कवयित्री ने परमात्मा के लिए कौन से शब्द का प्रयोग किया है? - kavayitree ne paramaatma ke lie kaun se shabd ka prayog kiya hai?

विषयसूची

  • 1 कवयित्री ने सर्वत्र के लिए कौन सा शब्द प्रयोग किया है *?
  • 2 कवयित्री ललद्यद कौन सा सागर पार करना चाहती हैं?
  • 3 कवयित्री कौन सी नाव खींचना चाहती हैं?
  • 4 माझी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और क्यों?
  • 5 वाख पाठ में कवयित्री ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए कौन सा मार्ग अपनाया *?

कवयित्री ने सर्वत्र के लिए कौन सा शब्द प्रयोग किया है *?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: शिव शब्द का अर्थ है वह कल्याणकारी ईश्वर जो इस संसार के कण कण में निवास करता है।

कवयित्री ललद्यद कौन सा सागर पार करना चाहती हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तरः कवयित्री-ललद्यद, कविता-वाख। प्रश्न (ख) कवयित्री किसको और क्यों पुकार रही है? उत्तरः कवयित्री ईश्वर से भवसागर को पार करवाने के लिए पुकार रही है।

कवयित्री ललद्यद ने ईश्वर को शिव नाम से क्यों पुकारा है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर ललद्यद ने प्रकृति के कण-कण में बसे परमात्मा के लिए ‘शिव’ शब्द प्रयुक्त किया है। वह मनुष्य में जीवनतत्त्व रूप में विद्यमान रहता है। शिव का अर्थ होता है- ‘कल्याणकारी और परमात्मा सभी के लिए कल्याणकारी होता है।

कवयित्री क्या पाना चाहती है?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री का घर जाने की चाह से तात्पर्य है प्रभु से मिलना। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है क्योंकि जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कह रही है।

कवयित्री कौन सी नाव खींचना चाहती हैं?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री ललद्यद किस रस्सी से कौन-सी नाव खींचना चाहती है? उत्तर- वह जीवन की कच्चे धागे रूपी रस्सी से प्रभु भक्ति की नाव खींचना चाहती है? 2.

माझी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंमाझी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और क्यों? जर माझी अर्थात् नाविक शब्द ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है, क्योंकि एक वही है, जो लोगों को भवसागर से पार कराने में सहायक है।

वाख का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंमित्र वाख का अर्थ होता है वाणी। यह चार पंक्तियों में लिखा जाता है। यह कश्मीरी शैली का एक उदाहरण है और इसे गाया भी जा सकता है।

जेब टटोली का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंनब्ज़ टटोलना रुक : नब्ज़ पाना, बीमारी की तशख़ीस करना नीज़ जायज़ा लेना ।

वाख पाठ में कवयित्री ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए कौन सा मार्ग अपनाया *?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए उसे हर जगह पर व्याप्त रहने वाला कहा है। वास्तव में ईश्वर का वास हर प्राणी के अंदर है परंतु मत-मतांतरों के चक्कर में पड़कर अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने अंदर बसे प्रभु को नहीं पहचान पाता है। इस प्रकार कवयित्री का प्रभु सर्वव्यापी है।

कवयित्री ने परमात्मा के लिए कौन से शब्द का प्रयोग किया है? - kavayitree ne paramaatma ke lie kaun se shabd ka prayog kiya hai?

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CBSE Class 9 Hindi Ch – 10 Practice Tests

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Class 9 Hindi – A Chapter wise Question and Answers

वाख (ललद्यद)

  1. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    थल-थल में बसता है शिव ही,
    भेद ने कर क्या हिंदू-मुसलमां।
    ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
    वही है साहिब से पहचान।

    1. कवयित्री ने उपर्युक्त काव्यांश में शिव किसे कहा है? उनका वास कहाँ बताया गया है?
    2. कवयित्री ने काव्यांश के माध्यम से क्या संदेश दिया है?
    3. स्वयं को जानने से ईश्वर को कैसे पहचाना जा सकता है?

  2. कवयित्री ललद्यद ने ईश्वर का निवास कहाँ बताया है?

  3. कवयित्री ललद्यद किसे साहब मानती है? वह साहब को पहचानने का क्या उपाय बताती है?

  4. वाख में रस्सी किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?

  5. वाख कविता के आधार में भाव स्पष्ट कीजिए- जेब टटोली कौड़ी न पाई।

वाख (ललद्यद)

Answer

    1. उपर्युक्त काव्यांश में कवयित्री ने अपने आराध्य प्रभु को शिव कहा है। उन्होंने उनका वास प्रत्येक कण में बताया है।
    2. कवयित्री ने काव्यांश के माध्यम से यह संदेश दिया है कि मनुष्य को हिंदू-मुसलमान के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वव्यापक । वह कहती हैं कि हे मनुष्य! तुम धार्मिक भेदभाव को त्यागकर उसे अपना लो। ईश्वर को जानने से पहले तुम स्वयं को पहचानो अर्थात् आत्मज्ञान प्राप्त करो।
    3. कवयित्री के अनुसार ईश्वर सर्वव्यापक है। वह किसी सीमा में नहीं बंधा हुआ है | उसका वास तो स्वयं मनुष्य के हृदय में है। अतः यदि मनुष्य स्वयं को जान लेगा तो वह ईश्वर को पा लेगा।
  1. कवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए उसे हर जगह पर व्याप्त रहने वाला कहा है। वास्तव में ईश्वर का वास हर प्राणी के अंदर है परंतु मत-मतांतरों के चक्कर में पड़कर अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने अंदर बसे प्रभु को नहीं पहचान पाता है। इस प्रकार कवयित्री का प्रभु सर्वव्यापी है।
  2. कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है।
  3. वाख में ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है। यह रस्सी अत्यंत कमज़ोर है। यह कब टूट जाए इसका कुछ निश्चित पता नहीं है। अर्थात् मनुष्य की साँसे कब रुक जाए , इसका कुछ पता नहीं है।
  4. भाव – कवयित्री ने अपना सारा जीवन सांसारिक वासनाओं में फंसकर व्यर्थ गँवा दिया। जीवन के अंतिम समय में जब उन्होंने पीछे देखा तो ईश्वर को देने के लिए उनके पास कोई सद्कर्म ही नहीं थे।

Class 9 Hindi – A Chapter Wise Important Question

Kritika

  1. Do Bailon Ki Katha (Premchand)
  2. Lhasa ki or (Rahul Sankrityayan)
  3. Upbhoktavad ki Sanskriti (Deleted)
  4. Sawle sapno ki yaad (Jabir Husain)
  5. Nana Saheb ki Putri (Chapla Devi)
  6. Premchand ke Phate Joote (Harishankar Parsai )
  7. Mere Bachpan ke Din (Mahadevi Varma )
  8. Ek kutta or ak Mena (Deleted)
  9. Sakhiya aav Shabad (kabir)
  10. Vaakh (LalGhad)
  11. Savaiye (Raskhan)
  12. kaidi aur kokila (Makhanlal Chaturvedi)
  13. Gram shri (Deleted)
  14. Chandra Gehna se Lautti Ber (Kedarnath Agarwal)
  15. Megh Aaye (Sarveshwar Dayal Saxena)
  16. Yamraj ki Disha (Chandrakant Devtale)
  17. Bache kam par ja rahe hain (Rajesh Joshi)

Kritika

  1. Is Jal Pralay Mein (Deleted)
  2. Mere sang ki Auratein
  3. Reedh ki haddi
  4. Mati wali
  5. Kis tarah aakhirkar main Hindi Mein Aaya (Deleted)


कवयित्री ने परमात्मा के लिए कौन से शब्द का प्रयोग किया है? - kavayitree ne paramaatma ke lie kaun se shabd ka prayog kiya hai?


कवयित्री के अनुसार ईश्वर की पहचान क्या है?

कवयित्री के अनुसार ईश्वर सर्वव्यापक है। वह किसी सीमा में नहीं बंधा हुआ है | उसका वास तो स्वयं मनुष्य के हृदय में है। अतः यदि मनुष्य स्वयं को जान लेगा तो वह ईश्वर को पा लेगा।

कवयित्री ने सर्वत्र के लिए कौन सा शब्द प्रयोग किया है A थल थल B जल थल C स्थल थल D नभ थल?

उत्तरः पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार।

कवयित्री ने परमात्मा मिलन के लिए कौन से मार्ग को अपनाया?

कवयित्री को प्रतीत होता है कि कोरी भक्ति के सहारे परमात्मा की प्राप्ति की कामना करना कच्चे धागे की रस्सी से नाव खींचना जैसा है। इस प्रयास में जीवन बीता जा रहा है। लेकिन ईश्वर से मिलन नहीं हो पा रहा है इससे उसे लग रहा है कि उसकी सारी साधना व्यर्थ जा रही है। प्रश्न 3.

कवयित्री ललद्यद ने ईश्वर को शिव नाम से क्यों पुकारा है?

उत्तर : कवयित्री ललद्यद ने 'शिव' शब्द का प्रयोग परमात्मा के लिए किया है। वह (शिव) थल-थल अर्थात् प्रत्येक स्थान पर तथा प्रत्येक प्राणी में रहता है। हिंदू और मुसलमान सभी में रहता है।