Free Bihar Police SI Prelims 2020: Full Mock Test 100 Questions 200 Marks 120 Mins Latest Bihar Police SI Updates Last updated on Sep 22, 2022 Bihar Police Sub-Ordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for Bihar Police SI exam, must check their results before 4th September 2022. For Bihar Police vacancy 2020, the BPSSC had released as many as 1998 vacancies for the post of sub-inspector and 215 vacancies for the post of sergeant. Those who could not make it to the final merit list, should not lose their heart as the notification for 2022 is expected to be out very soon.
भारत में यूरोपियनों के प्रवेश के साथ ही समाचार पत्रों की शुरुआत होती है। भारत में प्रिंटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तगालियों को है। गोवा में वर्ष 1557 में कुछ ईसाई पादरियों ने एक पुस्तक छापी थी, जो भारत में मुद्रित होने वाली पहली किताब थी। 1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। लेकिन भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को प्राप्त है, जिसने वर्ष 1780 में ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन किया था। यानी भारत में समाचार पत्रों का इतिहास 232 वर्ष पुराना है। कंपनी सरकार की आलोचना के कारण ‘बंगाल गजट’ को जब्त कर लिया गया था। किसी भारतीय भाषा में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र मासिक ‘दिग्दर्शक’ था, जो 1818 ईस्वी में प्रकाशित हुआ। लेकिन निर्विवाद रूप से भारत का सबसे पहला प्रमुख समाचार पत्र ‘संवाद कौमुदी’ था। इस साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन 1821 में शुरू हुआ था और इसके प्रबंधक-संपादक थे प्रख्यात समाज सुधारक राजा राममोहन राय। ‘संवाद कौमुदी’ के प्रकाशन के साथ ही सबसे पहले भारतीय नवजागरण में समाचार पत्रों के महत्व को रेखांकित किया गया था। उदंत मार्तण्डं अल्मोड़ा अखबारसमाचार सुधा वर्षणबाह्मण Answer : A Solution : भारत का प्रथम हिन्दी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड था। इसका प्रकाशन .30 मई, 1826 ई. में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरु हुआ था। हिंदी के प्रथम समाचार पत्र का प्रकाशन 30 मई, सन् 1826 में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था. (तस्वीर विकीपीडिया से साभार)उदंत मार्तंड (Udant Martand) से पहले 1780 की 29 जनवरी को आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी अंग्रेजी में ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नाम का एक पत्र शुरू कर चुके थे, जो भारतीय एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला अखबार था. फिर भी हिंदी को अपने पहले समाचार-पत्र के लिए 1826 तक प्रतीक्षा करनी पड़ी.अधिक पढ़ें ...
भारत में हिंदी पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डालें तो भारत में 30 मई यानी आज का दिन हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का सबसे गौरवशाली दिन है. आज ही के दिन हिंदी के पहले अखबार 'उदन्त ' मार्तण्डत की पहली प्रति निकली थी. कह सकते हैं आज हिंदी पत्रकारिता का जन्मदिवस है. जहां तक दुनिया के पहले अखबार का प्रश्नी है तो उसकी शुरुआत यूरोप से ही हुई. हालांकि दुनिया में पत्रकारिता का इतिहास कई स्तररों पर विभाजित है. कोई इसे रोम से मानता है, तो वहीं कोई इसे 15वीं शताब्दीक में जर्मनी के गुटनबर्ग की प्रिंटिंग मशीन की शुरुआत से मानता है. दरअसल, 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, व्या पारी योहन कारोलूस ने रईस ग्राहकों को सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था. बाद में उसने छापे की मशीन खरीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापा. उस समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन. यही विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है. (तस्वीर: विकीपीडिया से साभार)जहां तक भारत में पत्रकारिता का सवाल है तो भारत में पत्रकारिता की शुरुआत एक ब्रिटिश व्य क्तिि ने की थी. दरअसल भारत में 29 जनवरी, 1780 को भारत के पहले अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ था. इस अखबार की नींव रखने वाला आयरिशमैन जेम्स अगस्ट्न हिक्की था. देश के इस पहले अखबार को हिक्की ने कोलकाता से निकाला, इसका नाम रखा ‘बंगाल गजट’.अंग्रेजी में निकाले गए इस अखबार को ‘द कलकत्ता जनरल ऐडवरटाइजर’ और ‘हिक्कीज गजट’ के नाम से भी जाना जाता है. हिंदी के प्रथम समाचार पत्र का प्रकाशन 30 मई, सन् 1826 में कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था. इस अखबार के संपादक जुगलकिशोर शुक्ल या कुछ अभिलेखों में इनका नाम युगल किसोर शुक्ल भी मिलता है, थे. उन्हों2ने ही सन् 1826 ई. में कलकता के कोलू टोला मोहल्ले की 37 नंबर आमड़तल्ला गली से उदंतमार्तंड निकाला. हिंदी के लिए यह बड़ी ही गौरव की बात थी कि उस समय अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी पत्र नहीं था. ऐसे में "उदंत मार्तड" के प्रकाशन ने पूरे देश को भाषा के एक नए सूत्र में पिरोने की नींव डाली. कुल 79 अंक हुए प्रकाशित खफा थी ब्रिटिश सरकार यकीनन यह अखबार बहुत ही कम समयावधि में शुरू हुआ और बंद हो गया, लेकिन इसने भारत में हिंदी पत्रकारिता के इतिहास की नींव डाल दी. कैसे शुरू हुआ था उद्दंत मार्तंड शुक्ल कानपुर में जन्मे थे. संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला के जानकार होने के नाते ‘बहुभाषज्ञ’की छवि से मंडित युगल किशोर वहां सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडरी यानी पेशकारी करते-करते अपनी कर्तव्यनिष्ठा के फलस्वरूप वकील बन गये, तो उन्होंने ‘हिंदी और हिंदी समाज’कहें या ‘हिंदुस्तानियों’के उत्थान के लिए एक साप्ताहिक अखबार ‘उदंत मार्तंड’निकालने की जुगत शुरू की. ढेरों पापड़ बेलने के बाद गवर्नर जनरल की ओर से उन्हें 19 फरवरी, 1826 को इसकी अनुमति मिली. ये भी पढ़ें: भारत-मलेशिया की 'नई दोस्ती' तो हो गई है लेकिन जाकिर नाईक का प्रत्यर्पण नहीं आसान स्वीडन के इतिहास में छिपा है लॉकडाउन न करने का राज, जानें पूरी कहानी रिपोर्ट में खुलासा: पाकिस्तान से दोस्ती की बड़ी कीमत वसूल रहा है चीन हांगकांग के साथ जबरदस्ती क्यों चीन को पड़ सकती है महंगी? इलाज करते-करते थक चुके डॉक्टरों की मेंटल हेल्थ पर हमला कर रहा कोरोनाundefined ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: British Raj, Hindi news FIRST PUBLISHED : May 30, 2020, 09:29 IST |