विषयसूची अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए?इसे सुनेंरोकेंशुद्ध रूप – मैं अपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। अशुद्ध रूप – मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है। शुद्ध रूप – मैंने अपना गृहकार्य कर लिया है। अशुद्ध रूप – तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो। निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए क मेरे को जल्दी जाना है ख उसने अनेकों ग्रंथ लिखे?इसे सुनेंरोकें’उसने अनेक ग्रंथ लिखे’ शुद्ध वाक्य है क्योंकि इसमें कोई त्रुटि नहीं है। वाक्य सम्प्रेषण की सबसे महत्वपूर्ण और सार्थक इकाई होती है। वाक्य में, संज्ञा, सर्वनाम, लिंग, वचन, क्रिया-विशेषण, क्रिया, विशेषण आदि संबंधी अशुद्धियाँ हो सकती हैं। वे वीर है शुद्ध वाक्य क्या है?इसे सुनेंरोकें1. वे वीर हैं। शुद्ध रूप = वो वीर है। मुझे केवल मात्र ₹ 5 चाहिए वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए? इसे सुनेंरोकेंing na pinakamataas at kilala sa buong mundo? इक्विटी और लायबिलिटीज एक बैलेंस शीट में पहले आती हैं, इसके बाद संपत्ति होती है। . अशुद्धियां कितने प्रकार की होती है समझाइए? इसे सुनेंरोकें(क) एक-पक्षीय अशुद्धि : लेखांकन अशुद्धि जो किसी खाते के एक पक्ष को प्रभावित करती है उसे एक पक्षीय अशुद्धि कहते हैं। प्रभावित पक्ष नाम पक्ष हो सकता है अथवा जमा पक्ष। इस अशुद्धि का कारण है कि एक खाते में तो खतौनी ठीक की गई पर संलग्न खाते की खतौनी में अशुद्धि है। क्या यह संभव हो सकता है वाक्य शुद्ध करें?इसे सुनेंरोकेंसमान अर्थ वाले दो शब्दों या विपरीत अर्थ वाले शब्दों के एक साथ प्रयागे होने तथा एक ही शब्द की पुनरावृत्ति पर वाक्य अशुद्ध हो जाता है। अतः किसी एक अनावश्यक शब्द को हटाकर वाक्य शुद्ध बनाया जा सकता है। अतः दोनों रूपों में वाक्य सही हो सकता है। वाक्या को शुद्ध करके लिखिए १ गुरु के सामने उसकी मुंह से एक शब्द भी न निकले *?इसे सुनेंरोकेंवह अपने गुरु की कही हुई बातों पर अमल करे तथा गुरु से विवाद न करे। इसके अलावा उसे अपनी कला पर अहंकार न हो। बैजू बावरा ने बारह वर्ष तक बाबा हरिदास से संगीत सीखने की कठिन तपस्या की थी। फिर भी गुरु के सामने उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला। निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए क मेरे को जल्दी जाना है?इसे सुनेंरोकें(i) मेरे को जल्दी जाना है। (ii) मुझे जल्दी जाना है। (ii) उस लड़के को बुला लाओ। मैं आपको मिलकर प्रसन्न हुआ इसका शुद्ध वाक्य क्या होगा? इसे सुनेंरोकेंशुद्ध रूप : मुझे आपसे मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई। निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए उसने मेरे को कुछ नहीं कहा? इसे सुनेंरोकेंQue : 137. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए: 1. उसने मेरे को कुछ नहीं कहा। इसे सुनेंरोकेंअशुद्ध रूप – मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। शुद्ध रूप – मैं अपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। अशुद्ध रूप – मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है। शुद्ध रूप – मैंने अपना गृहकार्य कर लिया है। संस्कृत में अशुद्ध वाक्य को शुद्ध कैसे करें?अशुद्ध-वाक्य शुद्ध-वाक्य
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए क श्रीकृष्ण के अनेकों नाम है ख वह एक आँख से काना है?इसे सुनेंरोकें’श्री कृष्ण के अनेक नाम हैं’ वाक्य शुद्ध है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘श्री कृष्ण के अनेक नाम हैं’ है। ‘श्री कृष्ण के अनेक नाम हैं। ‘ शुद्ध वाक्य है क्योंकि इसमें कोई त्रुटि नहीं है। निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए मुझे केवल मात्र ₹ 20 दीजिए?इसे सुनेंरोकेंAnswer. मुझे केवल मात्र कुछ रुपए चाहिए। शुद्ध वाक्य : मुझे केवल कुछ रुपए चाहिए। मुझे मात्र कुछ रुपए चाहिए। वह एक आंख से काना है अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए? इसे सुनेंरोकेंअशुद्ध वाक्य : वह आंख से काना है। शुद्ध वाक्य : वह आँख काना है। ऊपर दिए गए वाक्य आंख के ऊपर अनुनासिक लगेगा (चंद्रबिंदु) लगेगा तभी शब्द शुद्ध बनेगा। आज की पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत वाक्य शुद्धि(Vaky shuddhi) को पढेंगे ,इससे जुड़े परीक्षापयोगी 1500+ उदाहरण पढेंगे । अगर आप इन सभी उदाहरणों से तैयारी कर लेते हो तो आपका ये प्रश्न परीक्षा में कभी गलत नही होगा । विचारों की परस्पर भावाभिव्यक्ति का सबसे बङा साधन भाषा है। जिसमें वाक्य का स्थान सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है। किसी विचार अथवा भाव को स्पष्ट एवं पूर्णतः के साथ व्यक्त करने वाला पद समूह वाक्य कहा जाता है। प्रसिद्ध वैयाकरण पण्डित कामता प्रसाद गुरु के अनुसार ’’एक पूर्ण विचार व्यक्त करने वाला शब्द समूह वाक्य कहलाता है।’’ भाषा में अशुद्धियाँ प्रायः वर्तनी और व्याकरण की ही अधिक होती हैं तथा वर्तनी की अशुद्धियाँ भी मात्रा और वर्णों से सम्बन्धित होती
हैं। वाक्य अशुद्धि (Vakya Shuddhi) कई प्रकार से हो सकती है, जिसके विभिन्न उदाहरण क्रमशः इस प्रकार हैं – अशुद्धियों के प्रकार उदाहरण सहित
1. संज्ञा सम्बन्धी अशुद्धियाँ –कई बार संज्ञा पद का उल्लेख करके उसका पुनः अनावश्यक पद के रूप में उल्लेख हो जाने से वाक्य बोझिल हो जाता है और उसकी प्रभावोत्पादकता में कमी आ जाती है। जैसे –
2. सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ –संज्ञा में जो लिंग, वचन व पुरुष होता है उसके सर्वनाम में भी वही लिंग वचन व पुरुष प्रयुक्त होना चाहिए, लेकिन व्यवहार में इस विधान की अपेक्षा से भाषा में अशुद्धियाँ हो जाती हैं। जैसे – अशुद्ध – वह तो गया किन्तु वह उसकी पुस्तक नहीं ले गया। शुद्ध – उसे जल्दी घर जाना था। 3. विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ –विशेषण संज्ञा व सर्वनाम की विशेषता को व्यक्त करने वाला शब्द भेद है। इसलिए विशेष्य के लिंग वचन विशेषण में भी प्रयुक्त होना चाहिए, लेकिन हिन्दी में इस विषय की कई अशुद्धियाँ मिलती रहती हैं या विशेषणों का अनावश्यक अथवा अपूर्ण प्रयोग भी अशुद्धियों का कारण बन जाता है। जैसे – अशुद्ध – मोहन कल सारी रातभर जागता रहा। अशुद्ध – आगामी दुर्घटना कहकर नहीं आती है। अशुद्ध – पोलियो के निवारण हेतु सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होगा। 4. क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ –क्रिया पद का सही प्रयोग न होने से वाक्य का आशय अस्पष्ट हो जाता है। क्रिया पद के प्रयोग के समय कर्ता पद से समन्वय न होने से वाक्य का स्वरूप ही अस्पष्ट हो जाता है। कहीं काल सम्बन्धी अशुद्धि और कहीं वचन सम्बन्धी अशुद्धि वाक्य को पूर्णतया निरर्थक बना देती है। क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। जैसे – अशुद्ध – क्या उस प्रश्न का हल करने आवश्यकता हैं ? अशुद्ध – चालक ने पूछा कि यह सङक कहाँ जाती है ? शुद्ध – बाहर अन्धेरी है इसलिए लालटेन ले लो/लेकर चली। अशुद्ध – गणेश यहाँ आए बिना नहीं रह सकता है। 5. कर्ता कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –सकर्मक एवं भूतकाल की क्रिया होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न अवश्य होता है, लेकिन अकर्मक क्रिया के साथ ’ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता है। साथ ही संयुक्त क्रिया व भूतकालिक क्रिया के साथ होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न नहीं होता है। इसी प्रकार मुख्य क्रिया के सकर्मक एवं भूत कृदन्त होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे – अशुद्ध – मैं लेख लिखा। अशुद्ध – चैथे प्रश्न में तुम सबों ने यह भूल की। अशुद्ध – तुम दो या न दो, मैंने तुम्हारा साथ देना है। 6. कर्म कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –वाक्य में कर्म पर अधिक बल देने के लिए ’को’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे – अशुद्ध
– मुझे बहुत पुस्तकों को पढ़ना पङता है। 7. करण कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –जहाँ साधन रूप में प्रयुक्त करण का प्रयोग होता है वहाँ ’से’ चिह्न का प्रयोग होता है, लेकिन करण पद के सामने वाले शब्द के साथ समास हो जाने पर ’से’ चिह्न लुप्त हो जाता है। अशुद्ध – यह अवतरण ’सूर के पद’ का लिया गया है। 8. सम्प्रदान कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –सम्प्रदान कारक का चिह्न ’के लिए’ है, किन्तु हिन्दी में इसके लिए ’को’ चिह्न भी मान्य है। वाक्य का आकार अनावश्यक लम्बा न हो इसलिये चतुर्थी या सम्प्रदान के अर्थ में बहुधा ’को’ चिह्न का प्रयोग होता है तथापि ’के लिये’ सर्वथा वर्जित नहीं है, अपितु जहाँ वाक्य स्वरूप या शब्द समन्वय जिस चिह्न (के लिए/को) से अच्छा प्रतीत होता हो तो वहाँ उसका प्रयोग होना चाहिए। जैसे – अशुद्ध – पिता ने पुत्र के लिए एक रुपया दिया। अशुद्ध – पुजारी जी ने भक्तों के लिए भजन सुनाया। 9. अपादान कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –जिस वस्तु से कोई वस्तु अलग होती है वहाँ अपादान कारक के चिह्न ’से’ का प्रयोग होता है। इसी प्रकार एक वस्तु या अनेक वस्तुओं से दूसरी वस्तु की तुलना करने के लिए ’भी’ चिह्न का प्रयोग होता है। ऐसे स्थल पर ’से’ का प्रयोग न करने से या इसका अन्यत्र प्रयोग करने से भी वाक्य अशुद्ध हो जाते हैं। जैसे – अशुद्ध – वह आज सवेरे का ऊब रहा है। अशुद्ध – चंचल मन के होते हुए संसार में विरक्त होना कठिन है। 10. सम्बन्ध कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –जहाँ पर दो वस्तुओं या अधिक वस्तुओं का परस्पर सम्बन्ध करने वाले चिह्न ’का’, ’के’, ’की’, रा, रे, री, ना, ने, नी आदि का प्रयोग होता है, लेकिन इन चिह्नों के सामने यदि दूसरा पद समास के योग्य हो तो उक्त चिह्न का लोप हो जाता है। इसके अतिरिक्त उक्त सम्बन्ध को व्यक्त करने वाले चिह्नों का जहाँ प्रयोग नहीं होता है वहाँ सम्बन्ध कारक सम्बन्धी अशुद्धि भी मानी जाती है। जैसे – अशुद्ध – राम श्याम के गाँव अलग-अलग है। अशुद्ध – पिताजी ने टिल्लू को फटकारा कि तुमका यहाँ क्या काम हैं ? 11. अधिकरण कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –जहाँ पर आधार अर्थ को व्यक्त किया जाता है वहाँ ’में, पर’ आदि चिह्नों का प्रयोग होता है। यदि चिह्नों के सामने समास के योग्य पद होता है तो वहाँ पर समास हो जाने से अधिकरण सम्बन्धी चिह्नों का प्रयोग नहीं होता है, परन्तु जहाँ आवश्यक होते हुए भी उक्त चिह्नों का प्रयोग नहीं किया जाता है तो वहाँ अधिकरण कारक सम्बन्धी अशुद्धि होती है। जैसे – अशुद्ध – घर कौन है? मुझे कुछ पूछना है। अशुद्ध – कन्हैया हलवाई की मिठाई में मक्खियाँ बैठ रही है। 12. संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के विभक्ति रूपों से सम्बन्धित अशुद्धियाँ –अशुद्ध – आलसी ने भगवान से कहा कि मैं चाहता हूँ कि मुझे सुख मिले। अशुद्ध – पक्षी ने घोंसला वृक्ष पर बनाया। 13. लिंग, वचन तथा क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ –वाक्यों में विशेष्य जिस-जिस लिंग का होता है उसके लिए प्रयुक्त विशेषण भी उसी लिंग का होना चाहिए। हिन्दी भाषा मे अन्य भाषाओं की अपेक्षा क्रिया भी कर्ता या विषय के लिंग के अनुसार ही प्रयुक्त होती है, जैसे – बालक जा रहा है और बालिका जा रही है। ’बालक’ शब्द पुल्लिंग है इसलिए ’जा रहा है’ यह क्रिया पद का प्रयोग किया गया, जबकि ’बालिका’ शब्द स्त्रीलिंग है इसलिए ’जा रही’ क्रिया पद उसके साथ जुङ गया। अतः हिन्दी में कर्ता या विषय के अनुकूल क्रिया पद के प्रयोग का ध्यान रखना आवश्यक है। जहाँ लिंग, वचन का तथा उनके अनुकूल क्रिया पद का प्रयोग नहीं होता है वहाँ लिंग, वचन तथा क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ हो जाती हैं। जैसे – अशुद्ध – प्रत्येक छात्र अनुपस्थिति दण्ड देनी होगी। अशुद्ध – प्रसन्न होकर
गृहपति ने उपहार में कंगन दी अशुद्ध – वहाँ मत जाओ यह बात तुमसे पहले ही कहा गया था। अशुद्ध – घाटियों में अभ्यास हेतु स्काउटों के दल आए हैं। 14. वचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ –मुख्यतया होने वाली अशुद्धियों के संशोधन सहित अभ्यास हेतु कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। अशुद्ध – वह बालक जन्मते ही मर गया। अशुद्ध – कामायनी के लेखक जयशंकरप्रसाद है। अशुद्ध – यद्यपि तुम अविश्वसनीय हो, परन्तु मैं तुन्हें अवसर देता है। अशुद्ध – कई सौ वर्ष तक भारत के गले में पराधीनता की बेङियाँ पङी रहीं। अशुद्ध – सच्चा मित्र जीवन में कोई एक ही विरला होता है। अशुद्ध – राजनैतिक शरण देकर आतंकवादी पालना, सौंप पालने के समान है। अशुद्ध –
उन्होंने अपने जीवन में बहुत-सा उतार-चढ़ाव देखे था। अशुद्ध – निखिल के दादे का क्या नाम है ? अशुद्ध – सैनिकों के लिए पत्रों को भेजा जा रहा है। अशुद्ध – बस खायी में गिर गई। अशुद्ध – बम एक प्रकार का शस्त्र है। अशुद्ध – एक पानी का
गिलास दीजिए। अशुद्ध – नीरज ने नीना को कहा। अशुद्ध – पुनीत का स्वास्थ ठीक है। अशुद्ध – मेरी सफलता
मेरे परिश्रम पर निर्भर करती है। अशुद्ध – समाज के अन्तर्गत भ्रष्टाचार व्याप्त है। अशुद्ध – बस से जाना है तो बस का समय मालूम कर लो। अशुद्ध – शेर को देखकर उसका प्राण सूख गया। अशुद्ध – साहित्य और समाज का घोर सम्बन्ध है। अशुद्ध – मेज पर कागज, कलम, दवात है। अशुद्ध – ग्यान बिना कर्तव्य का महत्त्व समझ में नहीं आता। परीक्षापयोगी उदाहरणशुद्ध – हँसी और खाँसी दोनों ही झगङे व उपहास की जङ है। अशुद्ध – मेरे से दूर हट, मैं तेरे से कुछ नहीं कहता। अशुद्ध – देशवासियों का लक्ष्य देश की चहुँमुखी प्रगति होनी चाहिए। शुद्ध – किवदंती के अनुसार सावित्री जो सत्यवान की पत्नी सावित्री एक पतिव्रता नारी थी। अशुद्ध – कर्मचारी ने आफिसर से कहा कृपया आज का अवकाश देने की कृपा करें। विशेष उदाहरणशुद्ध – प्रबन्धक ने कर्मचारी से कहा कि पुस्तक छापने की व्यवस्था करें। अशुद्ध – रमेश की पतिव्रता नारी को छूने का उत्साह कौन करेगा। अशुद्ध – पुष्कर मेले में यात्रियों का तारतम्य नहीं टूटता था। अशुद्ध – स्टेशन से आते हुए कमल बोला तुम तो आ गए पर आपका सामान नहीं आया। अशुद्ध – स्वस्थ होते ही बबलू ने पिताजी से कहा कि मैं खेलना माँगता हूँ। अशुद्ध – घर की नींव पङते ही सुरेश बोला कि यह काम अच्छा हो पङा है। अशुद्ध – पङोसन ने झगङते हुए रमेश की पत्नी से कहा कि घर से बाहर जाओ तो तुम्हें मजा दिलाऊँ। अशुद्ध – डाॅक्टर ने मरीज को परामर्श देते हुए कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप छुट्टी ले लेता। अशुद्ध – छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु परीक्षा की प्रणाली बदलना चाहिए। अशुद्ध – कुम्भ के मेले में हरेक ने टोपियाँ पहन रखी थीं। अशुद्ध – ब्रह्माजी के दर्शन करने जाते समय अशोक ने कहा कि हमारे सामानों का ख्याल रखना। अशुद्ध – पप्पू ने प्रातः भोजन करके स्कूल गया। अशुद्ध – आम तोङने के लिए पंकज सुबह से पेङ
में बैठा है। अशुद्ध – बच्चे उधम करते रहते हैं। अशुद्ध – राॅकेट में इंधन नहीं था। अशुद्ध – उसने कहा की मैं सोऊँगा। अशुद्ध – कमला की माँग में
सिन्दुर नहीं था। अशुद्ध – पाठ को दूबारा बढ़ना चाहिए। अशुद्ध – रहीम के नीती के दोहे ज्ञानप्रद हैं। अशुद्ध – हिरण निरिह पशु है। अशुद्ध – प्रदर्शिनी में विभिन्न वस्तुएँ रखी थीं। अशुद्ध – भारत धर्म निर्पेक्ष देश है। अशुद्ध – कुलदीप कभी अपने समय का दुरूपयोग नहीं करता। अन्य उदाहरणअशुद्ध – बहु घर की लक्ष्मी होती है। अशुद्ध – भालूओं का जोङा जंगल में विचरण करता है। अशुद्ध – छिपकिली कीङे मकौङे खाकर पेट भरती है। विशेषण-संबंधी अशुद्धियाँ1. उसे भारी प्यास लगी है। (बहुत) 18. वहाँ घना अँधेरा घिरा था। (छाया) अव्यय-संबंधी अशुद्धियाँ1. यद्यपि वह बीमार था, परन्तु वह स्कूल गया। (तथापि) पदक्रम-संबंधी अशुद्धियाँ1. छात्रों ने मुख्य अतिथि को एक फूलों की माला पहनाई। (फूलों की एक माला) द्विरुक्ति/पुनरुक्ति-संबंधी अशुद्धियाँ1. मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ बशर्ते कि तुम मेरा कहा मानो। (बशर्ते/शर्त है कि) शब्द-ज्ञान-संबंधी अशुद्धियाँ1. बाण बङा उपयोगी शस्त्र है। (अस्त्र) ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓
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वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए?अशुद्ध रूप – मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। शुद्ध रूप – मैं अपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। अशुद्ध रूप – मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है। शुद्ध रूप – मैंने अपना गृहकार्य कर लिया है।
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए वह एक आंख से काना है?अशुद्ध वाक्य : वह आंख से काना है। शुद्ध वाक्य : वह आँख काना है। ऊपर दिए गए वाक्य आंख के ऊपर अनुनासिक लगेगा (चंद्रबिंदु) लगेगा तभी शब्द शुद्ध बनेगा।
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए मैं आपको मिलकर प्रसन्न हुआ?शुद्ध रूप : मुझे आपसे मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई।
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