लोकोक्तियों एवं मुहावरों का महत्त्व – Muhavare in Hindi भाषा को सशक्त एवं प्रवाहमयी बनाने के लिए लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग किया जाता है। वार्तालाप के बीच में इनका प्रयोग बहुत सहायक होता है। कभी-कभी तो मात्र मुहावरे अथवा लोकोक्तियों के कथन से ही बात बहुत अधिक
स्पष्ट हो जाती है और वक्ता का उद्देश्य भी सिद्ध हो जाता है। इनके प्रयोग से हास्य, क्रोध, घृणा, प्रेम, ईर्ष्या आदि भावों को सफलतापूर्वक प्रकट किया जा सकता है। लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग करने से भाषा में निम्नलिखित गुणों की वृद्धि होती है Learn Hindi Grammar online with example, all the topics are described in easy way for education. Alankar in Hindi Prepared for Class 10, 9 Students and all competitive exams. (1) मुहावरा—मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ
है—’अभ्यास’। हिन्दी में यह शब्द रूढ़ हो गया है, जिसका अर्थ है—“लक्षणा या व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य, जो किसी एक ही बोली या लिखी जानेवाली भाषा में प्रचलित हो और जिसका अर्थ प्रत्यक्ष अर्थ से विलक्षण हो।” संक्षेप में ऐसा वाक्यांश, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे, मुहावरा कहलाता है। इसे ‘वाग्धारा’ भी कहते हैं। (2) लोकोक्ति-यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है—’लोक’ + ‘उक्ति’, अर्थात् किसी क्षेत्र-विशेष में कही हुई बात। इसके अन्तर्गत किसी कवि की प्रसिद्ध उक्ति भी
आ जाती है। लोकोक्ति किसी प्रासंगिक घटना पर आधारित होती है। समाज के प्रबुद्ध साहित्यकारों, कवियों आदि द्वारा जब किसी प्रकार के लोक-अनुभवों को एक ही वाक्य में व्यक्त कर दिया जाता है तो उनको प्रयुक्त करना सुगम हो जाता है। ये वाक्य अथवा लोकोक्तियाँ (कहावतें, सूक्ति) गद्य एवं पद्य दोनों में ही देखने को मिलते हैं। इस प्रकार ऐसा वाक्य, कथन अथवा उक्ति, जो अपने विशिष्ट अर्थ के आधार पर संक्षेप में ही किसी सच्चाई को प्रकट कर सके, ‘लोकोक्ति’ अथवा ‘कहावत’ कही जाती है। मुहावरे और लोकोक्ति में
अन्तर-मुहावरा देखने में छोटा होता है, अर्थात् यह पूरे वाक्य का एक अंग-मात्र होता है, साथ ही इसमें लाक्षणिक अर्थ की प्रधानता होती है; जैसे—लाठी खाना। इस वाक्यांश में ‘खाना’ का लक्ष्यार्थ ‘प्रहार सहना’ है; क्योंकि लाठी खाने की चीज नहीं है, परन्तु लोकोक्ति में जिस अर्थ को प्रकट किया जाता है, वह लगभग पूर्ण होता है। उसमें अधूरापन नहीं होता; जैसे-उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। . इस उदाहरण में अर्थ का अधूरापन नहीं है, न वाक्य ही अधूरा है। मुहावरों और लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग साधारणत: देखा
जाता है कि मुहावरों और लोकोक्तियों का ‘अर्थ और वाक्य में प्रयोग’ पूछे जाने पर छात्र उनका अर्थ तो बता देते हैं, परन्तु वाक्य में प्रयोग उचित प्रकार से नहीं कर पाते। मुहावरों एवं लोकोक्तियों के प्रयोग में हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे वाक्य-प्रयोग से उनका अर्थ बिल्कुल स्पष्ट हो जाए। सामान्य रूप से छात्र किसी भी मुहावरे आदि से पूर्व मैं, तुम या किसी व्यक्ति का नाम रखकर वाक्य को पूरा कर देते हैं। इस प्रकार का प्रयोग उचित व अर्थ को स्पष्ट करनेवाला नहीं होता; जैसे- (2) आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। उपर्युक्त उदाहरणों से मुहावरों का अर्थ स्पष्ट नहीं हो रहा है। इनके स्थान पर शुद्ध, अर्थपूर्ण और पूर्ण वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। शुद्ध एवं आदर्श वाक्य-प्रयोग- 1. अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे पृथक् काम करना। 2. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। . वाक्य-प्रयोग हमारे भाई यद्यपि रेलयात्रा में पर्याप्त सतर्क रहते हैं, तथापि लखनऊ के स्टेशन पर किसी ने उनसे 50 रुपये ठगकर उनकी आँखों में धूल झोंक दी। कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे एवं उनके वाक्यों में प्रयोग 1. अँगारे
बरसना—अत्यधिक गर्मी पड़ना। 2. अंगारों पर पैर रखना-कठिन कार्य करना। 3. अँगारे सिर पर धरना—विपत्ति मोल लेना। 4. अँगूठा चूसना-बड़े होकर भी बच्चों की तरह नासमझी की बात करना। 5. अँगूठा दिखाना-इनकार करना। 6. अँगूठी का नगीना-अत्यधिक सम्मानित व्यक्ति अथवा वस्तु। 7. अंग-अंग फूले न समाना-अत्यधिक प्रसन्न होना। राम के अभिषेक की बात सुनकर कौशल्या का अंग-अंग फूले नहीं समाया। 8. अंगद का पैर होना-अति
दुष्कर/असम्भव कार्य होना। 9. अन्धी सरकार—विवेकहीन शासन। 10. अन्धे की लाठी लकड़ी.होना-एकमात्र सहारा होना। निराशा में प्रतीक्षा अन्धे की लाठी है। 11. अन्धे के आगे रोना-निष्ठुर के आगे अपना दुःखड़ा रोना।। 12. अम्बर के तारे गिनना-नींद न आना। 13. अन्धे के हाथ बटेर लगना-भाग्यवश इच्छित वस्तु की प्राप्ति होना। 14. अन्धों में काना राजा-मूों के बीच कम ज्ञानवाले को भी श्रेष्ठ ज्ञानवान् माना जाता है। 15. अक्ल का
अन्धा-मूर्ख। 16. अक्ल के घोड़े दौड़ाना-हवाई कल्पनाएँ करना। 17. अक्ल चरने जाना-मति-भ्रम होना, बुद्धि भ्रष्ट हो जाना। 18. अक्ल पर पत्थर पड़ना-बुद्धि नष्ट होना। 19. अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरना-मूर्खतापूर्ण कार्य करना। तुम स्वयं तो अक्ल के पीछे लाठी लिये फिरते हो, हम तुम्हारी क्या सहायता करें। 20. अगर मगर करना-बचने का बहाना ढूँढना। 21. अटका बनिया देय उधार-जब अपना काम अटका होता है तो मजबूरी में अनचाहा भी करना पड़ता है। 22. अधजल गगरी छलकत जाए-अज्ञानी पुरुष ही अपने ज्ञान की शेखी बघारते हैं। 23. अन्त न पाना-रहस्य न जान पाना। 24. अन्त बिगाड़ना-नीच कार्यों से वृद्धावस्था को कलंकित करना। 25. अन्न-जल उठना-मृत्यु के सन्निकट होना। 26. अपना उल्लू सीधा करना-अपना काम निकालना। 27. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे
पृथक् कार्य करना। 28. अपना राग अलापना-दूसरों की अनसुनी करके अपने ही स्वार्थ की बात कहना। 29. अपने मुँह मियाँ मिट्ठ बनना-अपनी प्रशंसा स्वयं करना। 30. अपना-सा मुँह लेकर रह जाना-लज्जित होना। 31. अपना घर समझना–संकोच न करना। 32. अपने पैरों पर खड़ा होना स्वावलम्बी होना। 33. अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारना-अपने अहित का काम स्वयं करना। 34. आकाश-पाताल एक करना-अत्यधिक प्रयत्न अथवा परिश्रम करना। 35. आँख चुराना-बचना, छिप जाना। 36. आँखें फेरना-उपेक्षा करना, कृपा दृष्टि न रखना। 37. आँखें बिछाना-आदरपूर्वक किसी का स्वागत करना। 38. आँख मिलाना-सामने आना। 39. आँखें खुल जाना—वास्तविकता का ज्ञान होना, सीख मिलना। 40. आँखें नीची होना-लज्जा से गड़ जाना, लज्जा का अनुभव करना। 41. आँखें चार होना/आँखें दो-चार होना-प्रेम होना। 42. आँख का तारा-अत्यन्त प्यारा। 43. आँखों पर परदा पड़ना-विपत्ति की ओर ध्यान न जाना। 44. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। 45. आँखों में सरसों का फूलना-मस्ती होना। 46. आँखों का पानी ढलना-निर्लज्ज हो जाना। 47. आँख दिखाना—क्रुद्ध होना। 48. आँचल-बाँधना-गाँठ बाँधना, याद कर लेना। 49. आग-बबूला
होना-अत्यधिक क्रोध करना। 50. आग में घी डालना-क्रोध अथवा झगड़े को और अधिक भड़का देना। 51. आठ-आठ आँसू बहाना-बहुत अधिक रोना। 52. आड़े हाथों लेना-शर्मिन्दा करना। 53. आधा तीतर आधा बटेर-अधूरा ज्ञान। 64. आपे से बाहर होना-सामर्थ्य से अधिक क्रोध प्रकट करना। 55. आसमान टूट पड़ना-अचानक घोर विपत्ति आ जाना। 56. आसमान से बातें
करना-बहुत बढ़-चढ़कर बोलना। 57. आसमान पर दिमाग चढ़ना-अत्यधिक घमण्ड होना। 58. आसमान पर थूकना-सच्चरित्र व्यक्ति पर कलंक लगाने का प्रयास करना। 59. आस्तीन का साँप-कपटी मित्र। 60. इज्जत मिट्टी में मिलाना-मान-मर्यादा नष्ट करना। 61. इधर की उधर लगाना-चुगली करना। 62.. ईंट से ईंट बजाना-हिंसा का करारा जवाब देना, खुलकर लड़ाई करना। 63. ईमान बेचना-विश्वास समाप्त करना। 64. ईद का चाँद होना-कभी-कभी दर्शन देना। 65. उँगली उठाना—दोष दिखाना। 66.
उँगली पकड़ते-पकड़ते पहुँचा पकड़ना-थोड़ा प्राप्त हो जाने पर अधिक पर अधिकार जमाना। 67. उँगली पर नचाना-संकेत पर कार्य कराना। 68. उड़ती चिड़िया पहचानना-दूर से भाँप लेना। 69. उड़ती चिड़िया के
पंख गिनना-कार्य-व्यापार को देखकर व्यक्तित्व को जान लेना। 70. ऊँची दुकान फीके पकवान-प्रसिद्ध स्थान की निकृष्ट वस्तु होना। 71. ऊँट के मुँह में जीरा-बहुत कम मात्रा में कोई वस्तु देना। 72. उल्टी गंगा बहाना—परम्परा के विपरीत काम करना। 73. उल्टी माला फेरना—किसी के अमंगल की कामना करना, लोक विश्वास अथवा परम्परा के विपरीत कार्य करना। 74. उल्लू सीधा करना किसी को बेवकूफ बनाकर काम निकालना। 75. एक आँख से देखना-सबके साथ समानता का व्यवहार करना, पक्षपातरहित होना। 76. एक अनार सौ बीमार-एक वस्तु के लिए बहुत-से व्यक्तियों द्वारा प्रयत्न करना। 77. एक और एक ग्यारह होना-एकता में शक्ति होना। 78. एक हाथ से ताली नहीं बजती-झगड़ा एक ओर से नहीं होता। 79. एड़ी-चोटी का पसीना एक करना-अत्यधिक परिश्रम करना। 80. ऐसी-तैसी करना-अपमानित करना/काम खराब करना। 81. ओखली में सिर देना-जान-बूझकर अपने को मुसीबत में डालना। 82. कंगाली में आटा गीला होना–विपत्ति में और विपत्ति आना। 83. कन्धे से कन्धा मिलाना–सहयोग देना। 84. कच्चा चिट्ठा खोलना—गुप्त भेद खोलना। 85. कमर
टूटना–हिम्मत पस्त होना। 86. कलाम तोड़ना–अत्यन्त अनूठा, मार्मिक या हृदयस्पर्शी वर्णन करना। 87. कलेजा छलनी होना-कड़ी बात से जी दुःखना। 88. कलेजा थामना-दु:ख सहने के लिए हृदय को कड़ा करना। 89. कलेजा धक-धक करना-भयभीत होना। 90. कलेजा निकालकर रख देना-सर्वस्व दे देना। 91. कलेजा मुँह को आना-अत्यधिक व्याकुल होना। 92. कलेजे पर पत्थर रखना-धैर्य धारण करना। 93.
कसाई के खूटे से बाँधना-निर्दयी व्यक्ति को सौंपना। 94. काँटों पर लोटना-ईर्ष्या से जलना, बेचैन होना। 95. कागज काला करना-व्यर्थ ही कुछ लिखना। 96. कागजी घोड़े
दौड़ाना-कोरी कागजी कार्यवाही करना। 97. काठ का उल्लू होना-मूर्ख होना। 98. कान काटना-मात देना, बढ़कर होना। 99. कान का कच्चा होना—बिना सोचे-विचारे दूसरों की बातों पर विश्वास करना। 100. कान खड़े होना-सचेत होना। 101. कान खाना-निरन्तर बातें करके परेशान करना। 102. कान पर जूं न रेंगना-~-बार-बार कहने पर भी प्रभाव न होना। 103. कान भरना-चुगली करना। 104. काया पलट देना-स्वरूप में आमूल परिवर्तन कर देना। 105. काला अक्षर भैंस बराबर—बिल्कुल अनपढ़। 106. कीचड़ उछालना-लांछन लगाना। 107. कुएँ में भाँग पड़ना-सम्पूर्ण समूह परिवार. का दूषित प्रवृत्ति का होना। 108. कुएँ में बाँस डालना-बहुत तलाश करना। 109. कुत्ते की मौत मरना-बुरी तरह मरना। 110. कूप-मण्डूक होना-संकुचित विचारवाला होना। 111.
कोयले की दलाली में हाथ काले-कुसंगति से कलंक अवश्य लगता है। 112. कोल्हू का बैल-अत्यन्त परिश्रमी। 113. खटाई में डालना-उलझन पैदा करना। 114.
खरी-खोटी सुनाना-फटकारना। 115. खरी मजूरी चोखा काम–अच्छी मजदूरी लेनेवाले से अच्छे काम की ही अपेक्षा की जाती है। 116. खाक छानना-भटकना। 117. खाक में मिलाना-नष्ट करना। 118. खून का प्यासा होना-जानी दुश्मन होना। 119. खून सूख जाना—भयभीत होना। 120. खून सफेद होना—उत्साह का समाप्त हो जाना, बहुत डर जाना। 121.
खून-पसीना एक करना-कठोर परिश्रम करना। 122. खेल खिलाना-प्रतिपक्षी को समय देना। 123. खेत रहना-लड़ाई में मारा जाना। 124. गड़े मुर्दे उखाड़ना-बहुत पुरानी बात दोहराना। 125. गागर में सागर भरना-थोड़े शब्दों में अधिक बात कहना। 126. गाल बजाना-डींग मारना। 127. गुड़-गोबर करना—काम बिगाड़ना। 128. गूलर का फूल होना-अलभ्य वस्तु
होना। 129. घड़ों पानी पड़ना-दूसरों के सामने हीन सिद्ध होने पर अत्यन्त लज्जित होना। 130. घर का दीपक-घर की शोभा और कुल की कीर्ति को बढ़ानेवाला। 131. घर की खेती सहज में मिलनेवाला पदार्थ। 132. घर फूंक तमाशा देखना-क्षणिक आनन्द के लिए बहुत अधिक खर्च करना। 133. घाट-घाट का पानी पीना–अनेक स्थलों का अच्छा-बुरा अनुभव प्राप्त करना/चालाक होना। 134. घाव पर नमक छिड़कना-दु:खी व्यक्ति के हृदय को और दुःख पहुँचाना। 135. घाव हरा होना-भूले दुःख की याद आना। 136. घी के दीये जलाना-खुशी मनाना। 137. घोड़े बेचकर सोना निश्चिन्त होना। 138. चम्पत होना-भाग जाना। 139. चाँद पर थूकना-निर्दोष को दोष देना। 140. चूना लगाना-हानि पहुँचाना। 141. चाँदी काटना- अधिक लाभ प्राप्त करना। 142. चिकना घड़ा होना-निर्लज्ज होना। वह पूरा चिकना घड़ा है। उस पर आपकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 143. चिकनी-चुपड़ी बातें करना-चालबाजी से भरी मीठी बातें करना। उसकी बातों में न आना। 144. चुल्लूभर पानी में डूब मरना-अपने गलत काम के लिए लज्जा का अनुभव करना। 145. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबराहट आदि के कारण चेहरे का रंग उड़
जाना। 146. चोर की दाढ़ी में तिनका वास्तविक अपराधी का बिना पूछे बोल उठना। 147. चोली-दामन का साथ होना-घनिष्ठ अथवा अटूट सम्बन्ध। 148. छक्के छुड़ाना-हिम्मत पस्त कर देना। 149. छठी का दूध याद आना-घोर संकट में फँसना। 150. छठी का दूध याद कराना-बहुत अधिक कष्ट देना। 151. छाती पर मूंग दलना-अत्यन्त कष्ट देना। 152. छाती पर पत्थर रखना-दुःख सहने के लिए हृदय कठोर करना। 153. छाती/कलेजे पर साँप लोटना-ईर्ष्या से हृदय जल उठना। 164. जमीन पर पैर न रखना-बहुत अभिमान करना। 155. जहर उगलना-कठोर, जली-कटी, लगनेवाली बात कहना। 156. जली-कटी कहना-व्यंग्यपूर्ण बात करना। 157. जहाज का पंछी होना—ऐसी मजबूरी होना, जिससे वही आश्रय लेने के लिए बाध्य होना पड़े। 158. जी-जान लड़ाना-बहुत परिश्रम करना। 159. जीती
मक्खी निगलना-अहित की बात स्वीकार करना। 160. जोड़-तोड़ करना–दाँव-पेंचयुक्त उपाय करना। 161. झख मारना-व्यर्थ समय गँवाना/विवश होना। 162. टस से मस न होना—विचलित न होना। 163. टका-सा जवाब देना-साफ इनकार करना। 164. टपक पड़ना-सहसा बिना बुलाए आ पहुँचना।। 165. टाँग अड़ाना-दखल देना। 166. टाट उलटना-दिवालिया होने की सूचना
देना। 167. टेढ़ी खीर-कठिन कार्य। 168. टोपी उछालना-इज्जत से खिलवाड़ करना। 169. ठकुरसुहाती करना/कहना-चापलूसी करना। 170. ठगा-सा रह जाना—चकित रह जाना। 171. ठिकाने लगाना-मार डालना। 172. ठोकर खाना-असावधानी के कारण नुकसान उठाना। 173. डूबते को तिनके का सहारा-संकट में छोटी वस्तु से भी सहायता मिलना। 174. ढाई ईंट की मस्जिद
अलग बनाना-सार्वजनिक मत के विरुद्ध कार्य करना। 175. ढिंढोरा पीटना-बात का खुलेआम प्रचार करना। 176. ढोल की पोल/ढोल के भीतर पोल—बाहरी दिखावे के पीछे छिपा खोखलापन। 177. तकदीर फूट जाना—भाग्यहीन
होना। 178. तलवे चाटना-खुशामद करना। रमेश में तनिक भी स्वाभिमान नहीं है। 179. तिल का ताड़ करना/बनाना-छोटी-सी बात को बड़ी बनाना। 180. तीन-तेरह करना-गायब करना, तितर-बितर करना। 181. तीन-पाँच करना-बहाना
बनाना, इधर-उधर की बात करना। 182. तोते के समान रहना-बात के सार को समझे बिना उसे रट लेना। 183. थाली का बैंगन होना-पक्ष बदलते रहना। 184. थूककर चाटना-त्यक्त वस्तु को पुनः ग्रहण करना, कही हुई बात पर अमल न करना। 185. दंग रह जाना—आश्चर्यचकित होना। 186. दाँत खट्टे करना-हरा देना। 187. दाँत पीसकर रह जाना-क्रोध रोक लेना। 188. दाँतों तले उँगली दबाना-आश्चर्यचकित होना। 189. दाने-दाने को तरसना-भूखों मरना। 190. दाल न गलना-युक्ति में सफल न होना। 191. दाल में काला होना-दोष छिपे होने का सन्देह होना। 192. दिल
बाग-बाग होना अत्यधिक प्रसन्न होना। 193. दिल भर आना-दुःखी होना। 194. दूध का दूध पानी का पानी-सही और उचित न्याय।। 195. दूध की नदियाँ बहाना-दूध का जरूरत से अधिक उत्पादन करना/धन-धान्य से परिपूर्ण होना। 196. दूध की मक्खी की तरह निकाल देना-अवांछित, अनुपयोगी व्यक्ति को व्यवस्था से अलग करना। 197. दुम दबाकर चल देना-डरकर हट जाना। पुलिस की ललकार सुनकर चोर दुम दबाकर भाग गए। 198. देवता कूच कर जाना—अत्यन्त भयभीत हो जाना, होश गायब हो जाना। 199. दो नावों पर पैर रखना-दो अलग-अलग पक्षों
से मिलकर रहना। 200. दो टूक बात कहना–स्पष्ट कहना। मोहन किसी से भी नहीं डरता। 201. दो दिन का मेहमान होना-थोड़े दिन रहना। 202. धूप में बाल सफेद नहीं होना-अनुभवी होना। 203. नकेल हाथ
में होना-नियन्त्रण अपने हाथ में होना।। 204. नजर लग जाना—बुरी दृष्टि का प्रभाव पड़ना। 205. नजर से गिरना-प्रतिष्ठा खो देना। 206. नदी-नाव संयोग-आश्रय-आश्रित का सम्बन्ध। 207. नमक-मिर्च लगाना-बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना। 208. नमकहरामी करना-कृतघ्नता करना। 209. नहले पे दहला चलना-अकाट्य दाँव चलना। 210. नाक कटना-बेइज्जती होना। 211. नाक कटने से बचाना-बेइज्जत होने से बचाना। 212. नाक का बाल-अत्यन्त अन्तरंग, प्रिय। 213. नाक नीची कराना–बेइज्जती कराना। 214. नाक बचाना-इज्जत बचाना। 215. नाक रगड़ना-किसी बात के लिए अत्यधिक खुशामद और क्षमा-याचना करना। 216. नाक रख लेना-इज्जत रख
लेना। 217. नाकों चने चबाना-बहुत तंग करना। 218. नौ-दो-ग्यारह होना—गायब हो जाना। 219. पगड़ी उछालना-बेइज्जती करना। 220. पत्ता काटना-मामले या पद से हटा देना। 221.
पत्थर की लकीर-अमिट बात। 222. पर्दा डालना-दुर्गुणों को छिपाना। 223. पसीना-पसीना होना-पसीने से तर-ब-तर होना। 224. पहाड़ टूट पड़ना—मुसीबतें आना। 225. पाँचों उँगली घी में होना-आनन्द-ही-आनन्द होना। 226. पानी उतर जाना-इज्जत समाप्त हो जाना। 227. पानी-पानी होना–शर्मिन्दगी अनुभव होना। 228. पानी फेर देना—निराश कर देना। 229.
पापड़ बेलना–कष्ट झेलना। 230. पीठ दिखाना-हारकर भाग जाना। 231. पेट में दाढ़ी होना—कम अवस्था में ही अधिक बुद्धिमान्/चतुर-चालाक होना। 232. पौ बारह होना-खूब लाभ प्राप्त होना। 233. प्यासा ही कुएँ के पास जाता है—जरूरतमन्द ही अपनी जरूरत की वस्तु के स्रोत को ढूँढता हुआ उस तक पहुँचता है। 234. प्राण हथेली पर रखना-मृत्यु के लिए तैयार रहना। 235. फुलझड़ी छोड़ना-हँसी की बात कहना। 236. फूटी आँखों न देखना-ईर्ष्या रखना। 237. फूला न समाना-अत्यधिक प्रसन्न होना। 238. बगुलाभगत होना–साधु के वेश में ठग, पाखण्डी। 239. बगलें झाँकना-निरुत्तर होना। 240. बाँछे खिल जाना—प्रसन्नता से भर उठना।। 241. बाल की खाल निकालना–बारीकी से जाँच-पड़ताल करना। 242. बाल-बाँका न होना-कुछ भी हानि न पहुँचना। 243. बालू की दीवार-दुर्बल आधार। 244. बिजली गिरना-घोर
विपत्ति आना। 245. बीड़ा उठाना-कोई जोखिम भरा काम करने की जिम्मेदारी लेना। 246. बे-पर की उड़ाना-झूठी बात फैलाना। 247. बे-सिर-पैर की बात करना—निरर्थक बात करना। 248. बोटी-बोटी फड़कना-जोश आना। 249. भण्डा फूटना-भेद खुल जाना, रहस्य प्रकट हो जाना। 250. भीगी बिल्ली बनना-भय या स्वार्थवश अति नम्र होना। 251. मक्खन लगाना-चापलूसी करना। 252. मक्खियाँ मारना-बेकार बैठे रहना। 253. मन के मोदक खाना-काल्पनिक बातों से प्रसन्न होना। 254. मन खट्टा हो जाना–मन घृणा से भर जाना। 255. मन मारकर
बैठना-विवशता के कारण निराश होना। 256. मन्त्र फॅकना-सफल युक्ति का प्रयोग करना। 257. मिट्टी के मोल बिकना-अत्यन्त कम मूल्य पर बिकना। 258. मिट्टी में मिलाना–पूरी तरह
नष्ट कर देना। 259. मुँह पर कालिख लगना-कलंक लगना। 260. मुँह की खाना-परास्त होना, अपमानित होना। 261. मुँह में पानी भर आना-जी ललचाना। 262. मुट्ठी गर्म करना-रिश्वत देना। 263. मँखें नीची हो जाना-अपमानित होना। 264. मूंछों पर ताव देना-शक्ति पर घमण्ड करना। 265. मैदान मारना-सफलता/जीत प्राप्त करना। 266. रंग उतरना-रौनक खत्म होना। 267.
रंग जमाना-धाक जमाना। 268. रंग में भंग पड़ना-आनन्द में विघ्न होना। 269. राई से पर्वत करना-छोटी बात को बहुत बढ़ा देना। 270. रास्ते का काँटा बनना-मार्ग में बाधा डालना। 271. रोंगटे खड़े होना-भयभीत होना, हर्ष/आश्चर्य से पुलकित होना। 272. लकीर का फकीर होना-पुरानी नीति पर चलना। 273. लाल-पीला होना क्रोधित होना। 274. लुटिया डुबोना-प्रतिष्ठा नष्ट करना, काम बिगाड़ देना, कलंक
लगाना। 275. लोहा लोहे को काटता है-कठोर बनकर ही कठोरता का समाधान किया जा सकता है। 276. लोहा लेना-साहसपूर्वक सामना करना। 277. लोहे के चने चबाना-अत्यधिक कठिन काम करना। 278. श्रीगणेश करना-कार्य आरम्भ करना। 279. सफेद झूठ-बिल्कुल झूठ। 280. सिर उठाना–विरोध में खड़े होना, बगावत करना। 281. सिर खाना-परेशान करना। 282. सिर खुजलाना-सोच में पड़ जाना, अनिर्णय की स्थिति में होना। 283. सितारा चमकना-उन्नति पर होना।। 284. सिर पर सवार होना-कड़ाई से निगरानी करना। 285. सिर
माथे पर चढ़ाना/लेना-सादर स्वीकार करना। 286. सीधी उँगली से घी नहीं निकलता-बेशर्म लोगों से काम कराने के लिए कठोर टेढ़ा. होना ही पड़ता है। 287. सीधे मुँह बात न करना-अकड़कर बोलना। 288. सौ बात की एक बात-सार तत्त्व। 289. साँप-छछंदर की गति होना-दुविधा में पड़ना। 290. हथियार डाल देना-हिम्मत हार जाना, समर्पण कर देना। 291. हवाई किले बनाना/हवा में किले बनाना-काल्पनिक योजनाएँ बनाना। 292. हवा से बातें करना-बहुत तेज गति
से दौड़ना। 293. हाथ मलना-अपनी विवशता व्यक्त करना। 294. हाँ में हाँ मिलाना-चापलूसी करना। 295. हाथ के तोते उड़ना-अचानक किसी अनिष्ट के कारण स्तब्ध रह जाना। 296. हाथ पर हाथ रखकर बैठना-निष्प्रयत्न निष्क्रिय. होना। 297. हाथ-पाँव मारना-प्रयत्न करना। 298. हाथ-पाँव फूलना-भय से घबरा जाना। 299. हाथ पीले करना-विवाह करना। 300. हाथ को हाथ नहीं सूझना-बहुत अँधेरा होना। 301. हाथ मलते रह जाना-पश्चात्ताप होना। 302. हिलोरें मारना-तरंगित होना, उत्साहित होना। 303. हुक्का भरना–सेवा करना, जी हुजूरी करना। 304. होश ठिकाने होना-अक्ल ठिकाने होना। 305. होश उड़ जाना—घबरा जाना। लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ – Hindi Loktokis with Meanings 1. अन्त बुरे का बुरा-बुरे का परिणाम बुरा होता है। 21. आटे के साथ घुन भी पिसता है-अपराधी के साथ निरपराधी भी दण्ड प्राप्त करता है। 41. ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर–कठिन कार्य में उलझकर विपत्तियों से घबराना बेकार है। 61. घर की मुर्गी दाल बराबर-घर की वस्तु का महत्त्व नहीं समझा जाता। 81. जिसकी लाठी उसकी भैंस-शक्तिशाली की विजय होती है। 101. दुविधा में दोनों गए माया
मिली न राम-दुविधाग्रस्त व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त नहीं होता। 121. भरी जवानी में माँझा ढीला-युवावस्था में पौरुष उत्साह.हीन होना। 141. सावन के अन्धे को सब जगह हरियाली दिखना-स्वार्थ में अन्धे व्यक्ति को सब जगह स्वार्थ ही दिखता है। 25 मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग?(1) अपनी खिचड़ी अलग पकाना-सबसे पृथक् काम करना। वाक्य-प्रयोग-वह अपनी खिचड़ी अलग पकाता है। (2) आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना। वाक्य-प्रयोग-तुमने उसकी आँखों में धूल झोंक दी।
किन्हीं 10 मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए?९. आसमान से बातें करना - (बहुत ऊँचा होना) - आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है ,जो आसमान से बातें करती है। १० . ईंट से ईंट बजाना - (पूरी तरह से नष्ट करना) - राम चाहता था कि वह अपने शत्रु के घर की ईंट से ईंट बजा दे।
मुहावरे का वाक्य प्रयोग कैसे करें?वाक्य प्रयोग – मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।. मुहावरा: आँख का तारा, आँख की पुतली ... . मुहावरा – खून का प्यासा ... . मुहावरा: खून ठण्डा होना ... . मुहावरा: गढ़ फतह करना ... . मुहावरा: गधे को बाप बनाना. मुहावरों का अर्थ क्या है?"प्रायः शारीरिक चेष्टाओं, अस्पष्ट ध्वनियों और कहावतों अथवा भाषा के कतिपय विलक्षण प्रयोगों के अनुकरण या आधार पर निर्मित और अभिधेयार्थ से भिन्न कोई विशेष अर्थ देने वाले किसी भाषा के गठे हुए रूढ़ वाक्य, वाक्यांश या शब्द-समूह को मुहावरा कहते हैं।"
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