कविता के अनुसार स्त्रियों के भ्रम की िस्तुएं क्या िै? - kavita ke anusaar striyon ke bhram kee istuen kya iai?

कविता में इन्हें शाब्दिक भ्रम कहा गया है क्योंकि इनका उपयोग पुरुष समाज स्त्रियों को बंधक बनाने के लिए करता है उन्हें साज सज्जा की वस्तु समझ कर उन्हें जेवर इत्यादि से सजाया जाता है तथा स्त्री भी इनके मोह में फसकर सभी अत्याचार सहने को तैयार हो जाती है

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विषयसूची Show

  • कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक धर्म क्यों कहा गया है?
  • बेटी को अभी सिर्फ किसका आभास था?
  • वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन के बंधन है कैसे?
  • कन्यादान कविता में स्त्री के बंधन कौन से हैं?
  • Class 10, NCERT Hindi Course (A) - Kshitij Bhag 2
  • Chapter 8, Kanyadan by Rituraj
  • कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम क्यों कहा गया है?
  • शाब्दिक भ्रमों से कवि का क्या आशय है?
  • कन्यादान कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
  • कविता के अनुसार स्त्रियों के भ्रम की िस्तुएं क्या िै?

  • 4

विषयसूची

  • 1 कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक धर्म क्यों कहा गया है?
  • 2 बेटी को अभी सिर्फ किसका आभास था?
  • 3 वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन के बंधन है कैसे?
  • 4 कन्यादान कविता में स्त्री के बंधन कौन से हैं?
  • 5 कन्यादान कविता के अनुसार स्त्री के लिए भ्रम की वस्तुएं क्या है *?
  • 6 माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर मत रीझना क्यों कहा?

कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक धर्म क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंकन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।

बेटी को अभी सिर्फ किसका आभास था?

इसे सुनेंरोकेंमाँ के लिए अपनी बेटी को अंतिम पूँजी इसलिए कहा गया है क्योंकि उसके जाने के बाद वह बिलकुल खाली हो जाएगी। बेटी पर उसका सारा ध्यान केन्द्रित है। यह उसके जीवन की संचित पूँजी है। जब वह कन्यादान कर देगी तो उसके पास कुछ न बचेगा/माँ अपनी बेटी के सबसे निकट और सुख-दुख की साथी होती है।

लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना मैं क्या संदेश निहित है?

इसे सुनेंरोकें’लड़की जैसी दिखाई मत देना’ से कवि का आशय है कि समाज-व्यवस्था द्वारा स्त्रियों के लिए जो प्रतिमान गढ़ लिए गए हैं, वे आदर्शों के आवरण में बंधन होते हैं। लोग स्त्रियों की कोमलता को कमजोरी समझते हैं।

मां ने बेटी को चेहरे पर भेजने के लिए क्यों मना किया?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (क)- माँ ने अपनी बेटी को चेहरे पर रीझने से क्यों मना किया? उत्तर: माँ ने लड़की से स्वयं पर रीझने से इसलिए मना किया ताकि वह अपने रूप सौन्दर्य में खोकर अपने कर्तव्य को न भूल जाए।

वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन के बंधन है कैसे?

इसे सुनेंरोकेंस्त्री वस्त्र और आभूषणों से स्वयं को सजाने में व्यस्त रहती है तथा इनके मध्य इतना उलझ जाती है कि वह स्वयं के अस्तित्व और विकास को भूल जाती है। यही कारण है इन्हें स्त्री जीवन के लिए बंधन माना गया है।

कन्यादान कविता में स्त्री के बंधन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. कन्यादान कविता के आधार पर स्त्री जीवन के बंधन उसकी सुंदरता,आभूषण,आदि चीजों को कहा गया है ।

कन्यादान कविता में बेटी को अंतिम पूंजी क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंबेटी उसके खुशियों तथा उसके कष्टों का एकमात्र सहारा होती है। बेटी के चले जाने के पश्चात् माँ के जीवन में खालीपन आ जाएगा। वह बचपन से अपनी पुत्री को सँभालकर उसका पालन-पोषण एक मूल्यवान सम्पत्ति की तरह करती है। इसलिए माँ को उसकी बेटी अंतिम पूँजी लगती है।

कन्यादान कविता में माँ ने बेटी को क्या क्या सीखें दीं?

इसे सुनेंरोकेंमाँ ने बेटी को सीख दी थी कि वह केवल सुंदरता पर ही नहीं रीझे बल्कि अपने वातावरण के प्रति भी सचेत रहे। जिस पानी में झांककर उसे अपनी परछाई दिखाई देती है उसकी गहराई को भी वह भली-भांति जान लें। कहीं वही उसके लिए जानलेवा सिद्ध न हो जाए। वह उस आग की तपन का भी ध्यान रखे जो रोटी पकाने में काम आती है।

कन्यादान कविता के अनुसार स्त्री के लिए भ्रम की वस्तुएं क्या है *?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: स्त्री के जीवन में वस्त्र और आभूषण भ्रमों की तरह हैं अर्थात् ये चीजें व्यक्ति को भरमाती हैं।

माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर मत रीझना क्यों कहा?

इसे सुनेंरोकेंपर लड़की जैसी दिखाई मत देना। माँ ने चेहरे पर रीझने के लिए क्यों मना किया? ससुराल वालों से झुठी प्रशंसा को पाकर कहीं बेटी शोषण का शिकार न बन जाए। अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुनकर झूठ का शिकार न बन जाए।

कौन सी वस्तु स्त्री जीवन को बंधन में डालती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: वैसे ही वस्त्र-आभूषणों के चकाचौंध में नव-विवाहिताएँ बंधन में ऐसी बंध जाती है कि अपना अस्तित्व ही खो देती है। इसलिए इस कविता में वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन का बंधन कहा गया है।

माँ ने आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहा है कन्यादान कविता के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री के लिए बंधन इसलिए कहा है क्योंकि इनके मोह में बँधकर स्त्री अपने अस्तित्व को भूल जाती है। इनकी चमक-दमक को पाने के लिए अपने शोषण की भी सह लेती हैं। ये आभूषण बेड़ियाँ बनकर उसे परिवार के दायित्वों में कैद कर लेते हैं।

Class 10, NCERT Hindi Course (A) - Kshitij Bhag 2

Chapter 8, Kanyadan by Rituraj

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कन्यादान

Sample Hot questions from the stanza given below:

'माँ ने कहा पानी में झाँककर 

                                …………………………
                              पर लड़की जैसी दिखाई मत देना'

Question.1: पानी में झाँककर अपने चेहरे पर न रीझने की बात से क्या तात्पर्य है ?

Solution: कन्यादान के समय माँ अपनी बेटी से कहती है कि पानी में झाँककर अपने चेहरे की सुंदरता देखते हुए प्रसन्न मत हो जाना। इस बात से तात्पर्य यह है कि मुखड़े की जिस सुंदरता और कोमलता पर स्त्री स्वयं को गौरवान्वित समझती है, वही उसके लिए बंधन का कारण बन जाता है। 
     

Question.2: लड़की जैसी न दिखाई देने से कवि का तात्पर्य है ?

Solution: माँ कन्यादान के समय बेटी से कहती है कि तुम लड़की होते हुए भी लड़की जैसी मत दिखाई देना। माँ द्वारा ऐसा कहने का भाव यह है कि वह लड़कियों की तरह सौंदर्य व कोमलता के गुणों से युक्त होते हुए भी सामाजिक मान्यता के अनुरूप 'अबला' न बने। समाज-व्यवस्था द्वारा स्त्री के प्रति भेदभावपूर्ण बंधनों को वह कभी स्वीकार न करे। वह दृढ़तापूर्वक अपने प्रति किए जाने वाले अन्याय का सामना करे, कभी भी दुर्बलता न प्रकट करे। 
   

Question.3: माँ ने बेटी को चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है ?

Solution: प्रायः सुन्दर स्त्री अपनी सुंदरता की प्रशंसा सुन प्रसन्न हो उठती है फिर प्रशंसा के बंधन में बँधी रहकर लड़की बनकर ही रहना पड़ता है। इसे ही अपना सर्वस्व मान घर की चारदिवारी में आबद्ध रहती है। परम्पराओं के निर्वाह तक सीमित रहना ही जीवन की सार्थकता समझ ली जाती है। 
   

Question.4: माँ ने बेटी को कैसे सावधान किया है ?   

Or, 

'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं।' इस कथन का प्रयोग यहाँ किस संदर्भ में हुआ है ? 

Solution: माँ ने बेटी को सावधान किया है कि ससुराल में रहकर नव-विवाहिता ही आग की चपेट में आती रही है, जिसे बहुओं की असावधानी कहकर परिवार के लोग बहुओं को दोषी ठहराते रहे हैं। माँ के हृदय में यह डर भी समाया है कि भोली बेटी ससुराल के उलाहनों को न सहन कर पाए तो कहीं स्वयं ही आग के वरण न कर ले। इसलिए माँ ने बताया कि आग रोटियों को सेंकने के लिए होती है, स्वयं जलने के लिए नहीं होती है।

Question.5: वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक - भ्रम किसलिए कहा है ?

Or,

वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन के बंधन क्यों कहे गए है ? 
Solution: शब्दों का ही चमत्कार है कि प्रशंसात्मक शब्दों को सुनकर लोगों के भ्रमजाल में सामान्य जन आ जाते हैं, अंततः दुष्परिणाम होता है। वैसे ही वस्त्र-आभूषणों के चकाचौंध में नव-विवाहिताएँ बंधन में ऐसी बंध जाती है कि अपना अस्तित्व ही खो देती है। इसलिए इस कविता में वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन का बंधन कहा गया है। 

Question.6: 'पर लड़की जैसी दिखाई मत देना' में माँ का क्या मन्तव्य है ?
Solution: माँ ने अपनी बेटी को बताया है कि मर्यादित जीवन जीते हुए लड़की की तरह रहना, किन्तु एक सामान्य अबला की तरह अत्याचारों को सहन करने के लिए कटिबद्ध न रहना। नारी-अस्तित्व-बोध बनाए रखना। 

Additional Hot Questions

Question: स्त्री का सौंदर्य उसके लिए बंधन किस प्रकार बन जाता है ? 'कन्यादान' कविता के आधार पर इसकी चर्चा कीजिए।    
Solution: स्त्री का सौंदर्य उसके व्यक्तित्व में आकर्षण एवं बढ़ावा लाता है। परन्तु उसका सौंदर्य और उसकी कोमलता स्त्री को पुरूष से भिन्नता प्रदान करती है। पुरूष-प्रधान समाज में उसके लिए एक विशेष 'आदर्श' निर्धारित कर दिए जाते हैं।  
स्त्री के लिए आचरण संबंधी नए प्रतिमान स्थापित किये जाते हैं। स्त्री की कोमलता के कारण उसे कमजोर मान लिया जाता है और सौंदर्य उसे और सीमित कर देती है।  समाज उसके लिए जो आदर्श निर्धारित करता है, वे उसकी स्वतंत्रता को बाधित कर देते हैं। अर्थात स्त्री का सौंदर्य उसी के लिए एक प्रकार से बंधन का कारण बन जाते हैं।         

Question: ' कन्यादान' कविता में निहित सन्देश पर प्रकाश डालिए।  

Or, 

'कन्यादान' कविता में लड़की को भावी जीवन के प्रति किस प्रकार का दृष्टिकोण विकसित करने के लिए शिक्षा दी गयी है ?
Solution: 'कन्यादान' कविता में बेटी का कन्यादान करते समय उसकी माँ की पीड़ा और चिंता का सजीव चित्रण किया गया है। एक अबिवाहित लड़की भोली और सरल होती है। उसे जीवन के सुख-दुःख का कोई अनुभव नहीं रहता है। अतः माँ उसे भावी जीवन के प्रति उचित दृष्टिकोण विकसित करने की शिक्षा देती है। 
इस कविता में निहित संदेश है कि लड़की की सुंदरता और कोमलता को समाज उसकी दुर्बलता के साथ जोड़ देता है। उसके लिए एक अलग 'आदर्श' तथा 'आचरण' तय कर दिए जाते हैं। आदर्श के नाम पर उस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं। यह आदर्श रूपी आचरण न केवल एक स्त्री के लिए बंधन बल्कि समाज के प्रगति के लिए भी बाधा है।        

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कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम क्यों कहा गया है?

Solution : कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।

शाब्दिक भ्रमों से कवि का क्या आशय है?

लड़की अभी सरल अभी इतनी भोली कि उसे सुख का आभास तो होता था लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की। किंतु अनचाहे दुखों को पढ़ नहीं सकती, समझ नहीं सकती । विशेष- (i) इसमें माँ के हृदय की कोमल भावनाओं का और आशंकाओं का कवि ने बहुत सुंदर वर्णन किया है।

कन्यादान कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?

Solution : कन्यादान कविता का सन्देश यह है कि हमारे समाज में स्त्रियों के लिए कुछ प्रतिमान स्थापित कर दिए जाते हैं। समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है।

कविता के अनुसार स्त्रियों के भ्रम की िस्तुएं क्या िै?

विक्षनरी:हिन्दी-कश्मीरी शब्दकोश - विक्षनरी

कविता के अनुसार स्त्री के लिए भ्रम की वस्तुएं क्या हैं?

Solution : कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं

कविता के अनुसार वर्तमान में स्त्रियों की क्या स्थिति है?

➲ 'कन्यादान' कविता के आधार पर हम पाएंगे कि वर्तमान समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं है। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों को प्रताड़ित किया जाता है। दहेज की प्रथा का प्रचलन कम तो हुआ है लेकिन यह प्रथा पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैय़ ग्रामीण अंचलों और छोटे-छोटे शहरों में यह प्रथा आज भी प्रचलन में है।

कवि ने वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम क्यों कहा है?

ससुराल में अच्छे वस्त्राभूषणों के मोह में स्त्री प्राय: दासतामय बन्धन में पड़ जाती है। इसलिए वस्त्राभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा गया है।

कविता के अनुसार स्त्री जीवन के बंधन क्या है?

2. 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं' (क) इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है ? (ख) माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों ज़रूरी समझा ? यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं।