Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 9 Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf. Show
GSEB Std 9 Hindi Textbook Solutions Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशाStd 9 GSEB Hindi Solutions यमराज की दिशा Textbook Questions and Answers प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न 5.
(ख) जी हाँ, माँ की सीख मुझे हमेशा उचित मालूम पड़ती है क्योंकि वह उसकी भलाई के लिए कहती हैं तथा बुराई से बचाने का प्रयास करती है । GSEB Solutions Class 9 Hindi यमराज की दिशा Important Questions and Answers अतिरिक्त प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. भावार्थ और अर्थबोधन संबंधी प्रश्न 1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं भावार्थ : कवि कहता है कि उसकी माँ और यमराज की मुलाकात हुई या नहीं कहना मुश्किल है । परन्तु माँ बड़े विश्वासपूर्वक कहती थी कि ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है और उनसे सलाह लेकर ही वह सारा काम करती है । वह उसी सलाह के आधार पर वह जिंदगी जीने और दुख सहने के रास्ते खोज लेती है । उन्हें भी जिंदगी जीने के रास्ते बताती है और समस्याओं से लड़ने की प्रेरणा देती है । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था- भावार्थ : बचपन में कवि की माँ ने एक सीख दी थी कि दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना, क्योंकि दक्षिण दिशा की तरफ यम का निवास होता है । यमराज मृत्यु के देवता हैं । यम की तरफ पैर करके सोने से यम को क्रोध आ सकता है । यमराज को नाराज करने में बुद्धिमानी की बात नहीं है । कवि उस समय छोटा था । उसने बाल कौतूहल वश अपनी माँ से यमराज के घर का पता पूछा था । उनकी माँ ने बताया था कि तुम जहाँ भी रहते हो यहाँ से दक्षिण की ओर यमराज का वास होता है । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 3. माँ की समझाइश के बाद भावार्थ : कवि कहता है कि माँ की सीन के बाद वह दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया । इससे और कोई लाभ हुआ हो या नहीं, परन्तु इतना जरूर हुआ कि उनका दिशा-ज्ञान पक्का हो गया । जीवनभर दक्षिण दिशा पहचानने में कवि को फिर कोई परेशानी नहीं हुई । कवि दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक गया और माँ की दी हुई सीख हमेशा याद रही । लेकिन उस सीमा तक नहीं पहुंच पाया जहाँ यम का घर मिल जाए । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. 4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ भावार्थ : कवि सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहता है कि आज जीवन विरोधी ताकतें-चारों तरफ फैलती जा रही हैं, किसी एक दिशा तक सीमित नहीं रह गई हैं । आज जिधर भी पैर करके सोओ वह दक्षिण दिशा अर्थात् यमराज की दिशा हो जाती है । जीवन में हर तरफ खतरे हैं । बड़े-बड़े विशाल आलीशान भवनों में यमराज के प्रतिरूप बैठे नजर आते हैं, जो अपनी दहकती आँखों से घूरते रहते हैं । आमआदमी का शोषण करने के लिए वे हमेशा तैयार रहते हैं । अब यमराज की दिशा मात्र वहीं तक सीमित नहीं रही, जितना माँ जानती थी, वह सर्वत्र फैल गई है । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. कविता पढ़कर नीचे पुछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : माता की छाती का अमृतमय पय कालकूट हो जाए, आँखों का पानी सूखे, वे शोणित की पूँटे जो जाएँ, एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विचलित हो जाए, अंधे मूढ विचारों की वह अचल शिखा विचलित हो जाए, और दूसरी ओर कंपा देनेवाली गर्जन उठ जाए, अंतरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँडराएँ । प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. यमराज की दिशा Summary in Hindiचंद्रकांत देवताले का जन्म मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के जौलखेड़ा गाँव में हुआ । उनकी उच्च शिक्षा इंदौर में हुई और पीएच.डी. सागर विश्वविद्यालय, सागर से की । उन्होंने उच्च शिक्षा में अध्यापन कार्य भी किया । हड्डियों में छिपा ज्वार’, ‘दीवारों पर खून से’, ‘लकड़बग्धा हँस रहा है’, “भूखंड तप रहा है’, ‘पत्थर की बेंच’, ‘इतनी पत्थर रोशनी’, ‘उजाड़ में संग्रहालय’ आदि देवताले जी की प्रमुख काव्यकृतियाँ हैं । उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, मध्यप्रदेश शिखर सम्मान तथा मैथिलीशरण गुप्त सम्मान मिला था । देवताले की कविताओं में गायों, कस्बों और निम्नमध्य वर्ग के जीवन का चित्रण है । उसमें मानव जीवन अपनी विविधता और विडंबनाओं के साथ उपस्थित हुआ है । कवि में जहाँ व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ आक्रोश है, वहीं मानवीय प्रेम भाव भी है । वे अपनी बात सीधे ढंग से कहते हैं । वे अपनी कविता में सामान्य बोलचाल की सरल और सुगम भाषा का प्रयोग करते हैं । कविता-परिचय : ‘यमराज की दिशा’ नामक कविता में कवि सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहना चाहता है कि जीवन-विरोधी ताकतें चारों तरफ फैलती जा रही हैं । वे किसी एक दिशा तक सीमित नहीं हैं । माँ तो केवल दक्षिण में ही यमराज का वास बताती थी, परन्तु कवि को तो अब चारों तरफ यमराज का ही वास नजर आ रहा है । शहरों में चारों ओर बनी ऊँची-ऊँची इमारतें उन्हें यमराज की याद दिलाती हैं । मनुष्य में यमराज के रूप में हिंसा, भ्रष्टाचार, लालच घुस चुकी है, कवि ने इनके विरुद्ध खड़ा होने का आह्वान किया है । कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है क्योंकि-
उसकी माँ ने जब उसे दक्षिण दिशा का ज्ञान कराया था तब से आज की परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। सभ्यता का विकास खतरनाक दिशा की ओर बढ़ता गया। आज लोगों की सामाजिक सोच और मानवीय मूल्यों में परिवर्तन आ गया है।
कवि के लिए दक्षिण क्यों हो जाती है?कवि की माँ ने उसे समझाया था कि कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोना नहीं चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की है और यमराज को क्रोधित करना उचित नहीं। दक्षिण दिशा के प्रति वह सदा सचेत रहा और वह कभी भी उस दिशा की ओर पैर करके नहीं सोया, इसलिए उसे दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
कवव ने ऐसा क्यों कहा कक दक्षिण दिशा को लांघना सींभव नह ीं है?बचपन से ही उनके मन में यह अवधारणा बन गई थी कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से मृत्यु की प्राप्ति होती है। मृत्यु के भय से कवि का मन आजीवन आशंकित रहा। इसी कारणवश दक्षिण दिशा को लाँघना कवि के लिए संभव नहीं था।
कवि की मां दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से क्यों मना करती थी?प्रश्न (क) माँ दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से मना क्यों करती है ? उत्तरः माँ ने मुझसे कहा था कि दक्षिण की तरफ पैर करके मत सोना क्योंकि वह मृत्यु की दिशा है। दक्षिण की ओर पैर करके सोने से यमराज नाराज हो जाएंगे तथा यमराज को नाराज करना ठीक नहीं है।
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