जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल विचार-विमर्श के लिए हमें श्रेष्ठ निबंध लेखन की आवश्वयकता होती है। निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। आज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर निबंध लिखे जा रहे हैं। संसार का हर विषय, हर वस्तु, व्यक्ति एक निबंध का केंद्र हो सकता है। Show
हिंदी निबंध का उद्भव और विकास hindi nibandh udbhav aur vikas हिंदी निबंध का उद्भव और विकास निबंध का उद्भव एवं विकास हिंदी उपन्यास तथा कहानी के समान निबंध भी पश्चिम की देन है .हिंदी में निबंध का विकास प्राय: अंग्रेजी के निबंधों के आधार पर हुआ है .भारतेंदु युग से लेकर हिंदी निबंध साहित्य निरंतर अग्र गति और निरंतर विकास की ओर अग्रसर होता रहा है . हिंदी निबंध का उद्भव और विकासहिंदी निबंध का उद्भव और विकास निबंध का उद्भव एवं विकास hindi nibandh udbhav aur vikas - हिंदी उपन्यास तथा कहानी के समान निबंध भी पश्चिम की देन है .हिंदी में निबंध का विकास प्राय: अंग्रेजी के निबंधों के आधार पर हुआ है . अन्य गद्य विधाओं के समान निबंध भी भारतेंदु युग की देन है .तब से अब तक इस विधा में अनेकानेक परिवर्तन हुए हैं .हिंदी निबंध के विकास का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है - १. भारतेंदु युग (१८६८ -१९०३ ) -भारतेंदु जी हिंदी के सर्वप्रथम निबंधकार है और उनका युग हिंदी का प्रारंभिक युग है .इस काल के निबंधों में विषय और शैली की विविधता है .भाषा व्यावहारिक है .उस पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव है .भारतेंदु जी के अतिरिक्त इस काल के निबंधकारों में बालकृष्ण भट्ट ,प्रतापनारायण मिश्र ,बाल मुकुंद गुप्र ,बदरी नारायण चौधरी ,अम्बिकादत्त व्यास ,राधाचरण गोस्वामी का प्रमुख स्थान है .इन सबने राजनीति समाज सुधार देश प्रेम आदि को अपने निबंधों का विषय बनाया .प्रायः इस युग के निबंधकार मनमौजी स्वभाव के व्यक्ति थे .अतः उनमें स्वच्छंदता और उन्मुक्तता पायी जाती है . २. द्विवेदी युग (१९०३ -१९२० )-द्विवेदी युग भाषा के परिष्कार और संस्कार का युग है .द्विवेदी जी के सामने दो लक्ष्य थे - भाषा की शिथिलता को समाप्त करना और लोगों की रूचि को गंभीर विषय की ओर आकर्षित करना .इसका परिणाम यह हुआ कि इस युग के निबंधों में प्रौढ़ता और गंभीरता आई ,भाषा परिष्कृत हुई और निबंध के विषयों का विस्तार हुआ .द्विवेदीयुग के निबंधकारों में अध्यापक पूर्ण सिंह ,पद्मसिंह शर्मा ,माधव मिश्र ,मोहनलाल मेहता ,बनारसीदास चतुर्वेदी और मिश्र बन्धुवों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं . ३. शुक्ल युग (१९२० -१९३७ ) -निबंध क्षेत्र में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पदार्पण से निबंध साहित्य को नया जीवन मिला .वास्तव में निबंधों के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व शुक्ल जी का क्षेत्र है .शुक्ल जी के प्रभाव से इस युग में गंभीर और विचार प्रधान निबंधों की रचना हुई .इनमें प्रौढ़ भाषा शैली का प्रयोग हुआ है .इस युग के अन्य प्रतिभाशाली लेखकों में डॉ .श्यामसुन्दरदास ,पीताम्बर दत्त बडथ्वाल ,संपूर्णानंद ,गुलाब राय आदि का महत्वपूर्ण स्थान है . ४. शुक्लोत्तर युग (१९३७ - से अब तक ) -शुक्लोत्तर युग के निबंधकारों में डॉ .हजारी प्रसाद द्विवेदी ,जैनेन्द्र कुमार ,डॉ .नगेन्द्र ,महादेवी वर्मा ,डॉ .राम विलास शर्मा ,अमृतराय ,आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी आदि का नाम बड़ी श्रधा के साथ लिया जा सकता है . डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी के अशोक के फूल,कल्पलता ,विचार और वितर्क ,निबंध संग्रह प्रकाशित हुए हैं .इनमें विचारों की मौलिकता और शैली की रोचकता है .श्री जैनेन्द्र कुमार जी के दार्शनिक और सामाजिक विषयों पर निबंधों की रचना की है .डॉ .नगेन्द्र जी ने मुख्यतः साहित्यिक विषयों पर निबंध लिखे हैं .ये निबंध विचार और विवेचन ,विचार और अनुभूति ,विचार और विश्लेषण आदि संग्रहों में संग्रहित हैं . महादेवी वर्मा ने अतीत के चलचित्र ,स्मृति की रेखाएँ और श्रंखला की कड़ियाँ आदि संग्रहों में हिंदी में संस्मारात्मक निबंधों के भाव की पूर्ति की है . इनके अतिरिक्त श्री शिवदान सिंह चौहान ,डॉ .देवराज ,कन्हैयालाल मिश्र ,धर्मवीर भारती ,प्रभाकर माचवे ,विद्यानिवास मिश्र ,आदि निबंधकारों के निबंध विभिन्न साहित्य के पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं और अभी भी हो रहे हैं .इस प्रकार निबंध साहित्य ने कुछ ही समय में पर्याप्त उन्नति की है .भारतेंदु युग से लेकर हिंदी निबंध साहित्य निरंतर अग्र गति और निरंतर विकास की ओर अग्रसर होता रहा है . इसे सुनेंरोकेंनिबंध लिखने का उद्देश्य किसी विषय-वस्तु को तर्क और तथ्यों के ढांचे में फिट करके उसे व्यवस्थित रूप देना है, ताकि उस विषय वस्तु को और अधिक गहराई से समझा जा सके। किसी भी विषय पर किसी निबंध को लिखने के लिए उस विषय के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। निबंध के प्रमुख तत्व कितने हैं?निबंध के प्रमुख तत्व हैं: संक्षिप्तता, गद्य की अनिवार्यता, व्यक्तित्व की प्रधानता, सजीवता और भाषा-शैली।
निबंध शब्द कैसे बना है? इसे सुनेंरोकें’निबंध’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि+बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो। परिभाषा – ‘निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो। पढ़ना: एचसीजी इंजेक्शन कब लगाना चाहिए? अपने बारे में 5 वाक्य क्या लिखें?इसे सुनेंरोकेंनिबंध 1 (250 शब्द) आमतौर पर मेरे अभिभावक और दादा-दादी मुझे मेरे निकनेम से ही बुलाते हैं। मेरे माता-पिता मेरे स्वास्थ्य को लेकर बहुत फिक्रमंद रहते हैं। वो मुझे रोज अलसुबह 5 बजे उठा देते हैं और सभी रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने को कहते हैं। मेरी माँ मुझे रोज सुबह एक सेब और एक घंटे बाद स्वास्थ्यकारी नाश्ता देती हैं। 3 लेखक ने निबंध की क्या परिभाषा दी है?`?इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 3. लेखक ने निबंध की क्या परिभाषा दी है? लेखक ने निबंध की कोई सर्वसम्मत परिभाषा नहीं दी है लेकिन उन्होंने कहा है कि निबंध में निबंधकार अपने सहज, स्वाभाविक रूप को पाठक के सामने प्रकट करता है। आत्मप्रकाशन ही निबंध का प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है। निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंकुछ भी लिखने के लिए कल्पना करना या यह गुण विकसित करना किसी भी लिखने वाले व्यक्ति को आवश्यक होता है । कई निबंध के विषय काल्पनिक होते है । जितना भी कल्पना का गुण विकसित करेंगे उतना ज्यादा निबंध या और कोई साहित्य अच्छी तरह से लिखोगे । विचारों की पुनरावृत्ति से बचना चाहिए । पढ़ना: हैसियत प्रमाण पत्र के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए? निबंध क्या है इसके तत्व लिखिए?इसे सुनेंरोकेंबाबू गुलाबराय ने निबंध की परिभाषा में अनेक तत्त्वों का सम्मिश्रण करते हुए कहा है- ”निबंध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।” निबंध के कितने प्रकार होते है?निबंध 3 प्रकार के होते हैं
निबंध में सबसे पहले क्या लिखना चाहिए? इसे सुनेंरोकें4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें। 5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो। निबंध लिखने की शैली की शुरुआत कब और कैसे हुई?इसे सुनेंरोकेंहिन्दी साहित्य के आधुनिक युग में भारतेन्दु और उनके सहयोगियों से निबंध लिखने की परम्परा का आरंभ होता है। निबंध ही नहीं, गद्य की कई विधाओं का प्रचलन भारतेन्दु से होता है। यह इस बात का प्रमाण है कि गद्य और उसकी विधाएँ आधुनिक मनुष्य के स्वाधीन व्यक्तित्व के अधिक अनुकूल हैं। पढ़ना: बगीचा में चिड़िया कहाँ आकर बैठी थी *? निबंध की क्या विशेषता है?इसे सुनेंरोकेंबातचीत निबंध की विशेषताएं. बातचीत दो या अतिरिक्त मनुष्यों के बीच इंटरैक्टिव संचार है. विज्ञप्ति के अंदर भाग लेने के लिए दूसरों को प्रोत्साहित करें. संचार को गंभीरता से और विनम्रता के साथ लें. पहली दर बातचीत दूसरे व्यक्ति, उनके देश में रुचि दिखाने के साथ शुरू, और क्या वे के बारे में जिज्ञासु हो सकता है. निबंध के कितने अंग होते हैं * 1 Point? इसे सुनेंरोकेंमुख्य रूप से निबंध के तीन अंग होते हैं जो क़ि इस प्रकार हैं। भूमिका – यह निबंध के आरंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है जिसमे मुख्यतः विषय का परिचय दिया जाता है। विस्तार – यह निबंध का मुख्य अंग है जिसमें विषय का वर्णन विवेचन किया जाता है। उपसंहार – यह निबंध के अंत में निबंध के सार के रूप में लिखा जाता है। निबंध का प्रारंभ कब और कैसे हुआ?माना जाता है कि एक आधुनिक विधा के रूप में 'निबंध' की शुरुआत 1580 ई. में फ्राँस के लेखक मॉन्तेन (Montaigne) के हाथों हुई। मॉन्तेन ने अपने निबंधों के लिये 'ऐसे' (Essay) शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ होता है- 'प्रयोग'। उस समय फ्राँस में कहानी, नाटक, कविता जैसी कई विधाएँ प्रचलित थीं पर निबंध का कलेवर उन सबसे अलग था।
निबंध लेखन की शुरुआत कैसे करते हैं?निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है।. निबंध लेखन के पूर्व विषय पर विचार कर- ... . भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।. विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करना चाहिए।. विचारों की पुनरावृत्ति से बचना चाहिए।. लिखने के बाद उसे पढ़िए, उसमें आवश्यक सुधार कीजिए।. भाषा संबंधी त्रुटियां दूर कीजिए।. निबंध के कितने अंग होते हैं?मुख्य रूप से निबंध के तीन अंग होते हैं जो क़ि इस प्रकार हैं। भूमिका - यह निबंध के आरंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है जिसमे मुख्यतः विषय का परिचय दिया जाता है। विस्तार - यह निबंध का मुख्य अंग है जिसमें विषय का वर्णन विवेचन किया जाता है। ... उपसंहार - यह निबंध के अंत में निबंध के सार के रूप में लिखा जाता है।
निबंध में सबसे पहले क्या लिखा जाता है?भूमिका: सबसे पहले आती है भूमिका, अर्थात निबंध के विषय के बारे में लिखने से पहले तुम निबंध के विषय से संबंधित भूमिका बांधो। परंतु यह अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो बोरिंग हो जाती है।
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