मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया इसकी मुख्य सिफारिशें क्या थी? - mandal aayog ka gathan kyon kiya gaya isakee mukhy siphaarishen kya thee?

मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया इसकी मुख्य सिफारिशें क्या थी? - mandal aayog ka gathan kyon kiya gaya isakee mukhy siphaarishen kya thee?
नई दिल्ली (टीम डिजिटल): सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति जानने के लिए 20 दिसंबर, 1978  मोरारजी देसाई की सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की। यह मंडल आयोग के नाम से चर्चित हुआ।

मंडल आयोग ने ही सरकारी नौकरियों में पिछडे़ वर्गों के लोगों के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की थी। इस आयोग का जमकर विरोध भी हुआ।

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25 अगस्त को जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में छात्रों ने बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के जन्‍मदिन पर मंडल दिवस का आयोजन किया गया। मंडल आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक शरद यादव इस कार्यक्रम में शामिल बोलते हुए कहा कि बराबरी का समाज बनाने के लिए जाति पर चोट करना जरूरी है। 

मंडल आयोग की कहानी

आजादी के समय ज्यादातर जायदाद जमींदारों के पास थी और ज्यादातर जमींदार उंची जाति से थे। जिसके पास धन होता है, वो आसानी से आगे बढ़ जाता है। ऐसा ही हो रहा था। दलित समुदाय के लोग पिछड़ रहे थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 29 जनवरी, 1953 को 'पिछड़ा वर्ग' आयोग का गठन किया। इसके पहले अध्यक्ष काका कालेलकर थे। उनकी अगुवाई में लगभग दो साल के बाद आयोग ने 30 मार्च, 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट का कुछ खास असर नहीं हुआ। 

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मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी पहली गैर कांग्रेसी ने 20 दिसंबर, 1978 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल की अगुवाई में नए आयोग की घोषणा की। जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना गया।

मंडल आयोग ने 12 दिसंबर,1980 को अपनी रिपोर्ट फाइनल किया तब तक मोरारजी देसाई की सरकार गिर चुकी थी।इंदिरा गांधी दुबारा सत्ता में आ चुकी थी।

मंडल आयोग ने  सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक कसौटियों पर तमाम जातियों को परखा। आयोग ने मालूम किया कि   देश में कुल 3,743 पिछड़ी जातियां हैं। पिछड़ी जातियां भारतीय जनसंख्या का आधे से ज्यादा हिस्सा थी। 

मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया इसकी मुख्य सिफारिशें क्या थी? - mandal aayog ka gathan kyon kiya gaya isakee mukhy siphaarishen kya thee?

मंडल आयोग की सिफारिशे

मंडल आयोग के रिपोर्ट में पिछडे़ वर्गों के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की बात की गई। भारत में अनुसूचित जाति-जनजाति को पहले से 22.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था। इसी कारण इंदिरा गांधी की सरकार इस सिफारिश को लागू करने से बचती रही।  मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने का मतलब था 49.5 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर देना।  इंदिरा गांधी सरकार इसे लागू नहीं कर सकी।

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सरकारी नौकरियों में आरक्षण के अलावा मंडल आयोग की प्रमुख सिफारिश थी.

  • जमींदारी प्रथा को खत्म  करने के लिए भूमि सुधार कानून लागू किया जाये क्योंकि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा दुश्मन जमींदारी प्रथा थी।  
  • सरकार द्वारा अनुबंधित जमीन को न केवल ST/ST को दिया जाये बल्कि OBC को भी इसमें शामिल किया जाये।
  • केंद्र और राज्य सरकारों में OBC  के हितों की सुरक्षा के लिए अलग मंत्रालय/विभाग बनाये जाये।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के अधीन चलने वाली वैज्ञानिक, तकनीकी तथा प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए OBC वर्गों के छात्र-छात्राओं के लिए 27% आरक्षण लागू किया जाये।
  • OBC की आबादी वाले क्षेत्रों में वयस्क शिक्षा केंद्र तथा पिछड़ें वर्गों के छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय खोले जाए. OBC  छात्रों को रोजगार परक शिक्षा  दी जाये।

जब वी पी सिंह प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश को कुछ बदलाव के साथ लागू किया, जिसका जमकर विरोध हुआ। मंडल आयोग की अधिसूचना 13 अगस्त 1990 को जारी हुई। 

मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया इसकी मुख्य सिफारिशें क्या थी? - mandal aayog ka gathan kyon kiya gaya isakee mukhy siphaarishen kya thee?

जमकर हुआ मंडल आयोग का विरोध

जब मंडल आयोग की सिफारिश को वी पी सिंह की सरकार ने मान लिया तो इसका देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ।सवर्ण समुदाय के छात्र आत्हत्या करने लगे। सवर्ण छात्रों को लगने लगा कि उनका भविष्य अंधेरे में चला गया। 19 सितंबर 1990 दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र एसएस चौहान ने आरक्षण के विरोध में आत्मदाह किया और एक अन्य छात्र राजीव गोस्वामी बुरी तरह झुलस गए। गोस्वामी तब बच तो गया लेकिन पूरी तरह जल गया था, जिसके कारण 14 साल बाद उसकी मौत हो गई। देश के अलग-अलग हिस्सों में सवर्ण समुदाय प्रदर्शन करता रहा। दिल्ली सहित देश भर में लोग मारे जाने लगे। 

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मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के खिलाफ अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष उज्जवल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उज्जवल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह मामला नौ न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया। 16 नवंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के फैसले को सही ठहराया।  इसी याचिका के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तक कर दी। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिन बाद ही सरकार ने नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 27 फीसदी आरक्षण देने की अधिसूचना जारी कर दी।

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मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया था इसकी मुख्य सिफारिशों का उल्लेख कीजिए?

मंडल आयोग का गठन वर्ष 1979 में "सामाजिक या शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की पहचान” के उद्देश्य से किया गया था। इस आयोग का नेतृत्व भारतीय सांसद बी.पी. मंडल द्वारा किया गया था। जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिये आरक्षण एवं कोटा निर्धारण की व्यवस्था की गई।

मंडल आयोग की सिफारिशों को कब लागू किया गया था?

2 दिसंबर 1989 में वीपी सिंह की सरकार में रिपोर्ट फिर चर्चा में आई. 1990 में वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया. इसकी घोषणा के साथ ही देश में आरक्षण का विरोध शुरू हो गया.