मेनोपॉज कितने साल तक रहता है? - menopoj kitane saal tak rahata hai?

45 से 50 की उम्र के बीच हर महिला को पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। इस स्टेज को मेनोपॉज कहा जाता है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है। हालांकि ऐसा एकदम से नहीं होता है। मेनोपॉज के कुछ समय पहले एक औरत पेरिमेनोपॉज की स्टेज से गुजरती है। आइए जानते हैं यह क्या है, इसके लक्षण और इसे मैनेज करने के तरीके।

क्या है पेरिमेनोपॉज?

मेनोपॉज कितने साल तक रहता है? - menopoj kitane saal tak rahata hai?

पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉजल ट्रांजिशन भी कहा जा सकता है।

पेरिमेनोपॉज का मतलब होता है मेनोपॉज के आसपास वाला समय। यह स्टेज तब आती है जब आपका शरीर माहवारी बंद होने की ओर बढ़ रहा होता है। इसलिए पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉजल ट्रांजिशन भी कहा जा सकता है। यह हर महिला के लिए एक अलग अनुभव हो सकता है। इसके लक्षण भी महिला के शरीर पर निर्भर करते हैं।

पेरिमेनोपॉज के लक्षण

इस स्टेज के लक्षण ज्यादातर महिलाओं में 40 की उम्र के बाद से शुरू हो जाते हैं। कुछ मामलों में 30 की उम्र के बाद भी ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

  • अनियमित पीरियड्स
  • एस्ट्रोजन नाम के सेक्स हॉरमोन का लेवल असमान रूप से घटते-बढ़ते रहना
  • पीरियड साइकिल शुरू होने पर भी ओवरीज से अंडे रिलीज न होना
  • अचानक से शरीर में गर्मी महसूस होना (हॉट फ्लैश)
  • नींद में गड़बड़ी
  • वजाइना में सूखापन
  • मूड स्विंग्स
  • फर्टिलिटी कम होना
  • गलती से पेशाब छूट जाना
  • सेक्स ड्राइव कम हो जाना
  • हड्डियां कमजोर होना
  • शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाना

पेरिमेनोपॉज के गंभीर कॉम्प्लिकेशंस​​​​​​​

मेनोपॉज कितने साल तक रहता है? - menopoj kitane saal tak rahata hai?

असामान्य लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

कुछ महिलाओं को ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा भी कुछ ऐसे लक्षण आ सकते हैं, जो असामान्य माने जाते हैं। ये पेरिमेनोपॉज के गंभीर कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं।

  • पीरियड्स के दौरान हर 1-2 घंटे में पैड बदलने की नौबत आए
  • ब्लीडिंग 7 दिन से ज्यादा चले
  • माहवारी हर 21 दिन के गैप में होने लगे
  • पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग हो

ये लक्षण बताते हैं कि आपका प्रजनन स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। इन लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

पेरिमेनोपॉज को कैसे मैनेज करें?

मेनोपॉज कितने साल तक रहता है? - menopoj kitane saal tak rahata hai?

रोजाना एक्सरसाइज करें। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करेगी।

यह स्टेज आपके दैनिक जीवन में बाधा बन सकती है, इसलिए इसे सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है।

  • सभी पोषक तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करें। मौसमी फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट से युक्त भोजन करें।
  • रोजाना एक्सरसाइज करें। यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करेगी।
  • सोने का रूटीन बनाएं। हर दिन एक ही समय उठें और सोएं। सोने से पहले डिजिटल गैजेट्स से दूर रहें।
  • मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन से बचने के लिए स्ट्रेस को दूर रखें। इससे बचने के लिए मेडिटेशन कर सकते हैं।
  • अपना वजन कंट्रोल में रखें।
  • शराब और धूम्रपान छोड़ें।

(Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। बचाव के तरीके/ इलाज अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें।)

महिलाओं में 40 से 50 वर्ष की उम्र जब में मेनोपॉज मतलब रजोनिवृत्ति होती है। साधारण भाषा में जब महिला के पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं तो उसे मेनोपॉज कहते हैं। जब मेनोपॉज होता है तो महिलाओं में कई शारीरिक व मानसिक बदलाव होते हैं। मेनोपॉज के दौरान किसी भी शारीरिक तकलीफ को नजरअंदाज न करें।

कुदरती रूप से जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र पूरी तरह बंद हो जाता है तो उस स्थिति को रजोनिवृति (मेनोपॉज) कहते हैं। रजोनिवृति (मेनोपॉज) में महिलाएं मां बनने की क्षमता खो देती है। महिलाओं के लिए शरीर की ये अवस्था उसके लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलाव लाती है। लेकिन ये कोई बीमारी नहीं बल्कि शरीर की सामान्य गतिविधि है जो उम्र के साथ आती है। इसके लिए बिना स्ट्रेस लिये समझदारी से संभालने की जरूरत होती है।

रजोनिवृत्ति क्या है

रजोनिवृत्ति में मासिक धर्म (पीरियड्स) का जो चक्र है वह बाधित होता है। साथ ही वह प्राकृतिक रूप से गर्भवती (प्रेगनेंट)  नहीं हो पाती है। उम्र के बढ़ने के साथ रजोनिवृत्ति होना बहुत नॉर्मल होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फिमेल सेक्स हार्मोन  का फंक्शन उम्र के साथ कमजोर होने लगता है। अंडाशय ,अंडा निष्कासित करना बंद कर देता है, इससे पीरियड्स भी नहीं होता है। महिलाओं में इन सब कारणों से गर्भधारण की क्षमता भी नगण्य हो जाती है। इसका मतलब ये नहीं कि अचानक आपको रजोनिवृत्ति हो जाएगी। ये प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और जब पूरी तरह मेनोपॉज का समय आता है तब पीरियड्स होना बिल्कुल बंद हो जाता है। जब तक पीरियड्स बंद न हो, उसके पहले गर्भवती होने की संभावना बनी रहती है।

रजोनिवृत्ति क्यों होती है

अधिकतर महिलाओं में मासिक धर्म के आखिरी तारीख के लगभग चार साल पहले से रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ महिलाओं को मेनोपॉज होने के एक साल पहले ही इसके लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों का दिखना महिलाओं की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है रजोनिवृत्ति होने के कई साल पहले से शरीर एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निष्कासन करना धीरे-धीरे कम करने लगता है। ये हार्मोन मासिक धर्म होने और गर्भधारण करने में मदद करते हैं। इसके कमी से पीरियड्स होना बंद हो जाता है और मां बनने की क्षमता भी खत्म होने लगती है।

रजोनिवृत्ति की उम्र

भारत में महिलाओं में  रजोनिवृत्ति की उम्र आम तौर पर 45-50 के बीच होती है। लेकिन, सर्जरी या कैंसर होने पर समय से पहले अगर अंडाशय और गर्भाशय को निकालना पड़ा तो समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकता है।

पेरिमेनोपॉज यानि मेनोपॉज के पहले पीरियड्स का अनियमित होना शुरू होता है और मेनोपॉज में पीरियड्स होना बिल्कुल बंद हो जाता है। पोस्टमेनोपॉज की अवस्था मेनोपॉज के बाद ही आती है। पेरिमेनोपॉज 40 की उम्र के मध्य से आम तौर पर शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ महिलाओं में ये अवस्था आती ही नहीं बल्कि वह सीधे मेनोपॉज में चली जाती है। [1]।

रजोनिवृत्ति के संकेत और लक्षण [2]

वैसे रजोनिवृत्ति से जुड़े ज्यादातर लक्षण पेरिमेनोपॉज की अवस्था के दौरान ही महसूस होने लगते हैं। इस अवस्था में कुछ महिलाओं को कष्ट होता है तो कुछ को नहीं।

जैसा कि पहले ही कहा गया है कि मेनोपॉज अचानक नहीं होता है, धीरे-धीरे समय के साथ होता है। जिसमें शुरू-शुरू के लक्षण होते हैं-

-अनियमित मासिक धर्म- नियमित मासिक धर्म का जो चक्र होता है उसमें परिवर्तन आने लगता है।

-हॉट फ्लाश महसूस होना- अचानक-अचानक हद से ज्यादा गर्मी महसूस होने लगती है।

-रात को पसीने से तर-बतर होना- गर्मी न होने पर भी रात को नींद में हद से ज्यादा पसीना आना।

इसके साथ ही कई और लक्षण भी महसूस होते हैं-

-मूड का बदलना

-अवसाद (डिप्रेशन)

-चिड़चिड़ापन

-चिंता

-नींद नहीं आना

-एकाग्रता की कमी (कंसन्ट्रेशन में प्रॉब्लम)

-थकान

-सिरदर्द

वैसे तो ये लक्षण एक साल या उससे भी ज्यादा दिनों  तक आमतौर चलता रहता है लेकिन पीरियड्स के बंद होने के साथ-साथ ये लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और फिर ठीक हो जाते हैं।

मेनोपॉज के बाद सेक्स हार्मोन के कम जाने के कारण कुछ लक्षण नजर आने लगते है, वे हैं-

  • वैजाइना का ड्राई होना
  • सेक्स करने की इच्छा में कमी
  • वैजाइना के ड्राई हो जाने के कारण सेक्स करने के दौरान दर्द होना
  • ऑर्गैज़्म तक पहुँचने में मुश्किल होना
  • यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की ज्यादा संभावना
  • बार-बार पेशाब करने की इच्छा
  • हड्डियों का कमजोर हो जाना
  • स्किन संवेदनशील और शुष्क होना
  • बैड कोलेस्ट्रॉल का उच्च होना
  • दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होना

डॉक्टर कैसे निर्धारित करते हैं कि मेनोपॉज हुआ है?

वैसे तो, पीरियड्स बंद हो जाने पर मेनोपॉज का पता चल जाता है। लेकिन समय से पहले हुआ तो डॉक्टर पीरियड्स बंद होने के दूसरे कारणों का पता लगाने के बाद ही इस बात की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा आपके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखकर डॉक्टर ब्लड टेस्ट करने की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे-

  • थॉयरायड फंक्शन टेस्ट
  • ब्लड लिपिड प्रोफाइल
  • लीवर फंक्शन टेस्ट्स
  • किडनी फंक्शन टेस्ट्स
  • टेस्टास्टेरान, प्रोजेस्टेरोन, प्रोलैक्टीन, एस्ट्राडायल और कोरियोनिक गोनाडोट्रोपीन (एचसीजी) टेस्ट आदि।

क्या मेनोपॉज होने पर प्रेगनेंसी हो सकती है?

पेरीमेनोपॉज के दौरान ये कहना मुश्किल होता है कि कब पीरियड्स होगा , फ्लो कम होगा या ज्यादा होगा। लेकिन जब तक पीरियड्स हो रहा है गर्भधारण (प्रेगनेंट) होने की संभावना को पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता है।

क्या मेनोपॉज होने पर ऑर्गैज्म हो सकता है?

ये सच है कि मेनोपॉज सेक्स लाइफ को प्रभावित करती है। क्योंकि मेनोपॉज के दौरान टेस्टास्टेरोन और एस्ट्रोजेन लेवल दोनों का स्तर गिरता है जिसके कारण सेक्स की इच्छा भी कम होने लगती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि स्थिति को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। वह आपकी असुविधा को समझकर उसके अनुसार सेक्स थेरेपिस्ट या मैरिटल काउन्सलिंग की सलाह दे सकते हैं। इससे सेक्स लाइफ संबंधी सभी समस्याएं जैसे लिबिडो और ऑर्गैज्म का प्लेजर न मिलने के प्रॉबल्म को संभाला जा सकता है [3]।

मेनोपॉज के  लक्षणों को कैसे करेंगे कंट्रोल

अगर मेनोपॉज के लक्षण समय के साथ कम नहीं हो रहे हैं और ये आपके रोजमर्रा के जीवन को बूरी तरह से प्रभावित कर रहा है तो इलाज की जरूरत होती है। हार्मोन थेरेपी से इस स्थिति को संभाला जा सकता है। जैसे-

-हॉट फ्लैश

-रात में पसीना आना

-वैजाइनल एट्रॉपी (वैजाइना का शुष्क हो जाना)

-ऑस्टियोपोरोसीस (हड्डी कमजोर हो जाना)

मेनोपॉज के दूसरे लक्षणों के लिए दवाईयां भी दी जाती है-

-अनिद्रा (इन्सॉमनिया) के लिए स्लीप मेडिकेशन

-ड्राई आई के लिए ट्रॉपिकल लुब्रिकेंट और एन्टी इंफ्लैमटोरी एजेन्ट्स

-बाल झड़ने के लिए ट्रॉपिकल मिनोऑक्सिडी

-यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन ठीक करने के लिए प्रोफाइलैक्टिक एंटीबायोटिक्स

-नॉन हार्मोनल वैजाइनल मॉश्चराइजर्स

लाइफस्टाइल में बदलाव और घरेलू उपचार

मेनोपॉज के लक्षणों को लाइफस्टाइल और डायट में बदलाव लाकर या वैकल्पिक दवाओं के माध्यम से कुछ हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है।

आरामदायक और शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें

रात को अगर बहुत पसीना आता है तो नहाकर सोने जायें। हल्के आरामदायक कपड़े पहनें। अगर संभव हो तो बेडरूम को ठंडा रखे।

व्यायाम करें और वजन को कंट्रोल में रखें

वजन को कंट्रोल में रखने के लिए अपने रोज के कैलोरी इनटेक को कम करने की कोशिश करें। रोज 20-30 मिनट तक व्यायाम जरूर करें। इससे आपको एनर्जी मिलेगी, नींद अच्छी आएगी, आप अच्छा फील करेंगी और सेहतमंद रहेंगी।

अवसाद (डिप्रेशन), तनाव (स्ट्रेस) को कैसे करें नियंत्रण

रजोनिवृत्ति के दौरान डिप्रेशन, स्ट्रेस, अकेले रहने की आदत और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो रही हैं तो मनोचिकित्सक (साइकोलॉजिस्ट) या थेरेपिस्ट से बात करें।

साथ ही ये भी जरूरी है कि आप घर के सदस्यों, दोस्तों और अपनों से अपनी समस्या का जिक्र करें ताकि वह आपकी मदद कर सके।

मन को शांत करने का उपाय

रजोनिवृत्ति के दौरान सबसे ज्यादा मन अशांत और विचलित रहता है, जिसके कारण अवसाद, उदासी या मन में बेचैनी-सी छाई रहती है, हर बात पर चिड़चिड़ापन, बार-बार गुस्सा आना या अपने गुस्से पर से नियंत्रण खो जाने की भी नौबत आ जाती है। इसके लिए जरूरी है कि आप योगाभ्यास या मेडिटेशन करें। इससे मन को कुछ हद तक शांत किया जा सकता है।

डायट में सप्लीमेंट

ऑस्टियोपोरोसीस, अनिद्रा और थकान जैसे समस्याओं को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें और उसके अनुसार कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्निशियम के सप्लीमेंट लें [4]।

धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन न करें

अगर आपने सिगरेट और शराब पीना नहीं छोड़ा तो ये रजोनिवृत्ति के दौरान के लक्षणों को और भी बदतर अवस्था में ले जा सकती है। इसलिए इन दोनों के सेवन से बचें।

डायट में पौष्टिक खाद्द पदार्थों और नैचुरल सप्लीमेंट्स करें शामिल

डायट में कुछ पौष्टिक खाद्द पादर्थों या नैचुरल सप्लीमेंट्स को शामिल कर मेनोपॉज के लक्षणों को कुछ हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है । जैसे-

-सोया (सॉय)

– अलसी

-मेलाटोनीन

-विटामिन ई

असल में मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल में करने के लिए आपको अपने सेहत का सही तरह से ख्याल रखने की जरूरत है। इससे आप मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रह सकते हैं।

(इस लेख की समीक्षा डॉ. ललित कनोडिया, फिजिशियन ने की है।)

संदर्भ-

1-Ahuja M. Age of menopause and determinants of menopause age: A PAN India
survey by IMS. J Midlife Health. 2016 Jul-Sep;7(3):126-131. PubMed PMID:
27721640;

2- PubMed Health: Menopause Overview

3-Redelman M. A general look at female orgasm and anorgasmia. Sex Health. 2006
Sep;3(3):143-53.

4-Sapre S, Thakur R. Lifestyle and dietary factors determine age at natural menopause. J Midlife Health. 2014 Jan;5(1):3-5

मेनोपॉज के लक्षण कितने समय तक रहते हैं?

मेनोपॉज शुरू होने से तीन से पांच साल पहले महिला के शरीर में पेरिमेनोपॉज की स्थिति बनती है। यह स्थिति 10 साल तक रह सकती है और उसके बाद मेनोपॉज यानी मासिक धर्म रुकने के चरण में प्रवेश होता है। इसके बाद पोस्ट मेनोपॉज की अवस्था आती है।

मासिक धर्म बंद होने की सही उम्र क्या है?

वहीं मासिक धर्म बंद होने की उम्र 45 से 50 साल होती है। इस स्थिति को मेनोपाॅज कहा जाता है। लेकिन हर स्त्री के लिए मेनोपाॅज के अनुभव अलग अलग हो सकते हैं। मेनोपाॅज स्वास्थ्य की वह स्थिति है, जिसमें किसी महिला को लगातार 12 महीने मासिक धर्म से नहीं गुजरना पड़ता।

क्या 42 की उम्र में रजोनिवृत्ति हो सकती है?

भारत में महिलाओं को आमतौर पर किस उम्र में मीनोपॉज होता है? अगर किसी महिला को 40 साल की उम्र से पहले मीनोपॉज होता है तो उसे प्रीमेच्‍योर मीनोपॉज कहते हैं। जिन महिलाओं को 41-45 साल की उम्र में मीनोपॉज होता है उसे अर्ली मीनोपॉज(Early Menopause) कहते हैं। भारत में ज्‍यादातर महिलाओं को मीनोपॉज 46 साल की उम्र में होता है।

मेनोपॉज के अंत में क्या होता है?

सामान्य तौर पर मेनोपॉज का आशय है मासिक चक्र का अंत। ओवरीज में अंडे धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं और ओवरीज ऐसे हॉर्मोन बनाना बंद कर देती है, जो प्रजनन क्षमता के लिए जरूरी होते हैं। लिहाजा मासिक चक्र खत्म होता है और प्रजनन क्षमता भी खत्म होने लगती है।