वोल्टमीटर वह यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत परिपथ में किन्ही दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभवांतर का मापन किया जाता है। वोल्टमीटर के द्वारा विद्युत विभवांतर का वोल्ट में मापन किया जाता है। वोल्टमीटर भी मूल्यतः एक प्रकार का धारामापी ही होता है। जिसे किसी विद्युत
परिपथ में समांतर क्रम में जोड़ा जाता है। पढ़ें…
अमीटर किसे कहते हैं | धारामापी का अमीटर में रूपांतरण धारामापी वोल्टमीटर में परिवर्तित के लिए इसकी कुंडली के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध का तार लगा देते हैं। इस प्रतिरोध तार को प्रदर्शित चित्र में R द्वारा दर्शाया गया है। माना धारामापी का प्रतिरोध G तथा
श्रेणीक्रम में जोड़ा गया उच्च प्रतिरोध तार का प्रतिरोध R है। एवं धारामापी में प्रवाहित विद्युत धारा ig है। पढ़ें… एम्पीयर का परिपथ नियम, सूत्र, अनुप्रयोग लिखिए और सिद्ध कीजिए अतः इसका अर्थ यह है कि यदि धारामापी की कुंडली के साथ R प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में संयोजित कर दिया जाए तो यह वोल्टमीटर की भांति कार्य करेगा। जिसका परास 0 – V वोल्ट होगा। विषयसूची अमीटर और वोल्टमीटर को विद्युत परिपथ के साथ क्रम श्रेणी एवं समांतर क्रम में क्यों जोड़ा जाता है?इसे सुनेंरोकेंअमीटर को परिपथ के श्रेणीक्रम में इसलिए लगाते है ताकि सम्पूर्ण धारा इसमें से होकर जाये। वोल्टमीटर परिपथ के दो बिन्दुओं के बिच विभवान्तर नापता है, अतः इसे उन बिन्दुओं के समान्तर-क्रम में जोड़ता है। जब एक से अधिक प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े रहते हैं तब कौन सी भौतिक राशि उनमें समान? इसे सुनेंरोकेंजिस परिपथ में सभी घटक श्रेणीक्रम में जुड़े हों, उसे श्रेणी परिपथ और जिस परिपथ में सभी घटक समानांतर क्रम में जुड़े हों उसे समानांतर परिपथ कहा जा सकता है। श्रेणी परिपथ में हरेक घटक से समान धारा प्रवाहित होती है, जबकि समानांतर परिपथ में हरेक घटक पर समान वोल्टता उपलब्ध होती है। विद्युत परिपथ में अमीटर को श्रेणी क्रम में क्यों जोड़ते हैं? इसे सुनेंरोकेंअमीटर को श्रेणीक्रम में इसलिए जोड़ते हैं ताकि सम्पूर्ण विद्युत् धारा उसमें से होकर प्रवाहित हो सके। इसके अतिरिक्त अमीटर का प्रतरोध कम होता है। अत: उसे श्रेणीक्रम में जोड़ने पर मुख्य धारा के मान में कोई परिवर्तन नहीं होता। वोल्ट मीटर को समांतर क्रम में क्यों जोड़ा जाता है?इसे सुनेंरोकेंवोल्टमीटर उच्च प्रतिरोध का गेल्वेनोमीटर है। इसे परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ने पर परिपथ का तुल्य प्रतिरोध उच्च हो जाता है । जिससे परिपथ में से धारा प्रवाह अवरुद्ध होगा। इसीलिए वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है। प्रतिरोधों के समांतर क्रम में निम्नलिखित में कौन राशि समान रहती है? इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: प्रतिरोधों के समान्तर क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों के सिरों पर विभवांतर समान रहता है। प्रतिरोधों के श्रेणी क्रम संयोजन में कौन सी राशि समान रहती हैं *? इसे सुनेंरोकें(i) प्रतिरोध का श्रेणी क्रम संयोजन :- तो प्रतिरोध के इस संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। अतः स्पष्ट है। कि तीन या अधिक प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़े हों तो उसका तुल्य प्रतिरोध तीनों प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। प्रतिरोध के श्रेणी क्रम संयोजन में जुड़े सभी प्रतिरोध पर धारा का मान समान रहता है। मीटर को परिपथ में कैसे संयोजित किया जाता है?इसे सुनेंरोकेंसर्वप्रथम धारामापी के ज्ञात दक्षतांक X के द्वारा धारामापी की पूर्ण स्केल विक्षेप धारा Ig = NX ज्ञात कर लेते हैं। जहां N = धारामापी के एक ओर के कुल अंशों की संख्या। 3. अब धारामापी के श्रेणीक्रम में इस उच्च प्रतिरोध को उच्च प्रतिरोध बॉक्स में प्रयुक्त कर संयोजित कर लेते हैं तथा निम्न चित्रानुसार परिपथ संयोजन करते हैं। वोल्टमीटर की परिभाषा क्या है? इसे सुनेंरोकेंवोल्टमीटर (अंग्रेज़ी:Voltmeter) एक मापन यंत्र है जो किसी परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर को मापने के लिये प्रयोग किया जाता है। समांतर क्रम में जुड़े प्रत्येक 1 R प्रतिरोध के तीन एकसमान प्रतिरोधकों का प्रभावी प्रतिरोध क्या होगा? इसे सुनेंरोकेंप्रतिरोध के प्रतिरोध को समांतर क्रम में संयोजित किया जाए तो समतुल्य प्रतिरोध R का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाएगा। 1R=1R1+1R2+1R3+…. अर्थात, समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है। मीटर को किसी परिपथ में समांतर क्रम में जोड़ दिया जाए तो क्या होगा?इसे सुनेंरोकेंयदि अमीटर को किसी परिपथ में समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाये तो प्रतिरोध कम होने के कारण उसमें अत्यधिक धारा बहेगी जिससे उसका संकेतक अत्यधिक विक्षेप के कारण टूट सकता है या कुण्डली जल सकती है। क्या होगा यदि वोल्टमीटर को परिपथ के श्रेणीक्रम में जोड़ दें? इसे सुनेंरोकेंयदि वोल्टमीटर को परिपथ के श्रेणी क्रम में जोड़ दें तो परिपथ में धारा का मान बहुत कम होगा क्योंकि बोल्टमीटर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध कितना होना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंएक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध कितना होना चाहिए? एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनंत होता है। वोल्टमीटर को कैसे जोड़ा जाता है?वोल्टमीटर को समानांतर में जोड़ा जाता है क्योंकि वोल्टेज को हमेशा दो बिंदुओं के बीच मापा जाता है। एक श्रेणी संयोजन में, धारा स्थिर रहती है।…
अमीटर को विद्युत परिपथ के श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में क्यों लगाते हैं?Solution : अमीटर को परिपथ के श्रेणीक्रम में इसलिए लगाते है ताकि सम्पूर्ण धारा इसमें से होकर जाये। वोल्टमीटर परिपथ के दो बिन्दुओं के बिच विभवान्तर नापता है, अतः इसे उन बिन्दुओं के समान्तर-क्रम में जोड़ता है।
क्या होगा विद्युत परिपथ में यदि अमीटर को समांतर क्रम में जोड़ा जाएगा?Solution : विद्युत् परिपथ में यदि अमीटर को समांतर क्रम में जोड़ा जाएगा तो उसमें से कम धारा प्रवाहित होगी।
वोल्टमीटर को परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है संक्षिप्त उत्तर?वोल्टमीटर को विद्युत परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है? वोल्टमीटर को विभवांतर मापने के लिए सर्किट के साथ समानांतर यानी पैरेलल में जोड़ा जाता है। हम नहीं चाहते कि वोल्टमीटर सर्किट को लोड करे। इसलिए एक आदर्श वाल्टमीटर में अनंत रजिस्टेंस रखना उचित रहता है।
मीटर को श्रेणीक्रम में क्यों जोड़ा जाता है?यदि किसी परिपथ में किसी स्थान पर १० ओम के प्रतिरोध की आवश्यकता है किन्तु वह उपलब्ध नहीं है किन्तु ५-५ ओम के दो प्रतिरोध सुलभ हैं तो इनको श्रेणीक्रम में जोड़कर लगाया जाड़ सकता है। इसी प्रकार यदि २०-२० ओम के दो प्रतिरोध उपलब्ध होने पर उन्हें समान्तरक्रम में जोड़ देने से १० ओम का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त हो जाता है।
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