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अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में भारत विश्व में चौथे और सौर ऊर्जा में पांचवें स्थान पर पहुंचास्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले भारत ने अक्षय ऊर्जा के मामले में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं को शामिल किए बगैर 100 गीगावाट की रिन्यूबल ऊर्जा क्षमता के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया। नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लाल किले से दिए अपने भाषण में जहां तमाम महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, वहीं सबसे ख़ास रही राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना की घोषणा। इसके अंतर्गत भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का नया वैश्विक केंद्र बनाने के प्रयास होंगे। इसी के साथ उन्होंने वर्ष 2047 तक भारत को ऊर्जा क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने का लक्ष्य भी तय किया। खास बात यह कि स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले भारत ने अक्षय ऊर्जा के मामले में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं को शामिल किए बगैर 100 गीगावाट की रिन्यूबल ऊर्जा क्षमता के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर लिया। साथ ही भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर, सौर ऊर्जा में पांचवें और पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 100 गीगावाट की क्षमता स्थापित की जा चुकी है, वहीं 50 गीगावॉट क्षमता स्थापित करने का काम जारी है, इसके अलावा 27 गीगावाट के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है। इस अहम पड़ाव को हासिल करने के साथ ही भारत ने 2030 तक 450 गीगावॉट रिन्यूबल ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षा को भी बढ़ा दिया है। और इसमें अगर बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को शामिल कर लिया जाए तो स्थापित रिन्यूबल ऊर्जा क्षमता 146 गीगावाट बढ़ जाएगी। इस घटनाक्रम की जानकारी देते हुए केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने ट्वीट भी किया है। यह हर लिहाज़ से भारत के रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक विकास है और भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के लिए गेम चेंजिंग हो सकता है। ध्यान रहे कि आईपीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट में भी ऐसे प्रयासों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे मोड़ पर आती हैं जब यह एहसास होने लगा है कि भारत और अधिक कर सकता है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए आइएसए के निदेशक डा. अजय माथुर ने कहा, भारत सिर्फ़ 15 वर्षों में, 10 गीगावॉट (GW) से बढ़कर 100 गीगावाट (GW) हो गया है। यह एक बड़ी सफलता है। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला कहती हैं कि गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे कई राज्यों ने आगे कोयले का निर्माण नहीं करने और रिन्यूएबल ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार करने का इरादा व्यक्त किया है। 2030 तक 450 गीगावॉट (GW) हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता और 100 गीगावॉट (GW) स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी (RE) क्षमता की उपलब्धि को देखते हुए, कोयले के उपयोग को युक्तिसंगत बनाना अब आवश्यक है। इससे न केवल उत्सर्जन कम होगा, बल्कि स्वच्छ हवा भी सुनिश्चित होगी। हाल के विश्लेषणों से पता चला है कि योग्यता क्रम में चीपेस्ट फर्स्ट (सबसे सस्ता पहले) सिद्धांत एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जहां पुराने अक्षम संयंत्रों को वरीयता मिल जाती है। जिस समय हम रिन्यूएबल एनर्जी (RE) क्षेत्र में शानदार सफ़लता के लिए दुनिया भर में चमक रहे हैं, हमें दक्षता और कोयले से उत्सर्जन में कमी पर ध्यान देना चाहिए, और थर्मल क्षेत्र में आवश्यक परिवर्तन करना चाहिए, ताकि भारत के बिजली क्षेत्र में समग्र लाभ लाया जा सके। आगे कैसे प्रयासों की ज़रूरत होगी, इस पर गौर करते हुए विभूति गर्ग (ऊर्जा अर्थशास्त्री, IEEFA (आईईईएफए) कहती हैं कि देश को अपने ऊर्जा क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करने में मदद करने के लिए आगे की राह में इन लक्ष्यों में और तेज़ी लाने की ज़रूरत है। यह वैल्यू चेन में प्रौद्योगिकी और वित्त में प्रगति और एक स्थिर और अनुकूल नीति वातावरण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। मध्य प्रदेश सरकार में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव, कहते हैं, रिन्यूएबल ऊर्जा और भी तेज़ी से बढ़ सकती है। अनिच्छुक DISCOMS (डिस्कॉमों) को रिन्यूएबल एनर्जी (RE) प्राप्त करने के लिए बाध्य करने के बजाय हमें संस्थागत ग्राहकों को सुविधा प्रदान करनी चाहिए। यह हमारा काम है कि हम ऐसी परियोजनाएं स्थापित करें जहां वे उपभोग कर सकें और उन्हें उचित दर पर रिन्यूएबल एनर्जी (RE) दे सकें। आज हमारे पास PPAs (पीपीए) हैं जिनका हम निपटान नहीं कर सकते। दूसरी तरफ हमारे पास भारतीय रेलवे जैसे बड़े ग्राहक हैं, जो उत्सुक हैं पर स्वच्छ बिजली प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं। अखिलेश मगल (प्रमुख, रिन्यूएबल सलाहकार, GERMI) का कहना है कि यह अपने ऊर्जा संक्रमण को लागू करने में भारत के मार्ग में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इससे कई चीजें संरेखित हुई हैं - रिन्यूएबल ऊर्जा के लिए हमारे पास राजनीतिक इच्छाशक्ति है, सहायक नीतियों को लागू किया गया है और सही प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया है। अब देखना यह है कि अगले दस सालों में भारत किस रफ़्तार से अपने लक्ष्य हासिल कर पाएगा। Edited By: Jp Yadav परमाणु ऊर्जा, कम कार्बन वाली बिजली का उत्पादन करने का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है. वर्त्तमान में सम्पूर्ण विश्व में कुल मिलाकर 449 परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं जो दुनिया की लगभग 11% ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं. तो आइये जानते हैं कि ये संयंत्र हैं कहाँ ?
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संयंत्र होने का खिताब देता है. शहर की राजधानी से लगभग 220 किमी दूर, निगाता प्रान्त में काशीवाजाकी-करिवा संयंत्र में सात से अधिक उबलते पानी के रिएक्टर (बीडब्ल्यूआर) हैं. उनमें से पांच की कुल क्षमता 1,100MW है, जबकि नवीनतम दो की 1,356MW है. Free Demo ClassesRegister here for Free Demo Classes Please fill the name Please enter only 10 digit mobile number Please select course Please fill the email Something went wrong! Download App & Start Learning काशीवाजाकी-करिवा परमाणु ऊर्जा की स्थापना लागत 70 बिलियन येन बताई जाती है. देश को समय-समय पर प्रभावित करने वाले भूकंपों के कारण कंपनी को आंशिक रूप से बंद भी किया गया था. 2. ब्रूस न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन - कनाडा के गौरव, ब्रूस न्यूक्लियर जनरेटिंग स्टेशन (न्यूक्लियर पावर प्लांट) की कुल क्षमता 6,234MW है. ब्रूस पावर द्वारा संचालित, यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जिसमें 8 दबाव वाले भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्लूआर) हैं जो इसे संचालित करते हैं.
ओंटारियो विद्युत उत्पादन (ओपीजी) के स्वामित्व वाले इस पीएचडब्ल्यूआर की क्षमता 786 मेगावाट से 891 मेगावाट तक है. यह कनाडा का पहला परमाणु रिएक्टर है और इसकी लागत लगभग 2.4 बिलियन सीएडी है. 3. शिन कोरी परमाणु ऊर्जा संयंत्र -कोरिया हाइड्रो एंड न्यूक्लियर पावर के स्वामित्व वाला
शिन कोरी न्यूक्लियर पावर प्लांट 6,040MW की सकल क्षमता के साथ तीसरे स्थान पर आता है. 4. हनुल परमाणु ऊर्जा संयंत्र -5,928MW की क्षमता वाला हनुल नुक्लेअर पॉवर प्लांट विश्व का चौथा सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. इसे पहले उलचिन परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रूप में जाना जाता था, 2013 में इसका नाम उलचिन से बदलकर हनुल परमाणु ऊर्जा संयंत्र कर दिया गया. इस संयंत्र में छह दबाव वाले पानी रिएक्टर (पीडब्लूआर) शामिल हैं. इसे 1988 में व्यावसायिक रूप से संचालित किया गया था और 2012 में इसने अपना दूसरा चरण पूरा किया. कोरियाई इसे अपने देश का गौरव मानते हैं, क्योंकि यह सभी कोरियाई-निर्मित घटकों का उपयोग करने वाला पहला संयंत्र था. 5. हैनबिट परमाणु ऊर्जा संयंत्र -शीर्ष 10 देशों की सूची में जगह बनाने वाली एक अन्य कोरियाई एनपीपी हैनबिट नुक्लेअर पॉवर प्लांट है. पहले इसे योंगग्वांग एनपीपी के रूप में जाना जाता था. हैनबिट की स्थापित कुल क्षमता 5,899MW है, जो इसे दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाती है. यह संयंत्र भी दक्षिण कोरियाई कंपनी कोरिया हाइड्रो एंड न्यूक्लियर पावर के स्वामित्व में है. हैनबिट एनपीपी में 6 पीडब्लूआर शामिल हैं. 6. ज़ैपसोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र -5,700MW की कुल क्षमता के साथ, यूक्रेन का ज़ैपसोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र सूची में अगले स्थान पर है. यूक्रेन राज्य द्वारा संचालित नेशनल न्यूक्लियर एनर्जी जनरेटिंग कंपनी (एनर्जोएटॉम) के स्वामित्व और संचालन में, हाल ही में, ज़ैपसोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के नवीनीकरण की एक श्रृंखला घोषित की गयी थी. जिससे कि 2027 तक इस संयंत्र को 10 साल के जीवन विस्तार के लिए इसे सक्षम बना देगा. इस संयंत्र में 950 मेगावाट की क्षमता वाली छह पीडब्लूआर इकाइयां हैं. यह यूरोप का सबसे बड़ा नुक्लेअर पॉवर प्लांट (एनपीपी) है. Polity E Book For All Exams Hindi Edition- Download Now 7. ग्रेवलाइन्स न्यूक्लियर पावर प्लांट -फ़्रांसीसी विद्युत उपयोगिता कंपनी lectricité de France (EDF) के स्वामित्व वाला, ग्रेवलाइन्स परमाणु ऊर्जा संयंत्र 5,460MW की शुद्ध क्षमता के साथ दुनिया में सातवाँ सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. फ्रांसीसी तट पर डोवर से 48 किलोमीटर दूर स्थित इस नुक्लेअर पॉवर प्लांट में छह 900MW क्षमता वाली PWR इकाइयाँ हैं, जिन्हें 1980 में कमीशन किया गया था. यह संयंत्र लगभग 5.9% फ्रांसीसी बिजली उत्पादन करता है. 8. पलुएल परमाणु ऊर्जा संयंत्र -पलुएल परमाणु ऊर्जा संयंत्र, इलेक्ट्रिकिट डी फ्रांस (ईडीएफ) के स्वामित्व वाली एनपीपी (नुक्लेअर पॉवर प्लांट) है, जो 5,528MW की सकल स्थापित क्षमता वाला संयंत्र है. फ्रांस के इंग्लिश चैनल तट से लगभग 40 किमी दूर स्थित यह संयंत्र देश का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. इसमें चार 1,300MW वर्ग के दबाव वाले पानी के रिएक्टर हैं, जो सालाना फ्रांस के बिजली ग्रिड में लगभग 32 बिलियन किलोवाट-घंटे की बिजली आपूर्ति करते हैं. 9. होंग्यानहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र, चीन -होंग्यानहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र तटीय शहर डालियान, लिओनिंग प्रांत के पास, डोंगगांग में स्थित है. इसमें 4,476MW (प्रत्येक 1,119MW) की सकल स्थापित क्षमता और 4,244MW (1,061MW प्रत्येक) की कुल डिजाइन क्षमता के साथ चार परिचालन PWR इकाइयां हैं. होंग्यानहे वर्तमान में चीन में दूसरी सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा सुविधा के रूप में और दुनिया में दसवें सबसे बड़े स्थान पर है. साइट पर वर्तमान में निर्माणाधीन दो और 1,000MW PWR इकाइयाँ क्रमशः 2019 और 2021 के अंत में ऑनलाइन आने वाली हैं. होंग्यानहे संयंत्र का स्वामित्व और संचालन लियाओनिंग होंग्यानहे न्यूक्लियर पावर (एलएचएनपी) द्वारा किया जाता है, जो सीजीएनपीसी (45%), चाइना पावर इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (सीपीआईसी, 45%) और डालियान कंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट ग्रुप (10%) का एक संयुक्त उद्यम है। संयंत्र में चार सीपीआर-1000 रिएक्टर इकाइयों को 2013 और 2016 के बीच चालू किया गया था. क्रिप्स मिशन के इतिहास को जानिए 10. फुकुशिमा दैनी परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जापान -फुकुशिमा दैनी या फुकुशिमा II परमाणु ऊर्जा संयंत्र, नाराहा, फुकुशिमा प्रान्त, जापान में स्थित है. यदि इसका परिचालन हो रहा होता तो इसे दुनिया के दसवें सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रूप में स्थान दिया जाता. मार्च 2011 में ग्रेट ईस्ट जापान भूकंप के कारण फुकुशिमा II की चार रिएक्टर इकाइयां स्वचालित रूप से बंद हो गईं. 4,268MW (कुल) ऊर्जा उत्पादन क्षमता वाले इस संयंत्र का स्वामित्व TEPCO के पास है. इसका सञ्चालन भी TEPCO हीं करता है. इस संयंत्र में 1,100MW की सकल क्षमता और 1,067MW की कुल क्षमता वाली चार BWR इकाइयाँ शामिल हैं. पानी के नीचे आये 9.0 तीव्रता के भूकंप से उत्पन्न शक्तिशाली सुनामी लहरों ने फुकुशिमा दाइची नयूक्लेअर पॉवर प्लांट (एनपीपी) में तीन रिएक्टरों के ख़राब होने का कारण बना, जबकि फुकुशिमा दैनी अपने रिएक्टरों के आपातकालीन बंद होने के कारण इस आपदा से बच गया. फुकुशिमा दैनी के सभी (चार) रिएक्टरों को तब से बंद हीं रखा गया है. जून 2018 में, TEPCO ने बताया कि वह इस संयंत्र को बंद करने पर विचार कर रहा है. परमाणु का भविष्य –
वर्त्तमान में सम्पूर्ण विश्व में कुल मिलाकर 449 परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं अमेरिका में परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल संख्या 96 है. जो दुनिया में सबसे अधिक है। काशीवाजाकी-करिवा परमाणु ऊर्जा संयंत्र भारत में लगभग 6,780 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाले 22 परिचालन परमाणु रिएक्टर हैं। विश्व का सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक देश कौन है?सही उत्तर है चीन। चीन कोयले का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है।
विश्व का सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन कौन सा है?जीवाश्म ईंधन. कोयला कोयला पृथ्वी पर सबसे प्रचुर और सबसे अधिक जलाया गया जीवाश्म ईंधन है। ... . प्राकृतिक गैस द वर्ल्ड फैक्टबुक के आंकड़ों के आधार पर प्राकृतिक गैस सिद्ध भंडार (2014) वाले देश। ... . तेल ... . स्थिरता. नवीकरणीय वैश्विक स्थिति रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत वर्ष 2021 में अक्षय ऊर्जा प्रतिष्ठानों में कौन से स्थान पर है?अक्षय ऊर्जा: भारत वर्ष 2021 में चीन और रूस के बाद अक्षय ऊर्जा प्रतिष्ठानों में तीसरे स्थान पर है। पनबिजली क्षमता: भारत ने वर्ष 2021 में 843 मेगावाट की पनबिजली क्षमता वृद्धि की, जिससे कुल क्षमता बढ़कर 45.3 गीगावॉट हो गई।
भारत में सर्वाधिक उपयोग में आने वाली नवीनीकरण ऊर्जा क्या है?30 नवंबर 2021 को देश की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता 150.54 गीगावाट (सौर: 48.55 गीगावाट, पवन: 40.03 गीगावाट, लघु जलविद्युत: 4.83, जैव-शक्ति: 10.62, लार्ज हाइड्रो: 46.51 गीगावाट) है, जबकि भारत की परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6.78 गीगावाट है। भारत के पास विश्व की चौथी सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है।
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