पंचायत समिति का क्या काम है? - panchaayat samiti ka kya kaam hai?

भारत गणराज्य

पंचायत समिति का क्या काम है? - panchaayat samiti ka kya kaam hai?
भारत
की राजनीति और सरकार

पर एक श्रेणी का भाग

संविधान

  • भारत का संविधान
  • मूलभूत अधिकार, नीति निर्देशक तत्व,
    नीति निर्देशक तत्व
    एवं नागरिकों के कर्तव्य

सरकार

  • भारत सरकार

विधानपालिक

  • संसद
  • राष्ट्रपति
    • राम नाथ कोविन्द
  • उपराष्ट्रपति
    • वेंकैया नायडू
  • लोकसभा
  • लोकसभा अध्यक्ष
    • सुमित्रा महाजन
  • राज्यसभा
  • राज्यसभा के अध्यक्ष

कार्यपालिका

  • भारत सरकार
  • प्रधानमंत्री
    • नरेन्द्र मोदी
  • मंत्रीमंडल

न्यायपालिका

  • सर्वोच्च न्यायालय
  • न्यायाधीश
    • दीपक मिश्र
  • उच्च न्यायालय
  • जिला न्यायालय

स्थानीय प्रशासन

  • पंचायती राज

भारतीय चुनाव

  • लोकसभा चुनाव 2014
  • चुनाव आयोग
  • मुख्य निर्वाचन अधिकारी
  • प्रांतीय चुनाव
  • राजनैतिक दल

वैश्विक संबंध व अन्य विषय

  • राजनैतिक घटनाक्रम
  • विदेश संबंध

  • अन्य देश
  • नक्षों की किताब

पंचायत समिति का क्या काम है? - panchaayat samiti ka kya kaam hai?
भारत प्रवेशद्वार

  • दे
  • वा
  • सं

पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं। यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के मध्य की कड़ी होती है।[1] इस संस्था का विभिन्न राज्यों में भिन्न नाम हैं। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में इसे मंडल प्रजा परिषद्, गुजरात में तालुका पंचायत और कर्नाटक में मंडल पंचायत के नाम से जाना जाता है।

संरचना[संपादित करें]

पंचायत समिति का क्या काम है? - panchaayat samiti ka kya kaam hai?

भारत की प्रशासनिक प्रणाली

आम तौर पर, क्षेत्रवार चुने गए सदस्यों और खंड विकास अधिकारी, अन्यथा अपूर्वदृष्ट सदस्यों (अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला प्रतिनिधि), सह-सदस्य (उदाहरण के लिए उस क्षेत्र का बड़ा किसान, सहकारी समितियों के प्रतिनिधि और कृषि विपणन सेवा क्षेत्र से) तथा जिला परिषद के लिए तहसील स्तर पर चुने गये सदस्य मिलकर पंचायत समिति का निर्माण होता हैं।[2]

इस समिति का चुनाव पाँच वर्षों से होता है और इसके अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव, चुने हुये सदस्य मिलकर करते हैं।[2] इसके अलावा अन्य सभी पंचायत समितियों पर्यवेक्षण के लिए एक सरपंच समिति भी होती है।

मंडल परिषदों की संरचना

मंडल परिषद् का निर्माण राजस्व मंडल से इस प्रकार होता है कि मंडल परिषद् और राजस्व मंडल का दायरा लगभग समान होता है। मंडल परिषद् निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनी होती है::

  • मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र सदस्य।
  • विधायक मंडल में क्षेत्राधिकार रखते हैं।
  • लोकसभा सदस्य मंडल में क्षेत्राधिकार रखते हैं।
  • मंडल के वो मतदाता जो राज्य परिषद् के सदस्य हैं।
  • अल्पसंख्यक वर्ग से सहयोजित एक सदस्य।
  • मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र सदस्य, जिनका चुनाव सीधा मतदाता करते हैं और इन सदस्यों द्वारा चुना गया मंडल अध्यक्ष। पाँच वर्ष के लिए चुने गये सदस्य, इनका चुनाव राजनीतिक दल के आधार पर किया जाता है। इन चुनावों का संचालन राज्य चुनाव आयोग करता है।

सम्बंधित मंडल के गाँवों के सभी सरपंच, मंडल परिषद् बैठकों के स्थायी आमंत्रित सदस्य होते हैं।

विभाग[संपादित करें]

पंचायत समिति में सामान्यतः निम्न विभाग सर्वत्र पाये जाते हैं:[1]

  1. प्रशासन
  2. वित्त
  3. लोक निर्माण कार्य (विशेष रूप से पानी और सड़कें)
  4. कृषि
  5. स्वास्थ्य
  6. शिक्षा
  7. समाज कल्याण
  8. सूचना प्रौद्योगिकी
  9. महिला एवं बाल विकास

पंचायत समिति में प्रत्येक विभाग का अपना एक अधिकारी होता है, अधिकतर ये राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सरकारी कर्मचारी होते हैं जो अतिरिक्त कार्यभार के रूप में यह कार्य करते हैं लेकिन कभी-कभी अधिक राजस्व वाली पंचायत समिति में ये स्थानीय कर्मचारी भी हो सकते हैं। सरकार नियुक्त प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) इन अतिरिक्त कार्यभार अधिकारियों और पंचायत समिति का पर्यवेक्षक होता है और वास्तव में सभी कार्यों का प्रशासनिक मुखिया होता है।[3]

कार्य[संपादित करें]

पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर द्वारा तैयार किये गयी सभी भावी योजनाओं को संग्रहीत करती है और उनका वित्तीय प्रतिबद्धता, समाज कल्याण और क्षेत्र विकास को ध्यान में रखते हुये लागू करवाती है तथा वित्त पोषण के लिए उनका क्रियान्वयन करती है।

आय के स्रोत[संपादित करें]

पंचायत समिति की आय निम्न तीन स्रोतों से होती है:[4][5][6]

  1. जल उपयोग एवं भूमि कर, पेशेवर कर, शराब कर और अन्य
  2. आय सृजन कार्यक्रम
  3. राज्य सरकार और स्थानीय जिला परिषद से सहायता अनुदान और ऋण
  4. स्वैच्छिक योगदान

अधिकतर पंचायत समितियों की आय का स्रोत राज्य सरकार द्वारा दिया गया अनुदान होता है। अन्य स्रोतों से पारम्परिक कार्यक्रम बहुत बड़ा राजस्व प्राप्त करने का स्रोत होता है। राजस्व कर सामान्यतः ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति में साझा किया जाता है।[4][6]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ↑ अ आ सरकार, सियूली (2010). "7.3.3 Panchayat Samiti (पंचायत समिति)". Public Administration In India [भारत में सार्वजनिक प्रशासन] (अंग्रेज़ी में). नई दिल्ली: पीएचआई लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड. पपृ॰ 178–180. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-203-3979-8.
  2. ↑ अ आ सिंह, सिंह विपुल (2010). "Section II Civics: Chapter 8 Rural Local Self-Government". Longman History & Civics ICSE 9 (अंग्रेज़ी में). नोइडा, उत्तर प्रदेश, भारत: डोर्लिंग किंडेर्सली (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड. पृ॰ 265. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-317-2041-7.
  3. रमेश कुमार अरोड़ा और रजनी गोयल (1995). "Chapter 17 Panchayat Raj: Struggle For Effectiveness". Indian Public Administration: Institutions and Issues (अंग्रेज़ी में) (दूसरा संस्करण). नई दिल्ली: विश्व प्रकाशन. पपृ॰ 298–300. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7328-068-9.
  4. ↑ अ आ Singh 2010
  5. "Section A Civics: Chapter 7 Local Self-Government". History & Civics IX (eighth संस्करण). New Delhi: Rachna Sagar Private Ltd. 2011. पृ॰ 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8137-083-9.
  6. ↑ अ आ जी॰आर॰ मदन (1990). "Chapter 16 Panchayati Raj". India's Developing Villages (second संस्करण). नई दिल्ली: अलाइड पब्लिशर्स. पृ॰ 343. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7023-281-0.

बिहार में पंचायत समिति का क्या काम होता है?

जिला परिषद के लिये पंचायत समिति ग्राम पंचायतों की ओर से उनका पक्ष प्रस्तुत करने वाली संस्था है । इस प्रकार, पंचायत समिति की भूमिका संस्थापरक है । बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के अनुसार 'प्रत्येक प्रखंड के लिये एक पंचायत समिति होगी। ' इसकी अधिकारिता, उपबंधित भागों को छोड़कर, सम्पूर्ण प्रखण्ड तक होगी ।

पंचायत समिति को यूपी में क्या कहते हैं?

पंचायत समिति तहसील (तालुक) के रूप में भारत में सरकार की स्थानीय इकाई होती है। यह उस तहसील के सभी गाँवों पर सामान रूप से कार्य करता है और इसको प्रशासनिक ब्लॉक भी कहते हैं।

उप मुखिया का चुनाव कौन करता है?

ग्राम पंचायत सदस्य अपने बीच से ही बहुमत द्वारा एक उप- मुखिया का चुनाव करते हैं उप - मुखिया के चुनाव में मुखिया मतदाता होगा ।

भारत में पंचायती राज की स्थापना कब हुई थी?

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।