3 फ्रांस में मारियान के स्वतंत्रता और गणतंत्र के चिन्ह क्या थे? - 3 phraans mein maariyaan ke svatantrata aur ganatantr ke chinh kya the?

Solution : मारीऑन और जर्मेनिया दो नारियों के चित्र हैं। उन्हें राष्ट्रों के रूप में चित्रित किया गया है। फ्रांसीसी कलाकारों ने फ्रांसीसी क्रांति के दौरान स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपकों का प्रयोग किया। फ्रांसीसी कलाकारों ने नारी रूपकों का आविष्कार 19वीं सदी में किया था। नारी रूपक को मारीआन कहा गया जो ईसाई धर्म का प्रचलित नाम था। इसी तरह जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। महत्व- जिस तरह से मारीआन और जर्मेनिया को चित्रित किया गया, उसका काफी महत्व है। मारीआन की प्रतिमा को स्वतंत्रता, एकता और इंसाफ का प्रतीक माना गया है। इसलिए मारीआन की प्रतिमाएँ फ्रांस के सार्वजनिक चौकों पर लगाई गई, ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई। जर्मेनिया का चित्र स्वतंत्रता, शक्ति, बहादुरी, मुकाबले की तैयारी, शांति की चाह और एक नए युग के सूत्रपात का प्रतीक है। जमनिया के चित्र के माध्यम से जर्मनी की जनता को उपरोक्त संदेश मिलते रहते हैं।

Solution : मारीआन और जेर्मेनिया दो नारियों के चित्र हैं। उन्हें राष्ट्रों के रूप में चित्रित किया गया है। <br> फ़्रांसिसी कलाकारों ने फ़्रांसिसी क्रांति के दौरान स्वतंत्रता, न्याय, और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपकों का प्रयोग किया फ्रांसिस कलाकरों ने नारी रूपकों का आविष्कार वीं सदी में किया था। नारी रूपक को मारीआन कहा गया जो ईसाई धर्म का प्रचलित नाम था। इसी तरह जेर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जेर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। <br> महत्व -जिस तरह से मारीआन और जेर्मेनिया को चित्रित किया गया,उसका काफी महत्व है। मारीआन कि प्रतिमा को स्वतन्त्र, एकता और इंसाफ का प्रतीक माना गया है इसलिए मारीआन की प्रतिमाएँ फ्रांस के सार्जनिक चौकों पर लगाईं गईं, ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई। <br> जेर्मेनिया का चित्र स्वतन्त्र ,शक्ति , बहादुरी , मुकाबले की तैयारी , शांति की चाह और एक नए युग के सूत्रपात का प्रतीक है। जेर्मेनिया के चित्र के माध्यम से जेर्मनी की जनता को उपरोक्त सन्देश मिलते रहते हैं।

फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या क़दम उठाए?


फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए-
(i) पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों का प्रचार किया गया जिसे एक संविधान के अंतर्गत सामान अधिकार प्राप्त हो।
(ii) एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसमें अपने भू-भाग पर रहने वाले नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए।
(iii) एस्टेट जनरल का नाम बदलकर नेशनल एसेम्बली कर दिया गया जिसका चुनाव नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा।
(iv) नई स्तुतियाँ रची गई, शपथें ली गई और शहीदों का गुणगान हुआl यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
(v) फ्रांस का नया राष्ट्रध्वज चुना गया।
(vi) फ्रेंच को राष्ट्रीय भाषा के रूप में चुना गया और क्षेत्रीय बोलियों को हतोत्साहित किया गया।
(vii) आंतरिक आयात निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार मापने की एक समान व्यवस्था लागू की गई।

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मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? किस तरह उन्हें चित्रित किया गया उनका क्या महत्व था?


फ्रांस और जर्मनी के कलाकारों द्वारा स्वतंत्रता, न्याय तथा विचारों को प्रकट करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया गया। फ्रांस में इसी नारी रूपक को मारीआन नाम दिया गया और जर्मनी में जर्मेनिया नाम दिया गया।
मारीआन- इसने जन राष्ट्रीय के विचारों को रेखांकित किया। उसके चिह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी। मारीआन की प्रतिमाएँ चौकों पर लगाई गई ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोगों मरियान की छवि डाक टिकटों पर अंकित की गई।
जर्मेनिया- जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों को पहनती है क्योंकि जर्मन बलूच वीरता का प्रतीक है।

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उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?


मध्यवर्ग के लिए 1848 उदारवाद की क्रांति का अर्थ था व्यक्ति के लिए आज़ादी और सभी के लिए सामान कानून। उस समय यूरोप के अनेक देशों में कई किसान- मज़दूर बेरोजगारी, भुखमरी के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। तभी उदारवादियों द्वारा भी एक क्रांति हो रही थी। 1848 उदारवादियों में क्रांति का अर्थ राष्ट्रीय एकीकरण के लिए क्रांति माना जाता हैl उन्होंने 1848 की क्रांति में राष्ट्रीय राज्य की मांग को आगे बढ़ाया। वह राष्ट्रीय राज्य, संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की आज़ादी आदि सिद्धांतों पर आधारित था। उदारवादियों की 1848 की क्रांति के निम्नलिखित विचारों को बढ़ावा दिया-
(i) राजनैतिक विचार- राजनैतिक रुप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर ज़ोर देता था जो सहमति से बनी हो। फ्रांसीसी क्रांति के होने के बाद उदारवाद निरंकुश शासन के विरुद्ध था। उन्होंने पादरी वर्ग के विशेषाधिकार की समाप्ति पर बल दिया। उदारवादियों ने संसद के प्रतिनिधि सरकार का समर्थन किया उनका मानना था कि मत देने का अधिकार केवल उन्ही पुरूषों को नहीं है जिनके पास सम्पति है अपितु महिलाओं को और उन पुरुषों को भी होना चाहिए जिनके पास अधिक सम्पति नहीं है या जो सम्पत्तिविहीन है। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता, संगठन बनाने जैसे सिद्धांतों का समर्थन किया।
(ii) सामाजिक विचार- उदारवादियों ने नारीवाद के विचार को, महिलाओं के अधिकारों और हितों को तथा स्त्री पुरुष की सामाजिक समानता के विचार को बढ़ावा दिया।
(iii) आर्थिक विचार- आर्थिक क्षेत्र में उदारवादी राज्य द्वारा लगाई गई चीजों तथा पूंजी के आवागमन पर नियंत्रण को खत्म करने के पक्ष में था। 

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अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को जायदा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए


अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए-
(i) जन्म के आधार पर विशेषाधिकार समाप्त कर उसमें कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
(ii) नेपोलियन ने फ्रांस में प्रजातंत्र को समाप्त करके राजतंत्र को दोबारा लागू किया।
(iii) उसने 1804 एक नागरिक संहिता तैयार कर फ्रांसीसी नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में भी लागू किया।इसे नेपोलियन संहिता भी कहते हैं।
उसने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाकर सामंती व्यवस्था को समाप्त किया और उसमें किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलवाई।
(iv) उसने व्यापार को बढ़ाने के लिए व्यापारी संघ के नियंत्रण को हटाया।
(v) नेपोलियन ने यातायात और संचार सुविधा में सुधार किया।
(vi) एक राष्ट्रीय मुद्रा को लागू कर व्यापारियों को पूंजी के आवागमन में आसान किया।
(vii) एक समान मानक भार और नाप को पूरे राष्ट्र में लागू किया।

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यूनानी स्वतंत्रता युद्ध


इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं में यूनान का स्वतंत्रता संग्राम एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस घटना के द्वारा पूरे यूरोप के मिश्रित वर्ग में राष्ट्रीय भावना प्रवाहित हुई। पंद्रहवीं सदी से यूनान अॉटोमन साम्राज्य का ही भाग था। 1821 में यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आज़ादी के लिए संघर्ष शुरू हुआ। इसमें पश्चिमी यूरोप के ऐसे अनेक लोगो का समर्थन यूनान के क्रांतिकारियों को मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहनभूति रखते थे। इस संघर्ष में अनेक कवियों और कलाकारों ने भी अपनी तरफ से पूरा योगदान दिया और संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। लॉर्ड बायरन नाम के एक अंग्रेज कवि ने इस संघर्ष के लिए न केवल धन इकट्ठा किया बल्कि युद्ध लड़ने भी गए। जहाँ बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। आखिरकार 1832 कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्रीय घोषित किया।

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फ्रांस में मारियान के स्वतंत्रता और गणतंत्र के चिन्ह क्या थे?

इसकी स्थापना फ्रांस-प्रशा युद्ध के समय द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य के समाप्त होने पर हुई तथा १९४० में नाजी जर्मनी द्वारा फ्रांस को पराजित करने के साथ इसका अन्त हुआ। 1870 ई.

फ्रांस के तृतीय गणतंत्र क्या है?

इसका मुख्य उद्देश्य था – सम्राट की शक्तियों को सीमित करना। एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रीकृत होने के बजाय अब इन शक्तियों को विभिन्न संस्थाओं-विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका - में विभाजित एवं हस्तांतरित कर दिया गया।

फ्रांस में गणतंत्र की स्थापना कैसे हुई?

Dileep Vishwakarma. दसवें चार्ल्स ने जब 1830 ई. में नियंत्रित राजतंत्र के स्थान में निरंकुश शासन स्थापित करने की चेष्टा की, तो तीन दिन की क्रांति के बाद उसे हटाकर लूई फिलिप के हाथ में शासन दे दिया गया। सन्‌ 1848 में वह भी सिंहासनच्युत कर दिया गया और फ्रांस में द्वितीय गणतंत्र की स्थापना हुई

फ्रांस में प्रथम बार गणतंत्र व्यवस्था की स्थापना कब हुई थी?

सितंबर, 1792 में प्रथम फ्रेंच गणतंत्र उद्घोषित हुआ और 21 जनवरी 1793, को लूई 16वें को फाँसी दे दी गई। बाहरी राज्यों के हस्तक्षेप के कारण फ्रांस को युद्धसंलग्न होना पड़ा। अंत में सत्ता नैपोलियन के हाथ में आई, जिसने कुछ समय बाद 1804 में अपने को फ्रांस का सम्राट् घोषित किया।