2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उन्हें अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए मुहावरा – अर्थ – वाक्य उत्तर: 2. फूलना फलना – सम्पन्न होना 3. मुँह ताकना – दूसरों पर निर्भर रहना 4. बातें बनाना – गप्पें मारना 5. जी चुराना – काम से बचना 6. नमूना बनना – आदर्श/उदाहरण बनना 7. कलेजा काँपना – भय से विचलित होना, दिल दहल जाना (ग) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (घ) ज्ञान-विस्तार गीता में कर्मयोग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कर्मठ व्यक्ति के लिए यह योग अधिक उपयुक्त है। गीता में स्वयं श्रीकृष्ण कहते हैं- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। अर्थात् तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फल में कभी नहीं। इसलिए कर्मों के फल में तेरी वासना (इच्छा) न हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो। अतः कर्मयोग हमें सिखाता है कि कर्म के लिए कर्म करो, आसक्तिरहित होकर कर्म करो। कर्मयोगी इसलिए कर्म करता है कि कर्म करना उसे अच्छा लगता है और उसके परे उसका कोई हेतु नहीं है। कर्मयोगी कर्म का त्याग नहीं करता, वह केवल कर्मफल का त्याग करता है और कर्मजनित दुःखों से मुक्त हो जाता है। PSEB 9th Class Hindi Guide कर्मवीर Important Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न
7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें- प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कर्मवीर सप्रसंग व्याख्या 1. देख कर बाधा विविध, बहु विज घबराते नहीं। शब्दार्थ: प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
2. आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही शब्दार्थ: प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
3. जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं शब्दार्थ: प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
4. व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर शब्दार्थ: प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
कर्मवीर Summaryकर्मवीर कवि-परिचय जीवन परिचय: रचनाएँ: विशेषताएँ: कर्मवीर कविता का सार ‘कर्मवीर’ कविता में ‘हरिऔध’ जी ने कर्मशील व्यक्तियों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया है कि वे कभी भी विघ्न, बाधाओं को देख कर घबरातें नहीं हैं तथा कठिन से कठिन कार्य भी मन लगा कर पूरा करते हैं। अपनी मेहनत से वे अपने बुरे दिनों को भी भला बना लेते हैं। वे कभी भी किसी काम को कल पर टालते हैं। वे जो कुछ सोचते हैं, वही कर के भी दिखाते हैं। वे अपना कार्य स्वयं करते हैं तथा कभी किसी से सहायता नहीं मांगते। वे अपने समय को अमूल्य समझकर व्यर्थ की बातों में गंवाते नहीं हैं। वे न तो काम से जी चुराते हैं और न ही टाल-मटोल करते हैं। वे तो दूसरों के लिए आदर्श हैं। अपनी मेहनत से वे आकाश की ऊँचाइयों को छू लेते हैं तथा दुर्गम पर्वतों की चोटियों को भी जीत लेते हैं। उन्हें घने जंगलों के अंधकार, गर्जते सागर की लहरों, आग की लपटों आदि भी विचलित नहीं करती तथा वे सदा अपने कार्यों में सफल रहते हैं। कर्मवीर कविता से क्या सीख मिलती है?“कर्मवीर” कविता एक प्रेरणादायक कविता है। इस कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों से कभी भी घबराना नहीं चाहिए। हमें भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए बल्कि निरंतर कर्म करते रहना चाहिए।
कर्मवीर किसकी कविता है?यह एक बहुविकल्पी शब्द का पृष्ठ है: यानि समान शीर्षक वाले लेखो की सूची।
कर्मवीर का क्या लक्ष्य है?कर्मवीर की पहचान क्या है ?
कर्मवीर कविता का उद्देश्य क्या है संक्षेप में लिखें?कर्मवीर कविता का सारांश
सच्चा कर्मवीर व्यक्ति विघ्न और बाधाओं से नहीं घबराता। कठिन-से-कठिन कार्य को भी वह हँसते-हँसते पूरा कर लेता है। बड़े-से-बड़े संकट भी उसे अपने काम से विचलित नहीं कर सकता। वह जिस काम को आरम्भ करता है उसे समाप्त करके ही छोड़ता है।
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