नौ दो ग्यारह होना मुहावरे का अर्थ nau do gyaarah hona muhaavare ka arth – भाग जाना । दोस्तो जब किसी व्यक्ति को खतरे का आभास होता है तो वह व्यक्ति अपने आप को बचाने के लिए इधर उधर भागने लग जाता है तब उसके लिए कहा जाता है की खतरे को आते देखकर वह व्यक्ति नौ दो ग्यारह हो गया। या फिर इस मुहावरे का अर्थ ऐसे भी निकाल सकते है की जब किसी को कोई काम होता है और वह अपने काम को छोडकर कही और भाग जाता है तो वह नौ दो ग्यारह हो
जाता है । इस मुहावरे का सरल अर्थ तो यही है की भाग जाना । एक बार की बात है खडकसिंह नाम का एक पुलिस वाला शहर मे रहता था । वह पुलिस वाला बहुत ही घुस्से वाला था और अपनी डुटी सही तरह से निभाने वाला भी था । इस कारण शहर के लोगो के बिच उसकी इज्जत बहुत थी । उसके घर मे उसकी पत्नी के अलावा और कोई भी नही रहता था । शहर के सभी लोग उसे अपना भगवान मानते थे वह पुरे शरह के लोगो की मदद करता रहता
था। जब भी शहर के लोगो पर कोई मुशिबत आती तो वह अपनी जान हथेली पर लेकर शहर के लोगो की जान बचाता था । उससे कोई भी गुनेगाहर नही बच सकता था। एक बार वह किसी को पकड लेता तो वह बादमे कभी भी गलत काम नही करता था । खडकसिंह बहुत कडक आदमी था वह हर गुनेगाहर को मारता था और लोगो की हिफाजत करता रहता था । इस कारण शहर के लोग उसे अपने घर का ही सदस्य मानते थे और खडकसिंह भी शहर के लोगो को अपना परिवार मानता था । एक बार शहर के लोगो का पैसे लुटने के लिए एक चौर आ गया था। जब भी उस चौर को पता चलता की इस बेंक मे बहुत रुपय है तो वह उस उस बेंक को लुटने के बारे मे योजना बनाने लग जाता था और बेंक मे जाकर चौरी करता था । खडकसिंह भी बहुत चतुर था जब भी उसे पता चलता की चौरी चौरी करने के लिए अया है तो वह उसे पकडने के लिए चला जाता था । जब भी पुलिस को आते देखकर वह चौर नौ दो ग्यारह हो जाता था । खडकसिंह के शहर मे कभी भी चौरी नही होती थी पर उसके आने पर बेंक मे भी चौरी होने लगी । खडकसिह भी उस चौर का पिछा नही छोडता था और उसे पकडने के लिए लगा रहता था । इसी तरह से वह चौर कुछ दिन बित जाने पर अलग अलग बेंको मे जार चौरी करता था। बेंको मे चौरी होने के कारण खडकसिंह भी बहुत परेसान था और उस चौर को पकडने के बारे मे योजना बनाता रहता था । चौर भी कम चालाक नही था उसे पता था कि पुलिस तो आएगी ही और उसे पुलिस से बचकर निकलना है तो वह पहले ही उस बेंक के चारो और देख लेता की मै कहा से भाग सकता हूं । बादमे ही वह चौरी करने के लिए जाता था । चौरी की इस चालाकी ने खडकसिंह की भी निंद उडा दि थी । वह दिन व रात उस चौर को पकडने के बारे मे सोचता रहता और वह हर बार नाकम हो जाता था। जब भी वह जाता तो चौर चौरी कर कर नौ दो ग्यारह हो जाता और पुलिस को पता भी नही चलता की चौर गया कहा है। जब खडकसिंह चौर को नही पकड पा रहा था तो लोग भी उसे कहने लगे थे की आप कर क्या रहे हो। लोगो की बाते सुनकर खडकसिंह उसे पकडने के लिए एक योजना बनाई जो की बेंक से जो भी रुपय वह चौर लुटकर ले गया था जिसके कारण लोगो मे घुस्सा है तो उनमे से आधे रुपय सरकार अपनी तरफ से लोगो को दे रही है । जब चौर को पता चला की बेंक मे पैसे आए है तो वह चौरी करने के बारे मे सोचने लगा और चौरी करने के लिए बेंक मे गया चौर चौरी कर कर नौ दो ग्यारह होना चाहा पर इस बार पुलिस ने यानि खडकसिंह ने उसे पकड लिया और थाने लेजाकर खुब धोया तब चौर कहने लगा की मै तो इस बार भी नौ दो ग्यारह होने ही वाला था की आपने मुझ पकड लिया वरना आज मे आपके पास नही होता । इस तरह से आप समझ गए होगे कि इस कहानी का अर्थ क्या है । नौदोग्यारहहोनामुहावरे निबंधसाथियो इस संसार मे हर किसी पर मुसिबत आती ही रहती है किस का घर बार नष्ट हो जाता है तो किसी पर कुछ और संकट आ जाता है । जब वे लोग इस संकट से दुर जाने के लिए भागते है जिस तरह से कुता पिछे पड जाता है तो भागने लग जाते है। यानि हम भाग रहे है जिसको नौ दो ग्यारह होना कहते है । माना जाए की एक चौर चौरी कर रहा है वह चौरी कर कर जाने ही वाला था कि अचानक वहा पर पुलिस आ गई पुलिस को अते देखकर चौर दबे पाव न जाकर भागने लग जाता है । और जब वह भाग जाता है तो पुलिस कहती है की वह चौर तो नौ दो ग्यारह हो गया है । यानि वह हमारे हाथ से निकल कर भाग गया । भागने का कारण कोई भी हो सकता है यह जरुरी नही है की चौर के तोर पर ही भागा जाए ।
जब बच्चे विधालव की छट्टी हाने पर भागकर अपने घर आते है तो उसे ही नौ दो ग्यारह होना कहते है । अपना काम जल्दी करने या फिर अपने पर आई मुसिबत के कारण हम भागते है । अत: इस मुहावरे का सिधा सा अर्थ यही है की जो भी कारण हो जब भागकर कही जाते है तो उसे नौ दो ग्यार होना कहते है । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है।
Mohammad Javed Khanमेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं। |