गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में ढेरों बदलाव आते हैं। इनमें कुछ बदलाव शारीरिक होते हैं, तो कुछ मानसिक। इन दोनों ही स्थितियों में होने वाले परिवर्तन कई बार प्रेगनेंसी में हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकते हैं। इन्हीं परिवर्तनों में से कुछ के कारण गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने की इच्छा पैदा होती है। यदि आप भी गर्भावस्था के दौरान आने वाले इस बदलाव का शिकार हैं, तो जरा भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह एक आम समस्या है, जिसकी चपेट में अधिकांश महिलाएं आती हैं। इस समस्या को वैज्ञानिक भाषा में पिका सिंड्रोम कहा जाता है। थोड़ी सी जागरूकता और जानकारी आपको इस समस्या से निजात दिला सकती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस समस्या से संबंधित सभी जरूरी जानकारी देंगे। Show
गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने की तीव्र इच्छा क्यों होती है? इसके पीछे कारण क्या हैं? इन सवालों के जवाब से पहले जरूरी होगा कि पिका सिंड्रोम होता क्या है, इस बारे में जान लें। पिका सिंड्रोम क्या होता है?पिका सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसमें किसी विशेष चीज को खाने की प्रबल इच्छा होती है। बता दें यहां विशेष चीज का अर्थ किसी खाने योग्य वस्तु से भी लगाया जा सकता है और नहीं भी। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए कह सकते हैं कि अचार, आइसक्रीम और बर्फ को खाने की तीव्र इच्छा पिका सिंड्रोम के ही लक्षण है। लेकिन इस स्थिति में इच्छा ऐसे पदार्थों के प्रति प्रबल होती है, जो खाने योग्य हैं। इसलिए इसके शरीर पर कोई खास दुष्परिणाम नहीं पड़ते। लेकिन जब यही खाने की प्रबल इच्छा ऐसे पदार्थों के प्रति बढ़ जाती है, जो खाने योग्य नहीं हैं (जैसे :- चाक, खड़िया, मिट्टी, राख)। ऐसी स्थिति में गर्भवती के लिए समस्याएं बढ़ जाती हैं और इसके दुष्परिणाम भविष्य में मां और बच्चे दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं (1)। गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने का मन क्यों होता है या पिका सिंड्रोम होने के पीछे की मूल वजह क्या है, इस बारे में अभी शोधकर्ताओं को कोई ठोस प्रमाण हासिल नहीं हुआ है। कई विशेषज्ञों का इस संबंध में अपना अलग-अलग मत है। कुछ के मुताबिक पोषक तत्वों की कमी के कारण गर्भवती में मिट्टी खाने की तीव्र इच्छा पनपती है। वहीं कुछ का मानना है कि यह एक मानसिक विकार है। लेकिन दोनों ही मतों पर अभी तक कोई ठोस परिणाम हासिल नहीं हुए हैं। अभी इस पर और शोध किए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा भी कई संभावित कारण है, जिन्हें मिट्टी खाने की आदत से जोड़कर देखा जाता है (2) (3)। आइए मिट्टी खाने के सभी संभावित कारणों पर डालते हैं एक नजर।
आगे लेख में हम गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने से मां और बच्चे पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के बारे में बात करेंगे। गर्भावस्था में मिट्टी खाने से गर्भवती महिलाओं और बच्चे के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने से मां और बच्चे पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं। आइए उन सभी दुष्परिणामों को विस्तार से समझते हैं (2)। 1. गर्भवती को होने वाले नुकसान
2. गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ने वाले प्रभाव
नोट- गर्भवती महिला और होने वाले बच्चे में मिट्टी खाने के कारण देखे जाने उपरोक्त सभी प्रभाव अलग-अलग स्थितियों में प्रथक-प्रथक हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने के प्रभावों के बारे में जानने के बाद अब हम जानेंगे कि इस समस्या से छुटकारा कैसे पाया जाए। गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने की समस्या से छुटकारा कैसे पाएं?गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाना कोई बहुत गंभीर समस्या नहीं, लेकिन समय रहते इसके प्रति सावधानी बरतनी अतिआवश्यक है। नहीं तो, भविष्य में इसके संभावित परिणाम अत्यधिक कष्टदाई साबित हो सकते हैं। कुछ बिन्दुओं की सहायता से हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि इस समस्या से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है (3) (4) (5)। 1. चिकित्सक से लें परामर्शगर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने की आदत है, तो सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करें। चिकित्सक जांच के माध्यम से यह जानने की कोशिश करेगा कि कौन से ऐसे तत्व हैं, जिनकी शरीर में कमी है। वह जांच के माध्यम से तय करेगा कि आयरन, जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी इस विकार कारण तो नहीं। साथ ही वह एनिमिया संबंधी जांच भी करा सकता है। अगर इनमें से कोई एक भी संभावित कारण नजर आता है, तो चिकित्सक पहले उस कारण को ठीक करने की कोशिश करेगा। मुमकिन है कि यह उपाय मिट्टी खाने की प्रवृत्ति को खत्म करने में सहायक सिद्ध हो। 2. व्यवहार पर रखें नजरमिट्टी खाने की आदत वाली गर्भवती महिलाओं के व्यवहार पर नजर बनाएं रखें। यह जानने की कोशिश करें की उन्हें मिट्टी खाने की तीव्र इच्छा कब और किस वक्त होती है। सही वक्त जानने के बाद उस वक्त गर्भवती का खास ध्यान रखें, उन्हें मिट्टी न खाने दें। 3. माइल्ड एवर्जन थेरेपी का प्रयोगमिट्टी खाने की आदत को दूर करने के लिए माइल्ड एवर्जन थेरेपी का प्रयोग लाभकारी सिद्ध हो सकता है। बता दें यह एक मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट है। इस थेरेपी में रोगी का ध्यान हटाने की कोशिश की जाती है। मिट्टी खाने की तीव्र इच्छा होने के वक्त गर्भवती को किसी अन्य काम में उलझाएं या ऐसी बातें करें जिसमें उसकी पहले से रूचि हो। ऐसा करने से मिट्टी खाने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। 4. सामान्य भोजन के लिए प्रेरित करनामिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए बेहतर होगा कि रोगी को सामान्य भोजन के प्रति प्रेरित किया जाए। मिट्टी खाने की तीव्र इच्छा के समय को ध्यान में रखते हुए, रोगी को मनचाहे भोजन के संपर्क में लाएं। वहीं इसके लिए बिना शुगर वाले च्युइंग गम का उपयोग भी किया जा सकता है। आप चाहे तो मन परिवर्तित करने के लिए सौंफ और सूखा नारियल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 5. सामान्य भोजन के लिए पुरस्कृत करनाअगर गर्भवती में मिट्टी खाने का कारण मानसिक विकार है, तो इसके लिए आप उन्हें इनाम के जरिए इस आदत से दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसा करने से धीरे-धीरे मिट्टी खाने की आदत दूर होती जाएगी। आगे लेख में हम मिट्टी के अलावा अन्य पिका क्रेविंग के बारे में जानेंगे। गर्भावस्था के दौरान अन्य पिका क्रेविंगगर्भावस्था के दौरान अन्य पिका क्रेविंग का अर्थ है मिट्टी के अलावा अन्य गैर खाद्य पदार्थों को खाने की तीव्र इच्छा का उभरना। आइए कुछ बिन्दुओं की सहायता से इनके बारे में जानते हैं (1) (5)।
अब तो आप गर्भावस्था के दौरान मिट्टी खाने की आदत के बारे में भलीभांति जान गए होंगे। लेख में आपको बताया गया कि इस आदत की वजह से गर्भवती महिला के साथ-साथ होने वाले बच्चे पर क्या-क्या बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं। वहीं, लेख में आपको इस समस्या से छुटकारा पाने के भी कुछ उत्तम उपाय सुझाए गए हैं। अगर आप में भी मिट्टी या कुछ असामान्य चीजें खाने की तीव्र इच्छा पनपती है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेख में दी गई सभी जानकारियों को पढ़ें और फिर उन्हें
आजमाएं। आशा करते हैं कि पिका सिंड्रोम से जूझ रहीं सभी महिलाओं के लिए यह लेख अत्यधिक लाभकारी साबित होगा। References:MomJunction's articles are written after analyzing the research works of expert authors and institutions. Our references consist of resources established by authorities in their respective fields. You can learn more about the authenticity of the information we present in our editorial policy. Was this article helpful? The following two tabs change content below. गर्भवती महिलाओं को मिट्टी खाने से क्या होता है?इसका सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान फल सब्जी खाने की बजाय मुल्तानी मिट्टी, मिट्टी, कोयला राख का सेवन है। डॉक्टरों के अनुसार इन महिलाओं में आयरन कैल्शियम की कमी होती है। जिस कारण उनका यह अजीबो गरीब चीजें खाने का मन करता है। इसी के कारण गर्भवती के पेट में कीड़े होना आम बात हो जाती है।
गर्भ में लड़का रहता है तो क्या खाने का मन करता है?मीठा खाने का मन करना
लेकिन ऐसा माना जाता है कि मीठा खाने की क्रेविंग का संबंध गर्भ में लड़की होने से होता है जबकि नमकीन खाने की इच्छा होने का मतलब है लड़का होगा।
प्रेगनेंसी में मुल्तानी मिट्टी खा सकते हैं क्या?गर्भावस्था के दौरान मुल्तानी मिट्टी खाना भी सुरक्षित नहीं है. यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य और पेट के मुद्दों का कारण बन सकता है. यह आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. यह बच्चे और मां को भी नुकसान पहुंचा सकता है.
महिलाएं मिट्टी क्यों खाते हैं?शरीर में आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी की वजह से भी मिट्टी खाने की तलब होती है। महिलाओं में यह आदत प्राय: इसी वजह से विकसित होती है। कोई भी खानपान अगर संतुलित मात्रा में कराया जाए तो वह नुकसानदेह नहीं होता।
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