पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपने नवजात शिशु को नहलाने में काफी मुश्किल होती है। कई महिलाएं शिशु के नहलाने के सही तरीके के बारे में जानती नहीं है, जिसके चलते अधिकतर महिलाएं परेशान रहती है। दरअसल, शिशु की त्वचा बेहद नाजुक होती है, ऐसे में उसको विशेष देखभाल की जरूरत होती है। शिशु को अगर सही तरह से ना नहलाया जाए तो उसको कई तरह की समस्याएं भी हो सकती है। Show
(और पढ़ें - बच्चे को दूध पिलाने के तरीके) हाल में मां बनने वाली महिलाओं की इस समस्या को सुलझाने का प्रयास करते हुए, इस लेख में नवजात शिशु को नहलाने के विषय में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें शिशु को नहलाने से पहले की तैयारी, नवजात शिशु को नहलाने के तरीके, शिशु के नहलाने के बाद क्या करें और नवजात शिशु को नहलाने के टिप्स आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। (और पढ़ें - शिशु और बच्चों की देखभाल) अपने शिशु को नहलाना, सिर्फ़ एक स्वच्छता की दिनचर्या से अधिक हो सकता हैं।यह उनके साथ खेलने और वक्त बिताने का मौका है - जो दोनों के लिए मजेदार समय बनाता हैं।स्नान की आदत पड़ने में आपके शिशु को कुछ समय लग सकता हैं।स्नान के समय शिशु के व्याकुल होने के कई कारण हैं।जैसे कि, निर्वस्त्र होना, उनके आस-पास हर जगह पानी, साबुन वाले हाथ आदि. लेकिन, हमारा विश्वास करें, यह चरण जल्द ही गुजर जाता है और इस बारे में चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं हैं।यहां पर एक आसान तरीका हैं, जिससे आप स्नान को एक मजेदार प्रक्रिया बना सकते हैं।
नाभी की रस्सी को साफ़ करने के विषय आपके शिशु की नाभी की रस्सी एक हफ़्ते से दस दिनों में सुखकर गिर जाती हैं।आपको अस्पताल में सलाह दी जा सकती है कि इस भाग को रोजाना कैसे साफ़ किया जाए , या अत्यधिक सफाई की आवश्यकता नहीं है।।यदि आप कोई लालिमा, बहाव या संक्रमण के अन्य लक्षण दिखाई देते है, तो अपने डॉक्टर से उचित सलाह लें।। नवजात शिशु को स्नान कराना आसान काम नहीं है, खासतौर से उनके लिए जो पहली बार माता-पिता बने हैं। कुछ शिशु स्नान का आनंद लेते हैं, लेकिन कुछ शिशु को नहलाना किसी चुनौती से कम नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि कुछ शिशु नहाते समय रोते क्यों हैं, तो यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि उन्हें नहलाया कैसे जा रहा है। अब आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि नवजात शिशु को कैसे नहलाया जाए? इस काम में मॉमजंक्शन का यह लेख आपकी काफी हद तक मदद कर सकता है। यहं हम नवजात शिशु को नहलाने से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां देने का प्रयास कर रहे हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि नवजात शिशु को कैसे नहलाना चाहिए। नवजात शिशु को नहलाना क्यों जरूरी है?नवजात शिशुओं की त्वचा मुलायम और नाजुक होती है (1)। ऐसे में उन्हें नहलाना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन जरूरी भी है। शिशु को नहला कर साफ कपड़े पहनाना, उसके स्वास्थ्य की ओर पहला कदम हो सकता है। नहलाने के पीछे इसके अलावा भी कारण है, जो निम्न प्रकार से हैं :
शिशु को नहलाना क्यों जरूरी है, यह तो हम बता ही चुके हैं। अब आगे जानते हैं कि शिशु को कब नहलाना चाहिए। नवजात शिशु को नहलाना कब शुरू करें? | Navjat Shishu Ko Kab Nahlaye?एक शोध के अनुसार, अगर जन्म के 12-24 घंटे बाद शिशु को नहलाया जाए, तो यह उसके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है (7)। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक शोध में भी कहा गया है कि जन्म के तुंरत बाद शिशु को नहीं नहलाना चाहिए। ऐसा करने से शिशु की स्तनपान करने की संभावना बढ़ सकती है (8)। जानकारों की मानें तो एक बार शिशु का अम्बिलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल सूखने और गिरने के बाद ही शिशु को नहलाना उचित होता है। इससे पहले स्पोंजिंग कराना ही बेहतर हो सकता है। शिशु को नहलाने का समय निश्चित करते समय निम्न बातों का ध्यान भी रखना जरूरी है:
आइए, अब जानते हैं कि शिशुओं को कब-कब नहलाया जा सकता है। शिशुओं को कितनी बार नहलाना चाहिए?| New Born Baby Ko Kitne Din Me Nahana Chahiye?नवजात को रोज नहलाने की जरूरत नहीं होती है। जब तक बच्चा घुटनों पर चलना शुरू नहीं करता, तब तक वह कम गंदा होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शिशु को सप्ताह में सिर्फ तीन दिन नहलाना काफी है (9)। इसके अलावा, शिशु को नहलाना मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करता है। अगर गर्मी का मौसम है तो शिशु को हर रोज नहलाया जा सकता है। वहीं, ठंड या बरसात के मौसम में हर दूसरे दिन या हफ्ते में दो से तीन दिन नहलाना उचित हो सकता है। आगे हम शिशु को नहलाने के लिए की जाने वाली तैयारी के बारे में बता रहे हैं। नवजात शिशु को नहलाने से पहले की तैयारीनवजात शिशु को नहलाना एक जिम्मेदारी भरा काम है। बच्चे को पानी में या उसके आसपास अकेला छोड़ना खतरे से खाली नहीं है। इसलिए, बेहतर होगा कि आपने बच्चे को नहलाने से पहले पूरी तैयारी करें। इसके लिए आप निम्न बातों को ध्यान में रख सकते हैं:
शिशु के लिए पानी का तापमान कितना होना चाहिए, इसकी जानकारी होना भी जरूरी है। आइए, इस बारे में जानते हैं। पानी कितना गर्म होना चाहिए?शिशु को नहलाने से पहले पानी का तापमान जांच लें। वाटर हीटर (गीजर) का तापमान 120 डिग्री फारेनहाइट पर सेट करें। शिशु को नहलाने के लिए गुनगुना पानी ही इस्तेमाल करें। पानी का तापमान जांचने के लिए आप थर्मामीटर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं (10)। आसान शब्दों में समझा जाए तो पानी पर्याप्त गर्म होना चाहिए, न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा। शिशु को नहलाने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करना उचित है और शिशु को नहलाने से पहले इसे अपने हाथ के पीछे डालकर चेक जरूर करें ताकि पानी के तापमान का पता चल सके। शिशु को नहलाते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। आगे हम इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं। अपने नवजात शिशु को कहां नहलाएं?नवजात शिशु को स्नान कराने का स्थान निर्धारित करते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें (10) –
शिशु के स्नान से संबंधित अन्य जानकारियों के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल। नवजात शिशुओं के अंग नाजुक होते हैं। ऊपर से साबुन और शैम्पू लगे हाथों से शिशु के फिसल जाने का डर भी रहता है। इसी डर के कारण कई माता-पिता अपने नवजात शिशु को नहलाने का काम नर्स या किसी अनुभवी व्यक्ति को सौंप देते हैं, लेकिन अगर आप चाहें तो अपने बच्चे को खुद भी सुरक्षित तरीके से नहला सकते हैं। आइए, जानते हैं कि बच्चों को सुरक्षित नहलाने के कौन-कौन से तरीके हैं- नवजात शिशु को स्पंज बाथजन्म के बाद पहले एक सप्ताह में स्पंज बाथ शिशु के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें एक मुलायम व गीले स्पंज, कपड़े या फिर कॉटन से शिशु के शरीर को साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान शिशु की गर्भनाल पानी के संपर्क से बच जाती है, जिससे इसके जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है (11)। अब जानते हैं कि स्पंज बाथ कैसे दिया जाता है – जरूरी सामान – बिछाने के लिए एक मुलायम कपड़ा, बेबी सोप, पोंछने के लिए एक मुलायम कपड़ा, सूखा तौलिया, गुनगुना पानी, डायपर, शिशु के साफ कपड़े, बेबी लोशन और पाउडर। ध्यान रहे साबुन का उपयोग शिशु के जन्म के पहले सप्ताह में बिल्कुल न करें।
Image: Shutterstock नवजात शिशु को टब में नहलानाएक सप्ताह के बाद शिशु को टब में नहलाया जा सकता है। शिशु को टब में नहलाने की प्रक्रिया इस प्रकार है – जरूरी सामान – नहाने के लिए टब के अतिरिक्त सब कुछ स्पंज बाथ के समान ही रहेगा। गरम पानी स्पंज बाथ के मुकाबले अधिक होना चाहिये।
Image: Shutterstock पारम्परिक स्नानभारत के कई हिस्सों में आज भी पारम्परिक स्नान प्रचलित है। इसके अंतर्गत नवजात को मां अपने पैरों पर लेटाकर नहलाती है। नहलाने से पहले शिशु की अच्छी तरह मालिश की जाती है। अगर माँ शिशु को नहलाने में सक्षम न हो तो दाई या घर की बुजुर्ग औरतें शिशु को पारम्परिक विधि से नहलाती हैं। जरूरी सामान – बाल्टी और मग के अतिरिक्त सब कुछ स्पंज बाथ के समान ही रहता है। स्टेप 1 – नीचे बैठ जाएं और अपने पैरों को सामने की ओर फैला लें। शिशु के कपड़े निकालकर उसे पैरों पर लेटा लें। स्टेप 2 – बाल्टी से मग में पानी लेकर शिशु को गीला करें। स्टेप 3 – शिशु के शरीर पर साबुन और शैम्पू लगाएं। हाथों और पैरों को अच्छी तरह साफ करें। स्टेप 4 – साबुन को साफ पानी डालकर धो दें और बच्चे को सूखे तौलिया में लपेट लें। स्टेप 5 – शिशु के शरीर को अच्छी तरह सुखाकर पाउडर और लोशन आदि लगाएं। स्टेप 6 – साफ कपड़े और डायपर पहनाकर शिशु के तापमान को सामान्य करने का प्रयास करें।
Image: Shutterstock लेख में आगे शिशु और स्नान के संबंध में कुछ अन्य काम की बातें बताई गई हैं। शिशु के चेहरे को कब और कैसे धोना चाहिए?शिशु को नहलाते समय सबसे पहले उसके चेहरे को धोना चाहिये। चेहरे पर अगर कोई सूखी हुई चीज चिपकी हो, तो उसे रगड़कर साफ न करें। इसके लिए गीली रुई का इस्तेमाल करें। कान और नाक साफ करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें। किसी चीज जैसे उंगली या ईयरबड का प्रयोग कान और नाक के अंदर न करें। चेहरे को हमेशा सादे पानी से साफ करें। आइए, अब जानते हैं कि शिशु को स्नान कराने के बाद क्या करना चाहिए। शिशु को नहलाने के बाद क्या करें | स्नान के बाद अपने नवजात शिशु को सुखाने और ड्रेसिंग के लिए टिप्स
नवजात शिशु के स्नान के संबंध में कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं, जिनके बारे में आगे बताया गया है। बच्चे को नहलाते समय इन बातों को ध्यान में रखें
अक्सर पूछे जाने वाले सवालबच्चे को नहाने का आनंद लेने में कैसे मदद करें?कुछ बच्चे नहाते समय काफी रोते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप कुछ टिप्स ट्राई कर सकते हैं –
किस प्रकार का क्लींजर या साबुन का उपयोग किया जाना चाहिए?नवजात शिशु को स्नान कराने के लिए हमेशा माइल्ड बेबी सोप और शैम्पू इस्तेमाल करें। सोप और शैम्पू आंखों में जलन और चुभन पैदा करने वाले न हों। बेबी सोप और शैम्पू में pH वैल्यू 5.5 से 7.0 के बीच होनी चाहिए (16)। बेहतर होगा कि आप कोई भी शैम्पू या साबुन इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। नवजात शिशु को नहलाना हर माता-पिता के लिए खास पल होता है। अपने शिशु के नन्हे-नन्हे हाथ व पैरों को प्यार से सहलाते हुए आपके मन में स्नेह और ममता के भाव रहते हैं। ऐसे में किसी भी अनहोनी का डर न रहे, इसलिए हमने यह लेख आपके साथ साझा किया है। अगर आप नवजात को नहलाने से कुछ असहज या समस्या
महसूस करें, तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। References:MomJunction's articles are written after analyzing the research works of expert authors and institutions. Our references consist of resources established by authorities in their respective fields. You can learn more about the authenticity of the information we present in our editorial policy. Was this article helpful? The following two tabs change content below. बेबी को नहाने के बाद क्या लगाना चाहिए?नहाने के बाद कपड़े पहनाने से पहले शिशु का शरीर अच्छी तरह से पोंछ लें। नहलाने के बाद शिशु की त्वचा को मॉइस्चराइज करना जरूरी है। नहलाने के बाद डायपर रैश क्रीम लगाएं।
नवजात शिशु को कितने दिन बाद नहाना चाहिए?वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार जन्म के 24 घंटे बाद नवजात शिशु को नहला देना चाहिए। यदि किसी कारण से पूरा दिन इंतजार न कर पाएं, तो नवजात शिशु को नहलाने के लिए कम से कम छह घंटे का इंतजार जरूर करना चाहिए।
नवजात शिशु का रंग कैसे निखारे?अगर आप अपने शिशु का रंग निखारना चाहती हैं तो बताए गए इन उपायों को जरूर आजमाएं.... बेसन का पेस्ट शिशु का रंग साफ करने के लिये बेसन का पेस्ट बनाइये। ... . बॉडी पैक का करें प्रयोग घर पर एक बॉडी पैक बनाएं जिसमें चंदन पावडर, कच्चा दूध, हल्दी और केसर मिलाएं। ... . न करें साबुन का उपयोग ... . मॉइस्चराइजर लगाएं ... . तेल से मसाज ... . सन-बाथ कराएं. बच्चों की मालिश दिन में कितनी बार करनी चाहिए?शिशु की कितनी बार मालिश करनी चाहिए? बहुत सी मांएं शिशु की रोजाना मालिश करना पसंद करती हैं। कुछ नहलाने से ठीक पहले मालिश करती हैं, वहीं कुछ अन्य शिशु को नहलाने के बाद उसकी मालिश करना पसंद करती हैं। कुछ परिवारों में शिशु के पहले तीन महीनों में दिन में दो बार मालिश की जाती है।
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