प्रो. डॉ. योगेन्द्र यादव Show वरिष्ठ गॉंधीयन स्कालर, प्राध्यापक, सम्पादक एवं भाषाविद् गॉंधी अन्तर्राष्ट्रीय शोध संस्थान, जैन हिल्स, जलगॉंव, महाराष्ट्र सम्पर्क-सूत्र- 09404955338, 09415777229 पत्राचार का पता- सी- 29, स्वराज्य नगर, पनकी, कानपुर- 208020, उत्तर प्रदेश E-mail- ; मोहन के व्रत पर प्राणों का आसव किसमें भर दूँ – पं. माखनलाल चतुर्वेदी महात्मा गांधी के आह्वान पर पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया. ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके काल कोठरी में ठूंस दिया. उस समय जेल की काल कोठरी अलग तरीके की होती थी. किसी प्रकार की सुविधा नहीं होती थी. अनेक प्रकार की यातनायें दी जाती थी. अपनी मनोदशा, काल कोठरी, एवं वहां की यातनाओं का वर्णन दादा ने अपनी इस कविता में की है. वे कहते हैं कि उन दिनों कैदियों को भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था, मरने भी नहीं देते थे. रात-दिन बहुत ही कड़ा पहरा दिया जाता था. कैदी जब रात को सोते थे, तो पहरेदार संतरी उन पर अपनी बूटों से प्रहार करते थे. जिससे उन्हें काफी पीड़ा होती थी. कोयल के माध्यम से दादा कैदियों की दशा और जेल के वातावरण का वर्णन इस प्रकार करते हैं. इस कविता को पढ़कर उसकी एक झलक मिल जाती है. क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो? ऊँची काली दीवारों के घेरे
में बन्दी सोते हैं, है घर-घर श्वासों का निज मधुराई को कारगृह पर छाने दूबों के आँसू धोती रवि-किरनों पर क्या, देख न सकती जंज़ीरों का पहना? काली तू,
रजनी भी काली, शासन की करनी भी काली तेरे मांगे हुए न बैना, री! तू नहीं बन्दिनी मैना तुझे मिली हरियाली डाली, मुझे नसीब कोठरी काली! फिर कुहू! -अरे, क्या बन्द न होगा गाना? मोहन के व्रत पर प्राणों का आसव इसमें भर दूं में मोहन कौन है?बजा रही तिस पर रणभेरी ! इस हुंकृति पर, अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ? कोकिल बोलो तो! मोहन के व्रत पर, प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
मोहन के व्रत पर प्राणों का आसव किसमें भर दूँ यहाँ मोहन शब्द किसकी ओर संकेत कर रहा है?प्राणों का आसव किसमें भर दूँ? कोकिल बोलो तो! अब कवि कहता है कि कोयल की पुकार पर वह कुछ भी करने को तैयार है। मोहन का अर्थ है मोहनदास करमचंद गाँधी।
मोहन के व्रत पर पर मोहन से क्या आशय है?उत्तर. 'मोहन के व्रत पर' का आशय मोहनदास करमचंद गाँधी के द्वारा किए गए आह्नान तथा आजादी की लड़ाई से है।
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