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संयुक्त राष्ट्र संघ की परिभाषा के अनुसार,मानव संसाधन विकास आर्थिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए एक या एक से अधिक राजनीतिक राज्यों या भौगोलिक क्षेत्रों में मानव संसाधनों को बढ़ाने की योजनाबद्ध और समन्वित प्रक्रिया है।[१] मानव संसाधन का विकास को एक नीति प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी गई है और संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्रभागों द्वारा एक गतिविधि के रूप में शुरू किया गया है।राष्ट्रीय देश की सरकारें,अंतर्राष्ट्रीय विकास में शामिल संगठन। [२] शिक्षा के द्वारा मानव संसाधन को विकसित करने के संबंध में अल्फ्रेड मार्शल का विचार काफी सराहनीय है।उनके अनुसार- शिक्षा पर निजी और सार्वजनिक निधि के व्यय की सार्थकता का मूल्यांकन केवल उसके प्रत्यक्ष परिणामों के माध्यम से नहीं हो।इसमें निवेश मात्र ही लोगों को उससे अधिक अवसर उपलब्ध कराने में पर्याप्त होगा,जितना कि वे स्वयं ही प्राप्त कर सकते थे। इनके माध्यम से कितने ही ऐसे व्यक्तियों की अंतर्निहित योग्यताएँ उजागर हो पाती हैं, जो अन्यथा बिना पहचान के ही मर जाते।[३]मानव संसाधन[सम्पादन]मानव संसाधन (HUMAN RESOURCES)वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा,प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणामस्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है। यह मानव पूँजी कौशल और उन्में निहित उत्पादन के ज्ञान का भंडार है। यह प्रतिभाशाली और काम पर लगे हुए लोगों और संगठनात्मक सफलता के बीच की कड़ी को पहचानने का सूत्र है। यह उद्योग/संगठनात्मक मनोविज्ञान और सिद्धांत प्रणाली संबंधित अवधारणाओं से संबद्ध है। [४] स्वास्थ्य में निवेश,कार्य के दौरान प्रशिक्षण प्रबंधन तथा सूचना आदि मानव पूंजी के निर्माण के अन्य स्रोत हैं।व्यक्ति अपने भविष्य की आय को बढ़ाने के लिए शिक्षा पर निवेश करता है।शिक्षा की भाँति ही स्वास्थ्य को भी किसी व्यक्ति के साथ-साथ देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आगत माना जाता है।स्वास्थ्य पर किया गया व्यय स्वस्थ्य श्रमबल की पूर्ति को प्रत्यक्ष रूप से बढाता है और इसी कारण यह मानव पूंजी निर्माण का एक स्रोत है। व्यक्ति श्रमबाजार तथा दूसरे बाजार जैसे, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए व्यय कर यह जानना चाहते हैं कि विभिन्न प्रकार के कार्यों में वेतनमान क्या है या फिर क्या शैक्षिक संस्थाएँ सही प्रकार के कौशल में प्रशिक्षण दे रही है और किस लागत पर ?इस प्रकार श्रम बाजार तथा अन्य बाजारों के विषय में जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का स्रोत है।[५] मानव विकास रिपोर्ट 2019(Human Development Report 2019)[सम्पादन]2018 में भारत के राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों का मानव विकास सूचकांक मानव विकास रिपोर्ट (HDR) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा प्रकाशित एक वार्षिक रिपोर्ट है।[६] 1990 में पहली बार इस रिपोर्ट का प्रकाशन पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक और भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन द्वारा शुरू की गई थी।[७] इसका लक्ष्य लोगों को आर्थिक बहस,नीति और वकालत के मामले में विकास प्रक्रिया के केंद्र में रखना था।विकास का गुण था चयन और स्वतंत्रता का विकल्प प्रदान करना जिसके परिणामस्वरूप व्यापक परिणाम सामने आए। "लोग एक राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति हैं," हक ने 1990 में पहली रिपोर्ट की शुरुआती पंक्तियों में लिखा था। "विकास का मूल उद्देश्य लोगों को लंबे,स्वस्थ और रचनात्मक जीवन का आनंद लेने के लिए सक्षम वातावरण बनाना है। यह एक सरल सत्य प्रतीत हो सकता है। लेकिन यह अक्सर वस्तुओं और वित्तीय धन के संचय के साथ तत्काल चिंता में भूल जाता है। ”9 दिसंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट 2019 और 2018 में डेटा के आधार पर एचडीआई मूल्यों की गणना की गई थी। [८] इस रिपोर्ट में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक (Human Development INdex) के अनुसार भारत ने एक स्थान की छलांग लगाई है।भारत की HDI रैंकिंग 189 देशों के बीच 129 हो गई है।(2018 में 130वां)[९] नॉर्वे>स्विट्जरलैंड>आयरलैंड ने इस क्रम में शीर्ष तीन स्थानों पर कब्जा कर लिया। जर्मनी को हांगकांग के साथ चौथे स्थान पर रखा गया है, और ऑस्ट्रेलिया ने वैश्विक रैंकिंग में पांचवीं रैंक हासिल की है। भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका (71) और चीन (85) रैंक के स्तर से ऊपर हैं जबकि भूटान (134), बांग्लादेश (135), म्यांमार (145), नेपाल (147), पाकिस्तान (152) और अफगानिस्तान (170) हैं। सूची में निम्न स्थान पर थे। [१०] मानव संसाधन और आर्थिक विकास[सम्पादन]शिक्षा और स्वास्थ्य आर्थिक समृद्धि के महत्वपूर्ण कारक हैं। मानव पूँजी की वृद्धि के कारण आर्थिक समृद्धि होती है।विकासशील देशों में मानव पूंजी की समृद्धि तो बहुत तेजी से हो रही है किंतु उनकी प्रति व्यक्ति वास्तविक आय की वृद्धि उतनी तीव्र नहीं है। सातवीं पंचवर्षीय योजना में कहा गया है-"उचित प्रशिक्षण पाकर एक विशाल जनसंख्या अपने आप में आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने वाली परिसंपत्ति बन जाएगी।साथ ही यह वंचित दिशा में सामाजिक परिवर्तन भी सुनिश्चित कर देगी। ड्यूस नामक जर्मन बैंक के जुलाई 2005 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत 2020 तक विश्व के चार प्रमुख विकास केंद्रों में से एक वन कर उभरेगा। आयरलैंड को विश्व ज्ञान अर्थव्यवस्था का प्रयोग करने वाला देश माना जाता है।विश्व बैंक के अनुसार यदि भारत भी आयरलैंड जितना ज्ञान का प्रयोग करे तो 2020 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय $3000 हो सकती है।[११] भारत में मानव पूंजी निर्माण की स्थिति[सम्पादन]मानव पूंजी निर्माण शिक्षा,स्वास्थ्य,कार्यस्थल प्रशिक्षण प्रवासन और सूचना निवेश का परिणाम है।इनमें शिक्षा और स्वास्थ्य मानव पूंजी निर्माण के दो सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं। भारत में शिक्षा से क्षेत्र के अंतर्गत संघ और राज्य स्तर पर शिक्षा मंत्रालय तथा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद आती है। स्वास्थ्य क्षेत्र के अंतर्गत संघ और राज्य स्तर पर स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद कर रही है । शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय[सम्पादन]1952 से 2014 के बीच कुल सरकारी व्यय में शिक्षा पर व्यय 7.92% से बढ़कर 15.7% हो गया है।सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शिक्षा का प्रतिशत 6.64से बढ़कर 4.13% हो गया है।शैक्षिक व्यय का बहुत बड़ा हिस्सा प्राथमिक शिक्षा पर खर्च होता है।उच्चतर/तृतीयक शैक्षिक संस्थाओं(उच्च शिक्षा के संस्थानों जैसे महाविद्यालयों,बहु तकनीकी संस्थानों और विश्वविद्यालयों आदि)पर होने वाला व्यय सबसे कम है। यद्यपि औसत रूप से उच्चतर शिक्षा पर व्यय बहुत कम है तथापि प्रति विद्यार्थी उच्चतर शिक्षा पर व्यय प्राथमिक शिक्षा की तुलना में अधिक है। 1964-66 में नियुक्त शिक्षा आयोग ने सिफारिश की थी कि शैक्षिक उपलब्धियों की समृद्धि दर में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए जीडीपी का कम से कम 6% शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए।दिसंबर 2002 में भारत सरकार ने 86 में संविधान संशोधन द्वारा छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया है । 1998 में भारत सरकार द्वारा नियुक्त तापस मजूमदार समिति ने अनुमान लगाया था कि देश में 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने के लिए (1998-99 से 2000-2007 )के 10 वर्षों की अवधि में लगभग 1.3 लाख करोड़ रूपए व्यय करना होगा। सरकार हाल के वर्षों में सभी केंद्रीय करों पर 2% शिक्षा उपकर लगाना प्रारंभ किया है,जिसका उपयोग प्राथमिक शिक्षा पर व्यय के लिए नई ऋण योजना की भी घोषणा की गई है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन(NSSO) के आंकड़ों के अनुसार,वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेेत्रों में स्नातक व ऊपर अध्ययन किये युवा पुरुषों के बीच बेरोजगारी दर 19% थी। उनके शहरी समकक्षों में 16% अपेक्षाकृत कम स्तर पर बेरोजगारी दर थी।गंभीर रूप से प्रभावित लोगों में लगभग 30% बेरोजगार ग्रामीण युवा महिला थीं।[१२] सन्दर्भ[सम्पादन]
मानव विकास से क्या तात्पर्य है ?`?मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास का मूल उद्देश्य क्या है?विकास का मूल उद्देश्य ऐसी दशाओं को उत्पन्न करना है जिसमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। समता - इसका आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना है। उत्पादकता - उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य केसंदर्भ में उत्पादकता है।
मानव विकास का क्या महत्व है?भौतिक पर्यावरण की दृष्टि से भी मानव विकास अच्छा है। गरीबी में वनों के विनाश, रेगिस्तान के विस्तार और क्षरण में कमी आती है। गरीबी में कमी से एक स्वस्थ समाज के गठन, लोकतंत्र के निर्माण और सामाजिक स्थिरता में सहायता मिलती है। मानव विकास से सामाजिक उपद्रवों को कम करने में सहायता मिलती है और इससे राजनीतिक स्थिरता बढ़ती हैं।
मानव विकास का क्या मतलब है?मानव विकास का अर्थ (manav vikas ka arth)
मानव के जीवनकाल मे आए विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों को सामान्य भाषा मे विकास के नाम से जाना जाता है। विकास की प्रक्रिया मे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि पहलू सम्मिलित हैं। मनुष्य के जीवन मे प्रगति की राह मे होने वाले क्रमिक परिवर्तनों को विकास की संज्ञा दी गई है।
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